26-01-2020, 07:51 AM
पूजा का सब सामान ले कर हम सब बाहर की तरफ चल दिए. वहाँ पर सुजाता भी थी. वो बोहोत खुश थी पर उसकी नज़ारो से सॉफ पता चल रहा था कि वो इधर उधर किसी को खोज रही है और वॉक ऑन था ये समझने मे ज़रा भी देर नही लगी क्यूकी विकास भी बाहर आ गया था. और सुजाता की निगाहे एक टक सिर्फ़ और सिर्फ़ विकास को ही देखे जा रही थी. घर पर सब काम ख़तम करने के बाद सब लोग मंदिर की तरफ चल दिए. घर पर केवल विकास और अमित ही रह गये थे.
पूजा के बाद सब घर पर आ गये और महिला गीत कार्यक्रम शुरू हो गया. कब रात के 11 बज गये पता ही नही चला. सब औरतो के जाने के बाद हम सबने एक साथ बैठ कर खाना खाया.. खाना ख़तम करके मैं और मनीष अपने कमरे मे जाने ही वाले थे की मम्मी बोली कि “निशा..!! बेटी देखना पीनू ने तुम्हारे कमरे की बिजली सही कर दी या नही.”
“जी मम्मी जी” कह कर मैने कमरे मे लगी लाइट को चेक किया तो सब लाइट सही थी. कल कुछ भी चेक नही किया था. मैने मम्मी जी जो कि हमारे साथ ही कमरे मे आ गयी थी को बोलो “जी मम्मी जी सब लाइट ठीक ठाक है”
“चलो ठीक है बेटा अब तुम दोनो सो जाओ” बोल कर मम्मी जी कमरे से बाहर निकल गयी.
मनीष कमरे मे आ कर बाथरूम मे चले गये फ्रेश होने के लिए और मैने मम्मी जी के जाते ही अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया. थकान तो मुझे भी बोहोत लग रही थी और मैं भी फ्रेश होने के लिए मनीष के बाहर आने का इंतजार करने लग गयइ. अपने कपड़े उतार कर मैं ब्लाउज और पेटिकोट मे बैठ गयी. थोड़ी ही देर मे मनीष बाथरूम से टवल निकाल कर बाहर आ गये. मैने अलमारी से रात के लिए उनके कपड़े पहले ही निकाल लिए थे. उन्होने आ कर मेरे हाथ से कपड़े लिए और मेरी तरफ देख कर प्यार से मुस्कुरा दिए. मैने भी अपने कपड़े लिए और बाथरूम मे नहाने के लिए चली गयी.
नहा कर मैं भी बेड पर आ कर लेट गयी. थोड़ी देर हमने घर की बाते करी फिर मनीष ने लेटे हुए ही अपनी एक टाँग को मेरी टाँग पर रख दिया. हम दोनो ही एक दूसरे की तरफ मुँह करके लेटे हुए थे. मनीष ने अपना एक हाथ बढ़ा कर मेरी पीठ पर रख लिया. और मेरी पीठ को सहलाने लग गये. थोड़ी देर यूँ ही सहलाने के बाद उन्होए मुझे खींच कर अपने से चिपका लिया और अपने लबो को मेरे लबो पे टिका दिया. किस करते हुए मनीष का हाथ बराबर मेरी पीठ को सहला रहा था. जैसे ही मनीष का हाथ मेरे नितंब पर आया मुझे लगा की मनीष अब मेरे नितंब को दबाएगे या मसलेगे पर ऐसा कुछ नही हुआ. मैं मन ही मन चाहती थी कि मनीष अपने दोनो हाथ से मेरे नितंबो को खूब कस कस कर बदाए पर उन्होने ऐसा कुछ नही किया.
किस ख़तम होने के बाद मनीष ने अपने कपड़े उतार दिए और मैने अपने.. मनीष ने बिल्कुल इस तरफ से सेक्स किया जैसे वो कोई फ़ॉर्मेलिटी पूरी कर रहे हो. शायद ये थकान की वजह से था. पर मुझे ज़रा भी मज़ा नही आया. मनीष ने सिर्फ़ एक ही बार किया जबकि मैं चाहती थी कि मनीष और करे पर वो अपने कपड़े पहन कर सोने के लिए लेट गये.
दो तीन दिन घर पर सिर्फ़ शादी की तैयारी चलती रही रोज़ रात को घर पर महिला संगीत होता और बेडरूम मे मनीष का फॉरमॅलिटी पूरा करना. आज शादी का दिन था पूरा घर रिश्तेदारो और मेहमानो से भरा पड़ा हुआ था. सब लोग इतने बिज़ी थे कि किसी के पास भी साँस लेने की फ़ुर्सत नही थी. मुझे काफ़ी देर से टाय्लेट आया हुआ था पर घर मे कोई भी जगह ऐसी नही थी जहा मैं टाय्लेट कर सकु. यहाँ तक कि मेरे कमरे के टाय्लेट मे भी घर आई हुई रिश्तेदार गयी थी.
