04-02-2020, 04:48 PM
“भूपेन्द्र तुम?? क्या कोई बात करनी है??” पूर्वी दीदी बोली
मैंने उसी वक्त उनका हाथ पकड़ लिया।
मैंने उसी वक्त उनका हाथ पकड़ लिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
