06-02-2019, 11:00 AM
रसीली फांके
और अब मैंने दूसरी प्लेट खोली ,
लम्बे लम्बे सुनहले रसीले आम की फांके ,
एक साथ मैंने दो लम्बी फांक निकाली और सीधे मेरी चूत में।
लम्बी लम्बी फांके थी , पांच छह इंच लम्बी और आधी से ज्यादा बाहर।
और अब मेरे निचले होंठ , उनके होंठो चिपके।
सक इट बेबी , सक इट हार्ड , सक , यस्स यस्स टेक इट।
और वो चूस रहे थे , पूरी ताकत से , जोर जोर से।
थोड़ी ही देर में फांकों के टुकड़े उनके मुंह में थे और चूसने की रफ्तार और बढ़ गयी थी।
मैंने नीचे की ओर देखा।
इनका लिंग कभी इत्ता तना , इत्ता कड़ा मैंने इसके पहले नहीं देखा।
और कुछ ही देर में प्लेट में रखी सभी फांके , मेरी प्रेम गली से इनके मुंह में ,
और अब हम 69 की पोज में थे।
उनके होंठ अभी भी मेरी चूत से चिपके आम का रस ,चूस चाट रहे थे।
और मेरे होंठ , उन्होंने प्यार से 'दुल्हन ' का घूंघट खोल दिया ,और सुपाड़ा मेरे होंठों के बीच,
क्या मस्त कडा था ,कदम खूब फूला , लाल , मेरी जीभ की टिप सीधे 'पी होल ' ( पेशाब के छेद ) पे , और मैं जोर जोर से सुरसुरी करने लगी।
जवाब उन्होंने पूरी ताकत से मेरी आम रस से पगी भीगी चूत को पूरे ताकत से चूस कर दिया ,
और बची खुची आम की फांके , मेरी प्रेमगली से सीधे उनके मुंह में,
…………….
मेरे होंठ अब प्यार से सुपाड़े को दबोचे हुए थे और जीभ चारो ओर ,लप लप ,लप लप,…
नीचे मेरे अंगूठा और तर्जनी , जोर से मोटे पगलाए बांस के बेस को दबाये हुआ था।
एक पल के लिए मैंने सुपाड़े को आजाद किया ,
बगल में एक प्याला अल्फांसो के ढेर सारे छोटे छोटे टुकड़े , और आइस क्यूब से भरा हुआ था।
अगले ही पल मेरे अल्फांसो , आइस क्यूब भरे मुंह में फिर उनका सुपाड़ा कैद था ,
और बर्फ के पहले स्पर्श से ही वो जोर से चीखे ,
लेकिन इत्ते मस्त कड़े कड़े सुपाड़े को मैं ऐसे थोड़े छोड़ने वाले थी , मैंने और जोर जोर से चूसना शुरू किया।
मेरे दूसरा हाथ सीधे उनके बाल्स पे , जोर से मैंने उसे भी दबोच लिया।
मैं उनके मोटे कड़ियल चर्मदण्ड को जोर जोर से मुठिया रही थी ,
दूसरा हाथ उनके बाल्स को कभी सहलाता और कभी दबोचता और अब आधे से ज्यादा बांस मेरे मुंह में था।
फिर मैंने उनके पिछवाड़े भी मोर्चा खोल दिया।
मेरी ऊँगली पहले उनके गोल कुइयां के आस पास चक्कर काट रही थी , फिर नाख़ून स्क्रैच करना शुरू किया , और थोड़ा सा अंदर।
मेरे होंठ कभी बहुत रोमांटिक ढंग से हलके हलके , प्यार से उनके सुपाड़े पे , खूंटे पे रगड़ते , छेड़ते ऊपर नीचे होते तो , और कभी एकदम जोर से , शरारत से हलके से दांत लगा देते , पूरी ताकत से उनका सुपाड़ा दबा देता।
और अल्फांसो के सुनहले टुकड़े ,उनके मोटे कड़े सुपाड़े से बार बार रगड़ रहे थे ,घिस रहे थे।
मैंने मुठियाने की रफ्तार तेज कर दी। मेरा अंगूठा उनके लंड के बेस को खूब जोर से दबा रहा था ,
और गचाक से , अपनी कलाई के पूरे जोर से मैंने एक ऊँगली पूरी ताकत से उनके पिछवाड़े पेल दी।
बस एक भयानक एक्सप्लोजन ,
लेकिन मैंने सारी मलाई अपने मुंह मेंरोप ली और जोर जोर से मुठ मारने लगी।
मेरे होंठ पूरी ताकत से चूस रहे थे , और जब मेरी ऊँगली ने पिछवाड़े ,अंदर प्रोस्ट्रेट को ऊँगली मोड़ के दबाया ,
तो एक बार फिर से , पहले से भी ज्यादा जोर से खूब गाढ़ी थक्केदार मलाई ,
मेरा पूरा मुंह भरा हुआ था , गाल फूला हुआ।
मुश्किल से मैंने सम्हाला हुआ था।
अल्फांसो के टुकड़े ,मलाई में अच्छी तरह भीगे ,गीले ,
और अब एक बार मैं फिर मुड़ी , मेरे होंठ सीधे उनके मुंह पे ,
और मेरे मुंह का रस पूरा उनके मुंह में और साथ में मेरी जीभ भी ,
उनके होंठ मेरे होंठों ने जबरन सील कर रखा था ,
और उंगलिया अभी भी हलके हलके थोड़े सोये जगे ,थके 'खूंटे' को सहला रही थीं।
