05-02-2020, 09:29 PM
“मज़ा आ जाएगा यार अब तो. हम बेकार मे किसी रंडी को बुलाने की सोच रहे थे. ये तो फ्री मे काम हो गया हिहिहीही.” संजय बाहर आते हुए बत्तीसी फाड़ता हुआ बोला.
“ये क्या बकवास कर रहे हो तुम. कॉलेज मे यही सब सीखते हो क्या तुम.” मैने उन दोनो पर गुस्से से चिल्लाते हुए कहा.
“नही ये सब तो हमने खुद सीख लिया. लाइफ मे चूत मारनी भी तो आनी चाहिए क्यों संजय.” रामकुमार ने संजय की तरफ आँख मारते हुए कहा.
“तू हमारी दूसरी चूत है. इस से पहले हम मधुबाला आंटी के ले चुके हैं. हिहीही.” संजय ने भी अपने लिंग को मसल्ते हुवे कहा.
“झूठ बोल रहे हो तुम. वो ऐसी नही है. और अब ये बकवास बंद करो और सीधी तरह बताओ कि क्या चाहते हो तुम”
“बुला लू क्या उसे. तेरे सामने ही मारेंगे साली की भोसड़ी.” संजय ने अपने लिंग को और भी ज़ोर से मसलते हुए कहा.
“तमीज़ से बात करो समझे. साफ साफ बताओ मुझे यहाँ क्यों बुलाया है.” मैने सीधे सीधे दोबारा से अपनी बात उन दोनो से कही.
“तेरी चूत मारनी है हमे और क्या. आराम से देगी तो ठीक है वरना अभी जा कर तेरे पति को सब बता देंगे.” रामकुमार ने भी अपने लिंग को मसलते हुए कहा उसकी नज़ारे किसी भूखे कुत्ते के जैसे मेरी छाती पर जमी हुई थी.
“क्या बता दोगे तुम मनीष को ? क्या जानते हो तुम मेरे बारे मे ?” और किस बात को बताने की धमकी दे रहे हो ?” मैने बिल्कुल अंजान बनने का नाटक करते हुए कहा.
“झूठ मत बोलो जानेमन. 1 घंटे तक तुम उस कमरे मे रही उस बुढहे मुकेश के साथ. उस पर दरवाजा भी बंद था. बाहर लोग घूम रहे थे फिर भी तुम बाहर नही आई. कुछ तो गड़बड़ है ना. और उस बुढहे के बारे मे कॉन नही जानता है कि वो कितना बड़ा हरामी है. जिस औरत पर उसकी गंदी नज़र पड़ जाए उसकी चूत मारे बागेर उसे चैन नही आता है” संजय ने फिर से अपनी गंदी सी हँसी हस्ते हुए कहा.
“हान्ं सही कहा भाई.. वो बुड्ढ़ा तो एक नंबर का हरामी है. मधुबाला आंटी की भी तो उसने ली थी. और जब से ये यहाँ आई है वो पागल कुत्ते के जैसे लार टपकाता फिर रहा है तुम्हारे घर मे तुम्हारी चूत मारने के लिए. और आज तो उसे तुमने छत पर बंद कमरे दे भी दी” रामकुमार ने भी संजय की बात पर सहमति जताते हुए कहा.
“हां राम सही कहा. ये उस थर्कि बूढ़े को अपनी चूत दे कर आई है. बेचारी की प्यास मनीष के लंड से नही बुझती है इसलिए उस बुढहे से अपनी चूत मरवा कर अपनी प्यास बुझा रही थी. क्यू सही कहा ना मैने जानेमन यही बात है ना ?” संजय ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा.
“बंद करो अपनी बकवास और सॉफ सॉफ बोलो कि क्या चाहते हो तुम.” दोनो बुरी तरह से मेरी इज़्ज़त की धज्जिया उड़ा रहे थे उन दोनो की बात पर मैने चिल्लाते हुए कहा.
“जो उस आदमी को दिया वो हमे दे दो. हम अपनी ज़ुबान बंद रखेंगे.” संजय ने बड़ी गंदी सी नज़रो को मेरी टाँगो के बीच इशारा करते हुए कहा.
मैने दोनो की बात सुन कर कहा. “कॉन विस्वास करेगा तुम दोनो की बात का.”
“इसका मतलब हम सही हैं. अरे इसकी भी भोसड़ी ले ली उस थर्कि बूढ़े ने” रामकुमार ने संजय की तरफ इशारा करते हुए कहा.
मैं उन दोनो के मुँह से इतनी गंदी बात सुन कर हैरान हो रही थी इस लिए उन दोनो से बोली “तुम इतनी गंदी बाते कैसे कर सकते हो मेरे साथ.”
“तेरे जैसी गिरी हुई औरत के साथ कैसे बात करें फिर.” इस बार संजय ने भी थोड़ा अकड़ कर बोलते हुए कहा.
“तुझे हमारी बात माननी ही पड़ेगी वरना मनीष को सब बोल देंगे जाकर.” रामकुमार ने इस बार कोई फरमान सा सुना ने वाले अंदाज मे कहा.
मैं क्या सोच कर आई थी और यहाँ पर क्या हो रहा था बात को वापस सही करने के मकसद से मैने उन दोनो को पैसे का लालच देना मुनासिब समझते हुए कहा..“कितने पैसे चाहियें तुम्हे.”
दोनो एक दूसरे की तरफ देखने लगे. स्टूडेंट्स के लिए पैसा बड़ी चीज़ होती है. दोनो की आँखो मे पैसे का लालच सॉफ नज़र आ रहा था. इस से पहले की वो अपनी डिमॅंड रखें मैने कहा, “1000 लो और अपनी ज़ुबान बंद रखो.”
