28-01-2020, 10:10 PM
वो मायूस हो गया. मैने उसे मुस्कुराते हुए पूछा कि “तुमने पीनू और मेरे बीच और क्या क्या देखा था होते हुए ? क्या तुमने ये भी देखा था कि मैने उसका वो भी हिलाया था और चूसा भी था” मेरे मूह से ये सुन कर वो हैरान हो गया. उसकी हालत देखने वाली थी. क्यूकी मैं अब पूरी तरह से खुल कर बोल रही थी.
मैने फिर अपने होंटो को धीरे से अपने दातों से दबा लिया. यह देख वो पागल हो उठा और ज़ोर से अपने लिंग को हाथ से हिलाने लगा जैसे की हस्तमैथुन कर रहा हो. वो बोला कि अगर तुम्हे बुरा ना लगे तो क्या मैं मूठ मार सकता हूँ.
“बिल्कुल करो पीनू तो अक्सर मेरे सामने करता था ये. मुझे अच्छा लगता है ये देखना. चलो स्टार्ट करो.” मैने उसे उकसाने के लिए कहा.
वो ज़ोर ज़ोर से अपने लिंग को अपनी हाथों की उंगलियों में लेकर हस्तमैथुन करने लगा. जब 5 मिनिट हो गयी और उसने आँखे बंद कर ली तो मैं समझ गयी अब ये झदाने वाला है. यही तो मैं चाहती थी.
वो भी अब मुझसे कुछ कुछ बोलने लगा, मेरी शरीर के बारे में. मुझे भी मज़ा तो आ ही रहा था.
“आहह कब आएगा वो दिन जब मैं तुम्हारी मखमली गांद मारूँगा.”
“जल्दी आएगा सब्र करो तुम. और धीरे बोलो.”
“तुम्हारी चुचियाँ बिल्कुल बड़े बड़े संतरों जैसी हैं. नही संतरे नही नारियल जैसी है” वो झटके लेता हुवा बोला.
“धत्त शरारती कही के.”
अचानक मेरा ध्यान बाहर की हलचल पर चला गया. तभी उसने एक हाथ से मेरे बायें उभार को दबोच लिया. “वाह क्या संतरें हैं.”
मैने गुस्से में उसका हाथ झटक दिया और बोली, “ मेरे संतरे हर किसी के लिए नही है. “
वो मायूस हो गया.
“पीनू ने तो मेरे सन्तरो पर आइस क्रीम लगा कर चॅटी थी. क्या तुम ऐसा कर सकते हो” मैने उसे और चढ़ाने के लिए अपने और पीनू की झूठी बातें बोलने लगी
मगर यह सब कहते कहते मैं खुद ही एग्ज़ाइट होने लगी…लेकिन मैं डरने भी लगी कि कहीं कोई आ ना जाए…आंड मोरोवर इसका झाड़ भी नही रहा था…व्हाट टू डू.
“चल दीखा तो दे ये संतरे एक बार. मेरा पानी छ्छूटने में आसानी होगी.”
“अभी नही फिर कभी दिखाउन्गि, तुम तो खुद देख रहे हो कि सब लोग छत पर ही है कोई अगर यहाँ पर आ गया तो.? मुझे बोहोत डर लग रहा है” मैने उसे समझाते हुए कहा ताकि वो मुझसे दूर रहे.
“अरे मेरी रानी कोई नही आएगा यहाँ कोई नही आता है. तू बस अब खोल दे जल्दी से” उसने वही से बैठे बैठे मेरी छाती को एक टक देखते हुए कहा. ” पीनू को तो तुमने बड़े प्यार से अपनी चूत भी दी थी और अपने संतरे भी चुस्वाए थे. मुझे भी थोड़ा दिखा दो तो मेरा भी काम हो जाएगा.”
मुकेश की बात सुन कर मैं एक दम हैरान हो गयी. यानी इस बुड्ढे हरामी ने उस दिन छत पर सब देख लिया था. “ क्या क्या देखा था तुमने ?” मैने उस से जिग्यासा वश पूछा ताकि पता चले कि पीनू और मेरे बीच उसने क्या देखा था.
“यही कि पीनू ने तुम्हारे संतरो को खूब जी भर कर चूसा था और तुमने भी खूब मज़े से अपने संतरो को चुस्वाया था. तुम दोनो की सब स्टोरी जो भी उस रात छत पर हुई थी मुझे सब पता है..हहहे” उसने वही गंदी सी हँसी हस्ते हुए कहा.
