30-01-2020, 10:06 PM
मैं चुप चाप खड़ी सोच ही रही थी कि क्या जवाब दू उसको समझ ही नही आ रहा था कि क्या कहु क्या ना कहु. अभी मैं उसको कुछ कहती उस से पहले ही वो मेरे एक दम करीब आ गया जिस वजह से उसका मोटा काला लंड मेरी योनि से टकरा गया. उसके लंड को अपनी योनि पर महसूस करते है मुझे मेरे शरीर मे बिजली का एक झटका सा लगा और मैं अपने आप पीछे की तरफ हट गयी.
मुझे पीछे की तरफ हट ता हुआ देख कर वो बोला “रानी मेरे लंड को भी तेरी चूत को चूम लेने दे इसका भी मन बहाल जाएगा कब से तेरी चूत को चूमने के लिए बेकरार है.”
उसकी बात सुन कर मेरे चेहरे पर अपने आप एक मुस्कान सी आ गयी उसको यूँ अपने आगे भीख माँगता हुआ देख कर मुझे अच्छा लग रहा था. पर मैने मज़े लेने के लिए उस से कहा कि तुम्हे शर्म नही आती अपनी बेटी/बहू जैसी उमर की लड़की से इस तरह की गंदी गंदी बात करते हुए”
“शर्म कैसी और तुम से अगर शर्म करता आज तुम्हारी रसीली चूत का स्वाद कैसे चखता सच मे आज तक इतनी रस भरी चूत नही चखि” कह कर वो फिर से मेरे करीब आ गया जिस से उसका लिंग दोबारा से मेरी चूत से टकरा रहा था.
मैं दोबारा से उसका लंड छूते ही पीछे को हट कर उस से बोली “देखो मुकेश या ठीक नही है मैं एक शादी शुदा औरत हू और मेरा इस तरह से तुम्हारे साथ ये सब करना ठीक नही है… मैं मनीष को धोका नही दे सकती हू.”
“ये अजीब बात है मतलब तू उस लौंदे पीनू को दे सकती है.. उस से अपनी चूत और गांद मरवा सकती है और मुझे देने मे तुम्हे परेशानी हो रही है” कहते हुए मुकेश फिर से मेरे करीब आ गया.
उसकी बात सुन कर मैं उसे कुछ नही कह पाई. वो सही कह रहा था जब मैने पीनू को दे दी तो इसे देने मे क्या हर्ज है और वैसे भी इसका पीनू जितना बड़ा भी है और अच्छे से भी चुसाइ करता है.
वो फिर से मेरे एक दम नज़दीक आ गया था. मेरे शरीर पर कपड़ो के नाम पर केवल एक ब्लाउस था बाकी मेरी साड़ी और पेटिकोट ज़मीन पर पड़े हुए थे. मुकेश के साथ चुदाई का ख़याल आते ही मुझे पूरे शरीर मे रोमांच की एक लहर दौड़ती हुई महसूस होने लग गयी. पर मैं चाहती थी कि मुकेश अभी थोड़ा और तडपे और मुझसे ब्लाउस को भी उतारने को कहे. और हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही
“अपना ब्लाउस उतार ना मुझे तेरे संतरे देखने है कब से तेरे संतरे देखने को बेचैन हू और तूने अभी तक संतरे नही दिखाए है. दिखा दे ना जल्दी से संतरे अपने फिर असली खेल शुरू करू तेरे साथ” मुकेश ने मुझसे फिर से रिक्वेस्ट करते हुए कहा.
“अरे इन संतरो को बाद मे देख लेना और पहले अपना जल्दी से हिला कर पानी निकाल लो मुझे अब जाना है यहाँ से” मैने फिर से उसे और तड़पाते हुए कहा.
