04-02-2020, 04:30 PM
मैंने इस बार बिना पूछे ही लंड लो दीदी की चुत पर रखा ओर एक ज़ोर का धक्का लगाया ओर एक ही धक्के में लंड चुत में चला गया तो दीदी ने कहा मैंने सिर्फ़ एक बार करने को कहा था ओर तुम ने इस फिर से मेरी चुत में डाल दिया. दीदी ऐसे बोल रही थी जैसे वो गुस्से में हो लेकिन उन्होंने लंड को चुत से बाहर नहीं निकल ओर ऐसे ही कड़ी रही फिर मैंने उदास हो गया ओर रोने नहीं ऐक्टिंग करने लगा तो दीदी ने मुझे मना लिया ओर लंड अब भी दीदी की चुत में ही था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.