28-01-2020, 10:23 PM
मस्तराम
तबतक रेनू का बैग गिर गया इसी धींगामुश्ती में , और उस की किताबे
वो वापस रखने लगी , मैं उठा के देखने लगी , सब कोर्स की , मैंने जोर से उसके पीठ पे एक मुक्का मारा
" क्या यार , सब किताबें कोर्स की , ...एक भी इंटरकोर्स की नहीं। "
अब की तीनों हंसी बहुत जोर से , और रेनू बोली
" भाभी , वो तो आप की जिम्मेदारी है। दे दीजिये न "
बस मैंने बिस्तर के नीचे से मस्तराम की किताबों का पूरा गट्ठर निकाला , मेरे ननद के भाई का खजाना ,...
और एक रेनू को पकड़ाते बोली
" पढ़ा तो होगा इसे ,... "
रेनू एकदम खुश होगयी और मेरे हाथ से छीन लिया , और लीला की ओर ओर इशारा कर के बोली ,
" ये स्साली , कमीनी लीला , रोज अपने भइया से मरवाती रहती है , एक दिन लायी थी बस दिखा के ले गयी , बोली भैया ने दी थी और छीन लिया "
" मैं क्या करती , उन्होंने ही बोला था शाम को वापस कर देना , जहाँ से वो लाये थे उसे वापस करना था "
लीला मुस्कराते बोली।
"अरे यार झगड़ो मत , बस यहाँ आया करो , तुम तीनो के लिए तीन , ... अरे अब उमर इंटरकोर्स वाली हो गयी तो किताबें भी , ... सिर्फ लड़कों के लिए थोड़ी होती हैं , ... "
मैं समझाते बोली और दो और किताबें मस्तराम की निकाल दी ,
लेकिन तब तक नीचे से जेठानी की आवाज आयी ,
" चाय तैयार हो गयी है "
और वो तीनों बल्कि हम चारों धड़धड़ाते सीढ़ी से नीचे।
…..
बात ये थी की जब तीनो तितलियाँ आयीं तो जेठानी जी कुछ पड़ोसिनों के साथ गप्प गोष्ठी में व्यस्त थीं और उन्होंने इन तीनो बालिकाओं को इशारा किया की ऊपर मेरे पास चली जाएँ।
चाय के साथ ननद भौजाई की छेड़खानी वाली बातें भी चलती रही , अचानक लीला ने घडी देखा और तीनों चौक गयीं ,
साढ़े पांच , ...
लेकिन बैग तो तीनों के ऊपर ही रह गए थे ,
रेनू बोली , मैं ले आती हूँ और उस के साथ मैं भी वापस अपने कमरे में ,
रस्ते में ही , सीढ़ी पर मैंने अपनी ननद , रेनू रानी से उगलवा लिया ,
जब नथ उतरने से रह गयी , ...
ये बात सही थी की छत पर कोई आ गया था ,
लेकिन ये लोग छत के दूसरी तरफ थीं , छत पर पूरा अँधेरा था और बीच में काफी सामान भी रखा था।
रेनू ने बोला , भाभी आहट होते ही , ...
मैंने वो बेचारी जो बात नहीं कहना चाहती थी , बोल दी।
' ये बोल , उसका ढीला पड़ गया , यही न। '
तबतक रेनू का बैग गिर गया इसी धींगामुश्ती में , और उस की किताबे
वो वापस रखने लगी , मैं उठा के देखने लगी , सब कोर्स की , मैंने जोर से उसके पीठ पे एक मुक्का मारा
" क्या यार , सब किताबें कोर्स की , ...एक भी इंटरकोर्स की नहीं। "
अब की तीनों हंसी बहुत जोर से , और रेनू बोली
" भाभी , वो तो आप की जिम्मेदारी है। दे दीजिये न "
बस मैंने बिस्तर के नीचे से मस्तराम की किताबों का पूरा गट्ठर निकाला , मेरे ननद के भाई का खजाना ,...
और एक रेनू को पकड़ाते बोली
" पढ़ा तो होगा इसे ,... "
रेनू एकदम खुश होगयी और मेरे हाथ से छीन लिया , और लीला की ओर ओर इशारा कर के बोली ,
" ये स्साली , कमीनी लीला , रोज अपने भइया से मरवाती रहती है , एक दिन लायी थी बस दिखा के ले गयी , बोली भैया ने दी थी और छीन लिया "
" मैं क्या करती , उन्होंने ही बोला था शाम को वापस कर देना , जहाँ से वो लाये थे उसे वापस करना था "
लीला मुस्कराते बोली।
"अरे यार झगड़ो मत , बस यहाँ आया करो , तुम तीनो के लिए तीन , ... अरे अब उमर इंटरकोर्स वाली हो गयी तो किताबें भी , ... सिर्फ लड़कों के लिए थोड़ी होती हैं , ... "
मैं समझाते बोली और दो और किताबें मस्तराम की निकाल दी ,
लेकिन तब तक नीचे से जेठानी की आवाज आयी ,
" चाय तैयार हो गयी है "
और वो तीनों बल्कि हम चारों धड़धड़ाते सीढ़ी से नीचे।
…..
बात ये थी की जब तीनो तितलियाँ आयीं तो जेठानी जी कुछ पड़ोसिनों के साथ गप्प गोष्ठी में व्यस्त थीं और उन्होंने इन तीनो बालिकाओं को इशारा किया की ऊपर मेरे पास चली जाएँ।
चाय के साथ ननद भौजाई की छेड़खानी वाली बातें भी चलती रही , अचानक लीला ने घडी देखा और तीनों चौक गयीं ,
साढ़े पांच , ...
लेकिन बैग तो तीनों के ऊपर ही रह गए थे ,
रेनू बोली , मैं ले आती हूँ और उस के साथ मैं भी वापस अपने कमरे में ,
रस्ते में ही , सीढ़ी पर मैंने अपनी ननद , रेनू रानी से उगलवा लिया ,
जब नथ उतरने से रह गयी , ...
ये बात सही थी की छत पर कोई आ गया था ,
लेकिन ये लोग छत के दूसरी तरफ थीं , छत पर पूरा अँधेरा था और बीच में काफी सामान भी रखा था।
रेनू ने बोला , भाभी आहट होते ही , ...
मैंने वो बेचारी जो बात नहीं कहना चाहती थी , बोल दी।
' ये बोल , उसका ढीला पड़ गया , यही न। '