29-01-2020, 01:33 PM
(This post was last modified: 28-04-2021, 09:26 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
उनकी सास , मेरी सास
मसाला भून गया था , वो कढाई उतारने में लग गए और मैं किचेन से बाहर चली आयी।
खाने की टेबल पर भी दोनों लोग चालू थे , मम्मी की छेड़छाड़ , खास तौर से उनके मायकेवालियों को लेकर।
उनकी समधन और मेरी छोटी ननद दोनों उनके निशाने पर थी।
और वो भी अब मम्मी की हाँ में हाँ मिला रहे थे थे , हंस के खुल के मेरी सास और और अपनी टीनेज ममेरी बहन के बारे में ऐसी ऐसी बातें कर रही थे की , ... बस।
और यही नहीं मम्मी ने अबकी उन्ही से अपनी समधन को फोन कराया , मेरी सास की ट्रेन बस एक घण्टे में थी , वो निकलने वाली ही थीं , लेकिन खूब लहक लहक के उन्होंने बातें की बल्कि तीन बार कहलवाया भी की तीरथ से लौट के बस अगले दिन ही वो हम लोगों के पास आएँगी ,
लेकिन जब उन्होंने पूछा की सब तैयारी हो गयी तो मम्मी ने उनके हाथ से फोन लेते हुए बोला ( आफ जोर्स स्पीकर फोन आन था )
" अरे इसका मतलब है की इसकी मातृभूमि साफ़ सूफ कर ली है न ,चिक्कन मुक्कन ,आपका लौंडा नम्बरी चूत चटोरा है। अभी से इसकी जीभ लपलपा रही है ,सोच सोच के टनटना रहा है। "
कहने की बात नहीं ,मम्मी ने उनके शार्ट से उनका खूँटा बाहर कर दिया था और जोर जोर से रगड़ मसल रही थीं।
लेकिन बजाय बुरा मानने के मेरी सास खिलखिला के हंसी , बोली ,
" एकदम तैयारी कर ली है , और इसके पास आउंगी तो एक बार फिर से ,... कर लूंगी। :"
" और इतनी पूजा मनौती करियेगा तो एक मेरी भी अर्जी लगा दीजियेगा , "
मम्मी ने गुजारिश की।
" एकदम बोलिये न आपकी इच्छा तो मेरी इच्छा से भी पहले पूरी होगी , एकदम अर्जी लगाउंगी। "
मेरी सास हंस के बोलीं।
" मेरा दामाद आपकी ओखली में धमाधम मूसल चलाये , दिन रात ,"
मम्मी ने आज एकदम खुल के बोल दिया।
वो बीर बहूटी हो गए ,लजा के लेकिन मम्मी ने एकझटके से ऐसे रगड़ा की चमड़ा हट के मोटा सुपाड़ा बाहर ,
और उनकी मम्मी के जवाब ने तो उनकी और हालत और खराब कर दी. हँसते हुए वो बोलीं ,
" फिर तो मेरी और आपकी अर्जी एक ही हुयी , जरूर पूरी होगी ,डबल जोर जो है।
बस दस दिन बाद मैं लौट के आ जाउंगी , आप तो आइयेगा ही न बस उसके अगले दिन आपके दामाद के पास। "
पीछे से मेरी जेठानी की बार बार आवाज आ रही जल्दी चलिए ट्रेन का टाइम होने वाला है।
मेरी सास फोन रखतीं उसके पहले मॉम से फोन ले के मैंने फोन पर ही अपने सास का पैर छुआ , बेस्ट आफ जर्नी बोला ,
और भी की चलती गाडी से कोई अंग बाहर नहीं निकालिएगा। "
पर मम्मी भी , पीछे से उन्होंने स्पीकर फोन पर ही टुकड़ा जोड़ा, अरे तू गाडी से अंग निकालने की बात कर रही है या साडी से।
मेरी सास जोर से खिलखलाने लगीं और बोलीं ,बहू तेरी कई मिनती हो तो बता दे , वो भी मान लूंगी ,जरूर पूरी होगी। "
मैं क्यों छोड़ती ये मौक़ा ,हंस के बोली ,
" बस वही जो मम्मी ने आप को बताया था और आप की भी है , बस आप दोनों की अर्जी में मेरी भी जोड़ दीजियेगा। "