“नही नही 1000 तो बहुत कम हैं” संजय ने मेरे हाथ मे 1000 र्स को देखते हुए कहा.
“देखो मैं इस से ज़्यादा नही दे सकती.”
“ये क्या बकवास कर रहे हो तुम. कॉलेज मे यही सब सीखते हो क्या तुम.” मैने उन दोनो पर गुस्से से चिल्लाते हुए कहा.
“नही ये सब तो हमने खुद सीख लिया. लाइफ मे चूत मारनी भी तो आनी चाहिए क्यों संजय.” रामकुमार ने संजय की तरफ आँख मारते हुए कहा.
“तू हमारी दूसरी चूत है. इस से पहले हम मधुबाला आंटी के ले चुके हैं. हिहीही.” संजय ने भी अपने लिंग को मसल्ते हुवे कहा.
“झूठ बोल रहे हो तुम. वो ऐसी नही है. और अब ये बकवास बंद करो और सीधी तरह बताओ कि क्या चाहते हो तुम”
“बुला लू क्या उसे. तेरे सामने ही मारेंगे साली की भोसड़ी.” संजय ने अपने लिंग को और भी ज़ोर से मसलते हुए कहा.
“तमीज़ से बात करो समझे. साफ साफ बताओ मुझे यहाँ क्यों बुलाया है.” मैने सीधे सीधे दोबारा से अपनी बात उन दोनो से कही.
“तेरी चूत मारनी है हमे और क्या. आराम से देगी तो ठीक है वरना अभी जा कर तेरे पति को सब बता देंगे.” रामकुमार ने भी अपने लिंग को मसलते हुए कहा उसकी नज़ारे किसी भूखे कुत्ते के जैसे मेरी छाती पर जमी हुई थी.
“क्या बता दोगे तुम मनीष को ? क्या जानते हो तुम मेरे बारे मे ?” और किस बात को बताने की धमकी दे रहे हो ?” मैने बिल्कुल अंजान बनने का नाटक करते हुए कहा.
“झूठ मत बोलो जानेमन. 1 घंटे तक तुम उस कमरे मे रही उस बुढहे मुकेश के साथ. उस पर दरवाजा भी बंद था. बाहर लोग घूम रहे थे फिर भी तुम बाहर नही आई. कुछ तो गड़बड़ है ना. और उस बुढहे के बारे मे कॉन नही जानता है कि वो कितना बड़ा हरामी है. जिस औरत पर उसकी गंदी नज़र पड़ जाए उसकी चूत मारे बागेर उसे चैन नही आता है” संजय ने फिर से अपनी गंदी सी हँसी हस्ते हुए कहा.
“हान्ं सही कहा भाई.. वो बुड्ढ़ा तो एक नंबर का हरामी है. मधुबाला आंटी की भी तो उसने ली थी. और जब से ये यहाँ आई है वो पागल कुत्ते के जैसे लार टपकाता फिर रहा है तुम्हारे घर मे तुम्हारी चूत मारने के लिए. और आज तो उसे तुमने छत पर बंद कमरे दे भी दी” रामकुमार ने भी संजय की बात पर सहमति जताते हुए कहा.
“हां राम सही कहा. ये उस थर्कि बूढ़े को अपनी चूत दे कर आई है. बेचारी की प्यास मनीष के लंड से नही बुझती है इसलिए उस बुढहे से अपनी चूत मरवा कर अपनी प्यास बुझा रही थी. क्यू सही कहा ना मैने जानेमन यही बात है ना ?” संजय ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा.
“बंद करो अपनी बकवास और सॉफ सॉफ बोलो कि क्या चाहते हो तुम.” दोनो बुरी तरह से मेरी इज़्ज़त की धज्जिया उड़ा रहे थे उन दोनो की बात पर मैने चिल्लाते हुए कहा.
“जो उस आदमी को दिया वो हमे दे दो. हम अपनी ज़ुबान बंद रखेंगे.” संजय ने बड़ी गंदी सी नज़रो को मेरी टाँगो के बीच इशारा करते हुए कहा.
मैने दोनो की बात सुन कर कहा. “कॉन विस्वास करेगा तुम दोनो की बात का.”
“इसका मतलब हम सही हैं. अरे इसकी भी भोसड़ी ले ली उस थर्कि बूढ़े ने” रामकुमार ने संजय की तरफ इशारा करते हुए कहा.
मैं उन दोनो के मुँह से इतनी गंदी बात सुन कर हैरान हो रही थी इस लिए उन दोनो से बोली “तुम इतनी गंदी बाते कैसे कर सकते हो मेरे साथ.”
“तेरे जैसी गिरी हुई औरत के साथ कैसे बात करें फिर.” इस बार संजय ने भी थोड़ा अकड़ कर बोलते हुए कहा.
“तुझे हमारी बात माननी ही पड़ेगी वरना मनीष को सब बोल देंगे जाकर.” रामकुमार ने इस बार कोई फरमान सा सुना ने वाले अंदाज मे कहा.
मैं क्या सोच कर आई थी और यहाँ पर क्या हो रहा था बात को वापस सही करने के मकसद से मैने उन दोनो को पैसे का लालच देना मुनासिब समझते हुए कहा..“कितने पैसे चाहियें तुम्हे.”
दोनो एक दूसरे की तरफ देखने लगे. स्टूडेंट्स के लिए पैसा बड़ी चीज़ होती है. दोनो की आँखो मे पैसे का लालच सॉफ नज़र आ रहा था. इस से पहले की वो अपनी डिमॅंड रखें मैने कहा, “1000 लो और अपनी ज़ुबान बंद रखो.”
“नही नही 1000 तो बहुत कम हैं” संजय ने मेरे हाथ मे 1000 र्स को देखते हुए कहा.
“देखो मैं इस से ज़्यादा नही दे सकती.”