03-02-2020, 11:52 PM
उसका हाथ अपने स्तनों पर पाते ही रिशा के जिस्म में जैसे बिजली दौड़ गयी. सुशांत ने रिशा के उभारो को एक एक करके मसलना शुरू किया तो रिशा दीवानी हो उठी. सुशांत के हाथ काफी बड़े थे. रिशा के उभर ३६ D होने के बावजूद भी वो उन्हें आसानी से हाथ में ले पा रहा था. सुशांत ने रिशा के बाल अपने हाथो से पकड़ कर रखे थे. अब जब रिशा भी उसे झूम झूम कर चूमने लगी थी तो उसने अपना हाथ निकल दिया और उस हाथ को भी रिशा के उभारो पर ले गया और इन्हें दबाना शुरू किया. कुछ पल बाद सुशांत ने रिशा को छोड़ा तो वो हांफ रही थी और उसके स्तन ऊपर निचे हो रहे थे. सुशांत उन्हें देखता रहा और रिशा की आँखे शर्म से निचे झुक गयी. उसे भी पता था की वो यहां क्यों आयी है लेकिन उसे आशा नहीं थी की सुशांत इतनी जल्दी उसके होठो का रसपान कर लेगा. सुशांत फिर से बेशर्मी से रिशा के उभारो पर अपने हाथ फेर रहा था. लेकिन अब रिशा को भी उसका स्पर्श अच्छा लग रहा था. सुशांत का लिंग खड़ा हो रहा था. रिशा की नजर उसकी पैंट पर पड़ी तो वो सन्न हो गयी. सुशांत का लिंग उसके पैंट में टेंट बना रहा था. और उसका आकार देखकर रिशा हक्की बक्की रह गयी. ये देखकर सुशांत हंस पड़ा. “क्यों रिशा इतना बड़ा लिंग कभी देखा नहीं क्या जो इतनी भौंचक्की से दिख रही है. तेरे उस पती का कितना बड़ा है?”उसकर मन की बात सुशांत के होठो से सुनके रिशा शर्मा गयी. लेकिन अब रिशा ने सुशांत के हाथ अपने उभारो से हटाने का प्रयास किया. सुशांत ने भी इस बार जाने दिया और अपने हाथ हटा लिए. “वापस चले?” रिशा ने कुर्सी से उठते हुए पूछा. सुशांत ने उसकी तरफ देखर कहा, “क्यों यहाँ अच्छा नहीं लग रहा?” सुशांत की निगाहे वापस रिशा के उभारो पर गयी तो रिशा शरमा कर बोली. “नहीं लेकिन समीर और बितिका इंतेजार कर रहे होंगे ना.” उसने मुड़कर बंगले की तरफ देखा,
“अरे उनको छोड़ो और मेरी सोचो. तुम जैसी इतनी हसीन लड़की साथ में हो कोई किसी और चीज की तरफ क्या ध्यान देगा. आओ तुम्हे कुछ और दिखता हूं.” रिशा उसके दोहरे अर्थ के शब्द का मतलब समझ गयी लेकिन इस बार उसे इतनी शर्म महसूस नहीं हो रही थी. वो मुस्करायी और फिर सुशांत के पीछे पीछे चल दी. सुशांत ने उसके उठते ही रिशा का हाथ थामा. लेकिन थोडा आगे जाने के बाद सुशांत ने एक मोड़ लिया और वो दोनों बंगले से दूर जाने लगे. “कहाँ जा रहे है हम?” रिशा ने पूछा. सुशांत ने बिना मुड़े ही उसे जवाब दिया. “थोडा मजा करने. तुम टेशन मत लो. थोड़ी देर में चले जायेंगे तुम्हारे पती के पास.” ये सुनकर रिशा के बदन में एक सरुर सा आने लगा. उसे सुशांत के खुरदरे हाथो का स्पर्श अजीब लग रहा था. उसके दिल की धड़कन तेज हो गयी. थोड़ी देर चलने के बाद वो दोनों एक शेड के पास आये. ऐसा लगता था की वो कोई गैरेज था लेकिन वहां पर एक भी गाडी नहीं थी. “ये क्या है?”रिशा ने अंदर जाते वक्त पूछा. “ये हमारी गाडी का गैरेज था पहले. लेकिन अब खाली ही रहता है.” सुशांत ने अंदर का दरवाजा खोला और फिर एक लाईट जलायी. रिशा अब थोड़ी हक्की बक्की हो गयी थी. “तो यहाँ क्यों लाये हो?” उसने पूछा लेकिन अबकी बार सुशांत ने कोई जवाब नहीं दिया. उसने रिशा को धक्का दिया और उसे दीवार पर उसकी पीठ लगायी. रिशा थोड़ी सी बौखलायी लेकिन सुशांत ने उसे कुछ भी कहने का मौका नहीं दिया. उसने एक हाथ से रिशा के बालो को जोर से खिंचा और फिर उसके होठो पर अपने होठ टिकाये.
