26-01-2020, 08:26 PM
(This post was last modified: 26-04-2021, 02:08 PM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
मस्तराम
बिचारे का एकदम तना ,खड़ा ,
और मॉम भी आज एकदम ,
कहने लगी चल आज तेरा एक टेस्ट लेती हूँ ,
देखती हूँ कही किसी अनपढ़ से मैंने अपनी सोनचिरैया तो नहीं ब्याह दी ,ये ज़रा पढ़ के दिखाओ।
मस्तराम की एक ६४ पेजी निकाल के मम्मी ने उनके हवाले कर दी।
मैं समझ रही थी कोई पेंच जरूर होगा।
पर वो पेंच लगाने का काम मम्मी ने मेरे हवाले कर दिया और मैंने शर्त सूना दी।
" बस एक थोड़ा सा चेंज , जहां भी किसी लड़की का नाम होगा बस तुम अपनी उस ममेरी बहिनिया का नाम लोगे
और जहां लड़के का नाम होगा ,तुम अपना या अपनी ससुराल के किसी मर्द का ,मेरे कजिन ,जीजू कुछ भी चलेंगे।
बस अब चालु हो जाओ , नो हेजिटेशन , नो स्टाप , टाइम बिगन्स नाउ।
कहने की बात नहीं थी की मम्मी ने टेप रिकार्ड आन कर दिया था ,और वो बिचारे भी झिझकते शर्माते चालु हो गए ,
और रास्ता भी क्या था उनके पास।
" गुड्डी के गोरे गोरे मक्खन मलाई ऐसे चिकने चिकने गाल ,छोटे छोटे कड़े कड़े रसीले जोबन लौंडों का मन लूट लेते थे , गुड्डी ने अपने गुलाबी रसीले होंठों के बीच मोटे कड़क लन्ड को ले कर पहले तो हलके हलके चुभलाना चूसना शुरू किया।
गुड्डी की मखमली कुँवारी जीभ कड़े सुपाड़े के चारो ओर सपड़ सपड़ चाट रही थी। साथ में गुड्डी के कोमल हाथ पेल्हड़ को सहला रहे थे। "
उन्होंने पढना शुरू किया ,और असर जादू की तरह तुरंत हुआ।
उनका चेहरा तमतमाया था ,सांस खूब गहरी लंबी चल रही थी
जैसे सच में ही उनकी छिनार बहन उनका लन्ड चाट चूस रही हो।
उन्होंने आगे पढ़ना जारी रखा।
"उसने भी कस कस के गुड्डी का सर पकड़ के हचक पेलना जारी रखा। गुड्डी गों गों कर रही थी।
लेकिन बिना रुके आधे से ज्यादा लन्ड उस कोरी लौंडिया के मुंह में उसने पेल दिया।
लेकिन गुड्डी भी ,गों गों करते हुए भी अब कस कस के चूस रही थी जैसे मोटा गन्ना। गुड्डी के गाल लन्ड से एकदम फूले हुए फटे पड़ रहे थे। गुड्डी की जीभ नीचे से लन्ड चाट रही थी ,
और अब वो पूरी जोश में हचहच लन्ड गुड्डी के मुंह में पेल रहा था , सटासट। "
जोश से उनकी हालत खराब थी और सबसे बड़ा उसका सबूत था शार्ट को फाड़ता ,एकदम खड़ा , तंबू में बम्बू।
मम्मी ने मुझे इशारा किया ,और मैंने शार्ट थोड़ा सा सरका दिया।
जैसे पिंजड़े में से शेर बाहर आये , उसी तरह से उनका मोटा कड़क लन्ड , झट से बाहर और गप्प से मैंने गपुच लिया
और लगी हलके हलके मुठियाने।
मम्मी उनके कान में कुछ हलके हलके बोल रही थीं लेकिन ऐसे की मम्मी की आवाज टेप पर ना आये ,
" सोच साली के बारे में सोचने में बोलने में इत्ता मजा आ रहा है तो उसके कुंवारे कोरे मुंह में पेलने में ,
उसकी कसी कच्ची चूत फाड़ने में कितना मजा आएगा। "
वो अगली लाइन पर आये ,मस्तराम की कहानी जारी रखते
" गुड्डी की लंबी चिकनी गोरी टाँगे ,अब उसके कंधे पर थी ,जाँघे पूरी खुली ,लन्ड ममखमली १७ साल की कच्ची कुँवारी चूत पर रगड़ रहा था। जैसे ही उसकी कमर पकड़ केउन्होंने एक करारा धक्का , मारा ,सुपाड़ा चूत फाड़ता अंदर घुस गया।
गुड्डी जोर से चीखी ,
" नहीं भैया नहीं ,बहुत दर्द हो रहा है "
मैं मम्मी की ओर देख के मुस्करायी , मस्तराम की कहानी में भैय्या कहीं नहीं था।
मम्मी भी समझ के मुस्करायी और मेरे साथ लन्ड मंथन में ,
मैं अब जोर जोर से लन्ड मुठिया रही थी और मम्मी की लंबी उंगलिया शार्प नाख़ून ,उनके पेल्हड़ पर रगड़ रहे थे।
मस्ती से हालत खराब हो रही थी।
,
उनकी आँखे लेकिन अब घडी की ओर लगी थीं , तीन बस बजने वाले ही थे।
मम्मी को भी कल की टेलीफोन वार्ता पूरी मालुम थी और ये भी की ,उन्होंने अपनी ममेरी बहन से वादा किया है ३ बजे फोन करने का।
,:
" इन्तजार करने दो साली छिनार को ,तुझे भी तो उस कमीनी ने बहुत इन्तजार किया है , पढ़ो न आगे "
मम्मी ने पुश किया और जहां वो रुके थे वही से फिर चालु हो गए.
