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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक
#35
अध्याय 10


उनके जाने के थोड़ी देर बाद ही रेशमा वापस आ गई और रागिनी के पास बैठ गई। उसने रागिनी से पूंछा कि ये बच्चे और उनके साथ आयी हुई औरत कौन है तो रागिनी ने उन सब के बारे में बताया। अनुराधा का नाम सुनते ही रेशमा छौं गई और उससे बोली

“अनुराधा तू भी रागिनी के ही साथ थी.... तूने मुझे नहीं पहचाना... मेरी बेटी अनुपमा कि तो याद होगी तुझे...... तुम दोनों हमेशा साथ रहा करती थी”

“अनुराधा से मेरा क्या रिश्ता है?” रागिनी ने पूंछा इधर अनुराधा भी बेचैन होकर रेशमा कि ओर देखने लगी

“अनुराधा ममता कि बेटी है.... तुम्हारे भाई की बेटी, तुम्हारी भतीजी.... लेकिन ये बचपन से ही सिर्फ तुम्हारी बेटी थी.... इसे हमेशा तुमने ही पाला 3 दिन की थी तब से हमेशा  तुम्हारे ही पास रही

अनुराधा और रागिनी दोनों एक दूसरे को देखने लगे..........

“लेकिन ये बताओ कि तुमने यहाँ ये क्यों बताया कि अनुराधा तुम्हारी बेटी है….. लाली बता रही थी कि विक्रमादित्य की चाची आयी हैं अपने बेटे-बेटी और सहेली के साथ?” रेशमा ने अचानक सवाल किया तो थोड़ी देर के लिए रागिनी चुप बैठी रही, फिर बोली”

“भाभी जी! मेरी तो याददास्त ही चली गयी थी तभी..... मुझे अगर कुछ याद होता तो इसी घर में लौटकर ना आती...... मुझे तो याददास्त जाने के बाद ये दोनों बच्चे अपने साथ ही मिले तो और विक्रम ने बताया कि ये मेरे बेटे बेटी हैं......... तो वही मान लिया” रागिनी ने आगे कहा “और फिर अनुराधा भी कहती है आपने भी कहा...बचपन से मेंने ही इसे पाला है और ये मुझे ही अपनी माँ जानती है...अब ये दोनों असलियत मे मेरे बेटे बेटी नहीं हैं...... लेकिन दोनों को ही जन्म से मेंने ही पाला है...... तो में ही इनकी माँ हूँ.....और में विक्रमादित्य कि चाची भी नहीं हूँ..... आपको इसलिए बता रही हूँ ये सब...पता नहीं क्यों आपको देखकर आपसे एक लगाव सा हो गया है....... एक प्यार सा उठ रहा है दिल में..... मुझे लगता है यहाँ रहकर मेरी याददस्त वापस लौट सकती है........ इसीलिए यहाँ रहने को तयार हो गयी”

“चलो अच्छा हुआ की अनुराधा तो तुम्हारे पास है.... वरना तुम्हारा तो पूरा परिवार ही बिखर गया.... किसी का कोई पता नहीं.....ममता को भी जेल गए करीब 20 साल होने को आए.... इतनी बड़ी सज़ा तो नहीं हुई होगी.... लेकिन वो लौटी ही नहीं.... तुम्हारे साथ ही विमला आंटी भी गायब हो गयी थीं... पुलिस वाले बता रहे थे की तुम्हारे गायब होने के पीछे विमला आंटी का ही हाथ था.... मुझे तो कभी कभी लगता भी था.... वो बहुत अजीब थीं” रेशमा ने अभी अपनी बात काही ही थी कि बाहर गाड़ी रुकने कि आवाज आयी तो फिर कोई कुछ नहीं बोला

तभी अपने बैग हाथों में लिए हुये पूनम और प्रबल अंदर आए और बैग एक किनारे रखकर सोफ़े पर बैठ गए..... रेशमा ने उन सबको फ्रेश होने के लिए कहा और साथ चलकर उनके घर खाना खाने को बोला.... और अपने घर चली गयी... वो सब भी फ्रेश होने चले गए .... हॉल से अंदर गैलरी थी जिसमें 3 कमरों के दरवाजे खुलते थे... जिस तरफ एक ही कमरा था वह कमरे के बाद थोड़ी खुली जगह थी जिसमें एक तरफ रसोई थी और सामने की खुली जगह में डाइनिंग तबले लगी हुई थी... रागिनी, पूनम और अनुराधा तो अलग अलग कमरों मे फ्रेश होने चली गईं, प्रबल ड्राइंग रूम से जुड़े बाथरूम में चला गया।

थोड़ी देर बाद जब प्रबल बाहर निकला तो हॉल में एक तीखे नैन नक्श की साँवली सी लड़की, लगभग अनुराधा की उम्र की सोफ़े पर बैठी हुई थी उसने एक नज़र प्रबल को देखा और हॉल के दूसरे कोने मे सफाई कर रही नौकरानी को देखने लगी... प्रबल भी आकर दूसरे सोफ़े पर चुपचाप बैठ गया और नज़रें नीची करके फर्श पर देखता रहा... थोड़ी देर बाद ही वो तीनों भी एक-एक करके हॉल में आयीं तो रागिनी को देखते ही वो लड़की उठकर खड़ी हो गयी और बोली

“रागिनी बुआ.... आप अब भी वैसी ही लगती हो... मुझे पहचाना...”

