25-01-2020, 08:36 PM
(This post was last modified: 25-04-2021, 11:52 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
ट्रेनिंग -
खेली खायी , एम् आई एल ऍफ़
" शाम को मैं और मम्मी तुझे आफिस से पिकअप करेंगे " उनके निकलते निकलते मैंने उन्हें याद दिलाया।
" एकदम पक्का याद है ,मम्मी ने बोला था। " वो बोले ,मम्मी की किसी बात को भूलने की हिम्मत थी क्या उनकी ,
ये आफिस चले गए।
और मैं सोने , सिएस्टा का अपना ही मजा है और फिर रोज रात का रतजगा।
.....
शाम को वो फिर मम्मी के हवाले थे। उनकी 'आउटडोर ' ट्रेनिंग थी।
मम्मी ने उन्हें आफिस से ही पिक किया और फिर भीड़ भरे बाजारों में ,गलियों में ,सडकों पर और यहाँ तक की शाम की भीड़ भरी धक्कामुक्की सिटी बस में भी ,
बाजार में औरतों की भरी भीड़ में मॉम ने उन्हें टास्क दिया ,
पहचान किसका पिछवाड़ा मेरी समधन से बड़ा है और किसका मेरी समधन सा।
स्टैटिक्स में तो वो एक्सपर्ट थे ही , मुश्किल से 2. 2 % मेरी सास के साइज के थे ,. 000 ८ % उनसे बड़े और बाकी सब छोटे।
और अगर साइज के साथ भराव ,कटाव ,गांड का गुदाजपन देखें तो मेरी सास ऐसे मुश्किल से ४-५ मिलीं।
अब वो समझ गए ,मम्मी ने आज सुबह अपनी समधन से उनकी सेटिंग करवा के ,...
तब तक मम्मी बोलीं , वो देख एकदम मेरी समधन जैसी ,ज़रा पीछे से चेक कर।
मैं घबड़ाई ,वो तो औरतों से बोलने में भी ,बड़ी मुश्किल से तो उन्होंने देखना घूरना शुरू किया था।
एक पल के लिए मॉम की और उन्होंने देखा और फिर हलके से पीछे से टच किया और मॉम कीओर देख के मुस्कराये ,
मतलब एकदम टँच माल।
मम्मी ने एकदम से हाई फाइव किया और फिर एकदम टाइट साडी की दरार में ऊँगली से हलके से रगडने का इशारा किया।
मुझे लगा की अब वो पिटे लेकिन ,
उन्होंने कर दिया ,
और वो पलटी ,
मैं डर कर भीड़ में छुप गयी , मैं उन्हें पिटते नहीं देख सकती थी।
थोड़ी देर बाद मैंने हिम्मत कर आँखे उनकी ओर की , वो औरत उनकी ओर देख रही थी ,लेकिन गुस्से से नहीं ,मुस्कराती हुयी।
तबतक एक भरी हुयी सिटी बस आयी , वो उसमें चढ़ गयी।
मॉम ने इशारा किया , और वो भी उसके पीछे पीछे ,
आगे मॉम को सिखाना नहीं पड़ा ,
बस में बस वो उसके पीछे और अब उनका तना तंबू ,
गांड की दरार के बीच में सटा के खड़े थे ,कुछ देर तक तो बस के हिचकोले ,
पीछे की भीड़ और कुछ देर बाद उन्होंने भी पुश करना शुरू कर दिया।
एक बार फिर उस ने देखा ,...मुस्करायी ,और बस आगे से भी उसने दरेरना शुरू कर दिया।
मैं समझ गयी जैसे कोई शेरनी अपने शावक को पहली बार शिकार पर लेजाती है
उसी तरह मम्मी ,उन्हें शिकार पहचानना , शिकार को फंसाना और शिकार को मजे ले ले के शिकार करना सीखा रही थीं।
मुझे मालूम था उन्हें बड़े उम्र की , भारी बदन एम् आई एल ऍफ़ टाइप पसंद थी ,लेकिन वो इस हद तक ,
कम से कम ४-५ के साथ उन्होंने उस शाम और मजे की बात है कोई भी नाराज नहीं हुयी।
खेली खायी , एम् आई एल ऍफ़
" शाम को मैं और मम्मी तुझे आफिस से पिकअप करेंगे " उनके निकलते निकलते मैंने उन्हें याद दिलाया।
" एकदम पक्का याद है ,मम्मी ने बोला था। " वो बोले ,मम्मी की किसी बात को भूलने की हिम्मत थी क्या उनकी ,
ये आफिस चले गए।
और मैं सोने , सिएस्टा का अपना ही मजा है और फिर रोज रात का रतजगा।
.....