रिशा ने पहले तो उसे धकेलने की कोशिश की लेकिन सुशांत ने उसे बहुत जोर से पकड़ रखा था इसलिए वो उसे हिला भी नहीं पा रही थी. सुशांत ने उसके होठो पर एक के बाद एक चुम्मे जड़ना चालू किया. रिशा सांस भी नहीं ले पा रही थी. ऐसे उसे चूमने के बाद सुशांत ने अपने होठ उसके होठो से अलग किये. रिशा ने उसे देखा लेकिन कुछ नहीं कहा. फिर उसने अपनी बाहें सुशांत के गले में डाल दी और अपनी नशीली आंखो से उसकी आंखो में झांकते हुए कहा. “इतनी जबरदस्ती करने की क्या जरुरत है. मुझे भी पता है की मै यहाँ क्या करने आयी हूं. मुझे अंदर ही ले चलते.” सुशांत ने उसके गालों से उसके बालो की एक लत हटायीं. “तेरे जैसे मस्त बदन वाले औरतो के साथ जबरदस्ती करने में ही मजा आता है. जो मजा तेरे साथ जबरदस्ती करने में है वो तेरे साथ ख़ुशी ख़ुशी करने में नहीं है.” सुशांत ने रिशा के नितंबो पास अपने हाथ रखे और उन्हें दबाने लगा, “हां रेप ही करूँगा तेरा. वर्ना ऐसे ही करने में क्या मजा?” रिशा का दिल जैसे रुक गया. आज तक उसके साथ फ्लर्ट करने वाले काफी लोग मिले थे लेकिन पहली बार उसे ऐसा एक मर्द मिला था जो खुल्लमखुल्ला उसे बोल रहा था की वो उसका रेप करेगा. सुशांत ने रिशा को अपनी मजबूत बाहों में खिंचा और उसके गले पर अपनी जीभ फिरना शुरू किया. रिशा इससे पूरी तरह बहक गयी. उसका गला उसका वीक स्पॉट था. सुशांत की जीभ उसपर लगते ही जैसे उसके बदन में एक आह सी भड़क उठी. रिशा की जांघो में अब उसका यौवन रस धीरे धीरे रिस रहा था. सुशांत उसके गले को चाट रहा था और उसके जिस्म में जैसे करंट दौड़ रहा था. उसे मन करने का जो भी विचार रिशा के मन में था वो अबी पूरी तरह से खत्म हो चूका था. अब रिशा भी सुशांत के हाथो में एक रति मचल की तरह मचल रही थी और उसके स्पर्श के लिए तड़प रही थी.