“अनुपमा! तुम अनुपमा ही हो शायद...” रागिनी ने अंदाजा लगते हुये कहा

“हाँ बुआ! अच्छा चलो पहले घर चलकर खाना खा लो... तब तक यहाँ की सफाई भी हो जाएगी और आप लोगों के रूम भी सेट हो जाएंगे...” अनुपमा कह ही रही थी कि अनुराधा ने आकर उसे गले से लगा लिया और रोने लगी... अनुराधा के गले लगते ही अनुपमा कि आँखों में भी आँसू आ गए........ रागिनी ने आगे बढ़कर दोनों के कंधों पर हाथ रखकर थपथपाया और अलग करके चलने का इशारा किया तो दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़े रागिनी और पूनम के पीछे चल दी... प्रबल भी कुछ उदास सा उठकर खड़ा हुआ और उनके पीछे-पीछे चल दिया

आज प्रबल को बहुत अजीब सा महसूस होने लगा था ... पहले तो रागिनी ने उसे पूनम के साथ भेज दिया और खुद अनुराधा के साथ चली गयी, उसके बाद फिर से उसे पूनम के साथ होटल भेज दिया... यहाँ भी सब रागिनी और अनुराधा को जानते हैं तो सब उन्ही से बातें कर रहे या उनका जिक्र कर रहे थे... अब तो ये भी निश्चित हो गया था कि रागिनी और अनुराधा माँ-बेटी न सही बुआ-भतीजी तो हैं.... और उनका एक घर भी है... यही सब सोचता हुआ प्रबल उनके घर पहुंचा और फिर सबने रेशमा जी के परिवार से परिचय किया उनके परिवार में उनके पति, उनकी सास, एक बेटा जो लगभग प्रबल कि ही उम्र का था और बेटी अनुपमा थे... रेशमा जी कि सास ने खाना खने के बाद रागिनी को अपने साथ अपने कमरे में चलने का इशारा किया.... रागिनी उनके साथ उनके कमरे में गयी और दरवाजा बंद करके दोनों कुछ देर बातें करती रहीं.... फिर उलझन सी लिए हुये रागिनी बाहर आयी और दोनों बच्चों व पूनम को साथ लेकर अपने घर आ गयी, बाहर तक जब वो सभी उनको छोडने आए तो अनुपमा ने भी जिद करके अनुराधा के साथ जाने को कहा...उन लोगो ने भी बिना किसी ना नुकुर के उसे रात मे अनुराधा के साथ रहने कि इजाजत दे दी.....

घर में आकर उन्होने देखा कि पूरा घर साफ हो चुका था और बिजली से रोशन था...... सभी पूरे दिन के थके हुये थे तो सोने का फैसला लिया.... उसी समय ऊपर से शांति देवी उतार कर आयीं और रागिनी से पूंछा कि उन्हें कुछ चाहिए तो नहीं और खाना वगैरह का तो रागिनी ने उन्हें बता दिया कि फिलहाल सारी व्यवस्था रेशमा जी ने कर दी है और अब वो हमेशा यहीं रहेंगी क्योंकि विक्रम की मृत्यु हो चुकी है और वो खुद उस मकान कि असली मालकिन विमला देवी की बेटी हैं, और उस संपत्ति की एकमात्र मौजूदा वारिस, सुनकर शांति देवी को ताज्जुब हुआ लेकिन फिर उन्होने कुछ नहीं कहा और चली गयी.........

