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Adultery मेहमान बेईमान
इस सबकी ज़िम्मेदार मैने खुद हू. मेरी आँखो मे डर और गुस्से दोनो के भाव एक साथ देखे जा सकते थे.

“देखो मैं तुमसे फिर से एक बार रिक्वेस्ट करती हू.. मुझे छ्चोड़ दो और यहाँ से चले जाओ.” मैने उस से फिर से रिक्वेस्ट करते हुए कहा.


“छ्चोड़ दो नही भाभी बोलो की चोद दो.. हहहे” वो अपनी बत्तसी दिखाते हुए बोला. “भाभी उस वक़्त कुछ भी देखने को सही से नही मिला था. अब एक बार तस्सल्ली से अपना जलवा दिखा दो.”

“देखो तुम यहाँ से चले जाओ. मम्मी ने मुझे जल्दी से तैयार हो कर आने को . ” मैने उसे समझाते हुए कहा.

“मुझे पता है इसी लिए तो कह रहा हू जल्दी से एक बार अपना जलवा दिखा दो. ताकि मैं अपने लंड को हिला कर पानी निकाल सकु.” कह कर उसने अपने पेंट की ज़िप से अपने लिंग को बाहर निकाल लिया.

मुझे पता था कि इस से बहस बाजी करने से कोई फयडा नही है. इस से बहस बाज़ी करने के चक्कर मे अगर मैं लेट हो गयी तो पता नही मम्मी मेरे बारे मे कुछ उल्टा ना सोचने लगे. यही सोच कर मैने बिना कुछ कहा सुनी करे अपने हाथ से पकड़ा हुआ टवल जो पूरी तरह से तो नही पर काफ़ी हद तक मेरे शरीर को ढक रहा था अपने हाथ से वही फर्श पर गिरा दिया. टवल के ज़मीन पर गिरते ही उसकी आँखे ख़ुसी के मारे चमक उठी.

उसने उपर से नीचे तक मुझे घूर कर देखा. उसकी निगाहे मेरे पूरे शरीर पर किसी आरी की तरह चल रही थी. पूरे शरीर को देखने के बाद उसने मेरे चेहरे की तरफ देखा, उसको अपनी तरफ घूरता हुआ पा कर मैने अपनी निगाह नीचे ज़मीन की तरफ कर ली. मेरी हालत इस समय बच्चो के खेलने वाली गुड़िया के जैसे हो गयी थी. वो उस गुड़िया को जैसा चाहे वैसे यूज़ कर सकता है. पर मैं गुड़िया नही थी मैं इंसान हू और इंसान के अंदर सब भाव होते है. वो मुझे लगातार उपर से नीचे तक घूरे जा रहा था. और अपने लिंग को अपने हाथ से हिला रहा था.

“अब तो तुमने देख लिया अब यहाँ से चले जाओ और मुझे शांति से जीने दो.” मैने अपनी नज़र उठा कर उसकी तरफ देखते हुए कहा.

उसने बिना कुछ कहे सुने अपने हाथ को जो उसके लिंग को हिला रहा था रोक कर मेरे नितंबो पर ला के उन्हे कस के दबा दिया.उसके नितंब पकड़ कर दबाने का तरीका ऐसा था की दर्द के मेरे मुँह से चीख सी निकल गयी. मेरे मुँह से निकली हुई चीख सुन कर वो अपनी बत्तसी फाड़ता हुआ बोला.

“भाभी एक बात तो है. तुम आवाज़ बोहोत बढ़िया निकालती हो. और अभी मैने तुम्हे पूरा कहाँ देखा है”

“अब क्या बाकी रह गया है जो तुमने नही देखा ?” मैने चोव्न्क्ते हुए कहा.

“ये भाभी…” कह कर उसने फिर से अपने हाथ से मेरे नितंब को कस कर मसल दिया. “ये तुम्हारी मतवाली गांद जो . . को पागल कर सकती है.” कह कर उसने मुझे उल्टा घूमने का इशारा किया. इस से पहले कि मैं घूमती उसने अपने दूसरे हाथ को भी मेरे नितंब पर टिका दिया और मुझे घुमा दिया. “ भाभी तुम्हारी इस मतवाली गांद की तारीफ मे तो शब्द ही ख़तम हो जाते है. जब से देखी है तब से आँखो के आगे घूमती रहती है. कितनी सॉफ सुथरी, कितनी गोरी है. और गांद के बाल तो सोने के जैसे चमक मार रहे है” कहते कहते उसने इस बार अपने दोनो हाथ से मेरे नितंबो को मसल दिया.

मैं इस वक़्त उसकी बातो मे कोई दिलचस्पी लेने के मूड मे नही थी. मुझे पता था कि वो मेरी तारीफ कर रहा है. पर इस वक़्त मेरे कानो मे मम्मी जी के कहे शब्द गूँज रहे थे कि बेटी जल्दी तैयार हो कर बाहर आजा पूजा करने जाना है. इस लिए मैने उस से कहा “अब तो देख लिया अब तुम्हारा काम हो गया अब यहा से जाओ और मुझसे दूर रहना.”

“बस भाभी एक मिनट और जी भर के देख लेने दो इस मतवाली गांद को. किस्मत वालो को ही इसे देखने का मौका मिलता है. भाभी थोड़ा झुक जाओ ना ताकि तुम्हारे दोनो तरबूजो के बीच की सरकारी बॅंक का रास्ता दिखाई दे.”

मैं इस समय जल्दी से जल्दी उस से पीछा छुड़ाना चाहती थी. इस लिए उसने जैसे झुकने को कहा मैं वैसे ही झुक गयी.

“थोड़ा और नीचे को भाभी” उसने मेरी पीठ पर अपना हाथ रख कर उसे झुकते हुए कहा. जिस से मेरे दोनो नितंब हवा मे आ गये. “हां अब ठीक है” कह कर वो चुप हो गया.

और जैसे ही मेरी समझ मे आया कि वो क्या करना चाहता है तब तो उसने वो कर दिया. मुझे उसने घोड़ी बना कर मेरे नितंब मे अपना लिंग एक ही झटके मे आधे से ज़्यादा घुसा दिया. इस अचानक हुए हमले से मैं दर्द से बुरी तरह से तिलमिला उठी. मैने अपने दोनो हाथ पीछे ले जाकर उसे अपने से दूर करने की कोसिस की पर उसने मेरे दोनो हाथो को कस कर पकड़ कर एक धक्का और लगाया और उसका पूरा का पूरा लिंग मेरे नितंब मे . चला गया. दर्द के मारे मेरा बुरा हाल हो रहा था. मेरे मुँह से चीख ना निकले इस लिए मैने अपने निचले होंठ को कस कर बंद कर लिया. जिस वजह से दाँत के बीच आ जाने से उसमे से खून निकल आया.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 25-01-2020, 12:26 AM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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