29-01-2020, 01:05 PM
हमने सोचकर हां कह दिया, अब उन्होंने स्वरूप को घोड़े की तरह बैठा दिया, और मुझे उसके बगल में खड़ा कर दिया। फिर दोनों ने अपना लम्बा मोटा लंड बाहर निकला। उनके लंड देख के मैं तो डर ही गयी थी।
पर स्वरुप की हालत कयदा ख़राब थी, क्योकि उसे ये लंड लेने थे। अब एक आदमी मेरे बदन को सेहला रहा था, और दूसरा अपना लुंड स्वरुप के मुँह के आगे कर रहा था। स्वरुप फिर थोड़ी देर सोचकर गप से लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लग गया।
वो आदमी सामने से मेरे चुचे सेहला रहा था, और दूसरा पीछे से मेरा बदन को सहला रहा था। फिर वो आदमी मेरे पीछे से हटा और जा कर स्वरूप की गांड में अपना लंड पेलने लग गया। वो दर्द से छटपटाने लग गया, लेकिन वो चिल्ला नहीं पाया, क्योकि उसके मुँह में भी लंड था।
उस आदमी का लंड अभी आधा ही घुसा था, फिर उसने लंड को बहार निकाल कर उस पर अपना थूक थोड़ा माला। और वापस पूरा जोर लगा कर अंदर डालने लग गया। लुंड चीरते हुए जड़ तक जा घुसा। स्वरुप की हालत ख़राब हो गयी, उसकी आँखों से आंसू आने लगे।
और वो घु घु करके के कराह रहा था। करीब दो मिनट तक उसने स्वरुप की गांड पिलाई करने के बाद, फिर सामने वाले आदमी ने उसकी जगह ली। और ये स्वरुप के मुँह में अपना लंड चूसाने आगे चला गया।
वो लोग चोद तो स्वरुप को रहे थे, पर खेल मेरे बदन से रहे थे। कभी वो मेरी चूत को सहलाते तो कभी मेरे स्तन को। अब उस आदमी ने स्वरुप के मुँह में अपना वीर्य निकाल दिया, और उसका वो ५०% निगल गया।
इधर दूसरे इंसान ने स्वरुप के गांड को गरमा गर्म वीर्य से भर दिया था। उसकी गांड से उसका पानी बाहर बह रहा था। स्वरुप थक हार कर लेट गया, उसके मुँह और गांड से वीर्य बह रहा था।
पर स्वरुप की हालत कयदा ख़राब थी, क्योकि उसे ये लंड लेने थे। अब एक आदमी मेरे बदन को सेहला रहा था, और दूसरा अपना लुंड स्वरुप के मुँह के आगे कर रहा था। स्वरुप फिर थोड़ी देर सोचकर गप से लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लग गया।
वो आदमी सामने से मेरे चुचे सेहला रहा था, और दूसरा पीछे से मेरा बदन को सहला रहा था। फिर वो आदमी मेरे पीछे से हटा और जा कर स्वरूप की गांड में अपना लंड पेलने लग गया। वो दर्द से छटपटाने लग गया, लेकिन वो चिल्ला नहीं पाया, क्योकि उसके मुँह में भी लंड था।
उस आदमी का लंड अभी आधा ही घुसा था, फिर उसने लंड को बहार निकाल कर उस पर अपना थूक थोड़ा माला। और वापस पूरा जोर लगा कर अंदर डालने लग गया। लुंड चीरते हुए जड़ तक जा घुसा। स्वरुप की हालत ख़राब हो गयी, उसकी आँखों से आंसू आने लगे।
और वो घु घु करके के कराह रहा था। करीब दो मिनट तक उसने स्वरुप की गांड पिलाई करने के बाद, फिर सामने वाले आदमी ने उसकी जगह ली। और ये स्वरुप के मुँह में अपना लंड चूसाने आगे चला गया।
वो लोग चोद तो स्वरुप को रहे थे, पर खेल मेरे बदन से रहे थे। कभी वो मेरी चूत को सहलाते तो कभी मेरे स्तन को। अब उस आदमी ने स्वरुप के मुँह में अपना वीर्य निकाल दिया, और उसका वो ५०% निगल गया।
इधर दूसरे इंसान ने स्वरुप के गांड को गरमा गर्म वीर्य से भर दिया था। उसकी गांड से उसका पानी बाहर बह रहा था। स्वरुप थक हार कर लेट गया, उसके मुँह और गांड से वीर्य बह रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
