30-01-2020, 10:11 PM
“अरे वाह तू तो अभी से मज़े लेने लग गयी. हहहे तेरा यूँ मज़े लेना मुझे बोहोत अच्छा लग रहा है आज तो तुझे खुल कर मज़े करवाता हू.”
“ये सब तुम्हारे कारण हो रहा है जो मैं इस हालत मे आ गयी हू” मैने उसके गले मे हाथ डाल कर उसे अपनी तरफ खींचते हुए कहा.
“मैं तो तेरे हुस्न का दीवाना हो गया हू जब से तुझे देखा है तब से कुछ और चीज़ दिखाई ही नही दे रही थी बार बार आँखो के आगे तेरे मद मस्त संतरे और तेरी मटकती लचकति बलखाती हुई गांद आँखो के आगे घूम जाती थी. बस एक बार तेरे को दिल भर के चोदना चाहता हू.”
मैं मुकेश से कहना चाहती थी कि आराम से करे ताकि मुझे दर्द ना हो. वरना दर्द के कारण अगर मेरी आवाज़ बाहर चली गयी और किसी ने सुन ली तो बोहोत दिक्कत हो जाएगी. पर मुझे मुकेश से कुछ भी कहने की ज़रूरत नही पड़ी. मुकेश ने बोहोत धीरे धीरे से अपना लंड अंदर डालना शुरू किया. मुकेश का लंड भी थोड़ा मोटा और लंबा था जिस कारण मुझ दर्द तो हो रहा था पर वो इतने प्यार से अंदर कर रहा था कि वो दर्द मैं आराम से सहन कर सकती थी. जबकि पीनू तो बिना मेरे दर्द की चिंता किए ही अपना मोटा लिंग घुसा देता है.
अपना आधा लिंग अंदर करने के बाद मुक्केश बोला “जानेमन दर्द तो नही हो रहा है ना तुम्हे.”
मुझे ना जाने क्या हो गया था, मैने उसकी तरफ प्यार से देख कर कहा, “नही, तुम अपना लिंग पूरा डाल दो, मैं दर्द झेल लूँगी.”
ये सुनते ही उसने एक झटके में पूरा लिंग मेरी योनि में घुसा दिया.
मैं अब दर्द से चीन्ख पड़ी आआआआययययययययीीईईईईईईईईईईईईइमाआआआआआआ पर उतना तेज नही जिस से कोई मेरी आवाज़ बाहर से सुन कर अंदर आ जाए.. मैने मुकेश से तरफ दर्द भरी आवाज़ मे कहा “मैने एक साथ तो पूरा अंदर घुसाने को नही कहा था.”
वो बेशर्मी से अपने दाँत दिखाता हुआ बोला ”तुमने ही तो कहा था कि मैं झेल लूँगी.”
मैं उसकी बात सुन मारे शरम के ज़मीन मे गढ़ गयी. पता नही मुझ पर उस समय कैसा खुमार च्छा गया था कि बजाए उसको कुछ बोलने को मैने उसकी तरफ मुस्कुराते हुए बोली.. “तुम बहुत बदमाश हो.”
वो भी अपने दाँत दिखाते हुए बोला “वो तो मैं हू, तुम्हारी चाची भी यही कहती है पर मैं जैसा भी हू तेरा देवाना हू.”
मुकेश पूरा मेरे उपर झुक गया, और अपने होंठो को मेरे होंठो पर रख दिया. उसके मुँह से शूकर था कि कोई बदबू नही आ रही थी इस लिए मैने भी उसको मना नही किया और वो मेरे होंटो को किस करने लग गया.
इस समय उसका लिंग पूरा का पूरा मेरे अंदर समाया हुआ था. और वो उसी तरह अपने लिंग को अंदर किए हुए ही मेरे होंठो को किस कर रहा था ये एहसास मुझे और भी ज़्यादा पागल कर रहा था. जिसका नतीजा ये हुआ कि मुझे खुद पर काबू पाना मुश्किल हो गया और मैं भी उसके किस का जवाब उसके होंठो को किस करके देने लग गयी. ये पल ऐसा था कि मैं सब कुछ भूल चुकी थी की मैं कहाँ पर हू और क्या हालत है. वहाँ की स्थिति से पूरी तरह बेख़बर हो कर मैं उस बूढ़े मुकेश के साथ सेक्स का मज़ा ले रही थी
“ये सब तुम्हारे कारण हो रहा है जो मैं इस हालत मे आ गयी हू” मैने उसके गले मे हाथ डाल कर उसे अपनी तरफ खींचते हुए कहा.
