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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
मैं मा की बात सुन कर बोला,"अगर मैं दीदी से प्यार करता हूँ तो क्या फरक
पड़ता है? विनोद ने तो पहले दिन ही दीदी को एक जानवर की तरह चोद डाला था.
मा, तुम नहीं जानती कि दीदी उस रात कितना रोई थी!! कितनी पीड़ा हुई थी
मेरी बेहन को!! मैं उसका भाई हूँ......उसको सुख देना चाहता हूँ....मा मैं
उसको प्यार करता हूँ और दीदी का अनुभव जो जीजा जी के साथ हुआ है दीदी पर
बहुत बुरा असर डाल चुका है...दीदी सभी मर्दों से नफ़रत करने लगी
है...सेक्स भी उसको अच्छा नहीं लगता...मैं दीदी को सही रास्ते पर ला सकता
हूँ" मा मेरे पास आई और बोली"बेटा मैं तेरी बात समझती हूँ. लेकिन ये समाज
नहीं समझेगा. तुम अपनी दीदी के पति तो नहीं बन सकते? सभी जानते हैं कि
तुम भाई बेहन हो!!" मा की बात ठीक थी लेकिन मेरी प्लान भी थी, मैं दीदी
का तलाक़ करवाने वाला था. इस गेम में हम जीजा जी को ब्लॅकमेल करने वाले
थे. मेरे पास जीजा जी की फोटोस थी. हम जीजा जी से बड़ी रकम हासिल कर
लेंगे और फिर हम तीनो इस शहर को छ्चोड़ देंगे. मैं और दीदी प्यार से
ज़िंदगी बसर करेंगे, मा मेरी बात सुन कर सोचने पर मज़बूर हो गयी. मा मेरे
गले लग गयी और बोली,"तुमने राधा से पूच्छ लिया है क्या? उसको पसंद है
तेरा प्लान?" "मा, दीदी को अभी तक सेक्स का मज़ा नहीं मिला...जब मिलेगा
तो दीदी खिल उठेगी....और दीदी की सेक्स की शुरुआत मैं करूँगा...एक
सुहावानी सेक्स की शुरुआत...मुझे तुम सहयोग देने का वादा करो....मुझे और
दीदी को अकेले छ्चोड़ दो...मुझे दीदी को सेक्स का सुखद अनुभव करने में
मदद करो,...राधा दीदी ज़रूर पट जाएगी, मा"

मा ने खुश हो कर मुझे होंठों पर किस कर लिया और जब मैने मा को वापिस किस
किया तो मेरी मा भी गरम हो उठी और अपनी चूत मेरे खड़े लंड पर रगड़ने लगी.
लेकिन मैने मा को अपने आप से अलग किया और दीदी के कमरे की तरफ बढ़ गया.
दीदी बिस्तर में थी लेकिन जाग रही थी. मैने उसको बाहों में भर कर ज़ोर से
होंठों पर किस किया और चुचि भी मसल डाली. अब नाटक करने का वक्त नहीं था.
अब मेरी प्यारी दीदी को पता चल जाना चाहिए था कि उसका भाई अब उसकी चूत का
दिवाना है और अपने जीजा जी जगह लेना चाहता है. दीदी को खूब चूमने के बाद
मैं उतेज़ित हो गया. दीदी नहाने चली गयी. जब वो बाहर निकली तो एक सफेद
नाइटी पहने हुई थी और नीचे कोई ब्रा या पॅंटी नहीं थी. "आज रात अपने भाई
के रूम में ही सोना, देखना कितना मज़ा आता है!!!" कह कर मैं अपनी अलमारी
से एक अडल्ट कहानी वाली बुक दीदी को देते हुए बोला,"इस किताब को पढ़
लेना. पता चलेगा कि प्यार क्या होता है और कैसे किया जाता है. रात को
विस्की ले कर आउन्गा...मम्मी से चोरी...हम थोड़ी सी पी लेंगे अगर मेरी
प्यारी दीदी चाहेगी तो...सच दीदी, बहुत सुंदर हो तुम....तेरा हुसन मेरे
दिल का क्या हाल बना रहा है, मुझ से पुछो!!!" दीदी शरम से लाल हो रही थी.
जो किताब मैने दीदी को दी थी वो राज शर्मा की कहानियो का एक भाई बेहन की
चुदाई का मस्त किस्सा था. अगर दीदी ने वो किताब पढ़ ली तो मेरे आने तक
उसकी चूत मचल रही होगी चुदने के लिए. बाहर जाते हुए मैने मा को सारा
प्लान बता दिया और वो शरारती ढंग से मुस्कुराने लगी.

