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Adultery मेहमान बेईमान
.मैने फिर से बड़ा इठलाते हुए उसे जलाते हुए अपनी ब्रा भी उतार दी. और अपनी दोनो चुचियो को अपने हाथ मे ले कर खुद ही दबा दबा कर उसे चिढ़ाने लग गयी.
वो बला की फुर्ती के साथ एक दम से मेरे पास आ गया और मेरे हाथ के उपर से ही उसने अपने दोनो हाथ रख कर मेरे उरोजो को मसलना शुरू कर दिया. वो इतनी बुरी तरह मसल रहा था कि मेरे हाथ मे भी दर्द होने लग गया तो मैने अपने हाथ हटा लिए और अब वो मेरे दोनो उभारो को मसलने मे लग गया.
यूँ तो मेरे उभारो को मनीष भी खूब मसलते है और पीनू ने भी खूब मसला था पर मुकेश के हाथो मे जैसे जादू है उसे पता है की औरत के उभारो को कैसे और कितने ज़ोर से मसलना चाहिए जिसे उसे मज़ा आने लगे. अचानक उसने मेरे उरोजो को इतनी ज़ोर से दबा दिया कि मेरे मुँह से चीख निकलते निकलते रह गयी… “आअहह…. आरामम्म से दबाओ “ मेरे मुँह से केवल कितना ही निकला और मैने मज़े के कारण फिर से अपनी आँखे बंद कर ली.
“आराम से तो कुछ नही होगा मेरी जान तुझे मज़े लेने है तो थोड़ा ज़ोर से तेरे चुचियो को दबाना पढ़ेगा बड़ी टाइट चुचिया है तेरी, आज तक मैने ऐसी चुचिया नही दबाए है अपनी जिंदगी मे” उसने बेशर्मी से हस्ते हुए कहा.
“मुझे कोई मज़े नही लेने हट जाओ, और जाने दो मुझे यहाँ से” मैने गुस्से मे उस से कहा मुझे डर लग रहा था कि कही कोई हमारी आवाज़ सुन कर यहाँ आ ना जाए. “अरे रुक ना चल अच्छे से दबाता हू” कह कर वो अलग अलग तरह से बेदर्दी के साथ मेरे दोनो उरोजो को मसलता रहा. उसके इस तरह अलग-अलग तरह से उरोज को दबाने से मुझे सच मे एक अलग ही मज़ा आ रहा था. मुझे मेरे उभारो मे एक अजीब तरह की बेचैनी हो रही थी, जो मुझे आज तक कभी महसूस नही हुई थी… ऐसा लग रहा था जैसे मेरे दोनो उरोज उसके हाथो के लिए ही बने है और उन हाथो को आज पा कर उनकी ख़ुसी का ठिकाना ही नही रहा था.
उरोज दबाते दबाते ही उसने एक उभार के निपल को अपने मुँह मे ले लिया… उसके निपल मुँह मे लेते ही इतनी देर से जो आअहही मैने रोक कर रखी थी. वो निकलने लग गयी.जिसे सुन कर वो अपने मुँह से निपल निकाल कर वो बोला “ये हुई ना बात तुझे ऐसे ही आवाज़ करते हुए मज़े लेने चाहिए कोई बात नही अभी तो शुरुआत है..हहहे”
उसकी बात सुन कर मैने फॉरन उसके सर से हाथ हटा लिया और खुद पर काबू पाने की कोसिस करने लगी… “अरे हाथ क्यू हटा लिया रख ले आराम से रख ले मुझे भी अच्छा लगा रहा है तेरे हाथ अपने सर पर घूमते हुए” पर मैने वापस उसके सर पर हाथ नही रखा,,,, क्यूकी मैं उसे फिर से खुद पर हंसते हुए नही देखना चाहती थी.
वो बारी बारी से मेरे दोनो निपल को अपने मुँह मे ले कर चूस्ता रहा और मैं चुप-चाप उसके चुसाइ करने से मदहोश हो कर मज़े लेने लगी. “तेरे अंगूर बोहोत मीठे है शहद भर रखा है तूने इसमे. मज़ा आ गया आज तक इतने मीठे अंगूर नही चखे मैने” उसकी बात सुन कर मैं शर्म से लाल हो गयी.
थोड़ी देर और मेरे उभारो को दबा कर चूसने के बाद वो वहाँ से हट गया और मेरी टाँगो के नीचे आकर बैठ गया. उसने अपना एक हाथ मेरी योनि पर फिराया और अपना मुँह मेरी योनि पर वापस लगा कर उसे चूसने लग गया. मैं फिर से बोहोत बुरी तरह से मदहोश होने लग गयी और इसी मदहोशी मे होने के कारण मैने अपने हाथ उसके सर पर रख कर उसके सर को सहलाने लग गयी. थोड़ी देर तक योनि चूसने के बाद वो हट गया. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि अब वो क्या करना चाहता है.
हम दोनो ही उस कमरे मे एक दम नंगे थे उसका लिंग मेरी आँखो के सामने झूल रहा था जिसके नीचे उसके टटटे भी लटक रहे थे. मैं उसके लिंग को सहमी सहमी नज़रो से देख रही थी. पीनू का लिंग अंदर ले कर दर्द हुआ था आज भी क्या वैसा ही दर्द होगा यही सोच सोच कर मेरी हालत खराब होती जा रही थी.
मुकेश ने मुझे मेरी सदी को ज़मीन पर बिछा कर उस पर लिटा दिया और खुद मेरी दोनो टाँगो के बीच मे आ गया. उस समय मैं एक दम डर गयी थी पता नही आगे क्या होने वाला है सोच कर ही मेरी आँखे अपने आप बंद हो गयी. उसने अपने लिंग को हाथ मे लिया और बोला “आज तो मेरे लंड को गाँव की सबसे हसीन चूत मिलेगी.. आज तो मेरे लंड के नसीब खुल गये जो इतनी प्यारी हसीना की हसीन चूत मे जा रहा है.” उसके मुँह से ऐसी बाते सुन कर मैने शरम से अपने चेहरे को अपने हाथो मे ले कर छुपा लिया.
“अरे रानी ऐसे शरमाने से काम नही चलेगा अरे देखो तो सही मेरा लंड तुम्हारी चूत को देख कर कैसे लार टपका रहा है” मैने अपनी आँखे खोल कर देखा तो उसके लंड से सच मे कुछ पानी की बूँद निकल रही थी. मैं इसके बारे मे जानती थी मनीष के साथ साथ पीनू ने भी मुझे अपने लिंग से ऐसे ही पानी की बूँद निकलते हुए दिखाई थी, उसी समय मुझे पता चला था कि लंड से पानी की ऐसी बूँद भी निकलती है
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 30-01-2020, 10:07 PM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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