05-02-2020, 09:27 PM
“अरे कहाँ थी तुम निशा, मैं कब से ढूंड रहा था तुम्हे.” पीछे से मनीष ने आवाज़ दी. मैने तुरंत काग़ज़ को मुट्ठी मे छुपा लिया.
“क…क कही नही मैं तो यही थी.” मैं बुरी तरह से घबरा रही थी मेरे पुर माथे पर डर के कारण पसीने की बूंदे सॉफ झलक रही थी.
“पूरा घर छ्चान मारा मैने और तुम कह रही हो कि यही थी. अच्छा चलो छ्चोड़ो, मुझे मेरी शर्ट दो निकाल कर, वही ब्लू वाली.” मुकेश ने अपनी बात बदल दी तो मुझे कुछ राहत की साँस मिली.
“यार ये शर्मा अंकल भी ना.. पता नही कहा गायब हो गये है. 1 घंटे से देख रहा हू उन्हे कही दिखाई ही नही दे रहे है, बाज़ार भी जाना है. और 2 यही बाज गये है.” मनीष ने कमरे मे आते हुए कहा.
“तो आप किसी और को ले जाओ अपने साथ घर मे इतने सारे लोग है. अमित भी तो बेकार ही घूम रहा है उसको अपने साथ ले जाओ” मैने अलमारी से शर्ट निकालते हुए कहा.
“ये तुमने बोहोत सही बताया मैं तो घर के काम काज के चक्कर मे भूल ही गया था कि पीनू को भी अपने साथ ले जाया जा सकता है…अरे हां याद आया मिश्रा जी का फ़ोन आया था वो भी शादी मे आ रहे है. मैं तो घर के कामो मे बिज़ी हू तो तुम्हे ही उनको लेने जाना पड़ेगा. अपनी कार ले जाना और उन्हे बुला लाना.” मनीष ने शर्ट पहनते हुए कहा.
मैने हां मे गर्देन हिला दी. मनीष शर्ट पहन कर बाहर निकल गये. मनीष के साथ अमित को ले जाने के पीछे मेरा मकसद सिर्फ़ यही था कि वो अगर यहा रहता तो कोई ना कोई गड़बड़ ज़रूर होती पर इस समय तो मैं मन ही मन सुवर को कोष रही थी. लेकिन अब मैं क्या करूँ. उन दोनो ने सही अंदाज़ा लगा लिया है. बात सामने आएगी तो मनीष को भी समझने मे देर नही लगेगी. मगर मनीष दुस्मनो की बात का विस्वास क्यों करेगा. और अगर मनीष ने उन दोनो की बात को मान लिया तो.. नही नही बात नही सामने आनी चाहिए.
इन दोनो लड़को को कुछ पैसे दे कर मामला निपटाना होगा मुझे. मैने अपना पर्स चेक किया. उसमे दस हज़ार रुपीज़ थे. मैने पर्स उठाया और चुपचाप घर से निकल गयी. अब मुझे सभी की नज़रो से बच कर संजय के घर तक जाना था. मैने घूम कर पिछली गली से जाने फ़ैसला किया. वो अपने घर के पीछले दरवाजे पर ही खड़ा था. मैं जल्दी से अपना चेहरा च्छूपाते हुए उनके घर के पास आ गयी
“क्या बकवास है ये. ये तुमने भेजी थी मुझे.” मैने संजय के घर के दरवाजे पर आ कर उस से कहा.
“बकवास होती ये तो तू यहाँ ना आती.” संजय दरवाजे पर ही खड़े हुए अपनी गंदी सी हँसी हस्ते हुए बोला.
“बकवास बंद करो और तमीज़ से बात करो. तुमसे बहुत बड़ी हूँ उमर मे मैं. तुम्हे कॉलेज मे कोई तमीज़ नही सिखाई जाती है ?” मैने गुस्से मे उसकी तरफ देखते हुए कहा.
“तो तू सीखा दे ना. तू सिखाएगी तो जल्दी सीख जाउन्गा.. अब बाहर खड़े हो कर ही ये मसला हल करेगी या अंदर आ कर ?” वो मेरी तरफ आँख मारते हुए बोला.“तुम्हारे घर वाले कहाँ हैं.” मैने उस से बाहर से ही पहले उसके घर वालो की स्थिति जान ने के लिए पूछा.
