30-01-2020, 10:15 PM
मेरे उभार इस पोज़ीशन में मुकेश के धक्को के कारण हवा में झूल रहे थे.
उसने फिर से पूछा “कैसा लग रहा है ?”
मैने उसके सवाल का कोई जवाब नही दिया. उसने मेरे कानो के पास आ कर कहा “तुम्हारी गांद बोहोत प्यारी है कहो तो तुम्हारी गांद भी मार लू.”
गांद मारने की बात सुन कर मेरी हालत खराब हो गयी.. इस लिए मैने उस से झीज़कते हुए कहा… “नही आज नही, तुम जल्दी से, जो कर रहे हो, वो ख़तम करो ना. मुझे नीचे शादी मे भी जाना है”
वो मेरी बात सुन कर बोला “ठीक है, तुम्हे जल्दी का मज़ा चाहिए ना, तो अब तैयार हो जाओ और ये लो सम्भालो फिर.” ये कह कर उसने बहुत तेज तेज मेरी योनि में अपना लिंग अंदर बाहर धकैल्ना शुरू कर दिया. मैं इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नही थी. मेरा पूरा शरीर ज़मीन पर बुरी तरह से हिले जा रहा था.
थोड़ी ही देर में मुझे इतना मज़ा आने लगा कि मेरा मन और तेज़ी की चाहत करने लगा. पर मैने मुकेश से कुछ नही कहा. मेरी साँसे और मेरी धड़कन मुकेश के धक्को की तेज़ी के साथ कदम मिलाने की कोशिश कर रही थी.. उसका लिंग मेरी योनि में इतनी तेज़ी से रगडे खा रहा था कि मुझ से होश संभालना मुस्किल हुआ जा रहा था..
मुकेश बिना रुके थोड़ी देर तक यू ही उसी स्पीड में धक्के लगाता रहा. मुकेश का लिंग मेरी योनि की गहराई तक जा कर मेरी बच्चेदानी से रगड़ खा रहा था और मैं उसके हर धक्के का मज़ा ले रही थी.
उसने वैसे ही धक्के लगाते हुए कहा..”बताओ जानेमन कब तक ये चुदाई का खेल खेलना चाहोगी ?”
मैने धक्को की वजह से हड़बड़ाते हुए कहा “अब जल्दी ख़तम करो, मुझे घर का काम भी करना है. पता नही कोई मुझे यहाँ पर ढूंढता हुआ ना आ जाए इस लिए इस खेल को जल्दी ख़तम करो अब.
मुकेश ने मेरी बात सुन कर अपनी स्पीड और ज़्यादा बढ़ा दी. जिस कारण मेरी साँसे भी और ज़्यादा रफ़्तार पकड़ने लगी. मुकेश के हर धक्के के साथ मैं अपनी मंज़िल के और भी नज़दीक आती जा रही थी. मेरे आनंद की कोई सीमा नही रही, इतना मज़ा आ रहा था कि मुझ से बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था. मैं अपनी मंज़िल के इतना नज़दीक आ चुकी थी कि किसी भी वक़्त मैं झाड़ सकती थी. और मुकेश के एक दो तीन और पड़ते धक्को के साथ मेरा पूरा शरीर अकड़ने लग गया और मेरे शरीर ने झटके खाना शुरू कर दिया और मेरी योनि ने पानी छोड़ दिया.
योनि के पानी छ्चोड़ते ही मैने हड़बड़ाते हुए मुकेश से कहा की “प्लीज़ मुकेश अब रुक जाओ अब मुझसे नही सहा जा रहा है.”
वो भी अपनी फूलती हुई सांसो के साथ धक्के लगाता हुआ बोला “बस जानेमन थोड़ी देर और सहन कर लो मेरा भी अब निकलने वाला है”.
“ठीक है पर जल्दी करो. मैं अब और ज़्यादा देर यहा नही रुक सकती हू.” मैने डॉगी स्टाइल मे पोज़िशन बनाए हुए ही कहा.
मुकेश बहुत तेज़ी के साथ मेरी योनि पर धक्के लगा रहा था और थोड़ी ही देर मे उसका भी शरीर अकड़ने लग गया.. और उसके लिंग ने मेरी योनि के अंदर ही झटके खाते हुए मेरी पूरी योनि को अपनी पानी से भर दिया.. मेरी योनि से धीरे धीरे करके पानी रिस-रिस कर बाहर आ रहा था वो उसी हालत में मेरे उपर गिर गया. मैं भी इतनी लंबी चुदाई के कारण बुरी तरफ से थक गयी थी जिस वजह से मैं भी लड़खड़ा कर नीचे लेट गयी. उसका लिंग अभी भी मेरी योनि में घुस्सा हुवा था.
थोड़ी देर बाद जब हमारी हालत कुछ नॉर्मल हुई तो मैने फॉरन उसे अपने से दूर किया उसका लिंग मेरी योनि से छ्होटा हो कर अपने आप ही बाहर निकल आया था उसका लिंग बाहर आ जाने से जो वीर्य अब तक योनि मे भरा हुआ थॉ वो भी बाहर आ कर ज़मीन पर बिछि हुई मेरी साडी पर गिरने लग गया था. मैं फॉरन खड़ी हुई और अपने कपड़े जो इधर उधर बिखर गये थे उनको जल्दी जल्दी पहनना शुरू कर दिया. मैने वापस उसकी तरफ पलट कर भी नही देखा कि वो क्या कर रहा है वो अब भी मेरी साड़ी पर वैसे ही लेटा हुआ था
उसने फिर से पूछा “कैसा लग रहा है ?”