रात जब मैं वापिस लौटा तो दीदी मेरा इंतज़ार कर रही थी जैसे कोई पत्नी
अपने पति का इंतज़ार करती हो. मुझ पर हवस का भूत सवार था. मैने दीदी को
बाहों में भर लिया और चूमने लगा. दीदी के जिस्म पर मेरे हाथों का स्पर्श
उस पर जादू कर रहा था. फिर मैने ग्लास में विस्की डाली और दीदी को ग्लास
पकड़ा दिया. दीदी बिना कुच्छ बोले पी गयी. थोड़ी देर में नशा होने की वजह
से दीदी के अंदर वासना ने ज़ोर पकड़ लिया लगता था. मैने अपना हाथ दीदी की
चूत पर रखा और उसको रगड़ने लगा."दीदी, मैं जानता हूँ की जीजा जी ने तुझे
प्यार नहीं किया. इस वक्त भी विनोद नीता के साथ चुदाई में व्यस्त है. तुम
अपने पति से उसकी बे वफाई का बदला नहीं लोगि? और दीदी मेरी किताब पढ़ी
आपने/ कैसी लगी? " दीदी मुस्कुराते हुए बोली ,"अच्छी थी लेकिन क्या भाई
अपनी बेहन के साथ ऐसा करते हैं?" मैं भी मुस्कुराता हुआ बोला"ज़रूर करते
हैं अगर बेहन आप जैसी सेक्सी हो और भाई मुझ जैसा प्यार करने वाला हो"


दूसरा पेग पी कर मैने दीदी को अपने आगोश में बिठाया और उसके जिस्म को
नाइटी के उप्पेर से सहलाने लगा. दीदी के मस्त चुट्टर बहुत गुदाज़ थे और
मेरा लंड उनके चूतर में घुसने लगा,"रॉकी मुझे तेरा....चुभ रहा
है....उई.....बस कर..." मैं आनी दीदी को लंड से प्यार करना सीखाना चाहता
था. 'दीदी, तुझे किताब वाली कहानी कैसी लगी...कहानी में भाई का
लंड,,,तुझे पसंद आया? कहानी में बेहन अपने भाई के लंड को कितना प्यार
करती है ना? तुम मेरे लंड को प्यार करोगी? इसको सहलायोगी? दीदी मैं भी
तेरे जिस्म को चुमुन्गा, चाटूँगा, इतने प्यार से जितने प्यार से विनोद ने
भीनही चूमा होगा" मैं अब राधा दीदी के जिस्म के हर अंग को प्यार से सहला
रहा था. और दीदी भी गरम हो रही थी."विनोद कुत्ते का नाम मत लो, मेरे भाई.
उसने मुझे इतना दर्द दिया है कि बता नहीं सकती. मुझे इस प्यार से भी दूर
लगने लगा है. रॉकी मुझे दर्द ना पहुँचना, मेरे भाई"

मैने देखा कि दीदी गरम है और अब उसको तैयार करने का वक्त आ गया है. मैने
दीदी की नाइटी उप्पेर उठाई और उसके जिस्म नंगा कर दिया. मेरी बहन का
गुलाबी जिस्म बहुत कातिलाना लगता था. राधा दीदी की जंघें केले की तरह
मुलायम थी और उसके नितंभ बहुत सेक्सी थे. सफेद ब्रा और पॅंटी में दीदी
बिल्कुल हेरोयिन लग रही थी. मैने अपना मुख दीदी के सीने पर रख कर उसकी
चुचि को किस करने लगा. दीदी ने आँखें बंद की हुई थी और वो सिसकियाँ भरने
लगी, मैने दीदी का हाथ अपने दहक रहे लंड पर रख दिया. दीदी अपना हाथ
खींचने लगी तो मैं बोला,"दीदी, इसको मत छ्चोड़ो. पकड़ लो अपने भाई के लंड
को. ये तुझे दर्द नहीं देगा, सुख देगा. जिसस तरह किताब में बेहन अपने भाई
की प्रेमिका बन कर मज़े लूटती है, उससी तरह तुम मेरी प्रेमिका बन जाओ और
फिर जवानी के मज़े लूट लो आज की रात. मेरा लंड अपनी बेहन की प्यारी चूत
को स्वर्ग के मज़े देगा. अगर मैने तुझे दर्द होने दिया तो कभी मुझ से बात
मत करना. मेरी रानी बहना ये लंड तुझे हमेशा खुश रखेगा!!" दीदी कुच्छ ना
बोली लेकिन उसने मेरा लंड पकड़े रखा. मेरा लंड किसी कबूतर की तर्रह फाड़
फाडा रहा था अपनी बेहन के हाथ में. मैने फिर दीदी की ब्रा को खोल दिया और
उसकी चुचि मस्ती से भर के मेरे हाथों में झूल उठी. दीदी के स्तन बहुत
मस्त हैं,"अहह....ऊऊहह...रॉकी क्या कर रहे हो?"वो सिसकी. "किओं दीदी,
अपने भाई का स्पर्श अच्छा नहीं लगा?"मैने दीदी के गुलाबी स्तन पर काली
निपल को रगड़ कर कहा.

