24-01-2020, 07:19 PM
(This post was last modified: 23-04-2021, 11:31 AM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
पहचान कौन ,
( पिछले साल इसी महीने में बाजी लगी थी , मैंने बोला था की ये सबके सामने न सिर्फ आम खाएंगे ,
बल्कि गुड्डी के हाथ से और उसे भी खिलाएंगे।
अगर मैं हार गयी तो मेरे गले का हार उसका
और वो हार गयी तो ८ घंटे तक उसे मेरी हर बात माननी होगी। ).
…………………..
एकदम याद है लेकिन देख कोई और तुझसे बात करना चाहता है , और मैंने फोन उन्हें पकड़ा दिया।
मैं चली गयी थी लेकिन एक्सटेंसन पर भाई बहन का संवाद सुन रही थी ,
" हेल्लो ,... " मेरी ननद अपनी टिपिकल शहद घुली हस्की सेक्सी आवाज में बोली।
वो भी मूड में थे उसे छेड़ने के , चुप रहे।
' हेलो , कौन , ,... " फिर रुक के गुड्डी बोली , " अरे नाम तो बताओ न "/
" पहचान कौन , ... " हलके से मुस्कारते वो बोले।
" उह्ह्ह ,... मुझे क्या मालूम , " बड़ी अदा से वो शोख टीनेजर बोली , " बोलो न ,कुछ तो हिंट दो न ".
" ऊँह , कुछ , चलो कुछ गेस करो न । "
मेरी और मेरी ननद की टेलीफ़ोन की बात सुन के वो भी मूड में आ गए थे।
" उन्हह ,अच्छा चल सोचती हूँ , टाल ,फेयर ,हैंडसम , मेरे खूब अच्छे वाले मीठे मीठे भैय्या। "
गुड्डी भी अब मूड में थी ,और दोनों कबुतरों में गुटरगूँ चालू हो गयी।
कुछ देर के बाद उनके मुंह से निकल गया ,
" मुझे मालूम था की इस समय तुम अकेली रहती हो इसलिए ,"
बात काट के वो जोर से खिलखिलाई और फिर उन्हें चिढाते बोली ,
" अच्छा तो अकेले जान के फायदा उठाया जा रहा है। "
वो बिचारे झेंप गए ,लेकिन बात उनकी ममेरी बहन ने ही आगे बढ़ाई ,उसी तरह हँसते हुए ,
" चलो भइय्या ,जब फायदा उठा सकते थे तब तो फायदा उठाया नहीं और अब ,... "तेरे बस का नहीं है फायदा वायदा उठाना। "
कुछ मेरी और मम्मी की ट्रेंनिग का नतीजा और कुछ उनकी अपनी चाहत , अब उनकी भी हिम्मत खुल गयी थी , बोले ,
" अरे जब जागो तभी सबेरा , कोई जरूरी है जो काम पहले कोई चूक जाए वो दुबारा न करे , "
गुड्डी भी उन्ही की तरह इन्फार्मल और बोल्ड हो गयी थी ,बल्कि उनसे भी ज्यादा ,कुछ रुक के बोली ,
" एकदम जरूरी नहीं ,... "
" तू बुरा तो नहीं मानेगी। "
अब वो एकदम डायरेक्ट हो रहे थे ,यही तो मैं चाहती थी ,और मुझसे बढ़ कर उनकी सास।
" तेरी किसी बात का जो पहले बुरा माना है जो अब मानूँगी ,तुम भी न भैय्या "
फिर हंस के बोली ,
" और अगर बुरा मान भी गयी तो तू मेरे बुरा मानने का बुरा मत मानना ,और क्या। "
उन दोनों की बात सुनते मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया ,
"अरे बुर वाली की बात का क्या बुरा मानना और जब वो तेरा बचपन का माल और एकलौती बहन हो। "
गुड्डी को लगा की बात शायद आगे ज्यादा जा रही है इसलिए उसने बात बदलते हुए कहा ,
" भैय्या ,मेरी तो छुट्टियां चल रही है लेकिन लगता है आप को भी कोई काम धाम है नहीं। "
" अरे काम ही तो कर रहा हूँ ,तुझसे बात करना भी तो काम हुआ न , " वो बोले।
