25-01-2020, 12:29 AM
मैं दर्द से छटपटा रही थी. उसे अपने से अलग करना चाहती थी. पर उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी मुझ पर कि मैं चाह कर भी खुद को उस से अलग नही कर पा रही थी. उसने वैसे ही खड़े हुए अपने एक हाथ को जो खाली था उसे मेरे योनि पर घुमाना शुरू कर दिया. मैं उस से अपनी जान छुड़ाना चाहती थी.
“देखो अमित तुम्हे जो कुछ भी करना है मैं अपने आप तुम्हे मौका दे दुगी पर इस वक़्त मुझे छ्चोड़ दो. बाहर मम्मी जी मेरा वेट कर रही है. अगर वो यहाँ आ गयी और मुझे तुम्हारे साथ इस हालत मे देख लिया तो मैं जिंदा नही बचूगी. प्लीज़ मुझे छ्चोड़ दो. मैं तुमसे वादा करती हू कि मैं अपने आप तुम्हे जो भी तुम करना चाहते हो करने दुगी पर इस वक़्त मेरी मजबूरी को समझो.” पता नही उस पर मेरी इस बार की हुई रिक्वेस्ट का क्या असर हुआ कि उसने मुझे छ्चोड़ दिया. उसकी पकड़ से छूटने के बाद मैं बाथरूम से निकल कर ऐसे भागी जैसे बरसो के बाद मैं किसी क़ैद से आज़ाद हुई हू. बाहर आ कर बिना उस तरफ देखे मैने जल्दी से अपने कपड़े अलमारी से निकाले और उन्हे पहन कर तैयार हो कर सीधा बाहर आ गयी.
बाहर आ कर मैने एक राहत की साँस ली. बाहर मैने चारो तरफ देखा कि किसी ने मुझे देखा तो नही है. पर वहाँ कोई नही था. मैं वहाँ से जल्दी से बाहर बैठक वाले कमरे की तरफ आ गयी. जहाँ कयि सारी औरते तैयार हो कर बैठी थी. वहाँ मौजूद सभी औरतो को देख कर मैने सबको नमस्ते और पैर छू कर सम्मान दिया. मैं इधर उधर देखा पर मम्मी जी कही नज़र नही आ रही थी. थोड़ी ही देर मे मम्मी जी भी वहाँ पर आ गयी. वहाँ मौजूद दो तीन बुजुर्ग औरतो ने मुझे पूजा का सामना इकट्ठा करने को कहा. जो मैने जल्दी से अनिता की मदद से साथ मे ले लिया.
“देखो अमित तुम्हे जो कुछ भी करना है मैं अपने आप तुम्हे मौका दे दुगी पर इस वक़्त मुझे छ्चोड़ दो. बाहर मम्मी जी मेरा वेट कर रही है. अगर वो यहाँ आ गयी और मुझे तुम्हारे साथ इस हालत मे देख लिया तो मैं जिंदा नही बचूगी. प्लीज़ मुझे छ्चोड़ दो. मैं तुमसे वादा करती हू कि मैं अपने आप तुम्हे जो भी तुम करना चाहते हो करने दुगी पर इस वक़्त मेरी मजबूरी को समझो.” पता नही उस पर मेरी इस बार की हुई रिक्वेस्ट का क्या असर हुआ कि उसने मुझे छ्चोड़ दिया. उसकी पकड़ से छूटने के बाद मैं बाथरूम से निकल कर ऐसे भागी जैसे बरसो के बाद मैं किसी क़ैद से आज़ाद हुई हू. बाहर आ कर बिना उस तरफ देखे मैने जल्दी से अपने कपड़े अलमारी से निकाले और उन्हे पहन कर तैयार हो कर सीधा बाहर आ गयी.
बाहर आ कर मैने एक राहत की साँस ली. बाहर मैने चारो तरफ देखा कि किसी ने मुझे देखा तो नही है. पर वहाँ कोई नही था. मैं वहाँ से जल्दी से बाहर बैठक वाले कमरे की तरफ आ गयी. जहाँ कयि सारी औरते तैयार हो कर बैठी थी. वहाँ मौजूद सभी औरतो को देख कर मैने सबको नमस्ते और पैर छू कर सम्मान दिया. मैं इधर उधर देखा पर मम्मी जी कही नज़र नही आ रही थी. थोड़ी ही देर मे मम्मी जी भी वहाँ पर आ गयी. वहाँ मौजूद दो तीन बुजुर्ग औरतो ने मुझे पूजा का सामना इकट्ठा करने को कहा. जो मैने जल्दी से अनिता की मदद से साथ मे ले लिया.