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Adultery मेहमान बेईमान
मैने गाँव मे अपने ससुराल मे ज़रूर थी पर मेरे कपड़े पहनने को लेकर मम्मी पापा को कोई एतराज नही था और ना ही उन्होने मुझे कभी कपड़ो को लेकर कुछ बोला. मैने अलमारी से सलवार सूट निकाला और पेटिकोट उतार कर हाथ मे पकड़ लिया और ब्लाउस को खोल कर उतारने ही वाली थी कि मेरी नज़र सामने ड्रेसिंग टेबल पर गयी तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी. अमित मेरे ठीक पीछे खड़ा हुआ था और उसने अपना लिंग हाथ मे निकाल रखा था..

अमित को अपने पीछे देख कर मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी थी कुछ समझ नही आ रहा था. मैं जिस हालत मे थी और वो जो अपने लिंग को बाहर निकाल कर उसे हिला रहा था उस सीन ने तो जैसे मेरे दिमाग़ की सारी नसे कुन्द कर दी थी. समझ मे ही नही आ रहा था कि क्या करू क्या नही. फिर भी मैने अपने आप को पल भर मे संभालते हुए अपने हाथ मे लगे हुए कपड़ो से अपने शरीर को ढँकने की पूरी कोसिस करने लगी. अपने शरीर को जितना हो सकता था उतना ढक कर मैने उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए उस से कहा कि

“ये क्या बदतमीज़ी है? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहा मेरे कमरे मे बिना मेरी इजाज़त के आने की ?”

वो अपने हाथ से अपने लिंग को हिलाता हुआ मेरी तरफ बढ़ने लगा. उसका इस तरह से मेरी तरफ बढ़ना मुझे अंदर ही अंदर बुरी तरह से घबराहट होने लग गयी.

“वही खड़े रहो.” मैने उसे अपनी तरफ बढ़ते हुए देख कर कहा.

वो एक पल के लिए मेरे गुस्से भरी आवाज़ सुन कर वही रुक गया पर फिर मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बढ़ने लग गया. वो जैसे जैसे मेरी तरफ आता जा रहा था मेरे दिल की धड़कने और भी तेज होती जा रही थी.

“भाभी एक बार दिखा दो अपने सारे कपड़े निकाल कर..”

“तुम यहा से बाहर जाते हो या मैं शोर मचा कर मम्मी और पापा को यहा पर बुलाऊ?” मैने गुस्से से उस पर चिल्लाते हुए कहा.

मेरी बात के जवाब मे मुस्कुरा दिया… “आप की मर्ज़ी है भाभी जी.. मैं तो जब तक यहाँ से नही जाउन्गा जब तक कि आप मुझे फिर से नंगी हो कर नही दिखाते हो..” उसने अपने लिंग पर हाथ चलाना बंद करके इशारे से अपने लिंग की तरफ देखने को बोलने लगा. उसकी इस हरकत से मैं और भी ज़्यादा गुस्से मे आ गई मैं ज़ोर से चीख कर मम्मी पापा को बुलाना चाहती थी पर जैसे ही मैं आवाज़ लगाने को हुई मुझे उसके मोबाइल की याद आ गयी. इस समय मेरी हालत शिकारी के जाल मे फँसे हुए जानवर के जैसी हो गयी थी. जो कहने को तो कुछ भी कर सकता है पर शिकारी के आगे वो सिर्फ़ शिकारी से बचने की दुआ ही माँगता है.

“देखो तुम यहा से चले जाओ. किसी ने हमे यहाँ पर देख लिया तो… प्लीज़ तुम यहा से चले जाओ.” मैने उस से गिड़गिदते हुए रिक्वेस्ट करने लग गयी.

“मैने कहा ना.. जब तक तुम अपने पूरी नंगी हो कर नही दिखओगि मैं यहाँ से नही जाने वाला”

मैं बोहोत अजीब मुश्किल मे फँस गयी थी. शादी का महॉल था और घर मे सभी लोग थे कभी भी कोई भी आ सकता था. और अनिता तो कभी भी आ सकती थी. समझ मे नही आ रहा था कि मैं कैसे उसे कमरे से बाहर भेजू.

“तुम आख़िर मेरे पीछे क्यू पड़े हुए हो. अगर किसी ने देख लिया तो मैं जिंदा नही रहूगी.” पता नही मेरे अंदर उस वक़्त कहा से इतना डर भर गया की मेरी आँखे अपने आप नम हो गयी.

“कुछ नही होगा अभी सब काम मे बिज़ी है कोई नही आएगा. बस तुम एक बार पूरी नंगी हो जाओ ना” उसने मुझे इस तरह से जैसे मैं कोई छ्होटी बच्ची हू समझा रहा हो..

क्या करू क्या ना करू कि स्थिति मे मैं सोच ही रही थी कि दरवाजे के बाहर से आती हुई अनिता और मम्मी जी की आवाज़ सुनाई दी. उन दोनो की आवाज़ सुन कर तो मेरी हालत एक दम खराब हो गयी. दरवाजा बंद था पर फिर भी मेरा दिल बुरी तरह से डर रहा था. मैं मन ही मन दुआ करने लगी कि उन दोनो मैंसे कोई भी इस वक़्त इस तरफ ना आए. उपर वाले को शायद मेरी हालत पर तरस आ गया इस लिए बाहर से आती हुई आवाज़े दूसरी दिशा की तरफ मुड़ती हुई सुनाई देने लगी.. और धीरे धीरे करके आवाज़े आना कम हो गयी. आवाज़ो के कम होते ही मैने चैन की लंबी साँस ली. पर एक मुसीबत इस अमित के रूप मे मेरे सर पर अब भी मौजूद थी जो पता नही कैसे दूर होगी.

“भाभी दिखा दो ना कल रात को ज़रा भी मज़ा नही आया था. अंधेरे मे कुछ भी नही दिखाई दिया.” उसने इस बार अपने चेहरे पर इस तरह के भाव लाते हुए कहा की मुझे ऐसा लगा कि वो मेरी बेज़्जती कर रहा है.

“देखो मैं एक शादी शुदा औरत हू. मेरा पति है मेरे सास ससुर है क्यू मेरी जिंदगी बर्बाद करने पर तुले हुए हो.” मेरी आँखो से अब भी आँसुओ की बूंदे टपक रही थी. “तुम्हारे साथ मैने जो कुछ भी किया वो सब करने के बाद मैं चैन से सो नही पाती हू. हर वक़्त हर समय मुझे अपने पति के साथ किए हुए धोके का एहसास होता रहता है. मेरी पूरी जिंदगी घुटि घुटि सी हो गयी है.”
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 25-01-2020, 12:15 AM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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