"अच्छा लगा, रॉकी, लेकिन ऐसा पहले कभी महसूस ना हुआ है मुझे. ऐसा अनुभव
पहली बार हो रहा है!!!" मैने हैरानी से पूच्छ लिया,"किओं दीदी, क्या जीजा
जी एस नहीं करते थे तुझे प्यार?"अब मेरा दूसरा हाथ दीदी की फूली हुई चूत
सहला रहा था और दीदी अपनी चूत मेरे हाथ पर ज़ोर से रगड़ रही थी."तेरा
जीजा मदर्चोद तो बस मेरे मूह में डाल देता था अपना बदबू दार लंड और बाद
में मेरी चूत में धकेल देता था. मेरे भाई मैं दर्द से चीखती रहती थी और
वो मेरे उप्पेर सवार हो जाता था. लेकिन तू तो प्यार करता है मेरे
भाई...मुझे आनंद आ रहा है...तेरा लंड भी बहुत खुश्बुदार है...बहुत सुंदर
है..तेरा स्पर्श बहुत सेक्सी है..रॉकी यार तेरे हाथ मेरे अंदर एक मज़ेदार
आग भड़का रहे हैं...तेरी उंगलियाँ मेरी चूत में खलबली मचा रही
हैं....मेरी चूत से रस टपक रहा है...तेरा स्पर्श ही मुझे औरत होने का
एहसास करा रहा है...मैं तेरे अंदर समा जाना चाहती हूँ....चाहती हूँ कि तू
मेरे अंदर समा जाए....मेरे जिस्म का हर हिस्सा चूम लो मेरे भाई...मुझे
अपने जिस्म का हर हिस्सा चूम लेने दो!!!!!"

मैं जान गया था कि दीदी अब तैयार है. मैने एक पेग और बनाया और हम दोनो ने
पी लिया. मैं नहीं चाहता था कि दीदी अपना फ़ैसला बदल ले. आज मैं दीदी को
चोद कर सदा के लिया अपना बना लेना चाहता था. दीदी ने अपनी पॅंटी अपने आप
उतार डाली और मेरे लंड से खुलेआम खेलने लगी. एक हाथ दीदी अपनी चूत पर हाथ
फेर रही थी. मैने झुक कर दीदी के निपल्स चूसना शुरू कर दिया और दीदी मेरे
बालों में उंगलियाँ फेरने लगी. दीदी की चुचि कठोर हो चुकी थी और अब मैने
अपने होंठ नीचे सरकने शुरू कर दिए. जब मेरे होंठ दीदी की चूत के नज़दीक
गये तो वो उतेज्ना से चीख पड़ी," रॉकी, मेरे भाई...किओं पागल कर रहे हो
अपनी बेहन को? मुझे चोद डालो मेरे भाई...तेरी बेहन की चूत का प्यार मैने
तेरे लंड के लिया संभाल रखा है...डाल दो इसको मेरी चूत में!!!" मैं अपने
सारे कपड़े खोलते हुआ दीदी के उप्पेर चढ़ गया. दीदी का नंगा जिस्म मेरे
नीचे था और उसने बाँहे खोल कर मुझे आलिंगन में भर लिया. दीदी की चूत रो
रही थी, आँसू बहा रही थी. मैने प्यार से अपना सूपड़ा दीदी की चूत की
लंबाई पर रगड़ना शुरू कर दिया. हम भाई बेहन की कामुकता हद पार कर गयी और
दीदी ने बिनति की,"भैया, अब रहा नहीं जाता..घुसेड दो मेरी चूत में...होने
दो दर्द मुझे परवाह मत करो, पेलो मेरी चूत में अपना लंड!!"