तभी बाहर से फिर लोगो के जमा होने की आवाज़े आने लगी. बाहर से जैसे जैसे अंदर आवाज़े आ रही थी मेरे दिल की धड़कने भी बढ़ती जा रही थी. मेरा दिल बुरी तरह से ये सोच कर काँप रहा था कि अगर कोई इस समय यहाँ पर आ गया तो मैं बुरी तरह से फँस जाउन्गि और मनीष…. क्या सोचेगे मेरे बारे मे..? यही सब मेरे दिमाग़ मे चल रहा था कि तभी मुकेश फिर से बोला “दिखा दे ना अपने संतरे एक बार”
मैने भी सोचा कि इस से पहले की कोई यहा अंदर आ जाए इसे दिखा कर शांत कर देना ही अच्छा है. मैने उसे थोड़ा दूर खड़ा होने को कहा और एक अदा के साथ धीरे धीरे अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी.. मुकेश किसी ललचाए हुए कुत्ते की तरह मुँह फाडे मेरे सीने पर ही अपनी नज़ारे जमाए हुए खड़ा था.
जैसे जैसे मेरे ब्लाउस का एक एक बटन खुलता मुकेश का मुँह भी उतना बड़ा खुलता जा रहा था. थोड़ी ही देर मैं मैने अपने ब्लाउस को भी अपने शरीर से अलग कर दिया. मेरे शरीर पर अब केवल एक ब्रा ही बची थी. जिसे देख कर मुकेश बोला “अरे रानी इसे को भी उतार दो देखु तो सही इन संतरो मे कितना रस भरा हुआ है हहहे” मुकेश की बात सुन कर मैं बुरी तरह से शर्मा गयी. मैने मुकेश से कहा “तुम खुद ही उतार कर देख लो”
“सच कहु तो गाँव मे ये इस तरह की बनियान कोई ना पहने है इस लिए इसे कैसे उतारे है मुझे पता ही नही है तुम ही अपने आप उतारो” उसकी बात सुन कर मुझे थोड़ा सा गुस्सा आ गया “तुम्हे वैसे सब आता है कि कैसे क्या करना है और ब्रा उतारना नही आता है.. एक नो के हरामी कामीने इंसान हो तुम”
मेरे मुँह से अपने लिए गाली सुन कर वो फिर से मुस्कुरा दिया और बोला “अब जैसा भी हू मैं और मेरा लॅंड तेरा देवाना है अब जल्दी से उतार दो इस बनियान को और इन मस्त से संतरो के रस का मज़ा लेने दो पता तो चले कि तेरी चूत से ज़्यादा टेस्टी है या ऐसे ही
मुझे पीछे की तरफ हट ता हुआ देख कर वो बोला “रानी मेरे लंड को भी तेरी चूत को चूम लेने दे इसका भी मन बहाल जाएगा कब से तेरी चूत को चूमने के लिए बेकरार है.”
उसकी बात सुन कर मेरे चेहरे पर अपने आप एक मुस्कान सी आ गयी उसको यूँ अपने आगे भीख माँगता हुआ देख कर मुझे अच्छा लग रहा था. पर मैने मज़े लेने के लिए उस से कहा कि तुम्हे शर्म नही आती अपनी बेटी/बहू जैसी उमर की लड़की से इस तरह की गंदी गंदी बात करते हुए”
“शर्म कैसी और तुम से अगर शर्म करता आज तुम्हारी रसीली चूत का स्वाद कैसे चखता सच मे आज तक इतनी रस भरी चूत नही चखि” कह कर वो फिर से मेरे करीब आ गया जिस से उसका लिंग दोबारा से मेरी चूत से टकरा रहा था.
मैं दोबारा से उसका लंड छूते ही पीछे को हट कर उस से बोली “देखो मुकेश या ठीक नही है मैं एक शादी शुदा औरत हू और मेरा इस तरह से तुम्हारे साथ ये सब करना ठीक नही है… मैं मनीष को धोका नही दे सकती हू.”
“ये अजीब बात है मतलब तू उस लौंदे पीनू को दे सकती है.. उस से अपनी चूत और गांद मरवा सकती है और मुझे देने मे तुम्हे परेशानी हो रही है” कहते हुए मुकेश फिर से मेरे करीब आ गया.
