01-02-2020, 12:49 AM
“आप हां बोल दीजिये. हमें कब जाना है?” उसने अपना हाथ समीर के गले में डाला और फिर अपना सर उसके कंधे पर रख दिया. “उसने हमें शुक्रवार को शाम को ही बुलाया है. पार्टी तो शनिवार को है लेकिन उसने कहा है की अगर तुम जल्दी आ जाओगी तो तुम्हे भी थोडा आरामदायक महसूस होगा और उसे भी तुम्हे जानने का मौका मिल जायेगा.” रिशा ने सिर्फ हां कहाँ और फिर वो पाने पती के गाल को चूमने लगी. “कुछ मुसीबत तो नहीं होगी ना? मुझे थोडा डर सा लग रहा है.” रिशा ने समीर से चिपकते हुए कहा. ”कुछ नहीं होगा जान. तुम चिंता मत करो. वहां काफी सारी दूसरी औरते भी होगी और लगभग ४०-५० लोग तो होंगे ही.” रिशा ने समीर को स्माइल दी और फिर आगे बोली. “क्या आप इससे मुझसे नाराज तो नहीं होंगे ना?“ रिशा ने समीर को थोडा धक्का दिया और वो दोनों बेड पर लेट गये. “रिशा , तुम तो मेर मदद करने के लिए ये सब कर रही हो. मुझे भी ये अच्छा नहीं लग रहा लेकिन मै भी ये सब के लिये मज़बूरी में ही राजी हो रहा हूं. अगर मेरा बस चले तो मैं तुम्हे किसी को हाथ भी ना लगाने दूं. लेकिन इस सब ने मेरी हालत ख़राब कर दी है.” रिशा ने समीर के गाल पर धीरे से थपकी दी और बोली. “आप चिंता मत कीजिये. कुछ दिनों में सब कुछ ठीक हो जायेगा.” लेकिन रिशा को ये पता नहीं था की उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदलनेवाली है. और ना ही समीर को इस बात का अहसास था
शुक्रवार आया तो समीर शाम को जल्दी ही घर वापस आया. सुशांत का फार्म हॉउस दिल्ली से कुछ ४० किलोमीटर दूर था.उन्हें वहां पहुचने में कम से कम २ घंटे लगाने वाले थे. इसलिए समीर ४ बजे ही घर लौट आया. रिशा पहले ही तैयार हो कर बैठी थी. जैसे ही समीर की नजर उस पर पड़ी उसका दिल डोल उठा. रिशा ने लाल रंग की साड़ी और उसपर काले रंग का स्लीवेलेस ब्लाउज पहना था. अपने बाल उसने स्ट्रेट करवाये थे और उन्हें कंधों पर खुला छोड़ रखा था. गालों पर हल्का सा मेक अप किया था और उनपर गुलाबी रंग की शेड लगायी थी. होठो पर गर्द लाल रंग की लिपस्टिक लगायी थी. हाथो में मैचिंग लाल रंग के ही कंगन पहने थे और गले में सोने का नेकलेस पहना था. रिशा ने जब देखा की समीर की नजर उससे हट ही नहीं रही थी तो वो शरमा गयी. “ऐसे क्या देख रहे है आप? आज तक कभी नहीं देखा क्या?” रिशा ने शरमाते हुए कहा. समीर भी उसकी तरफ गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया. “देखा है लेकिन आज तक तुम इतनी खुबसूरत कभी नहीं दिखी. आज ऐसा क्या ख़ास है जो इतनी सज धज के जा रही हो?” समीर ने उसे चिढाते हुए पूछा. लेकिन रिशा भी कम नहीं थी. “अब किसी गैर मर्द पे इम्प्रेशन ज़माना है तो ये सब तो करना ही पड़ता ही है. है न मेरे प्यारे पतिदेव?” रिशा ने अपनी बाहें समीर के गले डाल दी . जब समीर ने उसके निखरे हुए होठो को चूमने का प्रयास किया तो रिशा ने बिच में अपना हाथ रख दिया. “मेरी लिपस्टिक ख़राब हो जायेगी. पुरे दो घंटे लगे है इतना मेक अप करने में.” ये कहकर उसने समीर को धीरे से पीछे धकेला. समीर ने भी उसकी चुटकी लेने का मौका नहीं गवांया. “रिशा तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे वहां जाकर तुम्हारा मेक अप जैसे का वैसा रहने वाला है. तुम इतनी खुबसूरत दिख रही हो की मुझे डर लग रहा है की कही सुशांत तुम्हारा रेप न कर दे.” रिशा ने एक क्लिप उसके ऊपर फेंक मारी और बोली.
