26-01-2020, 07:31 PM
(This post was last modified: 25-04-2021, 07:19 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मम्मी
अगले दिन उन्होंने छुट्टी ले रखी थी , जिससे मम्मी के साथ पूरा दिन बिता सकें।
……………………………………………………………………………..
अगले दिन उनकी तो छुट्टी थी , लेकिन सारा काम मेरे सर पे आया।
मंजू बाई भी नहीं आई
लेकिन अब गीता थी , उसकी लड़की , जो उसके न आने पर आती थी।
उसके बारे में तो आप सब को बता ही चुकी हूँ ,
मेरी छुटकी ननद से एकाध साल ही बड़ी , कुछ दिन पहले ही बियाई थी , लेकिन मायके उसकी सास ने अकेले ही आने दिया।
मेरी उससे खूब पटती थी , मिल के हम दोनों उनको खूब चिढाते थे।
मैंने और गीता ने मिल के सुबह का काम निपटाया।
वो और मम्मी देर तक सोते रहे , और बेड टी ,ब्रेकफास्ट सब मेरे जिम्मे।
ब्रेकफास्ट में भी वोऔर मम्मी चालू रहे।
मम्मी उनको जितनी ट्रिक सिखा सकती थीं , उससे भी कहीं ज्यादा सिखा रही थीं।
उनकी सारी झिझक शरम लिहाज सब कुछ तो उन्होंने कब की दूर कर दी थी ,चाहे गाली दे के बात करने की हो , लड़कियों औरतों पर लाइन मारने की हो , उन्हें पटाने के लिए स्किमिंग करने की हो या पटने पर उन पर चढ़ाई कैसे करनी है , सब कुछ और सबसे बढ़ कर , मम्मी से एकदम खुल के ,
उनकी जो जो फन्तासियाँ बचपन से मन के किसी कोने में बंद थी ,
जो मैंने उनके लैपटॉप के अंदर पासवर्ड से छुपी फाइलों और चैट रूम में देखी थी ,
फेम डाम की , सिसिफिकेशन की
जो एम् आई एल ऍफ़ और
कच्ची कलियों के फोटों का जखीरा उन्होंने छुपा रखा था ,
सब कुछ , ...
एकदम खुल के न उन के बारे में बातें करते थे बल्कि मजा लेते थे।
मम्मी से उनकी ट्यूनिंग इतनी परफेक्ट हो गयी थी की थी की मम्मी कुछ कहतीं उसके पहले ही वो काम कर भी देते।
बहुत से चीजें उन्हें ना पसंद थी , कर्टसी उनके मायकेवालियों के ,
मैंने उनमे से बहुत सी चीजें उन्हें चखा दी थीं ,शुरू करा दी थीं ,
थोड़ी जबरदस्ती थोड़ी मान मनऔवल लेकिन कर्टसी मम्मी अब वो उनकी पहली पंसद बन गयी थीं।
जैसे स्मोकिंग मैंने उन्हें शुरू कराई ,कुछ चिढा के कुछ चढ़ा के ( लेकिन बहुत कंट्रोल्ड ,सोशल स्मोकिंग , सिर्फ पार्टी वार्टी में या जब मैं कहती )
लेकिन मम्मी ने एक तो दम उन्हें ,... सिगरेट रोल करना भी और 'स्पेशल मसाले ' वाले भी ,
और उसका असर भी ,इस्तेमाल भी मम्मी ने अच्छी तरह समझा दिया था।
जब मैंने ब्रेकफास्ट के बाद टेबल समेट रही थी , तो मैं मुस्कराये बिना नहीं रह सकी।
वो 'स्पेशल वाली ' सिगरेट रोल कर रहे थे ,
और मम्मी उन्हें कुछ सिखा पढ़ा रही थीं ,और वो एकदम गुरु ज्ञान की तरह सुन रहे थे ,
" अपनी उस कच्ची कली को ,जब मायके जाओगे न अपने ,बस किसी तरह पटा के इस स्पेशल सिगरेट का एक दो सुट्टा लगवा देने खुद खोल के खड़ी हो जायेगी ,साली।
दिमाग का उसके रायता बन जाएगा ,
और फिर जो कुछ करोगे न उसकी नयी नयी आती चूंचियां मीजोगे ,
गुलाबी गली में ऊँगली करोगे ,सब करवाएगी और खुद ही पानी पानी हो जायेगी।
और एक बार जो उसे ये मजा मिल गया तो बस मौका पाते ही टांग उठा के , ...अरे कब से वो तेरे लिए चुदवासी है ,तुझे पता भी नहीं। "
" एकदम मम्मी ,मस्त आइडिया दिया आपने ,एकदम सही है ,
मन तो मेरा भी पहले बहुत करता था लेकिन पहले डर भी लगता था ,झिझक भी। पर ये आपने अच्छी ट्रिक बता दी। "
वो हंस के खुल के अपनी ममेरी बहन के बारे में बातें कर रहे थे।
मैं मुस्कराती हुयी किचेन में चली गयी।