" गुड्डी जोर से चीखी ,नहीं भैया बहुत दर्द हो रहा है , ओह्ह्ह्ह फट गयी मेरी।
लेकिन जोर से दोनों किशोर चूंचियां दबाते मसलते उसने एक और फर दूसरा करारा धक्का मारा।
गुड्डी दर्द से दुहरी हो रही थी ,जोर जोर से चीख रही थी।
उसकी कसी कुँवारी चूत फट चुकी थी। हलके हलके खून की बूंदे बाहर भी छलक के आ रही थीं। "
उनकी आँख एक बार घडी की ओर गयी ,तीन बजकर पांच मिनट हो गए थे।
" चलो न तुम रुको मत ,खुद करेगी वो छिनार फोन ,उसकी चूत में तेरे लन्ड के लिए मोटे मोटे चींटे काट रहे होंगे ,पढ़ो आगे. न "
मैं बोली और गप्प से उनके मोठे सुपाड़े को मैंने गपक लिया और लगी जोर जोर से चूसने ,
मेरी जीभ उनके पेशाब के छेद को चाट चूस रही थी।
साथ में मेरी नरम कलाई उनके लन्ड के बेस को पकड़ के रगड़ रगड़ के आगे पीछे कर रही थी।
चूड़ी की रुनझुन कमरे में गूँज रही थी।
गुड्डी की फट गयी ,फाड़ दी उसके भैय्या ने चल आगे पढ़ न ,मम्मी बेताबी से बोलीं।
" ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह ,ईईईईई ,गुड्डी की चीख गूँज रही थी , उसके चिकने गाल पर आंसू की दो बूंदे छलक आयीं
लेकिन वो बड़ी बेरहमी से उसकी चूत पूरी ताकत से चोद रहे थे।
भईया निकाल लो प्लीज , गुड्डी बोली पर जैसे ही उन्होंने धक्के मारने बंद किये नीचे से खुद चूतड़ उठा के वो बोली ,
नहीं नहीं भैया ,रुक मत चोद और चोद मेरे दर्द की चिंता मत कर , मेरा कब से मन कर रहा है तुझसे चुदवाने का।
चोदो न भैय्या ,प्लीज अच्छे भैया डाल दो पूरा लन्ड मेरी कुँवारी बुर में।
गुड्डी बोली और एक बार फिर से वो धक्के मारने लगे। "
तब तक फोन की घंटी घनघना उठी , वही थी उनकी ममेरी बहन ,एलवल वाली , गुड्डी।
मैंने झट से दूसरे हाथ से फोन काट दिया , उनको मुठियाना जारी रखा और जोर जोर से लन्ड को चूसना भी।
" तू पढ़ न , बहुत बेताब हो रही है तेरी बहना , मैं कह रही थी न एकदम चुदवासी हो रही है आज उससे खुद उगलवा लेना ,
कित्ती चुदवासी है ,चल पढ़ आगे। "
मम्मी बोलीं और उन्होंने कहानी आगे शुरू की ,
" कमरे में तूफ़ान मचा था चुदाई पूरी तेजी से चल रही थी ,नीचे से गुड्डी हर धक्के का जवाब चूतड़ उठा के दे रही थी ,
खुद अपनी चूंची उनके सीने से रगड़ रही थी। पूरा लन्ड उसकी चूत ने घोंट लिया था। "
तभी फिर फोन की घंटी बजी ,वही थी ,गुड्डी मेरी ननद।
और अबकी फोन उठा के मैंने उन्हें दे दिया।
आफ कोर्स ,स्पीकर फोन आन था। मैं और मम्मी उन दोनों की हर बात सुन रहे थे।
" आज बहुत इन्तजार कराया भैय्या , तूने। "
बड़े नखड़े से गुड्डी बोली।
बिचारे का एकदम तना ,खड़ा ,
और मॉम भी आज एकदम ,
कहने लगी चल आज तेरा एक टेस्ट लेती हूँ ,
देखती हूँ कही किसी अनपढ़ से मैंने अपनी सोनचिरैया तो नहीं ब्याह दी ,ये ज़रा पढ़ के दिखाओ।
मस्तराम की एक ६४ पेजी निकाल के मम्मी ने उनके हवाले कर दी।
मैं समझ रही थी कोई पेंच जरूर होगा।
पर वो पेंच लगाने का काम मम्मी ने मेरे हवाले कर दिया और मैंने शर्त सूना दी।
" बस एक थोड़ा सा चेंज , जहां भी किसी लड़की का नाम होगा बस तुम अपनी उस ममेरी बहिनिया का नाम लोगे
और जहां लड़के का नाम होगा ,तुम अपना या अपनी ससुराल के किसी मर्द का ,मेरे कजिन ,जीजू कुछ भी चलेंगे।
