25-01-2020, 12:18 AM
भाभी..!!” वो मेरे बिल्कुल नज़दीक आ गया और मेरी आँखो से बहते हुए आँसू को अपने हाथ से सॉफ करते हुए “भाभी आप कुछ मत सोचो कुछ नही हुआ है. आप ने किसी को धोका नही दिया है. बल्कि आप ने तो अपने आप को जो धोका दे रही थी वो सब बंद कर दिया है. और वैसे भी धोका देने की बात जब सामने आती है जब किसी को कुछ पता चले. ना तो मैं किसी को इस बारे मे बताउन्गा और आप किसी को बताओ ये तो सवाल ही पैदा नही होता है. फिर धोका देने की बात कहाँ से आ गयी.”
मैने अपने चेहरे से उसके दोनो हाथ जो मेरे गाल पर बह रहे आँसू को सॉफ कर रहे थे झटक कर दूर कर दिया.”आख़िर तुम चाहते क्या हो ? क्यू मेरी हस्ती खेलती जिंदगी को बर्बाद करने पर तुले हुए हो.मैने अपनी जिंदगी और अपने पति के साथ बोहोत खुश हू”
“मैं क्या चाहता हू…!!! मैं क्या चाहता हू वो तुमको कैसे समझोउ..” कह कर वो एक दम चुप हो गया. उसने ये बात इस तरह से बोली की मुझे कुछ समझ मे ही नही आया कि क्या हुआ वो कहना क्या चाहता है..
“देखो हम दोनो के बीच जो कुछ भी हुआ वो मेरी भूल थी. और मैं वो सब कुछ अब दोबारा नही दोहराना चाहती हू. अगर तुम्हारे दिल मे मेरे लिए ज़रा भी इज़्ज़त या दया है तो प्लीज़ यहाँ से इसी वक़्त चले जाओ” मैने अपने दोनो हाथ लगभग उसके आगे जोड़ते हुए उस से विनती करने लग गयी. मुझे लगा था कि वो मेरी इस रिक्वेस्ट को मान कर चला जाएगा. पर वो वहाँ से हिला तक नही. बल्कि मेरी तराफ़ देख कर मुकुराने लग गया. थोड़ी देर वैसे ही मुस्कुराने के बाद वो मेरे चाहेरे को अपने दोनो हाथो मे लेकर बोला
"ठीक है भाभी जैसा तुम चाहो पर जाने से पहले एक बार मुझे अपने हुस्न का पूरा दीदार करा दो कसम से फिर कभी तुम्हारे पीछे नही आउगा."
उसकी बात सुन कर मैं सोच मे पड़ गयी कि क्या करू क्या ना करू. क्यूकी उसने जिस तरह से अपने दाँत निकालते हुए कहा था. मुझे पता था कि इस से हां करने का मतलब क्या हो सकता है. पर इस समय मैं मजबूर और लाचार थी. एक तो हम दोनो इस हालत मे थे दूसरा घर मे सब लोग माजूद थे कभी भी कोई भी आ सकता था. मरती क्या ना करती अपनी जान छुड़ाने के लिए मैने हां कर दी. “ठीक है पर तुम पहले वादा करो की कुछ भी ग़लत नही करोगे..”
उसने अपना सर हां मे हिला कर कुछ भी ग़लत ना करने की मंज़ूरी दे दी. मेरे हाथ पैर दोबारा से काँप रहे थे. बात उसके आगे कपड़े उतारने की नही थी पर डर इस बात का ज़्यादा था कि अगर कोई आ गया या किसी ने कुछ देख लिया तो क्या होगा. मैने अपने काँपते हुए हाथो से अपने हाथ मे लगे हुए कपड़ो को वही बेड पर रख दिया मेरे शरीर पर इस समय खुला हुआ ब्लाउस और ब्रा पॅंटी थे. वो मज़े से मुझे देख रहा था. मेरा मन तो कर रहा था उसकी उस हँसी को देख कर उसका खून कर दू. पर नही कर सकती थी. मेरे हाथ बुरी तरह से काँप रहे थे और नज़र दरवाजे की तरफ टिकी हुई थी कि कही कोई आ ना जाए.
“क्या हुआ भाभी जल्दी जल्दी उतारो ना.” उसने अपनी बत्तीसी निकाल कर दिखाते हुए कहा.