लेकिन मेरी सास भी ,एकदम मेरी सास थीं अपनी समधन की परफेक्ट समधन , तुरंत हंस के बोलीं ,
" एकदम अब हम तीनों की अर्जी है तो जरूर पूरी होगी ,लेकिन एक बात ये जरूर है की तू अपने मरद की पक्की चमची है।
पर ये समझ ले साफ़ तेरी सास न सिर्फ तेरे मरद से बल्कि तुझसे भी पूरी सेवा करवाएगी।
मैं बहू बेटे में कोई फर्क नहीं करती। हर तरह का स्वाद लेती हूँ। '
पीछे से मेरी जेठानी ने फिर से देर होने का उलाहना दिया तो मैं उनको क्यों बख्शती , सासु जी से मैं बोली ,
" एकदम मम्मी आप आइये तो , हम दोनों आपकी सेवा के लिए बेताब हो रहे हैं। और वो आपकी बड़ी बहू जल्दी जल्दी कर रही हैं उनसे बोल दीजिये न हमने नेट से चेक कर लिया है ,गाडी पूरे ४२ मिनट लेट है। असली बात ये है की आपकी बड़ी बहू ने किसी यार को टाइम दे रखा है बस इसी लिए आप लोगों को भेजने की जल्दी है , और इसी लिए हम लोग परसों आ रहे है जिससे एक रात का मौका उनको और मिल जाए। और उसके बाद तो मैं उनके देवर को ला ही रही हूँ ,देवर भाभी अपनी पुरानी यादें ताजा कर लेंगे। "
सासु जी खिलखला के बोलीं ,
" देवरानी जेठानी के बीच में मैं नहीं पड़ती , और देवर भाभी के बीच तो एकदम नहीं। परसों तू दोनों आ ही रहे हो सलट लेना आपस में। अरे वो टैक्सी वाला हल्ला कर हां है ,इसलिए। निकलती हूँ , और तेरी अर्जी जरूर लगाउंगी ,पक्की पूरी होगी। "
और उन्होंने फोन रख दिया।
फिर तो मैंने और मम्मी ने मिल के उन्हें ऐसा चिढाया ,
…………….
मसाला भून गया था , वो कढाई उतारने में लग गए और मैं किचेन से बाहर चली आयी।
खाने की टेबल पर भी दोनों लोग चालू थे , मम्मी की छेड़छाड़ , खास तौर से उनके मायकेवालियों को लेकर।
उनकी समधन और मेरी छोटी ननद दोनों उनके निशाने पर थी।
और वो भी अब मम्मी की हाँ में हाँ मिला रहे थे थे , हंस के खुल के मेरी सास और और अपनी टीनेज ममेरी बहन के बारे में ऐसी ऐसी बातें कर रही थे की , ... बस।
और यही नहीं मम्मी ने अबकी उन्ही से अपनी समधन को फोन कराया , मेरी सास की ट्रेन बस एक घण्टे में थी , वो निकलने वाली ही थीं , लेकिन खूब लहक लहक के उन्होंने बातें की बल्कि तीन बार कहलवाया भी की तीरथ से लौट के बस अगले दिन ही वो हम लोगों के पास आएँगी ,
लेकिन जब उन्होंने पूछा की सब तैयारी हो गयी तो मम्मी ने उनके हाथ से फोन लेते हुए बोला ( आफ जोर्स स्पीकर फोन आन था )
" अरे इसका मतलब है की इसकी मातृभूमि साफ़ सूफ कर ली है न ,चिक्कन मुक्कन ,आपका लौंडा नम्बरी चूत चटोरा है। अभी से इसकी जीभ लपलपा रही है ,सोच सोच के टनटना रहा है। "
कहने की बात नहीं ,मम्मी ने उनके शार्ट से उनका खूँटा बाहर कर दिया था और जोर जोर से रगड़ मसल रही थीं।
लेकिन बजाय बुरा मानने के मेरी सास खिलखिला के हंसी , बोली ,
" एकदम तैयारी कर ली है , और इसके पास आउंगी तो एक बार फिर से ,... कर लूंगी। :"
" और इतनी पूजा मनौती करियेगा तो एक मेरी भी अर्जी लगा दीजियेगा , "
