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Adultery मेहमान बेईमान
उसके यूँ बराबर मेरी योनि को चूमने से मैं और भी ज़्यादा बेचैन होती जा रही थी. पता नही मुझ पर उसके चूमने का क्या असर हुआ कि मैं खुद को नही रोक पाई और एक ही पल मे मैने अपने पेटिकोट का नाडा खोल दिया. नाडा खुलते ही मेरा पेटिकोट उतर कर सीधा मेरे पैरो मे जा गिरा.
मेरा पेटिकोट उतरते ही मैं उसके सामने नीचे से पूरी नंगी हो गयी. मैने उस वक़्त पॅंटी नही पहनी हुई थी. ”तू सच मे बोहोत अच्छी है” उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए कहा.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और अपनी आँखे बंद कर ली. मुकेश ने मेरी योनि की दोनो पंखुड़ियो को फैलाया और फैला कर मेरी योनि को कुत्ते की तरह चाटने लगा. उसके थूक से मेरी योनि जो पहले से ही पूरी गीली थी और भी ज़्यादा गीली हो गयी. मैं मन ही मन सोच रही थी कि ये सब मुकेश ने कहाँ से सीखा इतने अच्छे से तो मनीषने भी नही चाती थी मेरी पर इसने तो कमाल ही कर दिया.
मुकेश नीचे मेरी योनि की पंखुड़ियो को अपने होंठो मे दबा कर चूस रहा था कभी वो एक तरफ की तो कभी दूसरी तरफ की… उसके ऐसे चूसने से मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं सब भूल गयी थी कि मैं कहाँ हू और क्या हू. बस दिमाग़ मे जो चल रहा था वो था मुकेश का मेरी योनि को चूसना. मज़े मैं होने के कारण मैने अपने दोनो हाथ मुकेश के सर पर टिका दिए.
थोड़ी देर योनि चूसने के बाद उसने अपना सर वहाँ से हटा कर मुझसे पूछा कि “मज़ा आ रहा है ?”
मज़ा तो मुझे इतना आ रहा था कि मैं बता नही सकती पर मैं उसे इस बात का एहसास नही होने देना चाहती थी. “मुझे नही पता और तुम जल्दी से अपना पानी निकालो और मुझे जाने दो यहाँ से”
“तुम कैसी बात करती हो.. अभी तो शुरुआत की है और तुम कहती हो कि जल्दी से अपना पानी निकाल लो.. मेरे लंड का क्या होगा जो कब से तेरी चूत मे घुस कर पानी निकालने के लिए बेताब हुआ बैठा है.” मुकेश ने अपनी उंगली से मेरी योनि के भज्नसे को मसलते हुए कहा. उसे अच्छे से पता था कि उस को मसलने से औरत अपने काबू मे नही रहती है इस लिए वो बार बार कभी अपने जीब से तो कभी होंठो से तो कभी हाथ से मेरे उस दाने को छेड़े जा रहा था.
मुकेश की इस हरकत से मेरी साँसे और भी ज़्यादा तेज़ी के साथ चलने लग गयी.. बाहर से आती हुई खत-पट की आवाज़ से मेरे दिल की धड़कने और बढ़ गयी थी. “मुकेश कोई आ नही जाए यहा पर मुझे बोहोत डर लग रहा है” मैने अपने दिल की बात मुकेश को बता दी.
“अरे कोई नही आता मेरी रानी यहा पर तू तो बेकार मे डर रही है.” मुकेश भी अब खुल कर बोल रहा था मेरी योनि को चाटने के बाद उनमे जैसे हिम्मत आ गयी हो. ये कह कर वो फिर से मेरी पर मुँह लगा कर उसे चूसने लग गया. उसकी जीब मेरी योनि पर हर जगह घूम रही थी और उस जगह को इस तरह से चाट रही थी कि मुझे मेरे शरीर मे एक अजीब सी बेचैनी होने लग जाती थी. मुकेश के योनि चूसने मे मुझे पीनू और मनीष से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था. मेरा मन कर रहा था की अपनी पूरी योनि उसके मुँह मे घुसा दू. और मैं ऐसा ही करती कि उस से पहले ही उसने अपना मुँह योनि से हटा लिया..
उसकी इस हरकत से मैं अपनी आँखे खोल कर देखी तो वो वहाँ से हट कर खड़ा हो गया था और अपना लंड पकड़ कर हाथ मे ले कर मुस्कुरा रहा था. मुझे अपनी तरफ यूँ एक तक देख कर बोला “मुझसे अब रुका नही जा रहा है देख मेरा लंड भी कैसे खड़ा हो कर तेरी चूत मे जाने के लिए बेकरार हो रहा है,, बता डाल दू अंदर तेरी चूत मे ?”
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 30-01-2020, 10:06 PM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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