“अरे उनको छोड़ो और मेरी सोचो. तुम जैसी इतनी हसीन लड़की साथ में हो कोई किसी और चीज की तरफ क्या ध्यान देगा. आओ तुम्हे कुछ और दिखता हूं.” रिशा उसके दोहरे अर्थ के शब्द का मतलब समझ गयी लेकिन इस बार उसे इतनी शर्म महसूस नहीं हो रही थी. वो मुस्करायी और फिर सुशांत के पीछे पीछे चल दी. सुशांत ने उसके उठते ही रिशा का हाथ थामा. लेकिन थोडा आगे जाने के बाद सुशांत ने एक मोड़ लिया और वो दोनों बंगले से दूर जाने लगे. “कहाँ जा रहे है हम?” रिशा ने पूछा. सुशांत ने बिना मुड़े ही उसे जवाब दिया. “थोडा मजा करने. तुम टेशन मत लो. थोड़ी देर में चले जायेंगे तुम्हारे पती के पास.” ये सुनकर रिशा के बदन में एक सरुर सा आने लगा. उसे सुशांत के खुरदरे हाथो का स्पर्श अजीब लग रहा था. उसके दिल की धड़कन तेज हो गयी. थोड़ी देर चलने के बाद वो दोनों एक शेड के पास आये. ऐसा लगता था की वो कोई गैरेज था लेकिन वहां पर एक भी गाडी नहीं थी. “ये क्या है?”रिशा ने अंदर जाते वक्त पूछा. “ये हमारी गाडी का गैरेज था पहले. लेकिन अब खाली ही रहता है.” सुशांत ने अंदर का दरवाजा खोला और फिर एक लाईट जलायी. रिशा अब थोड़ी हक्की बक्की हो गयी थी. “तो यहाँ क्यों लाये हो?” उसने पूछा लेकिन अबकी बार सुशांत ने कोई जवाब नहीं दिया. उसने रिशा को धक्का दिया और उसे दीवार पर उसकी पीठ लगायी. रिशा थोड़ी सी बौखलायी लेकिन सुशांत ने उसे कुछ भी कहने का मौका नहीं दिया. उसने एक हाथ से रिशा के बालो को जोर से खिंचा और फिर उसके होठो पर अपने होठ टिकाये.
रिशा ने पहले तो उसे धकेलने की कोशिश की लेकिन सुशांत ने उसे बहुत जोर से पकड़ रखा था इसलिए वो उसे हिला भी नहीं पा रही थी. सुशांत ने उसके होठो पर एक के बाद एक चुम्मे जड़ना चालू किया. रिशा सांस भी नहीं ले पा रही थी. ऐसे उसे चूमने के बाद सुशांत ने अपने होठ उसके होठो से अलग किये. रिशा ने उसे देखा लेकिन कुछ नहीं कहा. फिर उसने अपनी बाहें सुशांत के गले में डाल दी और अपनी नशीली आंखो से उसकी आंखो में झांकते हुए कहा. “इतनी जबरदस्ती करने की क्या जरुरत है. मुझे भी पता है की मै यहाँ क्या करने आयी हूं. मुझे अंदर ही ले चलते.” सुशांत ने उसके गालों से उसके बालो की एक लत हटायीं. “तेरे जैसे मस्त बदन वाले औरतो के साथ जबरदस्ती करने में ही मजा आता है. जो मजा तेरे साथ जबरदस्ती करने में है वो तेरे साथ ख़ुशी ख़ुशी करने में नहीं है.” सुशांत ने रिशा के नितंबो पास अपने हाथ रखे और उन्हें दबाने लगा, “हां रेप ही करूँगा तेरा. वर्ना ऐसे ही करने में क्या मजा?” रिशा का दिल जैसे रुक गया. आज तक उसके साथ फ्लर्ट करने वाले काफी लोग मिले थे लेकिन पहली बार उसे ऐसा एक मर्द मिला था जो खुल्लमखुल्ला उसे बोल रहा था की वो उसका रेप करेगा. सुशांत ने रिशा को अपनी मजबूत बाहों में खिंचा और उसके गले पर अपनी जीभ फिरना शुरू किया. रिशा इससे पूरी तरह बहक गयी. उसका गला उसका वीक स्पॉट था. सुशांत की जीभ उसपर लगते ही जैसे उसके बदन में एक आह सी भड़क उठी. रिशा की जांघो में अब उसका यौवन रस धीरे धीरे रिस रहा था. सुशांत उसके गले को चाट रहा था और उसके जिस्म में जैसे करंट दौड़ रहा था. उसे मन करने का जो भी विचार रिशा के मन में था वो अबी पूरी तरह से खत्म हो चूका था. अब रिशा भी सुशांत के हाथो में एक रति मचल की तरह मचल रही थी और उसके स्पर्श के लिए तड़प रही थी.