“कुछ भी अनाप शनाप मत बकिये आप. जाईये तैयार हो जाईये.” इतना कहकर रिशा हाल में जाने लगी. समीर ने कुछ समय तक पानी बीवी के हिलाते हुए नितंबो को देखा और फिर एक आह भरी और फिर नहाने गया. उसे पता था की शायद कुछ देर में उसकी बीवी के नितंबो पर शायद उसके नहीं बल्कि सुशांत के हाथ रहेंगे. लगभग ३ घंटे के बाद जब वो सुशांत के फार्म हॉउस पर पहुंचे तो शाम के सात बज चुके थे और अँधेरा होने लगा था. समीर ने अपना इनविटेशन कार्ड सिक्यूरिटी गार्ड को दिखाया तो उसने फार्म हाउस का दरवाजा खोल दिया. “गाडी की पार्किंग कहा करनी है?” उसने गार्ड को पूछा तो उसने दाये मुड़ने वाले एक रस्ते की तरफ इशारा किया. समीर ने उस तरफ गाड़ी मोड़ दी. ४-५ मिनट बाद उसे दूर एक बंगला दिखाई दिया और उसी के पास एक छोटा सा पार्किंग लॉट दिखाई दिया. वहा पहले से ही ३-४ गाड़िया खड़ी थी. समीर ने भी एक जगह पर अपनी गाड़ी लगा दी और फिर वो दोनों गाड़ी से बाहर आये. वो दोनों बंगले की तरफ गए और फिर ने दरवाजे की डोर बेल दबायी. जल्द ही एक नौकर ने दरवाजा खोला. “जी हम सुशांत साहब की पार्टी के लिए आये है.” नौकर ने दरवाजा पूरा खोला और उन्हें अंदर आने के लिए कहा. “क्या आपका नाम समीर है साहब?” नौकर ने पूछा. समीर ने हां में जवाब दिया. “आप बैठिये. मै मेमसाहब को बुलाता हु.” नौकर ने उन्हें सोफे पर बैठने के लिए कहा. समीर और रिशा बैठ गए. “आपका कुछ सामन है जो लाना है?” जाने से पहले नौकर ने पूछा.
“हां हमारे दो बैग है. गाड़ी में ही रखे है अब तक.“ समीर ने जवाब दिया. “तो गाड़ी की चाबी दे दीजिये तो मै सामान यही मंगवा लेता हूं और आप के कमरे में रखवा देता हूं. सुशांत साहब ने आप को उनके बाजू वाला कमरा देने के लिए कहा है. ” इसपर समीर ने गाडी की चाबी निकली और उसे दे दी. वो उसे लेकर चला गया. “सुशांत साहब ने हमारे लिए उनके बाजु वाला कमरा रखा है. वा भाई , अच्छी खातिरदारी हो रही है हमारी. ” रिशा ने हंसते हुए कहा. “अब तुम्हारे जैसी खुबसूरत औरत का साथ मिलनेवाला हो तो खातिरदारी क्यों ना होगी.” समीर भी हंसते हुए कहा. “और ये मेमसाहब कौन है? सुशांत की बीवी है क्या?”समीर ने इधर उधर देखते हुए धीरे से जवाब दिया. “अरे बीवी नहीं है. वो उसकी सेक्रेटरी है. उसका नाम बितिका है. वही उसका सारा बिजनेस संभालती है. सिर्फ अच्छा वाला धंदा नहीं बल्कि ये जो सेटिंग की है वो भी उसीने की है.” रिशा ने अपनी आँखे फेर ली. वो इधर उधर देख ही रही थी की उसे किसी के चलने की आवाज आयी. उसने देखा तो एक बहुत ही खुबसूरत लड़की ऊपर की सीढियों से निचे आ रही थी. रिशा ने देखा तो उसे लगा की वो लगभग उसी की उम्र की थी. उसने नीले रंग का स्लीवेलेस टॉप पहना था और निचे काले रंग का घुटने तक आनेवाला स्कर्ट पहना था. उसने हल्का सा मेक अप किया था फिर भी वो बहुत खुबसूरत दिख रही थी. उसे देखते ही रिशा को थोड़ी सी जलन महसूस होने लगी. रिशा उसे सर से पांव तक निहारने लगी. बितिका निचे आयी तो समीर उठ कर खड़ा हुआ तो रिशा भी खड़ी हो गयी.
