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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक
#34
अध्याय 9


“रामलाल जी! किसी भी तरह मुझे ये रेकॉर्ड में से डिटेल्स निकालकर दिखा दो कि इस तारीख को हॉस्पिटल में कौन कौन मरीज आए हुये थे या भर्ती थे” रागिनी ने लोकनायक जयप्रकाश हॉस्पिटल के क्लर्क से कहा....

वो लोग रात मे दिल्ली पहुँचकर एक होटल में रुके थे क्योंकि अभी तक उनके आधार कार्ड में उनकी देवराज सिंह की पत्नी और पुत्र-पुत्री के रूप मे पहचान दर्ज थी इसलिए होटल मे एक साथ रुकने में कोई परेशानी नहीं हुई...... सुबह उठकर रागिनी ने सभी को बैठाकर आगे कैसे शुरुआत करनी है बात की तो पूनम ने कहा कि वो और प्रबल विदेश मंत्रालय जाएंगे और उस जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर जानकारी लेंगे। रागिनी और अनुराधा रागिनी के लिफाफे से मिले पर्चे पर लिखे हॉस्पिटल से जानकारी लेंगी और रागिनी कि गुमशुदगी कि उस रिपोर्ट के बारे में थाने से पता करेंगी.....

“देखो मेडम जी ये तारीख 1979 कि है करीब 40 साल पहले की... इसके लिए मुझे रेकॉर्ड रूम में ढूँढना होगा, आप अपना कांटैक्ट नं मुझे दे दें.... वैसे तो हम रेकॉर्ड सिर्फ कोर्ट के आदेश पर ही दिखाते हैं लेकिन अगर आप कुछ हमारा भी ख्याल करेंगी तो .... में कोशिश कर सकता हूँ... लेकिन 1-2 दिन का समय आपको देना होगा” रामलाल ने धीमी आवाज मे कहा और अपने हाथ को मसलकर इशारा किया...... उसका इशारा समझकर रागिनी ने 2000 का 1 नोट पर्स से निकालकर अपनी मुट्ठी से उसकी मुट्ठी मे रख दिया

“ठीक है मेडम जी में आपको कल तक बताता हूँ आप अपना फोन .........” उसकी बात को बीच में ही काटते हुये रागिनी ने कहा “ये मेरा नं है... उस डेट की सारी डीटेल मुझे फोटो खींचकर व्हाट्सअप कर देना....... फोटो क्लियर हो जो पढ़ने मे आ सकें... और कोई बात हो तो मुझे इसी नं पर कॉल कर देना” ये कहकर रागिनी अनुराधा के साथ बाहर निकाल गयी तभी उसके मोबाइल पर पूनम का फोन आया।

“रागिनी! यहाँ से तो कुछ पता नहीं चल रहा क्योंकि राणा शमशेर अली और नीलोफर की कोई डिटेल हमारे पास नहीं है..... यहा पासपोर्ट नं से ही सर्च होगा....” फोन उठाते ही पूनम ने बताया तो रागिनी ने कहा

“ठीक है तुम दोनों किशन गंज आ जाओ में वहीं मिलूँगी वहाँ से कैब छोडकर हम सब एक साथ ही सब जगह चलेंगे”

और बाहर पार्किंग में आकर रागिनी ने अपनी गाड़ी निकाली और अनुराधा को साथ लेकर किशनगंज की ओर चल दी, किशनगंज पहुँचकर रागिनी ने किशनगंज मार्केट में मेन रोड़ पर ही गाड़ी लगा दी और एक फल की ठेली वाले से कश्मीरी बाग का रास्ता पूंछा तो उसने बताया की अगले कट से जो सड़क अंदर मूड रही है उस पर आगे जाकर जो चौक पड़ेगा वही कश्मीरी बाग है। रागिनी ने अपना शीश ऊपर किया और आँखें बंद करके सीट से पीठ टिकाकार बैठ गयी। 10-15 मिनट बाद उसके फोन की घंटी बजी तो उसने आँखें खोलकर फोन उठाकर देखा, पूनम का फोन था।

“पूनम! तुम किशनगंज मार्केट आ जाओ मेन रोड पर ही गाड़ी खड़ी है” कहकर रागिनी ने फोन काट दिया और फिर से आँखें बंद करके बैठी रही...अनुराधा ने एक नज़र रागिनी की ओर देखा और सड़क पर नजरें गड़ा दीं। थोड़ी देर बाद ही उनकी गाड़ी के पीछे आकार एक कैब रुकी और उसमें से पूनम के साथ प्रबल बाहर निकला दोनों के पास आने पर अनुराधा ने कहा तो रागिनी ने दरवाजा अनलॉक कर दिया, दोनों के बैठते ही रागिनी ने गाड़ी आगे बढ़ा दी।

