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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
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खैर जब रिया मुझसे चुद ही चुकी है, तो फिर हस्तमैथुन की क्या जरूरत थी। एक दोपहर जब मम्मी जी अपने कमरे में जाकर सो गई थी। तो मै दीदी के कमरे में चला गया, पापा ऑफ़िस गए हुए थे।

दीदी और मेरे कॉलेज में छुट्टी थी, मैं जैसे ही कमरे में घुसा तो दीदी बेड पर एक मैगजीन लिए लेटी हुई थी। वो मुझे देख कर बोली।

दीदी – क्या दीपक इधर कहाँ?

मैं मुस्कुराते हुए बोला – कुछ नहीं दीदी।

फिर मैं उनके पैर के पास बैठकर उनको देखने लगा, तो वो मुस्कुराई, लेकिन मेरी नजर तो उनके टॉप्स के गोलाई पर थी। मैं उनकी चूची को घूरता हुआ, उनके पैर को सहलाने लगा और धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगा।

मेरे हथेली कि रगड़ से दीदी का चेहरा लाल हो रहा था, और वो अपने होंठो पर अपने दाँत गडा रही थी। उसके स्कर्ट के द्वार के करीब मेरा हाथ था, कि तभी रिया हड़बड़ा कर उठी और मेरा हाथ थाम कर बोली।

दीदी – नहीं दीपक अभी प्लीज़ रहने दो फिर कभी।

लेकिन मैंने उनकी बातों को अनसुनी करते हुए, फिर से अपना हाथ उनकी जांघ पर रख दिया। और जांघ को सहलाते हुए उसकी चूची को जोर से मसल दिया और वो बोली।

दीदी – आह आउच इतने जोर से मत दबायो।

अब मेरा हाथ उनकी जांघ के उपरी हिस्से में पहुंच चुका था, रिया फिर से बेड पर लेट गई। तो मैंने उसके जांघ को रगड़ते हुए अब उसकी कमर के पास बैठा और जोर जोर से स्तन मसलने लगा।

रिया अब मेरे काबू में आ चुकी थी, लेकिन दिन का वक़्त था। इसलिए चोरी पकड़ी ना जाए, सो कमरे का दरवाजा खुला ही रखा था।

लेकिन मेरा ध्यान उधर ही था, पल भर बाद मेरा लंड बरमूडा में टाईट हो गया। और मेरा हाथ बुर को पेंटी पर से ही रगड़ रहा था।

दीदी – आह ओह ऊं दीपक मेरी जान निकाल दोगे क्या?

अब मै उसकी स्कर्ट को कमर तक करके उसकी पैंटी की डोरी को खोलने लगा। और फिर मैंने उसकी बुर को नंगा कर दिया।

वो थोड़ा डर रही थी, लेकिन मै उसकी दोनों जांघों को दो दिशा में खोल कर उसकी बुर को निहारने लग गया। फिर एक तकिया उसकी गान्ड के नीचे लगा दिया।

अब मैंने अपना चेहरा जांघों के बीच कर दिया, और मैं उसकी बुर को चूमने और चाटने लग गया। चिकनी चूत पर होंठ को लगाकर प्यार करने का आनंद ही अलग आ रहा था।

लेकिन उसकी बुर से प्राकृतिक खुस्बू आ रही थी, अब मैंने उसकी दोनों फांको को अलग किया और बुर के छेद में जीभ डाल कर उसकी बुर चाटने लग गया।

रिया मेरे बाल को कसकर पकड़ रही थी और और वो बोल रही थी।

दीदी – उह आह दीपक इतनी गुदगुदी बुर में दिन में ही चोदोगे क्या मुझे आज?

उनकी चूत को मैं जींभ से एक कुत्ते की तरह कुरेद रहा था, और वो सिसक रही थी। अब मेरा लंड बरमूडा से निकलने को आतुर था।

तभी मैंने रिया की बुर को मुंह में लेकर पल भर तक चुभलाया, और उसके कमर को थामकर मैं उसकी बुर को चूसता रहा। मुझे काफी मजा आ रहा था, तभी उस रण्डी ने मेरे चेहरे को पीछे की ओर धकेला और अपनी बुर को मुझसे स्वतंत्र कर लिया।

रिया की बुर चमक रही थी और वो अब मुझे बेड पर लिटा कर, मेरा बरमूडा खोलने लग गयी। फिर वो उठकर अपने कमरे का दरवाजा लगा कर आई। मेरे लंड को थामकर वो झुकी और मेरे लंड पर चुम्बन देने लगी।

मेरे लंड का गरम चमड़ा खींच कर, वो अपने होंठो से लंड को चूम रही थी।

मेरा हाथ दीदी की चूची को दबाने लग गए ऐसा लग रहा था, मानो कोई दूध से भरी थैली हो। वो अब मेरे लंड का सुपाड़ा अपने नाक से लगाकर सुघ्ने लगी, तो मै जोर जोर से स्तन दबाने लग गया।

दीदी की मुख से आह ओह उह ऊं शब्द निकल रहे थे।

तो वो अपना मुंह खोलकर पूरा लंड अंदर घुसा लेती। अब मुंह को बंद करके लंड चूसने लग गयी। लेकिन उसका सर स्थिर था और मै उसकी चूची को दबाता हुआ बोला।

मैं – आह बहुत मजा आ रहा है, जानू अब मुंह का झटका तो दे दो।

और रिया की नज़र मुझसे लड़ी ,मानो वो काम की मूर्ति हो। तभी वो अपने मुंह का झटका मेरे लंड पर देने लगी, मेरा लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। किसी लोहे कि सलाख की तरह, उसके गरम मुंह में पड़ा था।

कुछ देर बाद रिया मेरे लंड को मुंह से निकालती और उस पर अपनी लम्बी जीभ फेरने लग जाती।

वो मेरे लंड को बिल्कुल आईसक्रीम की तरह चाट रही थी, फिर वो दुबारा मेरे लंड को मुंह में ले कर और मुखमैथुन करने लगी। तो मेरा हाल खराब होने लग गया था।

मैं – अब बस भी करो रण्डी मेरे लंड का माल पीकर ही दम लेगी क्या?

