25-01-2020, 12:14 AM
“अरे भाभी आप यहा पर ?” अनिता ने मेरे पास आ कर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.
“कहाँ रह गयी थी तुम ? कितनी देर से तुम्हारा वहाँ उस टेलर की दुकान पर वेट कर रही थी.” मैने चोव्न्क्ते हुए पलट कर अनिता की तरफ देखते हुए कहा ताकि उसको शक़ ना हो कि मैने उसे इस हालत मे देख लिया है. “तुझे पता है मैं कितना घबरा गयी थी तेरे इतनी देर गायब होने से “ मैने थोड़ा झूठा गुस्सा करते हुए कहा.
“सॉरी भाभी !! वो मैं क्या करती वो रिक्शे वाला हमे छ्चोड़ कर कही दूसरी जगह निकल गया था. उसके ही पीछे गयी थी. अगर उसके पीछे ना जाती तो मेरी पायल कभी वापस ना मिलती और घर पर मा तो मुझे कच्चा चबा जाती.” उसने अपने आँखे नीचे झुकाते हुए कहा.
“अच्छा अब ठीक है यहा से जल्दी चलो.. वैसे भी हम काफ़ी लेट हो चुके है घर पर मम्मी हम लोगो के लिए फिकर कर रही होगी.” मैने उसे वहाँ से चलने का इशारा करते हुए कहा.
“भाभी आप ने कपड़े क्या किए ?” अनिता ने मेरा खाली हाथ देख कर मुझसे सवाल किया.
“वो कपड़े मैने अपना नाप उस टेलर को नोट करवा कर बनने के लिए दे दिए है.
“मेरे कपड़े के बारे मे कुछ बोला वो टेलर ?” अनिता ने चलते चलते ही सवाल करते हुए कहा.
“मैने पूछा था पर वो कह रहा था कि अभी बन नही पाए है थोड़ा सा काम बाकी रह गया है आज शाम तक तैयार कर देगा.” मैने बताते हुए कहा.
थोड़ी दूर चलने के बाद ही हमने एक रिक्शा किया और वापस घर के लिए चल दिए…
घर पर आ कर मैं अपने कमरे मे थोड़ा फ्रेश होना चाहती थी पर मम्मी ने मुझे आवाज़ लगा कर वही काम काज मे लगा लिया. इस समय मैं ऐसी हालत मे थी कि मैं फ्रेश होना चाहती थी योनि से निकला हुआ पानी पूरी जाँघो पर बुरी तरह से चिपक रहा था. लेकिन मम्मी ने जो काम बताया था वो काम भी करना ज़रूरी था. इस लिए चुप चाप काम करने लग गयी. घर पर इस समय इतनी गर्मी नही थी लेकिन फिर भी पसीना निकलने की वजह से जाँघो पर लगा हुआ पानी बुरी तरह से चिपक रहा था. जिस से बड़ा अजीब फील हो रहा था. मैं जल्दी जल्दी काम ख़तम करके मौका देख रही थी ताकि टाय्लेट मे जा कर थोड़ा फ्रेश हो सकु.
मैं अपने काम मे बिज़ी थी कि पीछे से मुझे अमित की आवाज़ सुनाई दी. मैने जब पलट कर देखा तो वो मेरी ही तरफ आ रहा था. उसके मेरी तरफ आने से मेरे दिल की धड़कन एक अंजाने डर से तेज होने लग गयी. समझ मे ही नही आ रहा था कि वहाँ रुकु या वहाँ से चली जाउ. मैने अपने मन ही मन मे फ़ैसला कर लिया कि मैं उसकी तरफ कोई ध्यान नही दूँगी. इस लिए उसके पास आने से पहले ही मैने अपना चेहरा वापस घुमा कर जो काम कर रही थी काम पर ध्यान देना शुरू कर दिया. पर दिल मे कही ना कही रात को जो कुछ भी अमित ने छत पर किया था वो सब सोच कर दिल बैठा जा रहा था.
मैं अपने काम मे मगन हो गयी पर काफ़ी देर तक जब मुझे कोई आहट या हरकत नही सुनाई दी तो मैने पीछे पलट कर देख कि वो कहाँ है.. पर वो कही नही दिखा. शायद वो अपने किसी और काम मे बिज़ी हो गया हो. वो मेरे पास नही आया है ये सोच कर मैने मन ही मन एक सुकून की साँस ली. और थोड़ी ही देर मे अपने सब काम निपटा कर मम्मी से बोल कर अपने कमरे मे आ गयी. मुझे इस समय अपने शरीर पर कपड़े बोहोत परेशानी दे रहे थे. पॅंटी और पेटिकोट तो पूरा का पूरा ही खराब हो चुके थे. इस लिए मैने अपने कमरे मे आ कर जल्दी से दरवाजा अंदर से बंद किया और अपनी साडी खोल कर बेड पर फेंक दी और बाथरूम की तरफ जाने लगी फिर सोचा कि ये पेटिकोट और ब्लाउस भी निकाल देती हू घर पर हू तो सलवार पहन लेती हू.