बस अब चालु हो जाओ , नो हेजिटेशन , नो स्टाप , टाइम बिगन्स नाउ।
कहने की बात नहीं थी की मम्मी ने टेप रिकार्ड आन कर दिया था ,और वो बिचारे भी झिझकते शर्माते चालु हो गए ,
और रास्ता भी क्या था उनके पास।
" गुड्डी के गोरे गोरे मक्खन मलाई ऐसे चिकने चिकने गाल ,छोटे छोटे कड़े कड़े रसीले जोबन लौंडों का मन लूट लेते थे , गुड्डी ने अपने गुलाबी रसीले होंठों के बीच मोटे कड़क लन्ड को ले कर पहले तो हलके हलके चुभलाना चूसना शुरू किया।
गुड्डी की मखमली कुँवारी जीभ कड़े सुपाड़े के चारो ओर सपड़ सपड़ चाट रही थी। साथ में गुड्डी के कोमल हाथ पेल्हड़ को सहला रहे थे। "
उन्होंने पढना शुरू किया ,और असर जादू की तरह तुरंत हुआ।
उनका चेहरा तमतमाया था ,सांस खूब गहरी लंबी चल रही थी
जैसे सच में ही उनकी छिनार बहन उनका लन्ड चाट चूस रही हो।
उन्होंने आगे पढ़ना जारी रखा।
"उसने भी कस कस के गुड्डी का सर पकड़ के हचक पेलना जारी रखा। गुड्डी गों गों कर रही थी।
लेकिन बिना रुके आधे से ज्यादा लन्ड उस कोरी लौंडिया के मुंह में उसने पेल दिया।
लेकिन गुड्डी भी ,गों गों करते हुए भी अब कस कस के चूस रही थी जैसे मोटा गन्ना। गुड्डी के गाल लन्ड से एकदम फूले हुए फटे पड़ रहे थे। गुड्डी की जीभ नीचे से लन्ड चाट रही थी ,
और अब वो पूरी जोश में हचहच लन्ड गुड्डी के मुंह में पेल रहा था , सटासट। "
जोश से उनकी हालत खराब थी और सबसे बड़ा उसका सबूत था शार्ट को फाड़ता ,एकदम खड़ा , तंबू में बम्बू।
मम्मी ने मुझे इशारा किया ,और मैंने शार्ट थोड़ा सा सरका दिया।
जैसे पिंजड़े में से शेर बाहर आये , उसी तरह से उनका मोटा कड़क लन्ड , झट से बाहर और गप्प से मैंने गपुच लिया
और लगी हलके हलके मुठियाने।
मम्मी उनके कान में कुछ हलके हलके बोल रही थीं लेकिन ऐसे की मम्मी की आवाज टेप पर ना आये ,
" सोच साली के बारे में सोचने में बोलने में इत्ता मजा आ रहा है तो उसके कुंवारे कोरे मुंह में पेलने में ,
उसकी कसी कच्ची चूत फाड़ने में कितना मजा आएगा। "
वो अगली लाइन पर आये ,मस्तराम की कहानी जारी रखते
" गुड्डी की लंबी चिकनी गोरी टाँगे ,अब उसके कंधे पर थी ,जाँघे पूरी खुली ,लन्ड ममखमली १७ साल की कच्ची कुँवारी चूत पर रगड़ रहा था। जैसे ही उसकी कमर पकड़ केउन्होंने एक करारा धक्का , मारा ,सुपाड़ा चूत फाड़ता अंदर घुस गया।
गुड्डी जोर से चीखी ,
" नहीं भैया नहीं ,बहुत दर्द हो रहा है "
मैं मम्मी की ओर देख के मुस्करायी , मस्तराम की कहानी में भैय्या कहीं नहीं था।
मम्मी भी समझ के मुस्करायी और मेरे साथ लन्ड मंथन में ,
मैं अब जोर जोर से लन्ड मुठिया रही थी और मम्मी की लंबी उंगलिया शार्प नाख़ून ,उनके पेल्हड़ पर रगड़ रहे थे।
मस्ती से हालत खराब हो रही थी।
,
उनकी आँखे लेकिन अब घडी की ओर लगी थीं , तीन बस बजने वाले ही थे।
मम्मी को भी कल की टेलीफोन वार्ता पूरी मालुम थी और ये भी की ,उन्होंने अपनी ममेरी बहन से वादा किया है ३ बजे फोन करने का।
,:
" इन्तजार करने दो साली छिनार को ,तुझे भी तो उस कमीनी ने बहुत इन्तजार किया है , पढ़ो न आगे "
मम्मी ने पुश किया और जहां वो रुके थे वही से फिर चालु हो गए.
