25-01-2020, 12:19 AM
“क्या हुआ, अब हटा भी दो तुम तो ऐसे शर्मा रही हो जैसे पहली बार मेरे सामने अपनी चुचिया दिखा रही हो” कह कर उसने एक हाथ को मेरे नितंब पर ले जा कर उसे बड़ी ज़ोर से दबा दिया. उसके इतनी ज़ोर से नितंब दबाने से मेरे मुँह से चीख निकलते निकलते रह गयी. जिस तरह से वो मेरे शरीर के अंगो के नाम ले कर बोलता था मुझे बड़ी शरम आती थी. चूत, गांद चुचिया भोसड़ी ये सब शब्द मैने कभी यूज़ नही किए और ना ही मनीष ने कभी मुझसे ये सब शब्द बोले. पर जिस तरह से वो मेरे साथ इन शब्दो को लेकर बोलता था मुझे ऐसा लगता था कि मैं किसी बाज़ार मे आ गयी हू.
मैं अपनी सोच मे डरी सहमी सी खड़ी हुई अभी सोच ही रही थी कि उसे अपने हाथ को आगे बढ़ा कर मेरी छाती से मेरी ब्रा को अलग कर दिया. ब्रा के हट ते ही मैने अपनी छाती को अपने दोनो हाथ से छुपाने की कोसिस की लेकिन उसने अपने दोनो हाथो से मेरे हाथो को मेरी छाती से अलग कर दिया. मैं बुरी तरह शरम से मरी जा रही थी कि तभी बाहर से मम्मी के कमरे की तरफ आने की आवाज़ सुनाई देने लगी. मेरी हालत एक दम से बुरी तरह कराब हो गयी थी. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या ना करू, अगर मम्मी ने मुझे अमित के साथ कमरे मे देख लिया तो मेरा क्या होगा. क्या सोचेगी वो मेरे बारे मे क्या इज़्ज़त रह जाएगी..
“देखो तुम यहाँ से चले जाओ. मम्मी इधर ही आ रही है. अगर उन्होने तुम्हे यहाँ पर देख लिया तो मेरे लिए बोहोत मुसीबत हो जाएगी.” मैने उस से घबराते हुए कहा.
“ह्म्म्म्मम…!!!! चला जाउन्गा पर पहले इसको भी उतारो जल्दी से” उसने अपने एक हाथ को आगे बढ़ा कर मेरी पॅंटी के उपर से मेरी योनि पर फिराते हुए कहा.
उसके हाथ का स्पर्श अपनी योनि पर होते ही मेरे पूरे शरीर मे एक पल के लिए करेंट सा दौड़ गया पर वक़्त की नज़ाकत को ध्यान मे रखते हुए मैने अपने आप को संभाला और अपने दोनो हाथ को अपनी पॅंटी को ले जाकर रख लिए. मेरे दिमाग़ मे बस इस समय यही चल रहा था कि किसी भी अनहोनी के होने से पहले वो यहाँ से चला जाए. इस लिए मैने अपनी पॅंटी को अपने हाथ से एक ही झटके मे उतार दिया मेरी पॅंटी इस समय मेरे दोनो टाँगो के नीचे थी.
मैं अपनी सोच मे डरी सहमी सी खड़ी हुई अभी सोच ही रही थी कि उसे अपने हाथ को आगे बढ़ा कर मेरी छाती से मेरी ब्रा को अलग कर दिया. ब्रा के हट ते ही मैने अपनी छाती को अपने दोनो हाथ से छुपाने की कोसिस की लेकिन उसने अपने दोनो हाथो से मेरे हाथो को मेरी छाती से अलग कर दिया. मैं बुरी तरह शरम से मरी जा रही थी कि तभी बाहर से मम्मी के कमरे की तरफ आने की आवाज़ सुनाई देने लगी. मेरी हालत एक दम से बुरी तरह कराब हो गयी थी. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या ना करू, अगर मम्मी ने मुझे अमित के साथ कमरे मे देख लिया तो मेरा क्या होगा. क्या सोचेगी वो मेरे बारे मे क्या इज़्ज़त रह जाएगी..
“देखो तुम यहाँ से चले जाओ. मम्मी इधर ही आ रही है. अगर उन्होने तुम्हे यहाँ पर देख लिया तो मेरे लिए बोहोत मुसीबत हो जाएगी.” मैने उस से घबराते हुए कहा.
“ह्म्म्म्मम…!!!! चला जाउन्गा पर पहले इसको भी उतारो जल्दी से” उसने अपने एक हाथ को आगे बढ़ा कर मेरी पॅंटी के उपर से मेरी योनि पर फिराते हुए कहा.
उसके हाथ का स्पर्श अपनी योनि पर होते ही मेरे पूरे शरीर मे एक पल के लिए करेंट सा दौड़ गया पर वक़्त की नज़ाकत को ध्यान मे रखते हुए मैने अपने आप को संभाला और अपने दोनो हाथ को अपनी पॅंटी को ले जाकर रख लिए. मेरे दिमाग़ मे बस इस समय यही चल रहा था कि किसी भी अनहोनी के होने से पहले वो यहाँ से चला जाए. इस लिए मैने अपनी पॅंटी को अपने हाथ से एक ही झटके मे उतार दिया मेरी पॅंटी इस समय मेरे दोनो टाँगो के नीचे थी.