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Adultery मेहमान बेईमान
उसकी बात सुन कर मैं कुछ नही कह पाई और खामोशी से उसकी बेबसी देखती रही मुझे उसको यूँ तड़प्ता हुआ देख कर बड़ा अच्छा लग रहा था. मुझे ये बात अच्छे से समझ मे आ गयी थी कि ये इस तरह चुप नही रहेगा. क्या मुझे इसको को-ऑपरेट करना सही होगा.? मेरे मन मे एक सवाल उठा और जल्दी ही उसका जवाब भी मिल गया. हां अगर मैं इसको को-ऑपरेट करू तो ये सब सुन कर ये उत्तेजित हो जाएगा और इसका पानी निकल जाएगा. एक बार ये झाड़ गया तो फिर सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा.
“हां तुम सही कह रहे हो पीनू ने मेरे साथ बोहोत अच्छे से किया. मुझे नही लगता कि तुम उस तरह से कर भी पाओगे. तुम अपनी हालत तो देखो. तुम्हारे इस बुढहे दुबले पतले शरीर मे इतनी जान है कि तुम पीनू की तरह मुझे खुश कर सको” कह कर हल्के हल्के हँसने लग गयी.
मुकेश मेरी बात सुन कर उत्तेजित हो जाता है और कहता है “क्या किया था ऐसा पीनू ने जो मैं नही कर सकता मेरा लंड भी तो पीनू के बराबर ही बड़ा है और जो मेरे लंड से एक बार चुद ले तो फिर वो मेरी गुलाम हो कर रह जाती है.”
“मुझे नही लग रहा तो मैं क्या करू” मैने उसे और ज़्यादा चिढ़ाते हुए कहा.
मुकेश मेरी बात सुन कर बोहोत ज़्यादा उत्तेजित हो जाता है और अपने लंड को हाथ मे पकड़ कर हिलाते हुए कहता है “मेरे लंड को देखो और पीनू के लंड का साइज़ याद करो पीनू का लंड मेरे से छ्होटा है. जब मेरा लंड तुम्हारी चूत मे जाएगा तो तुम्हे इतना मज़ा आएगा जितना तुम्हे पीनू के साथ भी नही आया था.”
जब मेरी नज़र बुढहे के लंड पर जमती है तो सच मे इस बुढहे मुकेश का लंड पीनू से बड़ा था और मोटा भी पीनू के लंड को थोड़ी देर यूँ एक तक देखने से मेरी चूत ने भी जवाब दे दिया था मैं भी पूरी तरह से गरम हो चुकी थी. पर मैं इस बुढहे के साथ उस तरह का कुछ भी नही करना चाहती थी इसलिए मैने सोचा कि इसको सिर्फ़ बाते करते हुए झाड़वाना ठीक होगा.
“तुम्हे पता है पीनू का सूपड़ा कितना मोटा है. पीनू ने तू मुझे अपना लंड चुस्वाया था उनके लंड का स्वाद भी एक दम बढ़िया था. मैने मज़े मज़े मे दो बार पीनू के लंड की चुसाइ की थी और पीनू ने भी मेरी चूत को जम कर चॅटा था उसकी पूरी जीभ मेरी चूत को चाट चाट कर सॉफ कर रही थी. अभी भी मुझे पीनू की जीभ अपनी चूत पर सॉफ महसूस होती है.” मैने उसको और ज़्यादा उत्तेजित करने के लिए कहा. ताकि उसका ये सब बाते सुन कर पानी निकल जाए.
मुकेश अपना लंड अपने हाथ से हिलाते हुए काफ़ी थक जाता है और कहता है कि “अरे मेरी जान मेरी मदद करो ना मेरा हाथ थक गया है लंड हिलाते हिलाते पर पानी नही निकल रहा है” मुकेश ने एक नज़र मेरी तरफ देखा जो ठीक उसके लंड को ललचाई हुई नज़रो से देख रही थी इसी बात को समझ कर “तुम अपने हाथ से हिलाओ ना तुम्हारे हाथ का स्पर्श पा कर शायद मेरा पानी निकल जाए और मैं झाड़ जाउ.”
“खबर दार जो मुझे जान कहा तो अपनी शकल देखी है कभी आयने मे. और तुमने सोच भी कैसे लिया कि मैं तुम्हारे जैसे आदमी का लंड अपने हाथ मे लेकर हिलाउन्गि” मैने उसे बुरी तरह से हड़काते हुए कहा, मेरे इस तरह हड़काने से वो बुरी तरह झेंप गया. बाहर से आने वाली आवाज़ भी अब आना कम हो गयी थी इसलिए मैने उस से कहा “मैं जा रही बाहर सब चले गये है इस से पहले कि कोई छत पर वापस आ जाए मैं जा रही हू.” ये कहते हुए जैसे ही मैं मूड कर दरवाजे तक आई तो मेरा दिल बुरी तरह से धड़क उठा बाहर छत पर मनीष खड़े हुए थे. और अगर मैं मनीष के सामने इस तरह से बाहर निकलती तो मेरी क्या इज़्ज़त रह जाती. यही सोच कर डर के कारण मैं वापस पीछे की तरफ हो गयी. मेरे वापस पीछे होते ही मुकेश मेरे कदमो मे गिर गया और मेरे पैर पकड़ कर बोला “एक बार दिखा दे ना अपने संतरे मेरे से अब बर्दाश्त नही हो रहा है” वो नशे मे होने के कारण थोड़ा तेज़ी से बोल रहा था जिस से मेरे प्राण और हलक मे आ कर अटक गये, कही मनीष ना कुछ सुन ले. इस समय मेरी उपर की साँस उपर और नीचे की नीचे बीच मे पेट खाली वाली स्थिति हो गयी थी.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 28-01-2020, 10:13 PM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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