मैने उसके सवाल का कोई जवाब नही दिया. उसने मेरे कानो के पास आ कर कहा “तुम्हारी गांद बोहोत प्यारी है कहो तो तुम्हारी गांद भी मार लू.”
गांद मारने की बात सुन कर मेरी हालत खराब हो गयी.. इस लिए मैने उस से झीज़कते हुए कहा… “नही आज नही, तुम जल्दी से, जो कर रहे हो, वो ख़तम करो ना. मुझे नीचे शादी मे भी जाना है”
वो मेरी बात सुन कर बोला “ठीक है, तुम्हे जल्दी का मज़ा चाहिए ना, तो अब तैयार हो जाओ और ये लो सम्भालो फिर.” ये कह कर उसने बहुत तेज तेज मेरी योनि में अपना लिंग अंदर बाहर धकैल्ना शुरू कर दिया. मैं इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नही थी. मेरा पूरा शरीर ज़मीन पर बुरी तरह से हिले जा रहा था.
थोड़ी ही देर में मुझे इतना मज़ा आने लगा कि मेरा मन और तेज़ी की चाहत करने लगा. पर मैने मुकेश से कुछ नही कहा. मेरी साँसे और मेरी धड़कन मुकेश के धक्को की तेज़ी के साथ कदम मिलाने की कोशिश कर रही थी.. उसका लिंग मेरी योनि में इतनी तेज़ी से रगडे खा रहा था कि मुझ से होश संभालना मुस्किल हुआ जा रहा था..
मुकेश बिना रुके थोड़ी देर तक यू ही उसी स्पीड में धक्के लगाता रहा. मुकेश का लिंग मेरी योनि की गहराई तक जा कर मेरी बच्चेदानी से रगड़ खा रहा था और मैं उसके हर धक्के का मज़ा ले रही थी.
उसने वैसे ही धक्के लगाते हुए कहा..”बताओ जानेमन कब तक ये चुदाई का खेल खेलना चाहोगी ?”
मैने धक्को की वजह से हड़बड़ाते हुए कहा “अब जल्दी ख़तम करो, मुझे घर का काम भी करना है. पता नही कोई मुझे यहाँ पर ढूंढता हुआ ना आ जाए इस लिए इस खेल को जल्दी ख़तम करो अब.
मुकेश ने मेरी बात सुन कर अपनी स्पीड और ज़्यादा बढ़ा दी. जिस कारण मेरी साँसे भी और ज़्यादा रफ़्तार पकड़ने लगी. मुकेश के हर धक्के के साथ मैं अपनी मंज़िल के और भी नज़दीक आती जा रही थी. मेरे आनंद की कोई सीमा नही रही, इतना मज़ा आ रहा था कि मुझ से बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था. मैं अपनी मंज़िल के इतना नज़दीक आ चुकी थी कि किसी भी वक़्त मैं झाड़ सकती थी. और मुकेश के एक दो तीन और पड़ते धक्को के साथ मेरा पूरा शरीर अकड़ने लग गया और मेरे शरीर ने झटके खाना शुरू कर दिया और मेरी योनि ने पानी छोड़ दिया.
योनि के पानी छ्चोड़ते ही मैने हड़बड़ाते हुए मुकेश से कहा की “प्लीज़ मुकेश अब रुक जाओ अब मुझसे नही सहा जा रहा है.”
वो भी अपनी फूलती हुई सांसो के साथ धक्के लगाता हुआ बोला “बस जानेमन थोड़ी देर और सहन कर लो मेरा भी अब निकलने वाला है”.
“ठीक है पर जल्दी करो. मैं अब और ज़्यादा देर यहा नही रुक सकती हू.” मैने डॉगी स्टाइल मे पोज़िशन बनाए हुए ही कहा.
मुकेश बहुत तेज़ी के साथ मेरी योनि पर धक्के लगा रहा था और थोड़ी ही देर मे उसका भी शरीर अकड़ने लग गया.. और उसके लिंग ने मेरी योनि के अंदर ही झटके खाते हुए मेरी पूरी योनि को अपनी पानी से भर दिया.. मेरी योनि से धीरे धीरे करके पानी रिस-रिस कर बाहर आ रहा था वो उसी हालत में मेरे उपर गिर गया. मैं भी इतनी लंबी चुदाई के कारण बुरी तरफ से थक गयी थी जिस वजह से मैं भी लड़खड़ा कर नीचे लेट गयी. उसका लिंग अभी भी मेरी योनि में घुस्सा हुवा था.
थोड़ी देर बाद जब हमारी हालत कुछ नॉर्मल हुई तो मैने फॉरन उसे अपने से दूर किया उसका लिंग मेरी योनि से छ्होटा हो कर अपने आप ही बाहर निकल आया था उसका लिंग बाहर आ जाने से जो वीर्य अब तक योनि मे भरा हुआ थॉ वो भी बाहर आ कर ज़मीन पर बिछि हुई मेरी साडी पर गिरने लग गया था. मैं फॉरन खड़ी हुई और अपने कपड़े जो इधर उधर बिखर गये थे उनको जल्दी जल्दी पहनना शुरू कर दिया. मैने वापस उसकी तरफ पलट कर भी नही देखा कि वो क्या कर रहा है वो अब भी मेरी साड़ी पर वैसे ही लेटा हुआ था