“मुझसे नही होगा. प्लीज़ तुम चले जाओ. तुमने सब कुछ तो देखा हुआ है अब फिर दोबारा देखने की क्या ज़रूरत है.” मैने लगभग उस से रहम माँगते हुए वाले अंदाज मे कहा.
“कोई नही भाभी आप से नही होगा तो मैं हू ना.. आप का देवर पीनू… ये पीनू किस दिन काम आएगा.” कहते के साथ ही वो अपनी जगह से दोबारा मेरे नज़दीक आ गया और अपने दोनो हाथो से मेरा ब्लाउस पकड़ कर उसे पीछे की तरफ से उतारने लग गया.
मैं उसके अपने ब्लाउस पकड़े जाने से घबरा गयी थी क्यूकी उसका कोई भरोसा नही था वो उन लोगो मे से था जो उंगली पकड़ कर पॉंचा पकड़ने की कोसिस करते है. मैने एक नज़र उसकी तरफ गुस्से से घूर कर देखा पर उसका ध्यान तो मेरे ब्लाउस को उतारने मे लगा हुआ था. “दूर हटो मेरे से” मैने अपने हाथो को झटका दे कर उसको अपने से दूर करते हुए कहा. पर वो बजाय दूर होने के और भी मजबूती के साथ मेरे ब्लाउस को अपने हाथो से पकड़ कर उसे जल्दी से जल्दी मेरे शरीर से अलग करने की कोसिस करने लग गया. और उसकी कोसिस भी जल्दी ही कामयाब हो गयी मेरे शरीर से ब्लाउस भी अलग हो गया. अब मैं उसके सामने सिर्फ़ ब्रा और पॅंटी मे ही खड़ी हुई थी और वो मेरे पास ही खड़ा हुआ था.
“प्ल्ज़ रहने दो ना कुछ तो रहम खाओ मुझ पर अगर कोई आ गया तो. मुझे बोहोत डर लग रहा है.” मैने फिर से एक आखरी कोसिस करते हुए की शायद मान जाए उसके आगे रहम की भीख माँगी.
“जितनी जल्दी भाभी अपना जलवा दिखओगि मैं वादा करता हू उतनी ही जल्दी यहाँ से चला जाउन्गा.” वो अपने दाँत दिखाता हुआ बोला.
मरती क्या ना करती, इस समय वक़्त और हालत कुछ इस तरह थे कि मुझे उसकी बात मान ने के सिवा दूसरा कोई तरीका नज़र नही आ रहा था अपनी जान छुड़ाने का. मैने अपने दोनो हाथो को अपनी पीठ पर ले जा कर अपनी ब्रा का हुक खोलने लग गयी
मैने अपने चेहरे से उसके दोनो हाथ जो मेरे गाल पर बह रहे आँसू को सॉफ कर रहे थे झटक कर दूर कर दिया.”आख़िर तुम चाहते क्या हो ? क्यू मेरी हस्ती खेलती जिंदगी को बर्बाद करने पर तुले हुए हो.मैने अपनी जिंदगी और अपने पति के साथ बोहोत खुश हू”
“मैं क्या चाहता हू…!!! मैं क्या चाहता हू वो तुमको कैसे समझोउ..” कह कर वो एक दम चुप हो गया. उसने ये बात इस तरह से बोली की मुझे कुछ समझ मे ही नही आया कि क्या हुआ वो कहना क्या चाहता है..
“देखो हम दोनो के बीच जो कुछ भी हुआ वो मेरी भूल थी. और मैं वो सब कुछ अब दोबारा नही दोहराना चाहती हू. अगर तुम्हारे दिल मे मेरे लिए ज़रा भी इज़्ज़त या दया है तो प्लीज़ यहाँ से इसी वक़्त चले जाओ” मैने अपने दोनो हाथ लगभग उसके आगे जोड़ते हुए उस से विनती करने लग गयी. मुझे लगा था कि वो मेरी इस रिक्वेस्ट को मान कर चला जाएगा. पर वो वहाँ से हिला तक नही. बल्कि मेरी तराफ़ देख कर मुकुराने लग गया. थोड़ी देर वैसे ही मुस्कुराने के बाद वो मेरे चाहेरे को अपने दोनो हाथो मे लेकर बोला
"ठीक है भाभी जैसा तुम चाहो पर जाने से पहले एक बार मुझे अपने हुस्न का पूरा दीदार करा दो कसम से फिर कभी तुम्हारे पीछे नही आउगा."