“क्या देखा है तुमने मेरे और पीनू के बीचे मे मुझे भी तो पता चले. कि कितनी झूठी सच्ची और मंगडंत बाते तुम बना रहे हो ?” मैने उस से सब कुछ उगलवाने के लिए उसे और उकसाया. छत पर अब भी लोगो की भीड़ वैसे ही जमा थी. अंदर ही अंदर मेरा दिल बुरी तरह से इस बात को लेकर धड़क रहा था कि कही कोई आ ना जाए.
मुकेश ने कहा “देखो कोई देख लेगा, मुझे जल्दी से दिखा दो ताकि मैं अपना पानी निकाल सकु वरना अगर कोई अंदर आ गया तो तुम सोच लो.”
मुझे पता तो था कि वो ये सब क्यो कह रहा है पर फिर भी दरवाजे पर हो रही हलचल और आती हुई आवाज़ो ने मुझे बोहोत बैचैन कर दिया था समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या ना करू.
“देखो तुमने जब पीनू को दे दी तो मुझे देने मे इतने नखरे क्यू कर रही हो ?” उसने फिर से एक बार गिड़गिदते हुए कहा.
“तुम समझते क्यू नही हो मैने पीनू के साथ कुछ नही किया है तुमने जो भी देखा आइ डॉन’ट नो व्हाट एवर यू सीन वो सब ग़लत है और यहाँ पर मुझे ये सब बिल्कुल भी ठीक नही लग रहा है.” मैने फिर से उसे एक बार समझाने की नाकाम कोसिस करते हुए कहा.
मुकेश- “इस में ठीक लगने, ना लगने की क्या बात है ? ये तो एक खेल है, मज़े से खेलो और भूल जाओ, तुम बेकार में चिंता कर रही हो.” उसने मेरी तरफ ललचाई हुई नज़ारो से देखते हुए कहा.
“तुम आदमी हो, एक औरत की मजबूरी तुम नही समझ सकते.” मैने उसे फिर से समझाते हुए कहा.
“अगर मैं तुमको मजबूर कर रहा हूँ तो मैं ज़रूर ग़लत हू, पर अगर तेरा मन खुद मेरे साथ चुदाई करने का कर रहा है तो तू क्यू अपने मन को मार रही है. अपने मन को ज़बरदस्ती मारना बिल्कुल ग़लत है.” उसने मेरी आँखो को शायद पढ़ लिया था जिनमे इस समय वासना की लहरो ने बोहोत धीमे ही सही पर उठना शुरू कर दिया था.
मैने फिर अपने होंटो को धीरे से अपने दातों से दबा लिया. यह देख वो पागल हो उठा और ज़ोर से अपने लिंग को हाथ से हिलाने लगा जैसे की हस्तमैथुन कर रहा हो. वो बोला कि अगर तुम्हे बुरा ना लगे तो क्या मैं मूठ मार सकता हूँ.
“बिल्कुल करो पीनू तो अक्सर मेरे सामने करता था ये. मुझे अच्छा लगता है ये देखना. चलो स्टार्ट करो.” मैने उसे उकसाने के लिए कहा.
वो ज़ोर ज़ोर से अपने लिंग को अपनी हाथों की उंगलियों में लेकर हस्तमैथुन करने लगा. जब 5 मिनिट हो गयी और उसने आँखे बंद कर ली तो मैं समझ गयी अब ये झदाने वाला है. यही तो मैं चाहती थी.
वो भी अब मुझसे कुछ कुछ बोलने लगा, मेरी शरीर के बारे में. मुझे भी मज़ा तो आ ही रहा था.
“आहह कब आएगा वो दिन जब मैं तुम्हारी मखमली गांद मारूँगा.”
“जल्दी आएगा सब्र करो तुम. और धीरे बोलो.”
“तुम्हारी चुचियाँ बिल्कुल बड़े बड़े संतरों जैसी हैं. नही संतरे नही नारियल जैसी है” वो झटके लेता हुवा बोला.
“धत्त शरारती कही के.”
अचानक मेरा ध्यान बाहर की हलचल पर चला गया. तभी उसने एक हाथ से मेरे बायें उभार को दबोच लिया. “वाह क्या संतरें हैं.”
मैने गुस्से में उसका हाथ झटक दिया और बोली, “ मेरे संतरे हर किसी के लिए नही है. “
वो मायूस हो गया.