“वो 5 दिन के लिए बाहर गये हैं. तुम लोगो ने शादी के नाम पर जो शोर शराबा कर रखा है उस से परेशान हो कर यहा से चले गये.” वो अपना बुरा सा मुँह बनाते हुए बोला.
“बकवास बंद करो.” मैने उसकी बात पे गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा.
“अंदर आ जा.. किसी ने देख लिया तुझे… तो बदनामी तेरी ही होगी. सोच ले” वो अपनी गंदी सी हँसी हस्ते हुए बोला.
मैं दुविधा मे पड़ गयी. क्या मेरा इस घर मे जाना सही होगा ?? मगर मुझे ये किस्सा आज और अभी निपटाना था इस लिए मैं भारी कदमो से अंदर आ गयी. मैं पहले घर मे घुसी और वो बाद मे पीछे से आया.
मेरे घर मे अंदर आते ही उसने तुरंत कुण्डी लगा दी. उसके इस तरह से कुण्डी लगाने से मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी.
“अरे कुण्डी क्यों बंद कर रहे हो. खोलो. इस कुण्डी को” मैं घबरा गयी थी और उसी घबराहट मे मेरी आवाज़ भी एक पल के लिए लड़खड़ा गयी.
“मम्मी ने कहा था अकेले रहोगे यहाँ तुम. कुण्डी वग़ैरा बंद ही रखना. तुम फिकर मत करो. वैसे ही लगाई है मैने ये कुण्डी.” वो दरवाजे के पास ही खड़े हो कर अपनी गंदी सी हँसी हस्ते हुए बोला.
“क्या चाहते हो तुम मुझसे?” मैने सीधा सीधा मतलब की बात करना सही समझते हुए पूछा.
“रामकुमार आजा यार अब चिड़िया फँस गयी है जाल मे.” संजय ने रामकुमार को आवाज़ लगाई.
संजय की आवाज़ सुन कर वो अंदर से बड़ी बेसरमी से हंसता हुआ बाहर आया. उसके चेहरे पर घिनोनी मुस्कान थी और वो आगे बढ़ता हुआ पॅंट मे तने अपने लिंग को मसल रहा था.
“क…क कही नही मैं तो यही थी.” मैं बुरी तरह से घबरा रही थी मेरे पुर माथे पर डर के कारण पसीने की बूंदे सॉफ झलक रही थी.
“पूरा घर छ्चान मारा मैने और तुम कह रही हो कि यही थी. अच्छा चलो छ्चोड़ो, मुझे मेरी शर्ट दो निकाल कर, वही ब्लू वाली.” मुकेश ने अपनी बात बदल दी तो मुझे कुछ राहत की साँस मिली.
“यार ये शर्मा अंकल भी ना.. पता नही कहा गायब हो गये है. 1 घंटे से देख रहा हू उन्हे कही दिखाई ही नही दे रहे है, बाज़ार भी जाना है. और 2 यही बाज गये है.” मनीष ने कमरे मे आते हुए कहा.
“तो आप किसी और को ले जाओ अपने साथ घर मे इतने सारे लोग है. अमित भी तो बेकार ही घूम रहा है उसको अपने साथ ले जाओ” मैने अलमारी से शर्ट निकालते हुए कहा.
“ये तुमने बोहोत सही बताया मैं तो घर के काम काज के चक्कर मे भूल ही गया था कि पीनू को भी अपने साथ ले जाया जा सकता है…अरे हां याद आया मिश्रा जी का फ़ोन आया था वो भी शादी मे आ रहे है. मैं तो घर के कामो मे बिज़ी हू तो तुम्हे ही उनको लेने जाना पड़ेगा. अपनी कार ले जाना और उन्हे बुला लाना.” मनीष ने शर्ट पहनते हुए कहा.