शुक्रवार आया तो समीर शाम को जल्दी ही घर वापस आया. सुशांत का फार्म हॉउस दिल्ली से कुछ ४० किलोमीटर दूर था.उन्हें वहां पहुचने में कम से कम २ घंटे लगाने वाले थे. इसलिए समीर ४ बजे ही घर लौट आया. रिशा पहले ही तैयार हो कर बैठी थी. जैसे ही समीर की नजर उस पर पड़ी उसका दिल डोल उठा. रिशा ने लाल रंग की साड़ी और उसपर काले रंग का स्लीवेलेस ब्लाउज पहना था. अपने बाल उसने स्ट्रेट करवाये थे और उन्हें कंधों पर खुला छोड़ रखा था. गालों पर हल्का सा मेक अप किया था और उनपर गुलाबी रंग की शेड लगायी थी. होठो पर गर्द लाल रंग की लिपस्टिक लगायी थी. हाथो में मैचिंग लाल रंग के ही कंगन पहने थे और गले में सोने का नेकलेस पहना था. रिशा ने जब देखा की समीर की नजर उससे हट ही नहीं रही थी तो वो शरमा गयी. “ऐसे क्या देख रहे है आप? आज तक कभी नहीं देखा क्या?” रिशा ने शरमाते हुए कहा. समीर भी उसकी तरफ गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया. “देखा है लेकिन आज तक तुम इतनी खुबसूरत कभी नहीं दिखी. आज ऐसा क्या ख़ास है जो इतनी सज धज के जा रही हो?” समीर ने उसे चिढाते हुए पूछा. लेकिन रिशा भी कम नहीं थी. “अब किसी गैर मर्द पे इम्प्रेशन ज़माना है तो ये सब तो करना ही पड़ता ही है. है न मेरे प्यारे पतिदेव?” रिशा ने अपनी बाहें समीर के गले डाल दी . जब समीर ने उसके निखरे हुए होठो को चूमने का प्रयास किया तो रिशा ने बिच में अपना हाथ रख दिया. “मेरी लिपस्टिक ख़राब हो जायेगी. पुरे दो घंटे लगे है इतना मेक अप करने में.” ये कहकर उसने समीर को धीरे से पीछे धकेला. समीर ने भी उसकी चुटकी लेने का मौका नहीं गवांया. “रिशा तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे वहां जाकर तुम्हारा मेक अप जैसे का वैसा रहने वाला है. तुम इतनी खुबसूरत दिख रही हो की मुझे डर लग रहा है की कही सुशांत तुम्हारा रेप न कर दे.” रिशा ने एक क्लिप उसके ऊपर फेंक मारी और बोली.