“हम लोग यहाँ क्यों आए हैं? किसी से मिलना है क्या?” पूनम ने पूंछा

“उस पुलिस रिपोर्ट में यहीं का एड्रैस दिया हुआ थ। देखते हैं कौन मिलता है, कोई तो जानता-पहचानता होगा” रागिनी ने जवाब दिया

जवाब में पूनम ने कुछ नहीं कहा लेकिन रागिनी की बात सुनकर अनुराधा के दिल की धड़कनें बढ़ गईं, आखिर उसके लिफाफे में ये रिपोर्ट थी तो जाहिर है की ये उसका और रागिनी का घर होगा। गाड़ी चौक में पहुँचने पर रागिनी ने एक घर में बनी दुकान के सामने रोकते हुये अपना शीशा नीचे करके दुकान पर बैठे 28-30 साल के लड़के से वो पता पूंछा, पता सुनते ही लड़के ने बड़े ध्यान से रागिनी की ओर देखा और उसे पता बताने लगा... उसे ऐसे घूरते देखकर रागिनी को थोड़ा अजीब सा लगा लेकिन उसने रास्ता समझकर गाड़ी आगे बढ़ा दी। गाड़ी के निकाल जाने के बाद भी वो लड़का उस गाड़ी को देखता रहा जब तक वो एक गली में मुड़ नहीं गयी। उस मकान के सामने आकार रागिनी ने गाड़ी रोकी तो वहाँ मेन गेट खुला हुआ था सामने ही ऊपर जाती सीढ़ियों के नीचे एक बाइक खड़ी हुई थी। ऊपर की दोनों मंजिलों पर बाहर की तरफ कुछ कपड़े भी सूख रहे थे लेकिन ग्राउंड फ्लोर पर ताला लगा हुआ था और ऐसा लग रहा था।

रागिनी ने गाड़ी रोकी और दरवाजा खोलकर बाहर को निकली उसको देखकर पूनम, अनुराधा और प्रबल भी बाहर निकल आए... रागिनी ने आगे बढ़कर ऊपर की दोनों मंजिलों की घंटी बजाई और गाड़ी की तरफ आकार खड़ी हो गयी उन तीनों के पास। तभी ऊपर की मंजिलों से एक लगभग 40 वर्ष की औरत और एक 20-22 साल की लड़की ने झांक कर देखा तो रागिनी ने उन्हें नीचे आने का इशारा किया। थोड़ी देर में ही वो लड़की सीढ़ियों से उतरकर बाहर आयी और गाते के पास खड़ी होकर बोली “किससे मिलना है आपको?”

“मुझे विमला जी से मिलना है” रागिनी ने जवाब में कहा

“जी यहाँ तो कोई विमला नाम की नहीं रहतीं ... आप किस पते पर आयीं हैं?” लड़की ने पूंछा तो रागिनी ने उसे पता बताया, पता सुनकर लड़की बोली “पता तो सही है लेकिन यहाँ कोई विमला नहीं रहती ...”

“यहाँ करीब 20 साल पहले विमला जी रहती थी तब में उनसे मिलने आती थी... आप कब से यहाँ रह रही हैं? रागिनी ने पूंछा

“जी हमें करीब 5-6 साल हो गए यहाँ रहते... “

“ये आपका ही मकान है?”

“जी नहीं हम किराए पर रहते हैं, ये मकान विक्रमादित्य सिंह का है जो राजस्थान में रहते हैं”

लड़की की बात सुनते ही सब चौंकर एक दूसरे को और उस लड़की को देखने लगे... फिर रागिनी ने कहा “में उन्ही विक्रमादित्य सिंह की माँ हूँ और ये उनके भाई बहन हैं”

“लेकिन आपकी उम्र...”