“पीनू ने तो मेरे सन्तरो पर आइस क्रीम लगा कर चॅटी थी. क्या तुम ऐसा कर सकते हो” मैने उसे और चढ़ाने के लिए अपने और पीनू की झूठी बातें बोलने लगी
मगर यह सब कहते कहते मैं खुद ही एग्ज़ाइट होने लगी…लेकिन मैं डरने भी लगी कि कहीं कोई आ ना जाए…आंड मोरोवर इसका झाड़ भी नही रहा था…व्हाट टू डू.
“चल दीखा तो दे ये संतरे एक बार. मेरा पानी छ्छूटने में आसानी होगी.”
“अभी नही फिर कभी दिखाउन्गि, तुम तो खुद देख रहे हो कि सब लोग छत पर ही है कोई अगर यहाँ पर आ गया तो.? मुझे बोहोत डर लग रहा है” मैने उसे समझाते हुए कहा ताकि वो मुझसे दूर रहे.
“अरे मेरी रानी कोई नही आएगा यहाँ कोई नही आता है. तू बस अब खोल दे जल्दी से” उसने वही से बैठे बैठे मेरी छाती को एक टक देखते हुए कहा. ” पीनू को तो तुमने बड़े प्यार से अपनी चूत भी दी थी और अपने संतरे भी चुस्वाए थे. मुझे भी थोड़ा दिखा दो तो मेरा भी काम हो जाएगा.”
मुकेश की बात सुन कर मैं एक दम हैरान हो गयी. यानी इस बुड्ढे हरामी ने उस दिन छत पर सब देख लिया था. “ क्या क्या देखा था तुमने ?” मैने उस से जिग्यासा वश पूछा ताकि पता चले कि पीनू और मेरे बीच उसने क्या देखा था.
“यही कि पीनू ने तुम्हारे संतरो को खूब जी भर कर चूसा था और तुमने भी खूब मज़े से अपने संतरो को चुस्वाया था. तुम दोनो की सब स्टोरी जो भी उस रात छत पर हुई थी मुझे सब पता है..हहहे” उसने वही गंदी सी हँसी हस्ते हुए कहा.
“क्या देखा है तुमने मेरे और पीनू के बीचे मे मुझे भी तो पता चले. कि कितनी झूठी सच्ची और मंगडंत बाते तुम बना रहे हो ?” मैने उस से सब कुछ उगलवाने के लिए उसे और उकसाया. छत पर अब भी लोगो की भीड़ वैसे ही जमा थी. अंदर ही अंदर मेरा दिल बुरी तरह से इस बात को लेकर धड़क रहा था कि कही कोई आ ना जाए.
मुकेश ने कहा “देखो कोई देख लेगा, मुझे जल्दी से दिखा दो ताकि मैं अपना पानी निकाल सकु वरना अगर कोई अंदर आ गया तो तुम सोच लो.”
मुझे पता तो था कि वो ये सब क्यो कह रहा है पर फिर भी दरवाजे पर हो रही हलचल और आती हुई आवाज़ो ने मुझे बोहोत बैचैन कर दिया था समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या ना करू.
“देखो तुमने जब पीनू को दे दी तो मुझे देने मे इतने नखरे क्यू कर रही हो ?” उसने फिर से एक बार गिड़गिदते हुए कहा.
“तुम समझते क्यू नही हो मैने पीनू के साथ कुछ नही किया है तुमने जो भी देखा आइ डॉन’ट नो व्हाट एवर यू सीन वो सब ग़लत है और यहाँ पर मुझे ये सब बिल्कुल भी ठीक नही लग रहा है.” मैने फिर से उसे एक बार समझाने की नाकाम कोसिस करते हुए कहा.
मुकेश- “इस में ठीक लगने, ना लगने की क्या बात है ? ये तो एक खेल है, मज़े से खेलो और भूल जाओ, तुम बेकार में चिंता कर रही हो.” उसने मेरी तरफ ललचाई हुई नज़ारो से देखते हुए कहा.
“तुम आदमी हो, एक औरत की मजबूरी तुम नही समझ सकते.” मैने उसे फिर से समझाते हुए कहा.
“अगर मैं तुमको मजबूर कर रहा हूँ तो मैं ज़रूर ग़लत हू, पर अगर तेरा मन खुद मेरे साथ चुदाई करने का कर रहा है तो तू क्यू अपने मन को मार रही है. अपने मन को ज़बरदस्ती मारना बिल्कुल ग़लत है.” उसने मेरी आँखो को शायद पढ़ लिया था जिनमे इस समय वासना की लहरो ने बोहोत धीमे ही सही पर उठना शुरू कर दिया था.