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Adultery मेहमान बेईमान
मुकेश अपने दोनो हातो से मेरे नितंबो को लगातार मसल रहा था और मेरी योनि पर यहाँ वहाँ मूह रगड़ रहा था. उसकी इस हरकत से मेरी हालत और भी ज़्यादा कराब होती जा रही थी.

मुकेश ने फिर से कहा “थोड़ा खोल दो ना तुम्हे और ज़्यादा मज़ा आएगा कल जो मज़ा पीनू ने तुम्हे दिया था उस से भी ज़्यादा मज़ा आएगा तुमको”

मैने झीज़कते हुए मुकेश से कहा “तुम खुद ही खोल लो ना “

मुकेश समझ गया था वो पक्का खिलाड़ी था इन सब मामलो मे उसने मेरी तरफ सर उठा कर मुस्कुराते हुए देखा और बोला “ना बाबा ना, तुम खुद ही खोलो. मैं खोलूँगा तो ऐसा लगेगा कि मैं तुम्हारे साथ ज़बरदस्ती कर रहा हू. और अगर कल को तुमने मुझे रॅप केस मे अंदर करा दिया तो. इस लिए तुम खुद ही अपनी मर्ज़ी से अपने आप अपनी साड़ी खोलो” मुकेश के हाथ अब भी बराबर मेरे दोनो नितंबो को आटे की तरह से मसले जा रहे थे.

मैं ना चाहते हुए भी बहकति चली गयी. उसका मुँह अब भी बराबर साडी के उपर से मेरी योनि पर अपना जादू डाल रहा था.उसने फिर से अपने सर को उपर उठा कर कहा “प्ल्ज़ खोल दो ना अपनी साडी”

मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था कि क्या करू क्या ना करू मैं इस समय बोहोत बुरी तरह से फँस चुकी थी बाहर जाने का रास्ता एक दम सॉफ हो गया था पर मेरा सरीर इस समय मेरे काबू मे नही था. मैने अपनी दोनो आँखे बंद कर ली और अपने हाथो से अपनी साडी को खोल दिया. उस समय मैं अंदर ही अंदर थोड़ा घबरा भी रही थी कि कही कोई आ गया तो क्या होगा पर उस से ज़्यादा मैं मदहोश हो गयी थी और यही सब सोचते हुए मेरी साडी मेरे सरीर से अलग हो चुकी थी अब मैं सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउस मे रह गयी थी.

साडी के हटते ही उसने कहा “ये हुई ना बात अब आएगा असली मज़ा. आज मैं तुम्हे जवानी का असली मज़ा दुगा जो पीनू ने भी तुम्हे नही दिया होगा. आज उस से भी ज़्यादा मज़ा आएगा तुम्हे” मैने अपनी आँखे खोल कर देखा तो वो मुस्कुरा रहा था और मेरी योनि की तरफ ही देखे जा रहा था. “जवानी का असली मज़ा लेने के लिए तुम्हे एक काम और करना पड़ेगा बस अपने पेटिकोट का ये नाडा और खोल दो”

मुकेश के हाथ अब भी बराबर मेरे नितंबो को मसले जा रहे थे. नितंबो को मसल्ते मसलते ही उसने अपनी एक उंगली मेरी गांद के छेद पर रख कर पेटिकोट के उपर से ही अंदर कर दी. मेरे मुँह से एक हल्की मस्ती भरी आआहह निकल गयी.

मैं पूरी तरह से मदहोश हो कर अपनी दोनो आँखे बंद किए हुए उसके द्वारा मसले जा रहे नितंबो का मज़ा ले रही थी.

वो फिर से बोला “जानेमन अपने पेटिकोट का नाडा और खोल दो ताकि तुम्हे जवानी का असली मज़ा दे सकु”

उसकी बात सुन कर मैं बुरी तरह से उस पर झल्ला गयी. “तुम अपने आप नही खोल सकते हो क्या ?” पर हक़ीकत मे मैं यही तो चाहती थी की वो मुझसे खुद मेरे एक एक कपड़े उतारने की भीख माँगे जैसे वो अभी माँग रहा है
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 30-01-2020, 10:04 PM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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