“में उनकी चाची हूँ... मेरे पति ने ऊन्हें गोद लिया हुआ था... इसलिए में उनकी माँ ही हू...” रागिनी ने जैसे ही कहा तो उस लड़की ने तुरंत उन्हें ऊपर अपने घर चलने को कहा। रागिनी ने पूनम की ओर देखा तो उसने भी चलने का इशारा किया अनुराधा भी साथ चल दी लेकिन परबल वहीं खड़ा रहा तो अनुराधा ने हाथ बढ़ाकर प्रबल का हाथ पकड़ा और उन दोनों के पीछे चल दी। ऊपर के फ्लोर पर गाते से अंदर घुसते ही हॉल था जिसमे वही औरत सोफ़े पर बैठी हुयी थी... लड़की के पीछे इन सबको आते दीखकर वो औरत खड़ी हुयी और इन सबको सोफ़े पर बैठने को कहा और लड़की की ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा, रागिनी ने उस औरत को भी बैठने को कहा तो लड़की रसोई की तरफ जाते हुई बोली की ये राजस्थान से विक्रम जी की चाची हैं। वो लड़की रसोई से उनके लिए पनि लेकर आयी और चाय बनाने चली गई।

“बहन जी! आपको आज पहली बार देखा है, विक्रम जी तो जब कभी आते रहते हैं, उनकी एक और चाची जी भी यहाँ आती रहती हैं उनके साथ वो आपसे बड़ी हैं शायद.... मोहिनी जी” उस औरत ने रागिनी से कहा तो सुनकर सभी चौंक गए

“जी हाँ! ,,,, वैसे विक्रम यहाँ आपके पास रुकते थे?” रागिनी ने पूंछा

“नहीं! ग्राउंड फ्लोर उन्होने अपने लिए रखा हुआ था तो जब वो आते थे तो पहले ही फोन कर देते थे जिससे उसकी साफ सफाई करवा दी जाए” उस औरत ने कहा

“तो इसकी चाबी आपके पास होगी?” रागिनी ने पूंछा

“नहीं! इसकी एक चाबी उनके पास रहती है और एक चाबी यहाँ बराबर के मकान वालों के पास रहती है... शुरू से ही”

“अच्छा इस मकान में पहले विमला जी रहती थीं उनके बारे में आपको कुछ जानकारी है” रागिनी ने पूंछा

“नहीं! लेकिन हमारे बराबर वाले जिनके यहाँ चाबी रहती है नीचे वाले हिस्से की वो जानती होंगी...शायद”

“आप उनसे चाबी मँगवा दीजिये हम लोग यहीं रुकेंगे” रागिनी ने कहा तो उसने अपनी बेटी को भेज दिया पड़ोस से चाबी लेने के लिए… उनकी बेटी चाय देकर चाबी लेने चली गई और वो सब चाय पीने लगे

“शांति कौन आया है... अनु बता रही थी कि विक्रम की छोटी चाची आयी है राजस्थान से” एक 50-55 कि उम्र कि बेहद खूबसूरत औरत ने उस लड़की अनु के साथ अंदर घुसते हुये पूंछा तो शांति ने उन्हें सोफ़े पर अपने पास बैठने का इशारा किया.... सोफ़े पर बैठते ही उस औरत कि नज़र रागिनी पर पड़ी जो दरवाजे की ओर पीठ किए सामने वाले सोफ़े पर पूनम और अनुराधा के साथ बैठी थी, प्रबल सिंगल सीटर पर बैठा हुआ था साइड में। रागिनी को देखते ही उसकी आँखों मे पहचाने से भाव उभरे और उसने रागिनी से कहा

“तुम रागिनी हो ना? ममता की ननद”

“जी!!!!! ... जी हाँ! में रागिनी ही हूँ... आपसे मुझे अकेले में कुछ बात करनी है क्या आप नीचे चलकर बात करेंगी...” रागिनी ने अपनी उत्सुकता और आश्चर्य को छिपते हुये उससे कहा

“बिलकुल! क्यों नहीं.... चलो नीचे ही बैठकर बात करते हैं”

“रेशमा दीदी आप इनको जानती हो... पहले से” शांति ने कहा

“हाँ! बहुत अच्छी तरह...... बाद मे बताऊँगी तुम्हें” रेशमा ने सोफ़े से खड़े होते हुये कहा तो रागिनी और वो तीनों भी खड़े हुये और पड़ोस वाली औरत रेशमा के साथ नीचे कि ओर चल दिये। नीचे पहुँचकर रेशमा ने अपने हाथ में पकड़ी हुई चाबियों में से एक चाबी निकालकर ग्राउंड फ्लोर का दरवाजा खोला और अंदर हॉल में आकार खड़ी हुई और पीछे मुड़कर उन सबको भी अंदर आने को कहा और सोफ़े के कवर हटाने लगी....परब ने आगे बढ़कर उनके साथ सभी सोफ़ों के कवर हटाये और बाहर का दरवाजा बंद कर दिया.... सभी सोफ़ों पर बैठ गए तो रेशमा ने कहा