“कुछ भी अनाप शनाप मत बकिये आप. जाईये तैयार हो जाईये.” इतना कहकर रिशा हाल में जाने लगी. समीर ने कुछ समय तक पानी बीवी के हिलाते हुए नितंबो को देखा और फिर एक आह भरी और फिर नहाने गया. उसे पता था की शायद कुछ देर में उसकी बीवी के नितंबो पर शायद उसके नहीं बल्कि सुशांत के हाथ रहेंगे. लगभग ३ घंटे के बाद जब वो सुशांत के फार्म हॉउस पर पहुंचे तो शाम के सात बज चुके थे और अँधेरा होने लगा था. समीर ने अपना इनविटेशन कार्ड सिक्यूरिटी गार्ड को दिखाया तो उसने फार्म हाउस का दरवाजा खोल दिया. “गाडी की पार्किंग कहा करनी है?” उसने गार्ड को पूछा तो उसने दाये मुड़ने वाले एक रस्ते की तरफ इशारा किया. समीर ने उस तरफ गाड़ी मोड़ दी. ४-५ मिनट बाद उसे दूर एक बंगला दिखाई दिया और उसी के पास एक छोटा सा पार्किंग लॉट दिखाई दिया. वहा पहले से ही ३-४ गाड़िया खड़ी थी. समीर ने भी एक जगह पर अपनी गाड़ी लगा दी और फिर वो दोनों गाड़ी से बाहर आये. वो दोनों बंगले की तरफ गए और फिर ने दरवाजे की डोर बेल दबायी. जल्द ही एक नौकर ने दरवाजा खोला. “जी हम सुशांत साहब की पार्टी के लिए आये है.” नौकर ने दरवाजा पूरा खोला और उन्हें अंदर आने के लिए कहा. “क्या आपका नाम समीर है साहब?” नौकर ने पूछा. समीर ने हां में जवाब दिया. “आप बैठिये. मै मेमसाहब को बुलाता हु.” नौकर ने उन्हें सोफे पर बैठने के लिए कहा. समीर और रिशा बैठ गए. “आपका कुछ सामन है जो लाना है?” जाने से पहले नौकर ने पूछा.
“हां हमारे दो बैग है. गाड़ी में ही रखे है अब तक.“ समीर ने जवाब दिया. “तो गाड़ी की चाबी दे दीजिये तो मै सामान यही मंगवा लेता हूं और आप के कमरे में रखवा देता हूं. सुशांत साहब ने आप को उनके बाजू वाला कमरा देने के लिए कहा है. ” इसपर समीर ने गाडी की चाबी निकली और उसे दे दी. वो उसे लेकर चला गया. “सुशांत साहब ने हमारे लिए उनके बाजु वाला कमरा रखा है. वा भाई , अच्छी खातिरदारी हो रही है हमारी. ” रिशा ने हंसते हुए कहा. “अब तुम्हारे जैसी खुबसूरत औरत का साथ मिलनेवाला हो तो खातिरदारी क्यों ना होगी.” समीर भी हंसते हुए कहा. “और ये मेमसाहब कौन है? सुशांत की बीवी है क्या?”समीर ने इधर उधर देखते हुए धीरे से जवाब दिया. “अरे बीवी नहीं है. वो उसकी सेक्रेटरी है. उसका नाम बितिका है. वही उसका सारा बिजनेस संभालती है. सिर्फ अच्छा वाला धंदा नहीं बल्कि ये जो सेटिंग की है वो भी उसीने की है.” रिशा ने अपनी आँखे फेर ली. वो इधर उधर देख ही रही थी की उसे किसी के चलने की आवाज आयी. उसने देखा तो एक बहुत ही खुबसूरत लड़की ऊपर की सीढियों से निचे आ रही थी. रिशा ने देखा तो उसे लगा की वो लगभग उसी की उम्र की थी. उसने नीले रंग का स्लीवेलेस टॉप पहना था और निचे काले रंग का घुटने तक आनेवाला स्कर्ट पहना था. उसने हल्का सा मेक अप किया था फिर भी वो बहुत खुबसूरत दिख रही थी. उसे देखते ही रिशा को थोड़ी सी जलन महसूस होने लगी. रिशा उसे सर से पांव तक निहारने लगी. बितिका निचे आयी तो समीर उठ कर खड़ा हुआ तो रिशा भी खड़ी हो गयी.