मम्मी ने गुजारिश की।
" एकदम बोलिये न आपकी इच्छा तो मेरी इच्छा से भी पहले पूरी होगी , एकदम अर्जी लगाउंगी। "
मेरी सास हंस के बोलीं।
" मेरा दामाद आपकी ओखली में धमाधम मूसल चलाये , दिन रात ,"
मम्मी ने आज एकदम खुल के बोल दिया।
वो बीर बहूटी हो गए ,लजा के लेकिन मम्मी ने एकझटके से ऐसे रगड़ा की चमड़ा हट के मोटा सुपाड़ा बाहर ,
और उनकी मम्मी के जवाब ने तो उनकी और हालत और खराब कर दी. हँसते हुए वो बोलीं ,
" फिर तो मेरी और आपकी अर्जी एक ही हुयी , जरूर पूरी होगी ,डबल जोर जो है।
बस दस दिन बाद मैं लौट के आ जाउंगी , आप तो आइयेगा ही न बस उसके अगले दिन आपके दामाद के पास। "
पीछे से मेरी जेठानी की बार बार आवाज आ रही जल्दी चलिए ट्रेन का टाइम होने वाला है।
मेरी सास फोन रखतीं उसके पहले मॉम से फोन ले के मैंने फोन पर ही अपने सास का पैर छुआ , बेस्ट आफ जर्नी बोला ,
और भी की चलती गाडी से कोई अंग बाहर नहीं निकालिएगा। "
पर मम्मी भी , पीछे से उन्होंने स्पीकर फोन पर ही टुकड़ा जोड़ा, अरे तू गाडी से अंग निकालने की बात कर रही है या साडी से।
मेरी सास जोर से खिलखलाने लगीं और बोलीं ,बहू तेरी कई मिनती हो तो बता दे , वो भी मान लूंगी ,जरूर पूरी होगी। "
मैं क्यों छोड़ती ये मौक़ा ,हंस के बोली ,
" बस वही जो मम्मी ने आप को बताया था और आप की भी है , बस आप दोनों की अर्जी में मेरी भी जोड़ दीजियेगा। "
लेकिन मेरी सास भी ,एकदम मेरी सास थीं अपनी समधन की परफेक्ट समधन , तुरंत हंस के बोलीं ,
" एकदम अब हम तीनों की अर्जी है तो जरूर पूरी होगी ,लेकिन एक बात ये जरूर है की तू अपने मरद की पक्की चमची है।
पर ये समझ ले साफ़ तेरी सास न सिर्फ तेरे मरद से बल्कि तुझसे भी पूरी सेवा करवाएगी।
मैं बहू बेटे में कोई फर्क नहीं करती। हर तरह का स्वाद लेती हूँ। '
पीछे से मेरी जेठानी ने फिर से देर होने का उलाहना दिया तो मैं उनको क्यों बख्शती , सासु जी से मैं बोली ,
" एकदम मम्मी आप आइये तो , हम दोनों आपकी सेवा के लिए बेताब हो रहे हैं। और वो आपकी बड़ी बहू जल्दी जल्दी कर रही हैं उनसे बोल दीजिये न हमने नेट से चेक कर लिया है ,गाडी पूरे ४२ मिनट लेट है। असली बात ये है की आपकी बड़ी बहू ने किसी यार को टाइम दे रखा है बस इसी लिए आप लोगों को भेजने की जल्दी है , और इसी लिए हम लोग परसों आ रहे है जिससे एक रात का मौका उनको और मिल जाए। और उसके बाद तो मैं उनके देवर को ला ही रही हूँ ,देवर भाभी अपनी पुरानी यादें ताजा कर लेंगे। "
सासु जी खिलखला के बोलीं ,
" देवरानी जेठानी के बीच में मैं नहीं पड़ती , और देवर भाभी के बीच तो एकदम नहीं। परसों तू दोनों आ ही रहे हो सलट लेना आपस में। अरे वो टैक्सी वाला हल्ला कर हां है ,इसलिए। निकलती हूँ , और तेरी अर्जी जरूर लगाउंगी ,पक्की पूरी होगी। "
और उन्होंने फोन रख दिया।
फिर तो मैंने और मम्मी ने मिल के उन्हें ऐसा चिढाया ,
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