उसकी बात सुन कर मैं सोच मे पड़ गयी कि क्या करू क्या ना करू. क्यूकी उसने जिस तरह से अपने दाँत निकालते हुए कहा था. मुझे पता था कि इस से हां करने का मतलब क्या हो सकता है. पर इस समय मैं मजबूर और लाचार थी. एक तो हम दोनो इस हालत मे थे दूसरा घर मे सब लोग माजूद थे कभी भी कोई भी आ सकता था. मरती क्या ना करती अपनी जान छुड़ाने के लिए मैने हां कर दी. “ठीक है पर तुम पहले वादा करो की कुछ भी ग़लत नही करोगे..”
उसने अपना सर हां मे हिला कर कुछ भी ग़लत ना करने की मंज़ूरी दे दी. मेरे हाथ पैर दोबारा से काँप रहे थे. बात उसके आगे कपड़े उतारने की नही थी पर डर इस बात का ज़्यादा था कि अगर कोई आ गया या किसी ने कुछ देख लिया तो क्या होगा. मैने अपने काँपते हुए हाथो से अपने हाथ मे लगे हुए कपड़ो को वही बेड पर रख दिया मेरे शरीर पर इस समय खुला हुआ ब्लाउस और ब्रा पॅंटी थे. वो मज़े से मुझे देख रहा था. मेरा मन तो कर रहा था उसकी उस हँसी को देख कर उसका खून कर दू. पर नही कर सकती थी. मेरे हाथ बुरी तरह से काँप रहे थे और नज़र दरवाजे की तरफ टिकी हुई थी कि कही कोई आ ना जाए.
“क्या हुआ भाभी जल्दी जल्दी उतारो ना.” उसने अपनी बत्तीसी निकाल कर दिखाते हुए कहा.
“मुझसे नही होगा. प्लीज़ तुम चले जाओ. तुमने सब कुछ तो देखा हुआ है अब फिर दोबारा देखने की क्या ज़रूरत है.” मैने लगभग उस से रहम माँगते हुए वाले अंदाज मे कहा.
“कोई नही भाभी आप से नही होगा तो मैं हू ना.. आप का देवर पीनू… ये पीनू किस दिन काम आएगा.” कहते के साथ ही वो अपनी जगह से दोबारा मेरे नज़दीक आ गया और अपने दोनो हाथो से मेरा ब्लाउस पकड़ कर उसे पीछे की तरफ से उतारने लग गया.
मैं उसके अपने ब्लाउस पकड़े जाने से घबरा गयी थी क्यूकी उसका कोई भरोसा नही था वो उन लोगो मे से था जो उंगली पकड़ कर पॉंचा पकड़ने की कोसिस करते है. मैने एक नज़र उसकी तरफ गुस्से से घूर कर देखा पर उसका ध्यान तो मेरे ब्लाउस को उतारने मे लगा हुआ था. “दूर हटो मेरे से” मैने अपने हाथो को झटका दे कर उसको अपने से दूर करते हुए कहा. पर वो बजाय दूर होने के और भी मजबूती के साथ मेरे ब्लाउस को अपने हाथो से पकड़ कर उसे जल्दी से जल्दी मेरे शरीर से अलग करने की कोसिस करने लग गया. और उसकी कोसिस भी जल्दी ही कामयाब हो गयी मेरे शरीर से ब्लाउस भी अलग हो गया. अब मैं उसके सामने सिर्फ़ ब्रा और पॅंटी मे ही खड़ी हुई थी और वो मेरे पास ही खड़ा हुआ था.
“प्ल्ज़ रहने दो ना कुछ तो रहम खाओ मुझ पर अगर कोई आ गया तो. मुझे बोहोत डर लग रहा है.” मैने फिर से एक आखरी कोसिस करते हुए की शायद मान जाए उसके आगे रहम की भीख माँगी.
“जितनी जल्दी भाभी अपना जलवा दिखओगि मैं वादा करता हू उतनी ही जल्दी यहाँ से चला जाउन्गा.” वो अपने दाँत दिखाता हुआ बोला.
मरती क्या ना करती, इस समय वक़्त और हालत कुछ इस तरह थे कि मुझे उसकी बात मान ने के सिवा दूसरा कोई तरीका नज़र नही आ रहा था अपनी जान छुड़ाने का. मैने अपने दोनो हाथो को अपनी पीठ पर ले जा कर अपनी ब्रा का हुक खोलने लग गयी