30-01-2020, 10:03 PM
छत पर भी अब लोगो की आवाज़े आना कम हो गया था और मुझे यहाँ पर आए हुए भी काफ़ी वक़्त हो गया था. इस लिए मैं वहाँ से जल्दी से जल्दी निकल लेना चाहती थी. पर ये मुकेश बार-बार मेरे कदमो मे गिर कर मुझसे इस तरह गिड-गीडा कर भीख माँग रहा था और मैं भी पूरी तरह से गरम हो चुकी थी इस लिए मैने मुकेश के लंड को ब्लो जॉब देने की सोची ताकि उसका आसानी से निकल जाए. मैं मुकेश को दीवार के सहारे से खड़ा कर दिया और वही उसके कदमो मे बैठ कर उसके लंड को हाथ मे पकड़ लिया और एक नज़र मुकेश की तरफ देखा वो अब भी मेरी तरफ रहम भरी नज़रो से देख रहा था. उसकी आँखो मे भीख देख कर मैं बोहोत खुस थी.
मैने मुकेश के लंड की खाल को एक झटके से पूरा का पूरा पीछे कर दिया जिस से मुकेश के मुँह से एक दर्द भरी आआआहह निकल गयी “आराम से करो ना” मुकेश के मुँह से जैसे ही ये शब्द निकले मैं मुकेश की तरफ देख कर मुस्कुरा दी और बोली “क्यू मज़ा नही आ रहा है ?”
“मज़ा तो आ रहा है पर थोड़ा आराम से करो ना तो और मज़ा आएगा” मुकेश ने मेरे सर पर अपना हाथ फिराते हुए कहा
“ठीक है आराम से करती हू” कह कर मैने मुकेश के लिंग पर अपनी जीभ फिरा दी.
मेरे झीभ फिरते ही मुकेश के पूरे शरीर मे एक सनसनी की सी लहर फैल गयी. “आहह क्या कर रही हो” मुकेश ने मज़े से अपनी आँखे बंद करे हुए ही कहा.
मैं भी मज़े से मुकेश के लंड को अपने मुँह मे ले कर चुस्ती रही कभी उसके सूपदे पर जीभ घुमाती तो कभी उसके लंड को मुँह मे लेकर चुस्ती. उसका लंड चूसने मे मुझे भी बड़ा मज़ा आ रहा था. मुकेश ने भी अब मेरे सर को पकड़ कर अपने लंड पर कसना शुरू कर दिया जिस से उसका लंड मेरे गले तक आ कर अटक जाता. यूँ ही काफ़ी देर तक मुकेश का लंड चूसने के बाद भी जब मुकेश का पानी नही निकला तो मैं बोहोत बुरी तरह से उस पर खिस्या गयी “तुम्हारे अंदर वीर्य है भी या नही इतनी देर हो गयी मुझे तुम्हारा पानी अभी तक नही निकला. हाथ से भी हिला दिया. ब्लो जॉब भी दे दी फिर भी तुम्हारा पानी नही निकल रहा है.” मैने बुरी तरह से उस पर खिस्याते हुए कहा पर फिर मेरे दिमाग़ मे ना जाने क्या आया कि इस से और मज़े लिए जाए “मैं अब यहाँ नही रुक सकती मैं जा रही हू.” बोल कर मैं खड़ी हो गयी और दरवाजे की तरफ देखने लगी.
मैने मुकेश के लंड की खाल को एक झटके से पूरा का पूरा पीछे कर दिया जिस से मुकेश के मुँह से एक दर्द भरी आआआहह निकल गयी “आराम से करो ना” मुकेश के मुँह से जैसे ही ये शब्द निकले मैं मुकेश की तरफ देख कर मुस्कुरा दी और बोली “क्यू मज़ा नही आ रहा है ?”
“मज़ा तो आ रहा है पर थोड़ा आराम से करो ना तो और मज़ा आएगा” मुकेश ने मेरे सर पर अपना हाथ फिराते हुए कहा
“ठीक है आराम से करती हू” कह कर मैने मुकेश के लिंग पर अपनी जीभ फिरा दी.
मेरे झीभ फिरते ही मुकेश के पूरे शरीर मे एक सनसनी की सी लहर फैल गयी. “आहह क्या कर रही हो” मुकेश ने मज़े से अपनी आँखे बंद करे हुए ही कहा.
मैं भी मज़े से मुकेश के लंड को अपने मुँह मे ले कर चुस्ती रही कभी उसके सूपदे पर जीभ घुमाती तो कभी उसके लंड को मुँह मे लेकर चुस्ती. उसका लंड चूसने मे मुझे भी बड़ा मज़ा आ रहा था. मुकेश ने भी अब मेरे सर को पकड़ कर अपने लंड पर कसना शुरू कर दिया जिस से उसका लंड मेरे गले तक आ कर अटक जाता. यूँ ही काफ़ी देर तक मुकेश का लंड चूसने के बाद भी जब मुकेश का पानी नही निकला तो मैं बोहोत बुरी तरह से उस पर खिस्या गयी “तुम्हारे अंदर वीर्य है भी या नही इतनी देर हो गयी मुझे तुम्हारा पानी अभी तक नही निकला. हाथ से भी हिला दिया. ब्लो जॉब भी दे दी फिर भी तुम्हारा पानी नही निकल रहा है.” मैने बुरी तरह से उस पर खिस्याते हुए कहा पर फिर मेरे दिमाग़ मे ना जाने क्या आया कि इस से और मज़े लिए जाए “मैं अब यहाँ नही रुक सकती मैं जा रही हू.” बोल कर मैं खड़ी हो गयी और दरवाजे की तरफ देखने लगी.