अनुराधा और अनुपमा एक कमरे मे सोने चली गईं, एक मे जाते हुये पूनम ने रागिनी को भी चलने को कहा तो रागिनी ने कहा कि आज वो प्रबल के साथ कुछ बात करेगी फिर वहीं सो जाएगी... तो वो रागिनी को अजीब सी नज़रों से देखते हुये अपने कमरे मे चली गयी

इधर रागिनी ने प्रबल को अपने साथ आने को कहा और तीसरे कमरे में जो रसोई कि तरफ था चली गयी प्रबल ने कमरे में अंदर आकार देखा तो रागिनी सामने बैड पर बैठी हुई थी...उसने प्रबल से दरवाजा बंद करके अपने पास आने को कहा तो प्रबल दरवाजे को बंद कर उसके पास पहुँच गया .... रागिनी ने प्रबल को हाथ पकड़कर अपने पास बैठाया और बाहों में जकड़कर सीने से लगा लिया... रागिनी के सीने से लगते ही प्रबल कि आँखों से आँसू निकालने लगे...रागिनी कि भी आँखें भर आयी और उसने प्रबल कि पीठ थपथपाते हुये बोला

“में बहुत देर से देख रही हूँ कि तुम बहुत उदास हो... क्या बात है? तुम्हें लगता है कि मुझे और अनुराधा को अपना घर मिल गया हम एक ही घर-परवर के हैं तो में तुम्हें अकेला छोड़ दूँगी” रोते हुये रागिनी ने कहा तो प्रबल ज़ोर से सिसकता हुआ रोने लगा

“तुम्हारे बारे में कुछ पता चले या ना चले... तुम उन बातों को भूलकर बस ये याद रखना कि में ही तुम्हारी माँ थी, हूँ और रहूँगी....जब से तुम पैदा हुये हो.....कोई भी तुम्हें मुझसे अलग नहीं कर सकता....आज में तुम्हारे पास ही सोऊंगी और अब कुछ भी मत सोचना... अब मुझे अपने और अनुराधा के बारे मे जो भी पता करना है.... बाद में करूंगी....... लेकिन कल से ही पहले तुम्हारे बारे में पता लगाऊँगी.... बस एक वादा करो..... कुछ भी हो जाए.... तुम मुझे कभी छोडकर नहीं जाओगे..... किसी के भी साथ” रागिनी ने प्रबल का सिर अपने सीने उठाकर उसके आँसू पोंछते हुये कहा

“माँ में तुम्हें छोडकर कभी कहीं नहीं जाऊंगा...... मेरी माँ तुम ही हो और हमेशा रहोगी.... अब मेरे बारे में कुछ भी पता लगाने कि जरूरत नहीं...... में उन माँ-बाप को क्यों ढूँढूँ जिनहोने कभी मुझे ढूँढने कि कोशिश नहीं की.... और वो मिल भी गए तो उससे क्या होगा... अब में बालिग हूँ और अपनी मर्जी से आपके पास रह सकता हूँ....... वो मुझे ले जा नहीं सकते...... बस आज यहाँ आने के बाद मुझे बहुत अकेलापन सा लगा और डर भी.... कि आपका और दीदी का घर मिल गया अब कहीं आप मुझे भूल तो नहीं जाओगी” प्रबल ने भी रागिनी के आँसू पोंछते हुये कहा

“पागल... मेरी याददास्त भी वापस आ जाएगी... तो भी तू मेरा बेटा ही रहेगा... और अनुराधा के बारे में भी कभी ऐसा मत सोचना.... पता है वो तुझे मुझसे भी ज्यादा प्यार करती है....... जब तू छोटा था तो हमेशा तुझे अपने साथ ही रखती थी... मुझे भी तुम दोनों के पास ही सोना पड़ता था.... मुझसे ज्यादा तो उसी कि गोदी में खेलकर बड़ा हुआ है.................. चल अब सो जा... थक गया होगा” ये कहते हुये रागिनी बिस्तर पर लेट गयी और प्रबल के लिए सरकते हुये जगह बना दी

......................................................

सुबह उठकर पूनम ने रागिनी से कहा कि अब सिर्फ प्रबल का मामला रह गया है इसलिए उसकी यहाँ रुकने कि कोई खास जरूरत नहीं है...तो वो कोटा वापस जाना  रागिनी ने भी कहा कि वो भी यही सोचती है ..... लेकिन अभी इन लोगो को भी एक बार कोटा जाना होगा और हवेली से सारा जरूरी समान लेकर दिल्ली आना होगा... रागिनी के ये कहने पर अनुराधा ने कहा कि वो और प्रबल यहाँ रुक जाएंगे और रागिनी और पूनम कोटा चली जाएंगी.........

