04-02-2020, 04:47 PM
मैंने सोचना लगा की मैं देवर भाभी का रिश्ता चला रहा था पर अब वो मेरी दीदी लगती है क्यूंकि मेरी अपनी बहन की शादी उस घर में हुई है। उसके बाद से उनसे अक्सर ही मुलाकात होने लगी। पूर्वी भाभी को अब मैं मनमसोज कर पूर्वी दीदी कहने लगा था पर उनको चोदने का सपना तो था ही। मैं हर महीने ही अपनी बहन की ससुराल चला जाता था क्यूंकि मेरी माँ अक्सर कुछ न कुछ सामान भेजती रहती थी। हमारे इधर कहावत है की माँ बाप को लड़की को शादी के बाद सारी जिन्दगी कुछ न कुछ देते रहना चाहिये। इसलिए मैं हर महीना कुछ न कुछ लेकर राधा बहन के यहाँ जाया करता था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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