29-01-2020, 01:13 PM
उसमें मैंने अपना बुर्खा उतार कर डाल दिया और नरगिस को फोन लगाकर मेरे बेटी का हाल पूछा। कि कहीं वह रो कर परेशान तो नहीं कर रही है, क्योंकि मैं अपनी बच्ची को नरगिस के पास छोड़ कर आई थी।
मुझे देख कर सुनीता भी बाथरूम में आ गई, और उसने भी बुर्खा उतार के बैग में डाल दिया। अंदर हम दोनों ने जींस टॉप पहना हुआ था और हमारा टॉप स्लीवलैस था, जिससे हमारे शरीर पूरा नजर आ रहा था।
जेसे हि हम टॉयलेट के बाहर निकले तो देखा उस्मान और सादिक भी बाहर कैंटीन पर खड़े हैं। वहाँ से वो हमे खींच कर प्रोजेक्टर रूम में ले गए, जहाँ उनका का दोस्त मकसूद था वह हमें देखकर उस्मान से बोला।
मकसूद – यह दोनों कौन है कोई नया माल पटाया क्या?
वो – हां यार।
फिर उन्होंने प्रोजेक्टर रूम का गेट लॉक कर दिया और हम दोनों को नंगा होने को कहा। फिर बाहर हॉल के साउंड में बेगम जान पिक्चर की सिसकारी भरी आवाज आ रही थी। जिससे मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपना टॉप उतार दिया, मैंने अंदर कोई ब्रा नहीं पहनी थी।
जैसे ही मैं नंगी हुई उस्मान मेरे बूब्स को दबाने लग गया, मैंने मकसूद की पेंट उतार उसका लंड हाथ में ले लिया। मैंने देखा की उसका लंड काफी लंबा था, फिर मैं उसको मुंह में लेकर चूसने लग गयी।
उसी तरह सुनीता भी सादिक का चूसने लग गयी, मैं नहीं चाहती थी कि सुनीता का कौमार्य शादी से पहले भंग हो। अब उस्मान का लंड मेरी चूत में था और मकसूद उसके बूब्स चूस रहा था।
कुछ समय बाद उन्होंने अपनी जगह बदल ली, और मकसूद मेरी चूत में धके मारने लग गया। मैंने देखा कि सादिक उसका लंड सुनीता की चूत में डालने वाला है, तभी मैंने उसका लंड पकड़ कर अपनी गांड पर लगा दिया।
देखते ही देखते मेरे तीन छेद भरा गए कुछ देर बाद उस्मान सुनीता पर चला गया। मैंने उसका लंड पकड़ लिया और उसे रोक दिया। इस तरह करते करते हैं सुनीता का मुख चोदन तो मैंने होने दिया पर उसकी चूत बचा कर मैंने उसका कौमार्य भंग नहीं होने दिया।
और मैंने उन तीनों का वीर्य में अपनी चूत में भरवा लिया। उन तीनों ने मिलकर हमारे बूब्स को पूरा लाल कर दिया था। इस तरह मैंने सुनीता का कौमार्य भंग होने से बचा लिया। फिर हम अपने कपड़े पहन कर वापस आ गए।
मुझे देख कर सुनीता भी बाथरूम में आ गई, और उसने भी बुर्खा उतार के बैग में डाल दिया। अंदर हम दोनों ने जींस टॉप पहना हुआ था और हमारा टॉप स्लीवलैस था, जिससे हमारे शरीर पूरा नजर आ रहा था।
जेसे हि हम टॉयलेट के बाहर निकले तो देखा उस्मान और सादिक भी बाहर कैंटीन पर खड़े हैं। वहाँ से वो हमे खींच कर प्रोजेक्टर रूम में ले गए, जहाँ उनका का दोस्त मकसूद था वह हमें देखकर उस्मान से बोला।
मकसूद – यह दोनों कौन है कोई नया माल पटाया क्या?
वो – हां यार।
फिर उन्होंने प्रोजेक्टर रूम का गेट लॉक कर दिया और हम दोनों को नंगा होने को कहा। फिर बाहर हॉल के साउंड में बेगम जान पिक्चर की सिसकारी भरी आवाज आ रही थी। जिससे मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपना टॉप उतार दिया, मैंने अंदर कोई ब्रा नहीं पहनी थी।
जैसे ही मैं नंगी हुई उस्मान मेरे बूब्स को दबाने लग गया, मैंने मकसूद की पेंट उतार उसका लंड हाथ में ले लिया। मैंने देखा की उसका लंड काफी लंबा था, फिर मैं उसको मुंह में लेकर चूसने लग गयी।
उसी तरह सुनीता भी सादिक का चूसने लग गयी, मैं नहीं चाहती थी कि सुनीता का कौमार्य शादी से पहले भंग हो। अब उस्मान का लंड मेरी चूत में था और मकसूद उसके बूब्स चूस रहा था।
कुछ समय बाद उन्होंने अपनी जगह बदल ली, और मकसूद मेरी चूत में धके मारने लग गया। मैंने देखा कि सादिक उसका लंड सुनीता की चूत में डालने वाला है, तभी मैंने उसका लंड पकड़ कर अपनी गांड पर लगा दिया।
देखते ही देखते मेरे तीन छेद भरा गए कुछ देर बाद उस्मान सुनीता पर चला गया। मैंने उसका लंड पकड़ लिया और उसे रोक दिया। इस तरह करते करते हैं सुनीता का मुख चोदन तो मैंने होने दिया पर उसकी चूत बचा कर मैंने उसका कौमार्य भंग नहीं होने दिया।
और मैंने उन तीनों का वीर्य में अपनी चूत में भरवा लिया। उन तीनों ने मिलकर हमारे बूब्स को पूरा लाल कर दिया था। इस तरह मैंने सुनीता का कौमार्य भंग होने से बचा लिया। फिर हम अपने कपड़े पहन कर वापस आ गए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