शाम को वो फिर मम्मी के हवाले थे। उनकी 'आउटडोर ' ट्रेनिंग थी।
मम्मी ने उन्हें आफिस से ही पिक किया और फिर भीड़ भरे बाजारों में ,गलियों में ,सडकों पर और यहाँ तक की शाम की भीड़ भरी धक्कामुक्की सिटी बस में भी ,
बाजार में औरतों की भरी भीड़ में मॉम ने उन्हें टास्क दिया ,
पहचान किसका पिछवाड़ा मेरी समधन से बड़ा है और किसका मेरी समधन सा।
स्टैटिक्स में तो वो एक्सपर्ट थे ही , मुश्किल से 2. 2 % मेरी सास के साइज के थे ,. 000 ८ % उनसे बड़े और बाकी सब छोटे।
और अगर साइज के साथ भराव ,कटाव ,गांड का गुदाजपन देखें तो मेरी सास ऐसे मुश्किल से ४-५ मिलीं।
अब वो समझ गए ,मम्मी ने आज सुबह अपनी समधन से उनकी सेटिंग करवा के ,...
तब तक मम्मी बोलीं , वो देख एकदम मेरी समधन जैसी ,ज़रा पीछे से चेक कर।
मैं घबड़ाई ,वो तो औरतों से बोलने में भी ,बड़ी मुश्किल से तो उन्होंने देखना घूरना शुरू किया था।
एक पल के लिए मॉम की और उन्होंने देखा और फिर हलके से पीछे से टच किया और मॉम कीओर देख के मुस्कराये ,
मतलब एकदम टँच माल।
मम्मी ने एकदम से हाई फाइव किया और फिर एकदम टाइट साडी की दरार में ऊँगली से हलके से रगडने का इशारा किया।
मुझे लगा की अब वो पिटे लेकिन ,
उन्होंने कर दिया ,
और वो पलटी ,
मैं डर कर भीड़ में छुप गयी , मैं उन्हें पिटते नहीं देख सकती थी।
थोड़ी देर बाद मैंने हिम्मत कर आँखे उनकी ओर की , वो औरत उनकी ओर देख रही थी ,लेकिन गुस्से से नहीं ,मुस्कराती हुयी।
तबतक एक भरी हुयी सिटी बस आयी , वो उसमें चढ़ गयी।
मॉम ने इशारा किया , और वो भी उसके पीछे पीछे ,
आगे मॉम को सिखाना नहीं पड़ा ,
बस में बस वो उसके पीछे और अब उनका तना तंबू ,
गांड की दरार के बीच में सटा के खड़े थे ,कुछ देर तक तो बस के हिचकोले ,
पीछे की भीड़ और कुछ देर बाद उन्होंने भी पुश करना शुरू कर दिया।
एक बार फिर उस ने देखा ,...मुस्करायी ,और बस आगे से भी उसने दरेरना शुरू कर दिया।
मैं समझ गयी जैसे कोई शेरनी अपने शावक को पहली बार शिकार पर लेजाती है
उसी तरह मम्मी ,उन्हें शिकार पहचानना , शिकार को फंसाना और शिकार को मजे ले ले के शिकार करना सीखा रही थीं।
मुझे मालूम था उन्हें बड़े उम्र की , भारी बदन एम् आई एल ऍफ़ टाइप पसंद थी ,लेकिन वो इस हद तक ,
कम से कम ४-५ के साथ उन्होंने उस शाम और मजे की बात है कोई भी नाराज नहीं हुयी।