“लेकिन बेटा... यहाँ में तुम्हें और प्रबल को अकेला नहीं छोडूंगी... यहाँ अगर कोई खतरा न होता तो विक्रमादित्य हमें कोटा क्यों लेकर जाता.... उसने अपनी वसीयत में भी बताया था कि हमारी पहचान छुपाने के लिए ही वो हमें वहाँ अपनी चाची और भाई बहन बनाकर रखे हुये था...... और अभी तो सबको पता चलना शुरू होगा कि में और तुम यहाँ आ गए हैं....... पता नहीं कौन हो इस सबके पीछे... जो आज हमारे इतने बड़े परिवार में सिर्फ हम 2 ही रह गए....बाकी किसी का पता नहीं....हमें हर हाल में साथ ही रहना होगा....... या तो चुपचाप चलकर कोटा में वैसे ही रहते हैं.... जैसे रहते आए थे.......... या सबकुछ पता करना है और इस गुमनामी कि ज़िंदगी से बाहर निकालना है तो फिर अभी कोटा चलकर सारा जरूरी समान कपड़े कागजात वगैरह.... और यहीं रहते हैं......... अगर जियेंगे तो साथ ...मरेंगे तो साथ...... हर खुसी और दुख का मिलकर सामना करेंगे..... क्योंकि यहाँ रहने से हम दोनों को तो अपने परिवार के बारे में सब पता चल ही जाएगा....... साथ ही प्रबल के बारे में भी पता करेंगे लेकिन सावधानी से ...... प्रबल का मामला दो देशों का है कहीं ऐसा न हो सरकार इसे उसी देश भेज दे... क्योंकि इसके माता-पिता वहाँ के रहने वाले हैं....लेकिन मेरी समझ में ये नहीं आया कि हमारे परिवार के बाकी सब लोग कहाँ चले गए..... पूरा परिवार ही गायब हो गया...” रागिनी कि बात को सुन समझकर वो सब भी कोटा चलने को तयार हो गए। 

तभी सुबह का चाय नाश्ता लेकर अनुपमा भी अपने घर से आ गयी तो उन सभी ने चाय-नाश्ता किया और रागिनी अनुपमा के साथ ही उसके घर जाकर रेशमा भाभी को बता आयी कि वो लोग अभी कोटा जा रहे हैं 2-4 दिन में वापस आएंगे, यहाँ हमेशा रहने के लिए। रेशमा भाभी ने उन्हें खाना खाकर जाने को कहा तो उन्होने कहा कि दूर का सफर है इसलिए उन्हें जल्दी निकालना होगा.... खाना वो रास्ते में खा लेंगे। इसके बाद रागिनी घर आयी तो तीनों तैयार मिले और वो सब गाड़ी में बैठकर कोटा कि ओर निकाल लिए। रेशमा भाभी का पूरा परिवार उन्हें छोडने बाहर तक आया।

...................................

रास्ते में कोई खास बात नहीं हुई लेकिन जब वो जयपुर के पास पहुंचे तो रागिनी के मोबाइल पर हॉस्पिटल से रामलाल के कई मैसेज आए जिनमें उन्होने अस्पताल के डाटा कि कॉपी भेजी थी.... रगिनी ने उन्हें पढ्ना शुरू कर दिया.....

कोटा पहुँचकर उन्होने पूनम को उसके घर के सामने छोड़ा तो पूनम ने उन्हें आज रात अपने घर रुकने को कहा लेकिन रागिनी ने वापस लौटते समय आने का वादा किया और अपनी हवेली कि ओर चल दिये....हवेली पहुँचकर थकान की वजह से नहा धोकर साथ में पाक करके लाया हुआ खाना खाकर सो गए....

.......................... इधर गाँव में

“ऋतु कुछ पता चला विक्रम के बारे में.... किसने किया ऐसा..... वो अत्महत्या तो हरगिज नहीं कर सकता..... लेकिन उसके दुश्मन बहुत थे....... और दोस्त तो शायद थे ही नहीं” बलराज सिंह ने फोन पर ऋतु से कहा

“नहीं पापा.... विक्रम भैया के बारे में अभी कुछ नहीं पता चला। लेकिन एक और बात करनी थी मुझे.........अगर आप गुस्सा न करें तो” ऋतु ने जवाब में कहा

“बोलो तो सही ........ऐसी क्या बात है जो में तुम पर गुस्सा करूंगा..... कोई लड़का पसंद कर लिया है क्या?” बलराज सिंह ने हँसते हुये कहा

“बहुत सीरियस बात है.... कल मेंने प्रबल और पूनम भाभी को देखा.....दिल्ली में” ऋतु ने संजीदा लहजे में कहा तो बलराज सिंह भी सुनकर चोंक गए

“क्या? लेकिन वो सब तो कोटा गए थे यहाँ से...” बलराज सिंह ने कहा

“में कल कनॉट प्लेस किसी क्लाइंट के ऑफिस गयी थी वहाँ से लौटते हुये मुझे उनकी गाड़ी पहाड्गंज पर दिखी में उनका पीछा करती हुई किशनगंज पहुंची तो वहाँ गाड़ी से पूनम भाभी और प्रबल अपने बैग लेकर उतरे और उसी मकान में घुस गए.... जिसका मेंने आपको पहले भी बताया था” ऋतु ने कहा

शेष अध्याय 11 में जारी................
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RE: मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक - by kamdev99008 - 25-01-2020, 10:41 PM



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