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Adultery मेहमान बेईमान
“दिखा दे ना एक बार मेरा निकल जाएगा” मुकेश ने फिर से मेरे पैरो मे गिरते हुए कहा.

मैं अजीब इस्थिति मे फँस गयी थी की क्या करू क्या ना करू कुछ भी समझ मे नही आ रहा था एक तरफ बाहर मनीष खड़े हुए थे और दूसरी तरफ ये मुकेश मेरे पीछे पड़ा हुआ था. पर उसका यूँ मेरे पैरो मे गिड़गिदते हुए भीक माँगना मुझे बोहोत अच्छा लग रहा था. अभी मैं उसकी तरफ गौर करती इस से पहले ही मनीष की आवाज़ मेरे कानो मे आई वो नीचे जा रहे थे इस बात को सुन कर मेरे दिल ने राहत की साँस ली पर उनके जाने का जो फ़ायदा हुआ उसके बदले छत पर और लोग आ गये. मैं तो यहाँ इस छत पर आ कर बुरी तरह से फँस गयी थी.

छत से जब मैने अपना ध्यान हटाया तो इधर मुकेश लगातार मेरे पैरो मे गिर कर मुझसे एक बार दिखा देने की भीख माँग रहा था. उसको यूँ गिड-गिडता हुआ देख कर मेरे मन मे उसके लिए दया आ गयी. और मैने उस से कहा “अच्छा ठीक है मैं तुम्हारा अपने हाथो से हिला देती हू ताकि तुम्हारा पानी निकल जाए और तुम आसानी से झाड़ जाओ” मेरी बात सुन कर वो ख़ुसी से पागल हो गया.
वो जल्दी से मेरे पैरो से उठ कर खड़ा हो गया और मैं उसके पास ही खड़े हो कर उसका लॉडा हाथ मे पकड़ लिया हिलाने के लिए. पर जैसे ही उसका लंड मैने अपने हाथ मे लिया मेरे पूरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ गयी. मेरी योनि बुरी तरह से गीली होना शुरू हो गयी. मुकेश के लंड को हाथ मे पकड़ कर मैने सोचा अगर मैं इस से थोड़ी गंदी बाते करू तो इसको जल्दी पानी निकल जाएगा.
मैने उसके लंड को पकड़ कर उसकी खाल को जैसे ही पीछे किया उसके लंड का सूपड़ा निकल आया “अरे वाह मुकेश तुम्हारे लंड का सूपड़ा तो बोहोत चिकना और एक दम लाल रखा हुआ है इस उमर मे भी तुम्हारा लंड एक दम लोहे की रोड की जैसे सख़्त हो जाता है कैसे क्या करते हो तुम और ये तुम्हारा लंड इतना बड़ा कैसे हो गया.” मैं मुकेश का लंड हिलाते हुए उस से इस तरह की बात करना शुरू कर दिया ताकि उसका पानी जल्दी से निकल जाए और वो झाड़ कर शांत हो जाए और मैं वापस आराम से नीचे जा सकु.
मुकेश मेरी बात सुन कर मुस्कुरा देता है और कहता है “अरे अब क्या बताऊ बस बचपन से ही मेरा ऐसा है”
“वैसे मुकेश अब तक कितनी चूत और गांद चोद चुका है तुम्हारा ये मोटा घोड़े जैसा लंड?” मैं भी अब खुल कर उसके साथ चूत लंड गांद बोल रही थी.
“कितनी चूते चोदि है ये तो नही पता पर तुम्हारी एक बार चूत मिल जाए तो मैं जिंदगी भर तुम्हारी गुलामी करता रहुगा. तुम्हारी गांद देख कर तो ऐसा लगता है कि बस सीधा लंड पकड़ कर तुम्हारी गांद मे पेल दू.” कह कर उसने फिर अपनी गंदी सी हँसी हंस दी पर अब मुझे उसकी हँसी गंदी नही लग रही थी. क्यूकी वो मेरी इतनी तारीफ करता जा रहा था. हर औरत की इच्छा होती है कि कोई हो जो उसके हर अंग की तारीफ करे की वो कैसी दिखती है जब वो चलती है तो उसकी बाल खाती हुई लचक मारती हुई कमर लोगो की नींद उड़ा देती है. उसके गांद के दोनो गुंबद जैसे तरबूज जब किसी तराजू की तरह उपर नीचे को होते है तो अच्छे अच्छे आदमियो के ईमान डोल जाते है. छाती के दोनो मस्त गोल उभारो को देख कर तो ऐसा लगता है की बस अभी खोल कर इन्पे अपना मुँह लगा लू और दोनो हाथो से कस कर रगड़ दू. हर औरत ये सब सुनने को बेकार होती है पर होती तो एक औरत ही है इसलिए अपने मन की बात को मन मे रखती है. पर मुकेश और पीनू दोनो ने मेरे पूरे शरीर की इतनी तारीफ की थी कि मैं अपने आप ही बहक गयी. जो तारीफ मैं मनीष के मुँह से अपने लिए सुनना चाहती थी वो आज यहाँ इस कोठरी मे इस बुढहे मुकेश के मुँह से सुनने को मिल रही थी.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 28-01-2020, 10:14 PM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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