जब थोड़ी देर बाद लौटी तो ५२ पत्ते की किताब खुली थी।
अगले दिन उन्होंने छुट्टी ले रखी थी , जिससे मम्मी के साथ पूरा दिन बिता सकें।
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अगले दिन उनकी तो छुट्टी थी , लेकिन सारा काम मेरे सर पे आया।
मंजू बाई भी नहीं आई
लेकिन अब गीता थी , उसकी लड़की , जो उसके न आने पर आती थी।
उसके बारे में तो आप सब को बता ही चुकी हूँ ,
मेरी छुटकी ननद से एकाध साल ही बड़ी , कुछ दिन पहले ही बियाई थी , लेकिन मायके उसकी सास ने अकेले ही आने दिया।
मेरी उससे खूब पटती थी , मिल के हम दोनों उनको खूब चिढाते थे।
मैंने और गीता ने मिल के सुबह का काम निपटाया।
वो और मम्मी देर तक सोते रहे , और बेड टी ,ब्रेकफास्ट सब मेरे जिम्मे।
ब्रेकफास्ट में भी वोऔर मम्मी चालू रहे।
मम्मी उनको जितनी ट्रिक सिखा सकती थीं , उससे भी कहीं ज्यादा सिखा रही थीं।
उनकी सारी झिझक शरम लिहाज सब कुछ तो उन्होंने कब की दूर कर दी थी ,चाहे गाली दे के बात करने की हो , लड़कियों औरतों पर लाइन मारने की हो , उन्हें पटाने के लिए स्किमिंग करने की हो या पटने पर उन पर चढ़ाई कैसे करनी है , सब कुछ और सबसे बढ़ कर , मम्मी से एकदम खुल के ,
उनकी जो जो फन्तासियाँ बचपन से मन के किसी कोने में बंद थी ,
जो मैंने उनके लैपटॉप के अंदर पासवर्ड से छुपी फाइलों और चैट रूम में देखी थी ,
फेम डाम की , सिसिफिकेशन की
जो एम् आई एल ऍफ़ और
कच्ची कलियों के फोटों का जखीरा उन्होंने छुपा रखा था ,
सब कुछ , ...
एकदम खुल के न उन के बारे में बातें करते थे बल्कि मजा लेते थे।
मम्मी से उनकी ट्यूनिंग इतनी परफेक्ट हो गयी थी की थी की मम्मी कुछ कहतीं उसके पहले ही वो काम कर भी देते।
बहुत से चीजें उन्हें ना पसंद थी , कर्टसी उनके मायकेवालियों के ,
मैंने उनमे से बहुत सी चीजें उन्हें चखा दी थीं ,शुरू करा दी थीं ,
थोड़ी जबरदस्ती थोड़ी मान मनऔवल लेकिन कर्टसी मम्मी अब वो उनकी पहली पंसद बन गयी थीं।
जैसे स्मोकिंग मैंने उन्हें शुरू कराई ,कुछ चिढा के कुछ चढ़ा के ( लेकिन बहुत कंट्रोल्ड ,सोशल स्मोकिंग , सिर्फ पार्टी वार्टी में या जब मैं कहती )
लेकिन मम्मी ने एक तो दम उन्हें ,... सिगरेट रोल करना भी और 'स्पेशल मसाले ' वाले भी ,
और उसका असर भी ,इस्तेमाल भी मम्मी ने अच्छी तरह समझा दिया था।
जब मैंने ब्रेकफास्ट के बाद टेबल समेट रही थी , तो मैं मुस्कराये बिना नहीं रह सकी।
वो 'स्पेशल वाली ' सिगरेट रोल कर रहे थे ,
और मम्मी उन्हें कुछ सिखा पढ़ा रही थीं ,और वो एकदम गुरु ज्ञान की तरह सुन रहे थे ,
" अपनी उस कच्ची कली को ,जब मायके जाओगे न अपने ,बस किसी तरह पटा के इस स्पेशल सिगरेट का एक दो सुट्टा लगवा देने खुद खोल के खड़ी हो जायेगी ,साली।
दिमाग का उसके रायता बन जाएगा ,
और फिर जो कुछ करोगे न उसकी नयी नयी आती चूंचियां मीजोगे ,
गुलाबी गली में ऊँगली करोगे ,सब करवाएगी और खुद ही पानी पानी हो जायेगी।
और एक बार जो उसे ये मजा मिल गया तो बस मौका पाते ही टांग उठा के , ...अरे कब से वो तेरे लिए चुदवासी है ,तुझे पता भी नहीं। "
" एकदम मम्मी ,मस्त आइडिया दिया आपने ,एकदम सही है ,
मन तो मेरा भी पहले बहुत करता था लेकिन पहले डर भी लगता था ,झिझक भी। पर ये आपने अच्छी ट्रिक बता दी। "
वो हंस के खुल के अपनी ममेरी बहन के बारे में बातें कर रहे थे।
मैं मुस्कराती हुयी किचेन में चली गयी।
जब थोड़ी देर बाद लौटी तो ५२ पत्ते की किताब खुली थी।