" गुड्डी जोर से चीखी ,नहीं भैया बहुत दर्द हो रहा है , ओह्ह्ह्ह फट गयी मेरी।
लेकिन जोर से दोनों किशोर चूंचियां दबाते मसलते उसने एक और फर दूसरा करारा धक्का मारा।
गुड्डी दर्द से दुहरी हो रही थी ,जोर जोर से चीख रही थी।
उसकी कसी कुँवारी चूत फट चुकी थी। हलके हलके खून की बूंदे बाहर भी छलक के आ रही थीं। "
उनकी आँख एक बार घडी की ओर गयी ,तीन बजकर पांच मिनट हो गए थे।
" चलो न तुम रुको मत ,खुद करेगी वो छिनार फोन ,उसकी चूत में तेरे लन्ड के लिए मोटे मोटे चींटे काट रहे होंगे ,पढ़ो आगे. न "
मैं बोली और गप्प से उनके मोठे सुपाड़े को मैंने गपक लिया और लगी जोर जोर से चूसने ,
मेरी जीभ उनके पेशाब के छेद को चाट चूस रही थी।
साथ में मेरी नरम कलाई उनके लन्ड के बेस को पकड़ के रगड़ रगड़ के आगे पीछे कर रही थी।
चूड़ी की रुनझुन कमरे में गूँज रही थी।
गुड्डी की फट गयी ,फाड़ दी उसके भैय्या ने चल आगे पढ़ न ,मम्मी बेताबी से बोलीं।
" ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह ,ईईईईई ,गुड्डी की चीख गूँज रही थी , उसके चिकने गाल पर आंसू की दो बूंदे छलक आयीं
लेकिन वो बड़ी बेरहमी से उसकी चूत पूरी ताकत से चोद रहे थे।
भईया निकाल लो प्लीज , गुड्डी बोली पर जैसे ही उन्होंने धक्के मारने बंद किये नीचे से खुद चूतड़ उठा के वो बोली ,
नहीं नहीं भैया ,रुक मत चोद और चोद मेरे दर्द की चिंता मत कर , मेरा कब से मन कर रहा है तुझसे चुदवाने का।
चोदो न भैय्या ,प्लीज अच्छे भैया डाल दो पूरा लन्ड मेरी कुँवारी बुर में।
गुड्डी बोली और एक बार फिर से वो धक्के मारने लगे। "
तब तक फोन की घंटी घनघना उठी , वही थी उनकी ममेरी बहन ,एलवल वाली , गुड्डी।
मैंने झट से दूसरे हाथ से फोन काट दिया , उनको मुठियाना जारी रखा और जोर जोर से लन्ड को चूसना भी।
" तू पढ़ न , बहुत बेताब हो रही है तेरी बहना , मैं कह रही थी न एकदम चुदवासी हो रही है आज उससे खुद उगलवा लेना ,
कित्ती चुदवासी है ,चल पढ़ आगे। "
मम्मी बोलीं और उन्होंने कहानी आगे शुरू की ,
" कमरे में तूफ़ान मचा था चुदाई पूरी तेजी से चल रही थी ,नीचे से गुड्डी हर धक्के का जवाब चूतड़ उठा के दे रही थी ,
खुद अपनी चूंची उनके सीने से रगड़ रही थी। पूरा लन्ड उसकी चूत ने घोंट लिया था। "
तभी फिर फोन की घंटी बजी ,वही थी ,गुड्डी मेरी ननद।
और अबकी फोन उठा के मैंने उन्हें दे दिया।
आफ कोर्स ,स्पीकर फोन आन था। मैं और मम्मी उन दोनों की हर बात सुन रहे थे।
" आज बहुत इन्तजार कराया भैय्या , तूने। "
बड़े नखड़े से गुड्डी बोली।