समझ मे नही आ रहा था कि कहाँ टाय्लेट जाया जाए और कहाँ नही. तभी मेरे दिमाग़ मे ख़याल आया कि छत पर कोई नही है छत पर जा कर आराम से टाय्लेट किया जा सकता है. छत पर आ कर मैने चारो तरफ देखा पर कोई ढंग की जगह नही दिखाई दे रही थी. तभी वो स्टोर रूम वाला कमरा जहाँ पर विकास और सुजाता ने सेक्स किया था उसका ख़याल आया. मैं जल्दी से उस कमरे की तरफ चल दी.
पूजा के बाद सब घर पर आ गये और महिला गीत कार्यक्रम शुरू हो गया. कब रात के 11 बज गये पता ही नही चला. सब औरतो के जाने के बाद हम सबने एक साथ बैठ कर खाना खाया.. खाना ख़तम करके मैं और मनीष अपने कमरे मे जाने ही वाले थे की मम्मी बोली कि “निशा..!! बेटी देखना पीनू ने तुम्हारे कमरे की बिजली सही कर दी या नही.”
“जी मम्मी जी” कह कर मैने कमरे मे लगी लाइट को चेक किया तो सब लाइट सही थी. कल कुछ भी चेक नही किया था. मैने मम्मी जी जो कि हमारे साथ ही कमरे मे आ गयी थी को बोलो “जी मम्मी जी सब लाइट ठीक ठाक है”
“चलो ठीक है बेटा अब तुम दोनो सो जाओ” बोल कर मम्मी जी कमरे से बाहर निकल गयी.
मनीष कमरे मे आ कर बाथरूम मे चले गये फ्रेश होने के लिए और मैने मम्मी जी के जाते ही अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया. थकान तो मुझे भी बोहोत लग रही थी और मैं भी फ्रेश होने के लिए मनीष के बाहर आने का इंतजार करने लग गयइ. अपने कपड़े उतार कर मैं ब्लाउज और पेटिकोट मे बैठ गयी. थोड़ी ही देर मे मनीष बाथरूम से टवल निकाल कर बाहर आ गये. मैने अलमारी से रात के लिए उनके कपड़े पहले ही निकाल लिए थे. उन्होने आ कर मेरे हाथ से कपड़े लिए और मेरी तरफ देख कर प्यार से मुस्कुरा दिए. मैने भी अपने कपड़े लिए और बाथरूम मे नहाने के लिए चली गयी.
नहा कर मैं भी बेड पर आ कर लेट गयी. थोड़ी देर हमने घर की बाते करी फिर मनीष ने लेटे हुए ही अपनी एक टाँग को मेरी टाँग पर रख दिया. हम दोनो ही एक दूसरे की तरफ मुँह करके लेटे हुए थे. मनीष ने अपना एक हाथ बढ़ा कर मेरी पीठ पर रख लिया. और मेरी पीठ को सहलाने लग गये. थोड़ी देर यूँ ही सहलाने के बाद उन्होए मुझे खींच कर अपने से चिपका लिया और अपने लबो को मेरे लबो पे टिका दिया. किस करते हुए मनीष का हाथ बराबर मेरी पीठ को सहला रहा था. जैसे ही मनीष का हाथ मेरे नितंब पर आया मुझे लगा की मनीष अब मेरे नितंब को दबाएगे या मसलेगे पर ऐसा कुछ नही हुआ. मैं मन ही मन चाहती थी कि मनीष अपने दोनो हाथ से मेरे नितंबो को खूब कस कस कर बदाए पर उन्होने ऐसा कुछ नही किया.
किस ख़तम होने के बाद मनीष ने अपने कपड़े उतार दिए और मैने अपने.. मनीष ने बिल्कुल इस तरफ से सेक्स किया जैसे वो कोई फ़ॉर्मेलिटी पूरी कर रहे हो. शायद ये थकान की वजह से था. पर मुझे ज़रा भी मज़ा नही आया. मनीष ने सिर्फ़ एक ही बार किया जबकि मैं चाहती थी कि मनीष और करे पर वो अपने कपड़े पहन कर सोने के लिए लेट गये.
दो तीन दिन घर पर सिर्फ़ शादी की तैयारी चलती रही रोज़ रात को घर पर महिला संगीत होता और बेडरूम मे मनीष का फॉरमॅलिटी पूरा करना. आज शादी का दिन था पूरा घर रिश्तेदारो और मेहमानो से भरा पड़ा हुआ था. सब लोग इतने बिज़ी थे कि किसी के पास भी साँस लेने की फ़ुर्सत नही थी. मुझे काफ़ी देर से टाय्लेट आया हुआ था पर घर मे कोई भी जगह ऐसी नही थी जहा मैं टाय्लेट कर सकु. यहाँ तक कि मेरे कमरे के टाय्लेट मे भी घर आई हुई रिश्तेदार गयी थी.
समझ मे नही आ रहा था कि कहाँ टाय्लेट जाया जाए और कहाँ नही. तभी मेरे दिमाग़ मे ख़याल आया कि छत पर कोई नही है छत पर जा कर आराम से टाय्लेट किया जा सकता है. छत पर आ कर मैने चारो तरफ देखा पर कोई ढंग की जगह नही दिखाई दे रही थी. तभी वो स्टोर रूम वाला कमरा जहाँ पर विकास और सुजाता ने सेक्स किया था उसका ख़याल आया. मैं जल्दी से उस कमरे की तरफ चल दी.