" ये कौन सा काम हुआ ,... " अदा से वो शोख बोली ,पर उनका दिमाग सिंगल ट्रैक हो चुका था ,बोले ,
" तो कौन सा काम ,... तेरा मतलब कामसूत्र वाला काम ,... "
अबकी वो शरमाई , थोड़ा झिझकी और हलके से बोली ,
"धत्त ,... "
" अरे क्यों धत्त क्यों , वो भी तो काम हुआ न ,उसी से तो दुनिया चलती है और मज़ा भी कितना आता है उस काम में। "
वो अब एकदम खुल के मूड में आ गए थे।
और वो भी लगता है , पक्का मेरी ननद की उँगलियाँ उसकी कोरी बुलबुल पे चल रही होंगी , कुछ रुक के ,गहरी सांस लेती बोली ,
" तो करो न ,मैंने कौन सा मना किया है ,... " वो बहुत धीमे से बोली। इससे ज्यादा कोई टीनेजर क्या सिग्नल देती।
" लेकिन इतनी दूर से कैसे करूँ , इसलिए फोन पर कर रहा हूँ ,जो कर सकता हूँ।
मेरी ननद भी एकदम पक्की थी ,एकबार फिर वो उनकी रगड़ाई करने के मूड में आ गयी थी ,चिढाते बोली।
" अरे तो उसके साथ करो न जिसके साथ रोज करते हो ,,,,,"
पर वो भी हारने वाले नहीं थे आखिर उनकी सास की ट्रेनिंग थी , छेड़ते हुए बोले ,
" क्या करता हूँ ज़रा खुल के तो बोलो न , मेरी समझ में नहीं आया। "
" पिटोगे तुम , बहुत जोर से पिटोगे " ,हँसते हुए वो शोख बोली
" अच्छा तो तेरे साथ कर लूँ , ... " हँसते हुए वो बोले।
" हे हे मैंने ऐसा तो नहीं कहा था। " वो उसी तरह शहद घुली आवाज में बोली।
" लेकिन तूने मना भी तो नहीं किया। " वो आज छोड़ने के मूड में नहीं थे ,
और मेरी ननद वो बात बोल गयी जो मुझे मालुम तो थी ,लेकिन उसी के मुंह से मैं सुनना चाहती थी।
" मना तो भैय्या मैंने पहले भी कभी नहीं किया। "
मेरी बांकी किशोर ननद के मुंह से निकल गया।
लेकिन उसकी बात अनसुनी करते वो बोले ,
" तूने सुना है ना कोई भी लड़की अगर न कहे तो उसका मतलब है शायद और अगर शायद कहे तो उसका मतलब हाँ ,... "
अबकी वो एकबार फिर से गुड्डी मूड में आ गयी थी ,जोर से खिलखलाती बोली ,
" शायद ,हां भैय्या ,... शायद ,शायद सुना है."
इससे ज्यादा कौन लड़की इशारा दे सकती है। वो भी , जोश में आ गए , ख़ुशी से बोल उठे ,
" हे तूने बोल दिया , शायद और जानती है लड़की शायद बोले तो क्या मतलब होता है। "
हँसते हुए वो फिर बोली ,
" बोल दिया तो क्या हुआ ,मैं तो फिर से बोल रही हूँ ,शायद ,शायद ,शायद। "
उनके मोबाइल पर आफिस का कोई मेल आ गया था ,किसी मीटिंग का रिमाइंडर ,
वो बोले ,
" हे अभी चलता हूँ लेकिन कल पक्का इसी समय मिलेंगे ,साढ़े तीन बजे। "
" एकदम पक्का भइया ,प्रामिस इसी समय साढ़े तीन बजे , मेरा मतलब है शायद , उन्हें चिढाते खिलखिलाती वो छोरी बोली और दोनों ने फोन रख दिया।
पीछे से मैंने उन्हें गपुच लिया और उनके गाल कचकचा के काटते बोली ,
" साढ़े तीन बजे गुड्डी जरूर मिलना ,साढ़े तीन बजे , अरे लौंडिया एकदम पट गयी है , बस अब उसे निहुराओ सटाओ और घुसेड़ दो , फाड़ दो एक धक्के में। "
मेरा हाथ उनके बल्ज पे था , रगड़ते हुए। एकदम तन्नाया था अपनी छुटकी बहिनिया से बात कर के।
……………………………………………….
