30-01-2020, 01:23 PM
“मैं इस डील को लेकर काफी मजबूर हं क्योकि मेरा काफी सारा नुकसान हुआ है और ये एक ही डील मेरा सारा नुकसान भरने के बाद भी मुझे कम से कम २ करोड़ का फायदा कर सकती है. तो इस चक्कर में मैंने एक बड़ी गलती की.” रिशा ने समीर के कंधे पर सर रखकर पूछा. “क्या गलती की आपने?” “मैंने एक एस्कोर्ट एजेंसी से एक लड़की बुलाई और उसे ही अपनी बीवी बताकर मैंने उसे भेज दिया. उसने उस लड़की के साथ रात बिताकर अगले दिन मेरे लिए ऑर्डर देने ही वाला था की मेरा नसीब मुझे धोका दे गया. दुसरे ही दिन उसने तुम्हे और मुझे जुपिटर मॉल में देख लिया. बस फिर क्या था? तब से लेकर अब तक उसने मुझे परेशान कर रखा है. अब वो मुझे ऑर्डर सिर्फ तब देगा जब वो तुम्हारे साथ रात गुजरेगा. ये कहकर उसने उसका अपना ऑर्डर तो रुकवा ही दिया. लेकिन साथ में मुझे दुसरे जो छोटे मोटे काम मिलते थे वो भी बंद करवा दिए. और अब मेरी हालत ये है की एक तरफ मुझे मेरा बिजनेस लोन देना है. वो भी मैंने एक गुंडे से लिया था ५० टेक ब्याज से. दूसरी तरफ मुझे कोई भी काम नहीं मिल रहा जब तक मैं उसकी इच्छा पूरी नहीं करता. ऊपर से वो गुंडा मेरे पीछे पड़ा है उसके पैसे के लिए. अब मुझे समझ में नहीं आ रहा की मै करू तो क्या करू.” ये कहते हुए समीर ने अपना सर अपने हाथों में पकड़ किया. रिशा ने धीरे से अपना हाथ समीर के सर पर रखा और उसे सहलाने लगी. “देखिये आप परेशान मत होईये. भगवान् हमारे साथ है. कुछ ना कुछ रास्ता निकल ही आएगा.” लेकिन ये कहते हुए भी रिशा को पता था की वो सिर्फ अपनी पती का मन बहलाने के लिये ये कह रही थी. वो खुद भी इतनी व्यावहारिक थी की उसे पता था की ऐसे मामलों में कोई ना कोई रास्ता नहीं निकालता बल्कि उसे निकालना पड़ता है. और वो रास्ता उसे मंजूर नहीं था. वो काफी खुले दिल वाली लड़की थी लेकिन फिर भी अपने पती के आलावा किसी गैर मर्द के साथ रात गुजारना उसके लिये एक गुनाह जैसा ही था. उसने थोड़ी देर तक समीर की पीठ थपथपाई और फिर उठकर किचन में चली गयी. समीर अपने ही विचारों में मसरूफ रहा. आगे के कुछ दिन ऐसे ही निकल गये लेकिन मामला कुछ आगे नहीं बढ़ा. समीर ने भी वो विषय वापस नहीं निकाला और रिशा ने भी उस विषय को वापस नहीं छेड़ा. लेकिन रिशा को उसके पती की परेशानी साफ़ साफ़ दिख रही थी. वो काफी चुप चाप रहता था और हमेशा उसके माथे पर सिलवटे रहती थी. इस परेशानी की वजह से समीर की नौकरी पर भी असर हो रहा था और उसे उसके ऑफिस ने भी काफी दिक्कते झेलनी पड़ रही थी. और इन सबके बीच परेशानियों का हल कही भी नजर नहीं आ रहा था. लेकिन एक दिन वो हुआ जिसका समीर को काफी दिन से डर था. उसने जिस गुंडे से पैसे लिए थे उसके आदमी एक दिन घर आ गए और उन्होंने समीर को थोड़ी सी मारपीट की. रिशा उनके सामने काफी गिडगिडायी लेकिन फिर भी उन लोगो पर कोई असर नहीं हुआ और समीर को थोड़ी चोट आ गयी. मारपीट तो ज्यादा नहीं थी लेकिन जो धमकी उन्होनो ने दी उसका रिशा पर ज्यादा असर हुआ. इस बार उन्होंने समीर को सीधी सीधी धमकी दी की अगर उसने एक महीने के अंदर पुरे पैसे वापस नहीं किये तो इससे भी बुरा होगा. ये कहकर वो सब समीर और रिशा को छोड़कर चले गए थे. रिशा समीर को उठाकर बेडरूम में लेकर आयी आर उसे बेड में लिटाया. फिर वो किचन में जाकर एक पट्टी लेकर आयी औत उससे उसने समीरको छोटे पोछ दी. समीर काफी सदमे में था और कुछ भी बोल नहीं पा रहा था. रिशा ने भी बिना कुछ बोले उसकी सफाई की और फिर उसे