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Adultery मेहमान बेईमान
अगर तुम्हे मेरी चुचिया देखनी है तो मुझे वो सब बाते बताओ जो तुमने मेरे और पीनू के बीच मे छत पर देखी थी.”
“तुम्हे वो सब सुनना है तो सुनो” कह कर उसने बड़ी चालाकी से अपने लौदे से अपना हाथ हटा लिया और मुझे पीनू ने जो मेरे साथ किया था वो बताने लग गया.
“पीनू ने जब तुम से कहा था कि एक बार दे दो ना. और तुम्हारे होंटो से अचानक निकल गया, क्या ? और तुम ना चाहते हुवे भी शर्मा गयी थी. जिस पर पीनू ने तुमसे बेशर्मी से हंसते हुवे कहा, वही दे दो जहा मनीष भैया तुम्हारी लेते है, सच जब से तुम्हारी ली है रात मे मेरा लंड मेरे को कोस्ता रहता है कि मनीष ने क्या किशमत पाई है.”
ये सुन कर एक पल को मेरे होश उड़ गये. मेरे मन का एक कोना भी तो ऐसा ही चाहता था पीनू का जब से लिंग देखा था मेरी आँखो के आगे तो बस वही सब घूम रहा था. पर ये बुढहा आधी बात अपने मन की और आधी सही बोल रहा था शायद इस समय इसके उपर शराब के नशे का असर हो रखा था. जो वो ये सब बोल रहा था पर इस नशे की हालत मे भी ये गनीमत थी कि वो ज़्यादा तेज जैसा की आम तौर पर और नशेड़ी करते है जो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लग जाते है वैसा कुछ नही कर रहा था.
पर फिर मैने खुद को संभाला और कहा “चुप करो, मैं ऐसा नही कर सकती, पीनू और उसके साथ तुमने जिसे भी देखा हो पर वो मैं नही थी और अब ये अपनी झूठी कहानी सुनाना बंद करो.” मैने मुकेश को घुस्से से डाँटते हुए कहा.
मुकेश ने कहा “सच बताना क्या दुबारा तुझे लंड लेने की इच्छा नही हो रही है मेरा लॉडा देख कर ? क्या तुझे इस समय वो पल याद नही आया जब पीनू ने तेरी गांद मारी थी ? मेरे लॉड को देख कर सच सच बता”
ये सब सुन कर मैं फिर से अपने होश खो बैठी, मेरी आँखो में फिर से वो पल घूम गया जब पीनू बहुत तेज-तेज मेरे नितंबो में धक्के लगा रहा था और मैं उसके हर धक्के का मज़ा सिसकारिया भर कर ले रही थी.
उसने फिर पूछा, बता ना शर्मा मत क्या सच मे तूने पीनू को अपनी गांद मारने दी थी. मैने तो छत पर देखा भी था कि छत पर उस तरफ साइड मे जहाँ पर उस दिन कंडे रखे हुए थे उसने तेरी गांद मे पूरा लॉडा घुसेड दिया था जिस से तेरी बुरी तरह से चीख निकल गयी थी. जब से पीनू और तेरी चुदाई देखी है तब से उपर वाले से यही दुआ माँग रहा हू कि मुझे भी पीनू की तरह एक बार तेरी गांद की सेवा करने का मौका मिल जाए. मैं भी तेरी गांद का एक बार मज़ा ले सकु देखु तो सही की तेरी मस्तानी गांद का कैसा मज़ा आता है.
वो ऐसी बाते कर रहा था कि कोई भी सुन कर बहक जाता, मैं भी थोड़ा सा बहक गयी, पर फिर मैने कहा, “नही मुझे कुछ याद नही आया, तुम अब चुप चाप अपना हिलाओ, और मेरा पीछा छोड़ दो और मुझे मेरे परिवार में खुश रहने दो. मैं एक शादी शुदा औरत हू और तुमने ये सोच भी कैसे लिया कि मैं तुम्हारे या उस हरामी पीनू के साथ ऐसा कुछ कर भी सकती हू”
वो बोला, “तू तो खुश ही है मैं ही दीवानो की तरह यहा तेरी गांद के चक्कर मे भटक रहा हू, देख तेरे सन्तरो की एक झलक पाए बिना मेरे लंड ने भी पानी निकालना बंद कर दिया है.. ये भी तेरे सन्तरो की एक झलक का दीदार करना चाहता है..”
मैने उसकी हालत देख कर उसको और ज़्यादा चिढ़ाते हुए कहा “तो मैं क्या करूँ मैने तो तुम्हे अपने पीछे नही लगाया ना और ना मैने तुम्हे मेरे पीछे यहाँ पर आने को कहा था?”

वो बोला, “ठीक है ग़लती मेरी ही है, जो सब कुछ छोड़ कर तेरे पीछे पड़ा हूँ, मैं चला जाउन्गा पर एक बार अपने संतरे तो दिखा दो”
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 28-01-2020, 10:12 PM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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