मैने हां मे गर्देन हिला दी. मनीष शर्ट पहन कर बाहर निकल गये. मनीष के साथ अमित को ले जाने के पीछे मेरा मकसद सिर्फ़ यही था कि वो अगर यहा रहता तो कोई ना कोई गड़बड़ ज़रूर होती पर इस समय तो मैं मन ही मन सुवर को कोष रही थी. लेकिन अब मैं क्या करूँ. उन दोनो ने सही अंदाज़ा लगा लिया है. बात सामने आएगी तो मनीष को भी समझने मे देर नही लगेगी. मगर मनीष दुस्मनो की बात का विस्वास क्यों करेगा. और अगर मनीष ने उन दोनो की बात को मान लिया तो.. नही नही बात नही सामने आनी चाहिए.
इन दोनो लड़को को कुछ पैसे दे कर मामला निपटाना होगा मुझे. मैने अपना पर्स चेक किया. उसमे दस हज़ार रुपीज़ थे. मैने पर्स उठाया और चुपचाप घर से निकल गयी. अब मुझे सभी की नज़रो से बच कर संजय के घर तक जाना था. मैने घूम कर पिछली गली से जाने फ़ैसला किया. वो अपने घर के पीछले दरवाजे पर ही खड़ा था. मैं जल्दी से अपना चेहरा च्छूपाते हुए उनके घर के पास आ गयी
“क्या बकवास है ये. ये तुमने भेजी थी मुझे.” मैने संजय के घर के दरवाजे पर आ कर उस से कहा.
“बकवास होती ये तो तू यहाँ ना आती.” संजय दरवाजे पर ही खड़े हुए अपनी गंदी सी हँसी हस्ते हुए बोला.
“बकवास बंद करो और तमीज़ से बात करो. तुमसे बहुत बड़ी हूँ उमर मे मैं. तुम्हे कॉलेज मे कोई तमीज़ नही सिखाई जाती है ?” मैने गुस्से मे उसकी तरफ देखते हुए कहा.
“तो तू सीखा दे ना. तू सिखाएगी तो जल्दी सीख जाउन्गा.. अब बाहर खड़े हो कर ही ये मसला हल करेगी या अंदर आ कर ?” वो मेरी तरफ आँख मारते हुए बोला.“तुम्हारे घर वाले कहाँ हैं.” मैने उस से बाहर से ही पहले उसके घर वालो की स्थिति जान ने के लिए पूछा.
“वो 5 दिन के लिए बाहर गये हैं. तुम लोगो ने शादी के नाम पर जो शोर शराबा कर रखा है उस से परेशान हो कर यहा से चले गये.” वो अपना बुरा सा मुँह बनाते हुए बोला.
“बकवास बंद करो.” मैने उसकी बात पे गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा.
“अंदर आ जा.. किसी ने देख लिया तुझे… तो बदनामी तेरी ही होगी. सोच ले” वो अपनी गंदी सी हँसी हस्ते हुए बोला.
मैं दुविधा मे पड़ गयी. क्या मेरा इस घर मे जाना सही होगा ?? मगर मुझे ये किस्सा आज और अभी निपटाना था इस लिए मैं भारी कदमो से अंदर आ गयी. मैं पहले घर मे घुसी और वो बाद मे पीछे से आया.
मेरे घर मे अंदर आते ही उसने तुरंत कुण्डी लगा दी. उसके इस तरह से कुण्डी लगाने से मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी.
“अरे कुण्डी क्यों बंद कर रहे हो. खोलो. इस कुण्डी को” मैं घबरा गयी थी और उसी घबराहट मे मेरी आवाज़ भी एक पल के लिए लड़खड़ा गयी.
“मम्मी ने कहा था अकेले रहोगे यहाँ तुम. कुण्डी वग़ैरा बंद ही रखना. तुम फिकर मत करो. वैसे ही लगाई है मैने ये कुण्डी.” वो दरवाजे के पास ही खड़े हो कर अपनी गंदी सी हँसी हस्ते हुए बोला.
“क्या चाहते हो तुम मुझसे?” मैने सीधा सीधा मतलब की बात करना सही समझते हुए पूछा.
“रामकुमार आजा यार अब चिड़िया फँस गयी है जाल मे.” संजय ने रामकुमार को आवाज़ लगाई.
संजय की आवाज़ सुन कर वो अंदर से बड़ी बेसरमी से हंसता हुआ बाहर आया. उसके चेहरे पर घिनोनी मुस्कान थी और वो आगे बढ़ता हुआ पॅंट मे तने अपने लिंग को मसल रहा था.