“मैं तो तेरे हुस्न का दीवाना हो गया हू जब से तुझे देखा है तब से कुछ और चीज़ दिखाई ही नही दे रही थी बार बार आँखो के आगे तेरे मद मस्त संतरे और तेरी मटकती लचकति बलखाती हुई गांद आँखो के आगे घूम जाती थी. बस एक बार तेरे को दिल भर के चोदना चाहता हू.”
मैं मुकेश से कहना चाहती थी कि आराम से करे ताकि मुझे दर्द ना हो. वरना दर्द के कारण अगर मेरी आवाज़ बाहर चली गयी और किसी ने सुन ली तो बोहोत दिक्कत हो जाएगी. पर मुझे मुकेश से कुछ भी कहने की ज़रूरत नही पड़ी. मुकेश ने बोहोत धीरे धीरे से अपना लंड अंदर डालना शुरू किया. मुकेश का लंड भी थोड़ा मोटा और लंबा था जिस कारण मुझ दर्द तो हो रहा था पर वो इतने प्यार से अंदर कर रहा था कि वो दर्द मैं आराम से सहन कर सकती थी. जबकि पीनू तो बिना मेरे दर्द की चिंता किए ही अपना मोटा लिंग घुसा देता है.
अपना आधा लिंग अंदर करने के बाद मुक्केश बोला “जानेमन दर्द तो नही हो रहा है ना तुम्हे.”
मुझे ना जाने क्या हो गया था, मैने उसकी तरफ प्यार से देख कर कहा, “नही, तुम अपना लिंग पूरा डाल दो, मैं दर्द झेल लूँगी.”
ये सुनते ही उसने एक झटके में पूरा लिंग मेरी योनि में घुसा दिया.
मैं अब दर्द से चीन्ख पड़ी आआआआययययययययीीईईईईईईईईईईईईइमाआआआआआआ पर उतना तेज नही जिस से कोई मेरी आवाज़ बाहर से सुन कर अंदर आ जाए.. मैने मुकेश से तरफ दर्द भरी आवाज़ मे कहा “मैने एक साथ तो पूरा अंदर घुसाने को नही कहा था.”
वो बेशर्मी से अपने दाँत दिखाता हुआ बोला ”तुमने ही तो कहा था कि मैं झेल लूँगी.”
मैं उसकी बात सुन मारे शरम के ज़मीन मे गढ़ गयी. पता नही मुझ पर उस समय कैसा खुमार च्छा गया था कि बजाए उसको कुछ बोलने को मैने उसकी तरफ मुस्कुराते हुए बोली.. “तुम बहुत बदमाश हो.”
वो भी अपने दाँत दिखाते हुए बोला “वो तो मैं हू, तुम्हारी चाची भी यही कहती है पर मैं जैसा भी हू तेरा देवाना हू.”
मुकेश पूरा मेरे उपर झुक गया, और अपने होंठो को मेरे होंठो पर रख दिया. उसके मुँह से शूकर था कि कोई बदबू नही आ रही थी इस लिए मैने भी उसको मना नही किया और वो मेरे होंटो को किस करने लग गया.
इस समय उसका लिंग पूरा का पूरा मेरे अंदर समाया हुआ था. और वो उसी तरह अपने लिंग को अंदर किए हुए ही मेरे होंठो को किस कर रहा था ये एहसास मुझे और भी ज़्यादा पागल कर रहा था. जिसका नतीजा ये हुआ कि मुझे खुद पर काबू पाना मुश्किल हो गया और मैं भी उसके किस का जवाब उसके होंठो को किस करके देने लग गयी. ये पल ऐसा था कि मैं सब कुछ भूल चुकी थी की मैं कहाँ पर हू और क्या हालत है. वहाँ की स्थिति से पूरी तरह बेख़बर हो कर मैं उस बूढ़े मुकेश के साथ सेक्स का मज़ा ले रही थी


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