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Adultery मेहमान बेईमान
थोड़ी देर रुक नही सकते तुम.” मैने उस बूढ़े से दबी आवाज़ में कहा.

“ठीक है मैं भी तुम्हारी तरह इस डिब्बे में कर लूँगा. हम दोनो के पेसाब मिल जाएँगे आपस में हिहिहीही.” बूढ़े ने इतनी गंदी हँसी हस्ते हुए कहा कि मन किया कि एक तमाचा और जड़ दू उसके गाल पर…

“नही तुम यहाँ नही करोगे.” मैने उसे मना करते हुए कहा.

“अजीब समश्या है ये. ना तो मुझे जाने देती हो ना ही मुझे यहा करने देती हो. मैं जा रहा हूँ.” बुड्ढे ने चिढ़ते हुए जवाब दिया और दरवाजे की तरफ चल दिया.

“ठीक है कर लो उधर मूह करके.” मैने उसके बाहर की तरफ जाने से घबराते हुए कहा.

“मज़ा आएगा इस डब्बे में पेसाब करके, हिहिहीही.” बूढ़े ने तुरंत वहाँ जाते हुए कहा.

उसने डब्बे को पैर से सरकाया और मेरी तरफ पीठ करके पेसाब करने लगा. वो कुछ इस तरह से पेसाब कर रहा था कि ज़्यादा आवाज़ ना हो. पूरा पेसाब करके वो मेरी तरफ घूम गया. और बोला कि

“मैने मूत लिया है अब तुम भी घूम सकती हो.”

मैं उसके मूतने की वजह से जो उसकी तरफ पीठ करके खड़ी थी, चुपचाप उसकी तरफ घूम गयी.

“इन लोगो को भी अभी आना था.” मैने मन ही मन मे झल्लाहट हुए कहा.

“देखोगी मेरा.” उस बुढहे ने मेरी तरफ देख कर अपनी गंदी हँसी हेस्ट हुए धीरे से कहा.

“क्या मतलब?” मैने हैरान होते हुए कहा..

“मैने कहा मेरा लॉडा देखोगी क्या.” उसने एक दम से गंदी भाषा मे बोलना शुरू कर दिया.

“तुम्हे शरम नही आती ऐसी बाते करते हुवे. मैं तुम्हारी बेटी की उमर की हू और तुम इस तरह बोल रहे हो अब एक शब्द भी और कहा तो फिर से रख दूँगी एक गाल पर.” मैने पूरे गुस्से से उस पर आखे निकाल कर झल्लाते हुए कहा.

“मैं निकाल रहा हूँ अपना, तुझे देखना हो तो देख लेना.” उस बुड्ढे ने दाँत दिखाते हुए कहा.

“मुझे कोई दिलचस्पी नही है, और अब यहाँ पर चुपचाप खड़े रहो.”

उस बूढ़े मुकेश ने अपनी पॅंट उतारनी शुरू कर दी. मेरे तो होश ही उड़ गये. हे भगवान ये अपने कपड़े उतार रहा है. ये मरवाएगा मुझे आज.

“ये क्या कर रहे हो तुम” मैं मूड कर थोड़ा ज़ोर से बोली.

मगर ना चाहते हुवे भी मेरी आँखो के आगे वो आ गया जो मैने बिल्कुल भी नही सोचा था. उस बुड्ढे मुकेश की पॅंट घुटनो तक उतर चुकी थी और उसकी टाँगो के बीच एक विशालकाय घोड़े जैसा लिंग लटक रहा था. हे भगवान ये तो अमित के लिंग से भी बड़ा था. मुझे को तो विस्वास ही नही हो रहा था अपनी आँखो पर.

मुकेश शर्मा के लिंग के नीचे उसके बालों से घिरे आंडे झूल रहे थे.

“य…य…ये क्या है.” मैने उसके लिंग को झूलते हुए देख कर हड़बड़ाते हुए कहा.

“लॉडा है मेरी जान लॉडा.” उस बूढ़े मुकेश ने अपनी गंदी हँसी हस्ते हुए अपने लिंग को हाथ मे हिलाते हुए कहा.

“य…य…ये इतना बड़ा कैसे?” उसके लिंग की लंबाई को देख कर मेरे मुँह से अपने आप ही निकल गया.

“सब भगवान की माया है.” मुकेश ने मुकुराते हुए कहा.

जैसे ही मुझे होश आया कि मैं ये सब क्या बकवास कर रही हू मैं तुरंत दूसरी तरफ मूड गयी और उस बुढहे मुकेश की तरफ पीठ कर ली. बाहर लोगो की आवाज़ें लगातार सुनाई दे रही थी. मैं इस बंद स्टोर में एक घोड़े के साथ फँस गयी थी. ये ऐसा घोड़ा था जो दीखने में और आवाज़ से सुवर लगता था मगर इसका लिंग घोड़े वाला था.

अब मैं अजीब मुसीबत में फँस गयी. ये सुवर तो हाथ धोके पीछे पड़ गया था मेरे. बाहर कुछ लोग बाते कर रहे थे और ये मुआ अपनी पॅंट नीचे करके अपने हथोदे को अपने हाथ में पकड़े खड़ा था. समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ और क्या ना करूँ. धीरे धीरे आधा घंटा करीब हो गया हमें स्टोर में लेकिन लोग थे कि छत से जाने का नाम ही नही ले रहे थे.

अचानक मुझे फिर से जोरो का प्रेशर महसूस हुवा. ओह नो अब क्या करूँ. बाहर कुछ और लोगों की आआवाज़ आने लगी. लग रहा था कि कुछ और लोग आ गये थे छत पर. मैं खुद को कोसने लगी. अंजाने में ही मेरे हाथ मेरे पेट पर चले गये.

मुकेश ने पीछे से कहा “अरे डरो मत इस रूम में कोई नही आएगा. लेकिन अगर तुम्हे यहाँ से बाहर जाते हुए किसी ने भी देख लिया तो तुम्हारे ही लिए मुसीबत हो जाएगी” और ये बोल कर वो ह्सने लगा. वो शायद समझ गया कि मुझे ज़ोर से लगी है. नाउ दा बॉल ईज़ इन हिज़ कोर्ट. आइ आम हेल्पलेस. मैने उसके सामने हाथ जोड़े और कहा प्लीज़ आप इधर मत देखो आंड लेट मी टाय्लेट.

मगर वो हस्ने लगा. और बोला कि “तुम्हे मेरे सामने ही करना होगा.”

“मैं तुम्हारे सामने कैसे कर सकती हूँ, कुछ तो शरम करो. प्लीज़ मूड जाओ उस तरफ.” मैने मुकेश से रिक्वेस्ट करते हुए कहा.

“बदले में क्या मिलेगा ये बताओ पहले. क्या मुझे अपनी चुचियाँ दिखाओगि.” मुकेश ने तुरंत अपनी लार टपकाते हुए कहा.
“पागल मत बनो मैं शादी शुदा हूँ.” मैने फिर से उस बुढहे को आँख दिखाते हुए कहा.
“मैं नही मुड़ुउँगा. या तो मेरी बात मानो या फिर मेरे सामने पेसाब करो. मेरे सामने करोगी तो तुम मेरे सामने करोगी तो तुम्हारी चूत दिखेगी मुझे. अगर मैं मूड जाउन्गा तो तुम मुझे चुचियाँ दिखा देना. बोलो क्या दीखाना चाहती हो.” वो मेरे से चूत चुचिया ऐसे बोल रहा था कि जैसे वो मेरे साथ रोज़ ही बोलता हो. उसकी बात सुन कर मेरा गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 26-01-2020, 07:56 AM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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