उसकी बात सुन कर मैं उसे कुछ नही कह पाई. वो सही कह रहा था जब मैने पीनू को दे दी तो इसे देने मे क्या हर्ज है और वैसे भी इसका पीनू जितना बड़ा भी है और अच्छे से भी चुसाइ करता है.
वो फिर से मेरे एक दम नज़दीक आ गया था. मेरे शरीर पर कपड़ो के नाम पर केवल एक ब्लाउस था बाकी मेरी साड़ी और पेटिकोट ज़मीन पर पड़े हुए थे. मुकेश के साथ चुदाई का ख़याल आते ही मुझे पूरे शरीर मे रोमांच की एक लहर दौड़ती हुई महसूस होने लग गयी. पर मैं चाहती थी कि मुकेश अभी थोड़ा और तडपे और मुझसे ब्लाउस को भी उतारने को कहे. और हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही
“अपना ब्लाउस उतार ना मुझे तेरे संतरे देखने है कब से तेरे संतरे देखने को बेचैन हू और तूने अभी तक संतरे नही दिखाए है. दिखा दे ना जल्दी से संतरे अपने फिर असली खेल शुरू करू तेरे साथ” मुकेश ने मुझसे फिर से रिक्वेस्ट करते हुए कहा.
“अरे इन संतरो को बाद मे देख लेना और पहले अपना जल्दी से हिला कर पानी निकाल लो मुझे अब जाना है यहाँ से” मैने फिर से उसे और तड़पाते हुए कहा.
तभी बाहर से फिर लोगो के जमा होने की आवाज़े आने लगी. बाहर से जैसे जैसे अंदर आवाज़े आ रही थी मेरे दिल की धड़कने भी बढ़ती जा रही थी. मेरा दिल बुरी तरह से ये सोच कर काँप रहा था कि अगर कोई इस समय यहाँ पर आ गया तो मैं बुरी तरह से फँस जाउन्गि और मनीष…. क्या सोचेगे मेरे बारे मे..? यही सब मेरे दिमाग़ मे चल रहा था कि तभी मुकेश फिर से बोला “दिखा दे ना अपने संतरे एक बार”
मैने भी सोचा कि इस से पहले की कोई यहा अंदर आ जाए इसे दिखा कर शांत कर देना ही अच्छा है. मैने उसे थोड़ा दूर खड़ा होने को कहा और एक अदा के साथ धीरे धीरे अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी.. मुकेश किसी ललचाए हुए कुत्ते की तरह मुँह फाडे मेरे सीने पर ही अपनी नज़ारे जमाए हुए खड़ा था.
जैसे जैसे मेरे ब्लाउस का एक एक बटन खुलता मुकेश का मुँह भी उतना बड़ा खुलता जा रहा था. थोड़ी ही देर मैं मैने अपने ब्लाउस को भी अपने शरीर से अलग कर दिया. मेरे शरीर पर अब केवल एक ब्रा ही बची थी. जिसे देख कर मुकेश बोला “अरे रानी इसे को भी उतार दो देखु तो सही इन संतरो मे कितना रस भरा हुआ है हहहे” मुकेश की बात सुन कर मैं बुरी तरह से शर्मा गयी. मैने मुकेश से कहा “तुम खुद ही उतार कर देख लो”
“सच कहु तो गाँव मे ये इस तरह की बनियान कोई ना पहने है इस लिए इसे कैसे उतारे है मुझे पता ही नही है तुम ही अपने आप उतारो” उसकी बात सुन कर मुझे थोड़ा सा गुस्सा आ गया “तुम्हे वैसे सब आता है कि कैसे क्या करना है और ब्रा उतारना नही आता है.. एक नो के हरामी कामीने इंसान हो तुम”
मेरे मुँह से अपने लिए गाली सुन कर वो फिर से मुस्कुरा दिया और बोला “अब जैसा भी हू मैं और मेरा लॅंड तेरा देवाना है अब जल्दी से उतार दो इस बनियान को और इन मस्त से संतरो के रस का मज़ा लेने दो पता तो चले कि तेरी चूत से ज़्यादा टेस्टी है या ऐसे ही