लेकिन रिया कुछ देर तक चूसती रही, और फिर में वाशरूम भागा और पिसाब्ब करके वापस आया। तो मैंने देखा रिया बेड पर बैठी हुई थी।

अब उसने मुझे बेड पर धकेल दिया, तो अब मैं बेड पर लेटा हुआ था। रिया अब मेरे मुंह के ऊपर अपने चूत्तर रख कर मुझे बुर चाटने का न्योता दिया।

उसके दोनों पैर दो दिशा में थे, तो मेरे मुंह से २-३ इंच की दूरी पर उसकी बुर थी। तभी मै उसकी कमर को थामा सिर को ऊपर कि ओर किया, और बुर चूमने लग गया।

लेकिन रिया अपनी उंगली की मदद से बुर को फैला रही थी, और मेरी जीभ उसकी चूत चाटने लग गया। ये मेरे लिये एक अनोखा आनंद था।

जब मेरे मुंह के ऊपर दीदी चुतर को करके बुर चटवा रही थी, मेरा जीभ उसकी बुर को लपालप चोद रही थी।

दीदी – आह ओह हाई रे बुर चाट मेरी।

और मै जीभ से दीदी की चूत को चोदता चूसता रहा, फिर कुछ पल बाद दीदी चिंख पड़ी।

दीदी – ओह अब चूस ना साले मुंह में लेकर पानी पीने को मिलेगा तुझे।

और मै उसकी चूत के गद्देदार फांक को मुंह में लिया, और फिर बुर का पानी मुंह में आने लग गया। दीदी की चूत का पानी काफी स्वादिष्ट था। मेरा लंड अब मूसल लंड हो चुका था, लेकिन रिया के अनुसार चुदाई नहीं करनी थी।

इसलिए मैंने दीदी को बेड पर सुलाया और उसके स्तन को पकड़कर मुंह में भर लिया। मैं दीदी की चूची को चूसता हुआ, उनका दूसरा स्तन मसल रहा था। और वो अपने छाती से मुझे लगाकर, मुझे अपना दूध पीला रही थी।

दीदी – उह आह ओह अब बुर चोदो.

ये सुनकर मै दुसरी चूची को चूसा और फिर दीदी को कुतिया की तरह बिस्तर पर कर दिया।

मैं रिया की गांड़ के सामने लंड पकड़ बैठा था, और फिर लंड का सुपाड़ा बुर में पेल कर कमर पकड़ कर मै घुटने के बल बैठ गया। और रिया की टाईट चूत में मेरा २/३ लंड घुसने के बाद ऐसा लग रहा था मानो लंड अंदर फस गया।

तो मैंने थोड़ा सा लंड बाहर खींचा और और जोर का धक्का उस मादरचोद रण्डी की बुर में दे दिया। तो अब मेरा पूरा लंड बुर के अंदर था, और मै तेज गति से दीदी कि बुर चोद रहा था। मेरा शेर बुर में दौड़ लगा रहा था।

अब मै दीदी की रसीली चूत को चोदकर झूमने लग गया। रिया अब पीछे मुड़कर देख कर मुझे आंख मारी, तो मै उसकी बुर को पूरी ताकत और गति से चोदने लग गया।

अब धीरे धीरे उसकी रसीली चूत गरम होने लगी, और वो बोली।

दीदी – आह ऊं उह दीपक बहुत मजा आ रहा है चोदते रहो।

और मै उसके सीने से लगे स्तन को दबाता हुआ मजा ले रहा था।

७-८ मिनट से रिया की बुर को चोद रहा था और फिर कुछ देर बाद में मेरा माल झड़ने की ओर था। तो चुदाई की गति को तेज कर दिया, और रिया अपने कमर केको स्प्रिंग की तरह आगे पीछे करने लगी।

वो चुदाई के मजे को डबल कर रही थी और बोली।

दीदी – वाह दीपक तुम तो अब चोदने मे एक्स्पर्ट को चुके हो। मेरी बुर में अब लहर आ रही है, तुम अब अपना माल झाड़ दो।

मैं – जरूर मेरी रानी तेरी बुर चोद चोद कर तो मेरा लंड काफी मोटा होने लगा है।

मै अब चुदाई के अंतिम पड़ाव पर था और रिया भी गान्ड हिला हिला कर झूम रही थी। अब मेरे लंड से वीर्य गिरना शुरू हुआ।

मैं – आह उह ये लो बे रण्डी अपनी बुर को वीर्य पीला।

मेरे लंड से वीर्य की तेज धार रिया की बुर में निकलने लग गयी। अब बुर से बाहर भी रस आने लग गया। मै लंड को बुर से बाहर निकाला, तो रिया अपने मुंह में मेरा लंड लेकर चूसने लगी और वीर्य का स्वाद चखने लग गयी।

दोनों अब बारी बारी से वाशरूम गए और अपने गुप्तांग को साफ करके वापस कमरे में आए। फिर मै अपना बरमूडा और गंजी पहना और दीदी अपने टॉप्स और स्कर्ट को पहन ली।

फिर मै उसके कमरे से बाहर निकल गया।




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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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