लेकिन मैने अपना सूपड़ा चूत के मुख पर टिका कर हल्का धक्का मारा. चूत रस
के कारण सूपड़ा आसानी से घुस गया और दीदी तड़प उठी, जिस में दर्द कम और
मज़ा अधिक था"है भैया...मर गई...आआआः.....है...बहुत मज़ा दे रहे हो
तुम....और धकेल दो अंदर...पेलते रहो भैया...ऊऊहह..मेरी चूत प्यासी
है....आज पहली बार चुद रही है......बहुत प्यारे हो तुम मेरे
भाई.........डाल दो पूरा!!!!" मैने लंड धीरे धीरे आगे बढ़ाना शुरू कर
दिया. दीदी को तकलीफ़ नहीं देना चाहता था मैं. दीदी का मन जीजा जी की
ज़बरदस्ती से की गयी चुदाई से जो डर बन गया था उसको मज़े में बदल देना
चाहता था. चूत गीली होने से लंड ऐसे अंदर घुस गया जैसे माखन में च्छुरी.
राधा दीदी की चूत क्या थी बिल्कुल आग की भट्टी. मैं भी नशे में था. दीदी
के निपल्स चूस्ते हुए मैने पूरा लंड थेल दिया अंदर. दीदी की सिसकारियाँ
उँची आवाज़ में गूँज रही थी. मुझे शक था कि मा ना सुन ले. लेकिन मेरे मन
ने कहा,"अगर मा सुन लेती है तो सुन ले..उसकी बेटी पहली बार चुदाई के मज़े
लूट रही है...आख़िर मेरी दीदी को भी तो लंड का सुख चाहिए ही ना!!अगर उसका
पति नहीं दे सका तो भाई का फ़र्ज़ है उसको वो मज़ा देना!!"

फिर मैने धक्को की स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी. दीदी भी अपने चूतड़ उप्पेर
उठाने लग पड़ी. उसको लंड का मज़ा मिल रहा था. दीदी ने अपनी टाँगें मेरी
कमर पर कस दी और मुझ से पागलों की तरह लिपटने लगी. मेरा लंड तूफ़ानी गति
से चुदाई कर रहा था. दीदी के हाथ मेरे नितंभों पर कस चुके थे," दीदी कैसा
लगा ये चुदाई का मज़ा? मेरा लंड? तेरी चूत में दर्द तो नहीं हो रहा? मेरी
बहना तेरा भाई आज पहली बार चोद रहा है किसी लड़की को और वो भी अपनी सग़ी
बेहन को!!" दीदी नीचे से धक्के मारती हुई बोली,"रॉकी मुझे क्या पता था कि
चुदाई ऐसी होती है..इतनी मज़ेदार!!भाई मेरे अंदर कुच्छ हो रहा है...मेरी
चूत पानी छ्चोड़ने वाली है...मैं झड़ने को हूँ...ज़ोर से...और ज़ोर से
चोद मेरे भाई...उूउउफफफ्फ़...ज़ोर से भैय्ाआआ!!!" मैं भी तेज़ चुदाई कर
रहा था. मेरा लंड चूत की गहराई में जा कर चोद रहा था और मुझे भी झरने में
टाइम नहीं लगाने वाला था"फ़चा फ़च "की आवाज़ें आ रही थी. तभी मेरे लंड की
पिचकारी निकल पड़ी"आआआआहह.....डिदीईईई...मैं भी गया.....मैं गयाआअ" दीदी
की चूत से रस की धारा गिरने लगी और हम दोनो झार गये. हम इस बात से अंजान
थे कि दो आँखें हमारी चुदाई देख चुकी थी.


मा हम भाई बेहन को देख रही थी. लेकिन हम इस बात से अंजान थे. मैं राधा
दीदी के साथ लिपट कर सो गया. चुदाई इतनी ज़ोरदार थी कि मुझे पता ही नहीं
चला कि मैं कब तक सोता रहा. जब नींद खुली तो दोपहर के 12 बज चुके थे.
दीदी मेरे बिस्तर में नहीं थी. उठ कर कपड़े पहने और मैं नहाने चला गया.
पिच्छले दिन की शराब का नशा मुझे कुच्छ सोचने से रोक रहा था.. सिर भारी
था. नहा कर जब बाहर निकला तो मैं चुस्त महसूस करने लगा. दीदी के साथ
चुदाई की याद मुझे अभी भी उतेज़ित कर रही थी. रात के बाद दीदी क्या अपना
मन तो ना बदल लेगी? कहीं मा इस संबंध से नाराज़ तो ना होगी? ये सवाल मेरे
दिमाग़ में कौंध रहे थे.