" शाम को मैं और मम्मी तुझे आफिस से पिकअप करेंगे "
उनके निकलते निकलते मैंने उन्हें याद दिलाया।
" एकदम पक्का याद है ,मम्मी ने बोला था। "
वो बोले ,मम्मी की किसी बात को भूलने की हिम्मत थी क्या उनकी
( पिछले साल इसी महीने में बाजी लगी थी , मैंने बोला था की ये सबके सामने न सिर्फ आम खाएंगे ,
बल्कि गुड्डी के हाथ से और उसे भी खिलाएंगे।
अगर मैं हार गयी तो मेरे गले का हार उसका
और वो हार गयी तो ८ घंटे तक उसे मेरी हर बात माननी होगी। ).
…………………..
एकदम याद है लेकिन देख कोई और तुझसे बात करना चाहता है , और मैंने फोन उन्हें पकड़ा दिया।
मैं चली गयी थी लेकिन एक्सटेंसन पर भाई बहन का संवाद सुन रही थी ,
" हेल्लो ,... " मेरी ननद अपनी टिपिकल शहद घुली हस्की सेक्सी आवाज में बोली।
वो भी मूड में थे उसे छेड़ने के , चुप रहे।
' हेलो , कौन , ,... " फिर रुक के गुड्डी बोली , " अरे नाम तो बताओ न "/
" पहचान कौन , ... " हलके से मुस्कारते वो बोले।
" उह्ह्ह ,... मुझे क्या मालूम , " बड़ी अदा से वो शोख टीनेजर बोली , " बोलो न ,कुछ तो हिंट दो न ".
" ऊँह , कुछ , चलो कुछ गेस करो न । "
मेरी और मेरी ननद की टेलीफ़ोन की बात सुन के वो भी मूड में आ गए थे।
" उन्हह ,अच्छा चल सोचती हूँ , टाल ,फेयर ,हैंडसम , मेरे खूब अच्छे वाले मीठे मीठे भैय्या। "
गुड्डी भी अब मूड में थी ,और दोनों कबुतरों में गुटरगूँ चालू हो गयी।
कुछ देर के बाद उनके मुंह से निकल गया ,
" मुझे मालूम था की इस समय तुम अकेली रहती हो इसलिए ,"
बात काट के वो जोर से खिलखिलाई और फिर उन्हें चिढाते बोली ,
" अच्छा तो अकेले जान के फायदा उठाया जा रहा है। "
वो बिचारे झेंप गए ,लेकिन बात उनकी ममेरी बहन ने ही आगे बढ़ाई ,उसी तरह हँसते हुए ,
" चलो भइय्या ,जब फायदा उठा सकते थे तब तो फायदा उठाया नहीं और अब ,... "तेरे बस का नहीं है फायदा वायदा उठाना। "
कुछ मेरी और मम्मी की ट्रेंनिग का नतीजा और कुछ उनकी अपनी चाहत , अब उनकी भी हिम्मत खुल गयी थी , बोले ,
" अरे जब जागो तभी सबेरा , कोई जरूरी है जो काम पहले कोई चूक जाए वो दुबारा न करे , "
गुड्डी भी उन्ही की तरह इन्फार्मल और बोल्ड हो गयी थी ,बल्कि उनसे भी ज्यादा ,कुछ रुक के बोली ,
" एकदम जरूरी नहीं ,... "
" तू बुरा तो नहीं मानेगी। "
अब वो एकदम डायरेक्ट हो रहे थे ,यही तो मैं चाहती थी ,और मुझसे बढ़ कर उनकी सास।
" तेरी किसी बात का जो पहले बुरा माना है जो अब मानूँगी ,तुम भी न भैय्या "
फिर हंस के बोली ,
" और अगर बुरा मान भी गयी तो तू मेरे बुरा मानने का बुरा मत मानना ,और क्या। "
उन दोनों की बात सुनते मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया ,
"अरे बुर वाली की बात का क्या बुरा मानना और जब वो तेरा बचपन का माल और एकलौती बहन हो। "
गुड्डी को लगा की बात शायद आगे ज्यादा जा रही है इसलिए उसने बात बदलते हुए कहा ,
" भैय्या ,मेरी तो छुट्टियां चल रही है लेकिन लगता है आप को भी कोई काम धाम है नहीं। "
" अरे काम ही तो कर रहा हूँ ,तुझसे बात करना भी तो काम हुआ न , " वो बोले।
" ये कौन सा काम हुआ ,... " अदा से वो शोख बोली ,पर उनका दिमाग सिंगल ट्रैक हो चुका था ,बोले ,