“आज करीब बीस साल बाद तुम्हें देखकर मुझे पता नहीं कितनी खुशी हो रही है। रागिनी! तुम आज भी वैसी ही लगती हो.... वैसे विक्रम ने तो कभी बताया नहीं कि तुम उसकी चाची हो...मुझे तो इतना ही बताया था कि उसने ममता से मकान खरीद लिया है”

“में आपको सबकुछ बताऊँगी लेकिन पहले मुझे ये बताओ ये ममता कौन है...और वो कहाँ गई, विमला कहाँ है........ इस घर में कौन-कौन रहता था उनके नाम और मुझसे रिश्ता...... आंटी! मेरी याददास्त चली गई थी.... विक्रम से मुझे यहाँ का पता और विमला का नाम मालूम हुआ इसलिए आयी थी विमला को तलाशने” रागिनी ने कहा

“विक्रम को तो सब पता था.... तो उसने तुम्हें क्यों नहीं बताया और विक्रम खुद क्यो नहीं आया साथ मे” रेशमा ने पूंछा “और तुम मुझे आंटी नहीं भाभी कहा करती थीं.... रेशु भाभी....”

“विक्रम कि मृत्यु हो गई है 15 दिन पहले उसकी लाश लवारीश हालत में श्रीगंगानगर मे पाकिस्तान बार्डर के पास मिली थी .....”

“ओहह! बहुत दुख हुआ .... उसके बारे में जानकार....विक्रम भी नहीं रहा और तुम्हारी भी याददास्त चली गई.... तो तुम्हें कुछ पता भी कैसे चलता?” रेशमा ने अफसोस भरे लहजे में कहा और उठते हुये बोली “में घर पर खाने के लिए बोलकर आती हूँ.... फिर बैठकर तुम्हें सबकुछ बताऊँगी.... मेंने तो सोचा था कि शायद विक्रम कि कोई रिश्तेदार हैं... इसलिए ऐसे ही घर पर बिना बताए ही चली आयी थी कि चाबी देकर वापस लौट जाऊँगी”

“नहीं आंटी... सॉरी भाभी जी! आप परेशान न हो .... हम खाना खाकर आए हैं .... कल रात दिल्ली आ गए थे” रागिनी ने रेशमा को रोकते हुये कहा

“तो अभी मोहिनी जी के यहाँ से आ रही होगी?”

“नहीं हम होटल मे रुके थे.... और आप उन्हें बताना भी मत हमारे बारे में”

“मेरी उनसे कोई बात नहीं होती बस यहाँ आती रहती हैं इसलिए विक्रम ने बताया था कि उनकी चाची हैं इसलिए जानती हूँ” रेशमा ने कहा “तुम्हें खाना तो खाना ही होगा... अभी ही नहीं रात को भी और कल भी... जब तक दिल्ली में हो......... और तुम होटल मे क्यों रुकी? तुम्हारा अपना घर है ये तो... अब यहीं रुकना होगा और खाना हमारे साथ ही खाना होगा”

“नहीं भाभी जी! हम लोग होटल मे ही रुकेंगे.... यहाँ रुकने पर हो सकता है मोहिनी जी को पता चल जाए या वो यहाँ आ जाएँ” रागिनी ने प्रतिवाद करते हुये कहा

“वो यहाँ कभी अकेली नहीं आयीं और न ही उन्हें कोई जानता है.... अगर कोई आया भी तो ... ये घर आज भी तुम्हारा ही है... विक्रम ने बताया जरूर था कि उन्होने ये घर ममता से खरीद लिया है... लेकिन न तो ये घर ममता के नाम पर था जो वो बेच सके.... और ना ही आज तक मेंने ऐसा कोई कागज देखा ..... आज भी इस घर का हाउस टैक्स विमला आंटी .... तुम्हारी माँ ...के नाम पर ही आता है... बिजली बिल भी उन्हीं के नाम से है....” रेशमा ने कहा “तुम में से कोई जाकर होटल से अपना समान ले आओ तब तक में घर होकर आती हूँ.... फिर बैठकर बात करेंगे”

ये कहकर रेशमा चली गई। रागिनी और पूनम ने एक दूसरे की ओर देखा तो पूनम ने कहा कि वो और प्रबल होटल से समान लेकर आते हैं... वो पहाड़गंज के होटल में रुके हुये थे जो पास मे ही था....
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RE: मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक - by kamdev99008 - 25-01-2020, 10:37 PM



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