जब में मा के रूम से गुज़र रहा था तो मुझे मा और दीदी की आवाज़ सुनाई
पड़ी," मा, रॉकी ने मुझे ज़िंदगी का असल आनंद दिया है कल रात. सच मा,
विनोद ने तो जितना दर्द दिया सब भुला दिया भाई ने!! चाहे दुनिया इस प्यार
को जो चाहे नाम दे, या पाप कहे लेकिन मेरे लिए रॉकी किसी भगवान से कम
नहीं है. मैं तो अपने भाई के साथ ये ज़िंदगी बिताने के लिए कुच्छ भी करने
को तैयार हूँ. कल तक लंड, चूत चुदाई जैसे शब्द मुझे गाली लगते थे, लेकिन
आज ये सब मेरी ज़िंदगी हैं!! मा तू तो मेरी मा है. तुझे तो मेरी खुशी की
प्रार्थना करनी चाहिए. अब तो तुझे भी मर्द का सुख ना मिलने पर दुख हो रहा
होगा. मा मुझे रॉकी से मिला दो, प्लीज़. हमारी शादी करवा दो!! भाई बेहन
को पति पत्नी बना दो, मा!!!!!!!!" मुझे खुशी थी कि राधा दीदी खुद मुझ से
शादी करने के लिए मा को मना रही थी. वाह!!बेहन हो तो ऐसी!!!

राधा दीदी और मा को अकेले छ्चोड़ कर मैं अपने रूम में चला गया. कपड़े
चेंज किए और घर से निकल गया. शाम को जब वापिस आया तो मा मुझे अजीब नज़रों
से देख रही थी. मा ने भी आज लो कट गले वाली कमीज़ और सलवार पहनी हुई थी.
मेरे सामने मा आटा गूंधने लगी. जब वो आगे झुकती तो उसकी चुचि लग भाग पूरी
झलक जाती मेरी नज़र के सामने. मेरा लंड खड़ा होने लगा. सोचा कि चलो दीदी
को कमरे में ले जा कर चोद्ता हूँ. तभी मा फिर से आगे झुकी और मेरी तरफ
देखने लगी. उसकी नज़र से नहीं छुपा था कि मैं मा की गोरी चुचियो को घूर
रहा हूँ. तभी उसकी नज़र मेरी पॅंट के सामने वाले उभार पर पड़ी. मेरी
प्यारी मा मुस्कुरा पड़ी. मा की मुस्कुराहट को देख कर मेरे मन में आया कि
उसको बाहों में भर लूँ और प्यार करूँ. "मा, राधा दीदी कहाँ है? दिखाई
नहीं पड़ रही कहीं भी!!"

"अब सारा प्यार अपनी राधा दीदी को ही देता रहेगा या मा को भी कुच्छ
हिस्सा देगा? बेटा, राधा तुझ से बहुत खुश है. लेकिन हम लोगों को प्लान
करना पड़ेगा. हम तीनो को किसी ना किसी चीज़ की ज़रूरत है. सब से बड़ी
चीज़ पैसा है. जो हम को विनोद से लेना है. जमाई राजा ने जमाई का काम तो
कुच्छ नहीं किया लेकिन उसको हम ब्लॅकमेल ज़रूर कर सकते हैं....नीता के
साथ संबंधों को लेकर...जब तक राधा का तलाक़ नहीं हो जाता तुझे भी समझदारी
से काम लेना होगा. मैने राधा को वकील से मिलने भेजा है. आज रात को आराम
से बैठ कर प्लान बनाएँगे. ठीक है ना? तुम ऐसा करो कि कुच्छ बियर वगेरा ले
आयो और हम मिल कर रात को बियर पी कर बात करेंगे" मेरे मन में मा के लिए
इतना प्यार आया कि मैने उसको बाहों में ले कर चूम लिया. मा की साँस भी
तेज़ हो गयी और उसके सीने का उठान उप्पेर नीचे होने लगा. मा का सीना मेरी
छाती से चिपक गया. मुझे वोही फीलिंग हो रही थी जो राधा दीदी को किस करते
हुए हो रही थी. मुझे लग रहा था कि मेरा प्यार मेरी बाहों में है. जब मैने
मा के मुख में अपनी ज़ुबान डाल दी तो मा उसको चूसने लगी. मुझे बहुत मज़ा
आ रह आता और मेरा लंड अब मा के पेट से टकरा रहा था. मैने अब हर हद पार
करते हुए मा का हाथ अपने तड़प्ते हुए लंड पर रख दिया. मा ने पहले तो मेरा
लंड थाम लिया लेकिन फिर अचानक पीच्छे खींच लिया,' नहीं रॉकी बेटा...नहीं
...ये ठीक नहीं है.....छ्चोड़ दो मुझे!!"
क्रमशः.......................
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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