थोडी देर सोने दिया. लेकिन इस की वजह से रिशा के मन में जो भी संकोच और संशय था वो सब दूर हो गया. अब उसे पता था की उसे क्या करना है. अब उसके मन से सुशीलता और शालीनता की चादर उड़ गयी थी. समीर कफि देर तक सोया रहा और रिशा अपने काम में थी. लेकिन शाम को जब समीर को होश आया तो वो फुट फुट कर रिशा की बाहों में रोने लगा. “रिशा मुझे माफ़ कर दो. मै लालच में अंधा हो गया था. मेरी वजह से तुम्हे ये दिन देखना पडा.” वो थोड़ी देर और रोता रहा और रिशा उसे धीरज देती रही. थोड़ी देर बाद जान समीर शांत हुआ तो फिर रिशा ने वो विषय निकाला. “उस आदमी का नाम क्या है जो आपको ऑर्डर देने वाला है?” समीर ने चौंकी हुयी नजरो से अपनी बीवी की तरफ देखा. “रिशा क्या तुम वाही कह रही हो जो मैं सोच रहा हूं?” समीर को अपने कानो पर विश्वास नहीं हो रहा था. रिशा ने अपना हाथ समीर के हाथ में डाला और उसे सहलाया. “अगर आपकी और मेरी मुश्किलें इसी से खत्म होती है तो शायद यही सही रास्ता है.” समीर की अचभित होकर अपनी बीवी की आंखो में देख रहा था. “लेकिन रिशा ये सही रास्ता नहीं है. हम यहाँ से दूर चले जाते है. वापस मुंबई चले जाते है.” समीर ने अवेजित होकर कहा लेकिन उसे खुद भी पता था की ये कोई समाधान नहीं था. “समीर, जिन लोगो से आपने पैसे लिये है वो क्या आपको इतनी आसानी से छोड़ देंगे? वो आपको अगर आपके घर में घुसकर मार सकते हैं तो वो हमें मुंबई में भी ढूड सकते है. अगर हमारी परेशानी का हल ये है की मैं किसी गैर मर्द की बाहों में जाऊ तो यही सही. मैं आपको ऐसी परेशानी में नहीं देख सकती.” रिशा अब समीर की बगल में लेट गयी और उसने धीरे से अपने पती के पेट पर सहलाना शुरू किया. “लेकिन रिशा,ये मुझे अच्छा नहीं लग रहा.” समीर ने रिशा की बाहों को सहलाते हुए कहा.“देखिये अच्छा तो मुझे भी नहीं लग रहा लेकिन अब हमारे हालत ही ऐसे है तो शायद हमें ये करना चाहिये. अब आप ही तय कीजिये की क्या करना है लेकिन मेरी तरफ से मैं आपके लिये कुछ भी करने के लिए तैयार हूं. बाकी अब आपकी मर्जी.” रिशा बिस्तर से उठी और किचन में पानी पिने की लिये चली गयी. समीर फिर से सोचता रहा. आगे ४-५ दिन समीर ने काफी प्रयास किया की वो कहीं से कुछ पैसे जुटा के ताकि वो कुछ तो कर्जा उतार सके लेकिन कहीं से कुछ भी बंदोबस्त नहीं हुआ. आकिर में उसने रिशा से बात करने की सोची. उस रात जब समीर और रिशा खाना खाने के बाद बेडरूम में आये तो समीर ने बात छेडी. “रिशा मैंने काफी कुछ प्रयास कर लिया लेकिन कही से कुछ भी नहीं हो रहा. मुझे कम से कम अब तो कोई चारा नहीं दिख रहा.” उसने रिशा का हाथ अपने हाथो में लिया. इतना कहने के बाद उसने अपनी आंखे झुका ली और आगे कुछ भी नहीं बोला. लेकिन रिशा उसका मतलब समझ गयी. “मैंने तो पहले कह चुकी हूं आप जैसा चाहे मै करने के लिये तैयार हूं. अगर यही एक ही रास्ता है तो यही सही.” समीर ने अपनी बीवी की आंखो में देखा और फिर आगे बोलना शुरू किया. “जो आदमी हमें ऑर्डर देने वाला है उसका नाम सुशांत ठाकुर है . वो काफी बड़ा बिज्नेसमन है. अगर तुम चाहो तो उसने हमें उसके फार्म हाउस पर बुलाया है. इस वीक एंड पे होली है. तो उसने वहा एक पार्टी रखी है. और मुझे उसकी सेक्रेटरी का कल फोन आया था. उसने कहा है की वो मुझे एक आखरी मौका देना चाहता है. तो अगर मुझे शर्त मंजूर है तो हम वहां आ सकते है. अगर तुम तैयार हो तो मैं उसे हां कह दूं?“ रिशा ने अपनी हामी भर दी और फिर अपने पती से लिपट गयी.