" तो कौन सा काम ,... तेरा मतलब कामसूत्र वाला काम ,... "
अबकी वो शरमाई , थोड़ा झिझकी और हलके से बोली ,
"धत्त ,... "
" अरे क्यों धत्त क्यों , वो भी तो काम हुआ न ,उसी से तो दुनिया चलती है और मज़ा भी कितना आता है उस काम में। "
वो अब एकदम खुल के मूड में आ गए थे।
और वो भी लगता है , पक्का मेरी ननद की उँगलियाँ उसकी कोरी बुलबुल पे चल रही होंगी , कुछ रुक के ,गहरी सांस लेती बोली ,
" तो करो न ,मैंने कौन सा मना किया है ,... " वो बहुत धीमे से बोली। इससे ज्यादा कोई टीनेजर क्या सिग्नल देती।
" लेकिन इतनी दूर से कैसे करूँ , इसलिए फोन पर कर रहा हूँ ,जो कर सकता हूँ।
मेरी ननद भी एकदम पक्की थी ,एकबार फिर वो उनकी रगड़ाई करने के मूड में आ गयी थी ,चिढाते बोली।
" अरे तो उसके साथ करो न जिसके साथ रोज करते हो ,,,,,"
पर वो भी हारने वाले नहीं थे आखिर उनकी सास की ट्रेनिंग थी , छेड़ते हुए बोले ,
" क्या करता हूँ ज़रा खुल के तो बोलो न , मेरी समझ में नहीं आया। "
" पिटोगे तुम , बहुत जोर से पिटोगे " ,हँसते हुए वो शोख बोली
" अच्छा तो तेरे साथ कर लूँ , ... " हँसते हुए वो बोले।
" हे हे मैंने ऐसा तो नहीं कहा था। " वो उसी तरह शहद घुली आवाज में बोली।
" लेकिन तूने मना भी तो नहीं किया। " वो आज छोड़ने के मूड में नहीं थे ,
और मेरी ननद वो बात बोल गयी जो मुझे मालुम तो थी ,लेकिन उसी के मुंह से मैं सुनना चाहती थी।
" मना तो भैय्या मैंने पहले भी कभी नहीं किया। "
मेरी बांकी किशोर ननद के मुंह से निकल गया।
लेकिन उसकी बात अनसुनी करते वो बोले ,
" तूने सुना है ना कोई भी लड़की अगर न कहे तो उसका मतलब है शायद और अगर शायद कहे तो उसका मतलब हाँ ,... "
अबकी वो एकबार फिर से गुड्डी मूड में आ गयी थी ,जोर से खिलखलाती बोली ,
" शायद ,हां भैय्या ,... शायद ,शायद सुना है."
इससे ज्यादा कौन लड़की इशारा दे सकती है। वो भी , जोश में आ गए , ख़ुशी से बोल उठे ,
" हे तूने बोल दिया , शायद और जानती है लड़की शायद बोले तो क्या मतलब होता है। "
हँसते हुए वो फिर बोली ,
" बोल दिया तो क्या हुआ ,मैं तो फिर से बोल रही हूँ ,शायद ,शायद ,शायद। "
उनके मोबाइल पर आफिस का कोई मेल आ गया था ,किसी मीटिंग का रिमाइंडर ,
वो बोले ,
" हे अभी चलता हूँ लेकिन कल पक्का इसी समय मिलेंगे ,साढ़े तीन बजे। "
" एकदम पक्का भइया ,प्रामिस इसी समय साढ़े तीन बजे , मेरा मतलब है शायद , उन्हें चिढाते खिलखिलाती वो छोरी बोली और दोनों ने फोन रख दिया।
पीछे से मैंने उन्हें गपुच लिया और उनके गाल कचकचा के काटते बोली ,
" साढ़े तीन बजे गुड्डी जरूर मिलना ,साढ़े तीन बजे , अरे लौंडिया एकदम पट गयी है , बस अब उसे निहुराओ सटाओ और घुसेड़ दो , फाड़ दो एक धक्के में। "
मेरा हाथ उनके बल्ज पे था , रगड़ते हुए। एकदम तन्नाया था अपनी छुटकी बहिनिया से बात कर के।
……………………………………………….
" शाम को मैं और मम्मी तुझे आफिस से पिकअप करेंगे "
उनके निकलते निकलते मैंने उन्हें याद दिलाया।
" एकदम पक्का याद है ,मम्मी ने बोला था। "
वो बोले ,मम्मी की किसी बात को भूलने की हिम्मत थी क्या उनकी