“कहाँ रह गयी थी तुम ? कितनी देर से तुम्हारा वहाँ उस टेलर की दुकान पर वेट कर रही थी.” मैने चोव्न्क्ते हुए पलट कर अनिता की तरफ देखते हुए कहा ताकि उसको शक़ ना हो कि मैने उसे इस हालत मे देख लिया है. “तुझे पता है मैं कितना घबरा गयी थी तेरे इतनी देर गायब होने से “ मैने थोड़ा झूठा गुस्सा करते हुए कहा.
“सॉरी भाभी !! वो मैं क्या करती वो रिक्शे वाला हमे छ्चोड़ कर कही दूसरी जगह निकल गया था. उसके ही पीछे गयी थी. अगर उसके पीछे ना जाती तो मेरी पायल कभी वापस ना मिलती और घर पर मा तो मुझे कच्चा चबा जाती.” उसने अपने आँखे नीचे झुकाते हुए कहा.
“अच्छा अब ठीक है यहा से जल्दी चलो.. वैसे भी हम काफ़ी लेट हो चुके है घर पर मम्मी हम लोगो के लिए फिकर कर रही होगी.” मैने उसे वहाँ से चलने का इशारा करते हुए कहा.
“भाभी आप ने कपड़े क्या किए ?” अनिता ने मेरा खाली हाथ देख कर मुझसे सवाल किया.
“वो कपड़े मैने अपना नाप उस टेलर को नोट करवा कर बनने के लिए दे दिए है.
“मेरे कपड़े के बारे मे कुछ बोला वो टेलर ?” अनिता ने चलते चलते ही सवाल करते हुए कहा.
“मैने पूछा था पर वो कह रहा था कि अभी बन नही पाए है थोड़ा सा काम बाकी रह गया है आज शाम तक तैयार कर देगा.” मैने बताते हुए कहा.
थोड़ी दूर चलने के बाद ही हमने एक रिक्शा किया और वापस घर के लिए चल दिए…
घर पर आ कर मैं अपने कमरे मे थोड़ा फ्रेश होना चाहती थी पर मम्मी ने मुझे आवाज़ लगा कर वही काम काज मे लगा लिया. इस समय मैं ऐसी हालत मे थी कि मैं फ्रेश होना चाहती थी योनि से निकला हुआ पानी पूरी जाँघो पर बुरी तरह से चिपक रहा था. लेकिन मम्मी ने जो काम बताया था वो काम भी करना ज़रूरी था. इस लिए चुप चाप काम करने लग गयी. घर पर इस समय इतनी गर्मी नही थी लेकिन फिर भी पसीना निकलने की वजह से जाँघो पर लगा हुआ पानी बुरी तरह से चिपक रहा था. जिस से बड़ा अजीब फील हो रहा था. मैं जल्दी जल्दी काम ख़तम करके मौका देख रही थी ताकि टाय्लेट मे जा कर थोड़ा फ्रेश हो सकु.
मैं अपने काम मे बिज़ी थी कि पीछे से मुझे अमित की आवाज़ सुनाई दी. मैने जब पलट कर देखा तो वो मेरी ही तरफ आ रहा था. उसके मेरी तरफ आने से मेरे दिल की धड़कन एक अंजाने डर से तेज होने लग गयी. समझ मे ही नही आ रहा था कि वहाँ रुकु या वहाँ से चली जाउ. मैने अपने मन ही मन मे फ़ैसला कर लिया कि मैं उसकी तरफ कोई ध्यान नही दूँगी. इस लिए उसके पास आने से पहले ही मैने अपना चेहरा वापस घुमा कर जो काम कर रही थी काम पर ध्यान देना शुरू कर दिया. पर दिल मे कही ना कही रात को जो कुछ भी अमित ने छत पर किया था वो सब सोच कर दिल बैठा जा रहा था.
मैं अपने काम मे मगन हो गयी पर काफ़ी देर तक जब मुझे कोई आहट या हरकत नही सुनाई दी तो मैने पीछे पलट कर देख कि वो कहाँ है.. पर वो कही नही दिखा. शायद वो अपने किसी और काम मे बिज़ी हो गया हो. वो मेरे पास नही आया है ये सोच कर मैने मन ही मन एक सुकून की साँस ली. और थोड़ी ही देर मे अपने सब काम निपटा कर मम्मी से बोल कर अपने कमरे मे आ गयी. मुझे इस समय अपने शरीर पर कपड़े बोहोत परेशानी दे रहे थे. पॅंटी और पेटिकोट तो पूरा का पूरा ही खराब हो चुके थे. इस लिए मैने अपने कमरे मे आ कर जल्दी से दरवाजा अंदर से बंद किया और अपनी साडी खोल कर बेड पर फेंक दी और बाथरूम की तरफ जाने लगी फिर सोचा कि ये पेटिकोट और ब्लाउस भी निकाल देती हू घर पर हू तो सलवार पहन लेती हू.