एंड ही हैड टू गल्प एवेरी पीस आफ कम सोक्ड मैंगोज।
उसके बाद भी मैं अपने होंठ उनके होंठों पे रगड़ती रही। होंठों पे लगा हुआ सब लिंग रस
" क्यों कैसा लगा मैंगो शेक,मजा आया खूब। "
आँख नचा के मैंने चिढ़ाया।
आखिरी कम सोक्ड टुकड़े अभी भी उनके मुंह में थे।
लेकिन ये तो अभी शुरुआत थी।
और अब मैंने दूसरी प्लेट खोली ,
लम्बे लम्बे सुनहले रसीले आम की फांके ,
एक साथ मैंने दो लम्बी फांक निकाली और सीधे मेरी चूत में।
लम्बी लम्बी फांके थी , पांच छह इंच लम्बी और आधी से ज्यादा बाहर।
और अब मेरे निचले होंठ , उनके होंठो चिपके।
सक इट बेबी , सक इट हार्ड , सक , यस्स यस्स टेक इट।
और वो चूस रहे थे , पूरी ताकत से , जोर जोर से।
थोड़ी ही देर में फांकों के टुकड़े उनके मुंह में थे और चूसने की रफ्तार और बढ़ गयी थी।
मैंने नीचे की ओर देखा।
इनका लिंग कभी इत्ता तना , इत्ता कड़ा मैंने इसके पहले नहीं देखा।
और कुछ ही देर में प्लेट में रखी सभी फांके , मेरी प्रेम गली से इनके मुंह में ,
और अब हम 69 की पोज में थे।
उनके होंठ अभी भी मेरी चूत से चिपके आम का रस ,चूस चाट रहे थे।
और मेरे होंठ , उन्होंने प्यार से 'दुल्हन ' का घूंघट खोल दिया ,और सुपाड़ा मेरे होंठों के बीच,
क्या मस्त कडा था ,कदम खूब फूला , लाल , मेरी जीभ की टिप सीधे 'पी होल ' ( पेशाब के छेद ) पे , और मैं जोर जोर से सुरसुरी करने लगी।
जवाब उन्होंने पूरी ताकत से मेरी आम रस से पगी भीगी चूत को पूरे ताकत से चूस कर दिया ,
और बची खुची आम की फांके , मेरी प्रेमगली से सीधे उनके मुंह में,
…………….
मेरे होंठ अब प्यार से सुपाड़े को दबोचे हुए थे और जीभ चारो ओर ,लप लप ,लप लप,…
नीचे मेरे अंगूठा और तर्जनी , जोर से मोटे पगलाए बांस के बेस को दबाये हुआ था।
एक पल के लिए मैंने सुपाड़े को आजाद किया ,
बगल में एक प्याला अल्फांसो के ढेर सारे छोटे छोटे टुकड़े , और आइस क्यूब से भरा हुआ था।
अगले ही पल मेरे अल्फांसो , आइस क्यूब भरे मुंह में फिर उनका सुपाड़ा कैद था ,
और बर्फ के पहले स्पर्श से ही वो जोर से चीखे ,
लेकिन इत्ते मस्त कड़े कड़े सुपाड़े को मैं ऐसे थोड़े छोड़ने वाले थी , मैंने और जोर जोर से चूसना शुरू किया।
मेरे दूसरा हाथ सीधे उनके बाल्स पे , जोर से मैंने उसे भी दबोच लिया।
मैं उनके मोटे कड़ियल चर्मदण्ड को जोर जोर से मुठिया रही थी ,
दूसरा हाथ उनके बाल्स को कभी सहलाता और कभी दबोचता और अब आधे से ज्यादा बांस मेरे मुंह में था।
फिर मैंने उनके पिछवाड़े भी मोर्चा खोल दिया।
मेरी ऊँगली पहले उनके गोल कुइयां के आस पास चक्कर काट रही थी , फिर नाख़ून स्क्रैच करना शुरू किया , और थोड़ा सा अंदर।
मेरे होंठ कभी बहुत रोमांटिक ढंग से हलके हलके , प्यार से उनके सुपाड़े पे , खूंटे पे रगड़ते , छेड़ते ऊपर नीचे होते तो , और कभी एकदम जोर से , शरारत से हलके से दांत लगा देते , पूरी ताकत से उनका सुपाड़ा दबा देता।
और अल्फांसो के सुनहले टुकड़े ,उनके मोटे कड़े सुपाड़े से बार बार रगड़ रहे थे ,घिस रहे थे।
मैंने मुठियाने की रफ्तार तेज कर दी। मेरा अंगूठा उनके लंड के बेस को खूब जोर से दबा रहा था ,
और गचाक से , अपनी कलाई के पूरे जोर से मैंने एक ऊँगली पूरी ताकत से उनके पिछवाड़े पेल दी।
बस एक भयानक एक्सप्लोजन ,
लेकिन मैंने सारी मलाई अपने मुंह मेंरोप ली और जोर जोर से मुठ मारने लगी।
मेरे होंठ पूरी ताकत से चूस रहे थे , और जब मेरी ऊँगली ने पिछवाड़े ,अंदर प्रोस्ट्रेट को ऊँगली मोड़ के दबाया ,
तो एक बार फिर से , पहले से भी ज्यादा जोर से खूब गाढ़ी थक्केदार मलाई ,
मेरा पूरा मुंह भरा हुआ था , गाल फूला हुआ।
मुश्किल से मैंने सम्हाला हुआ था।
अल्फांसो के टुकड़े ,मलाई में अच्छी तरह भीगे ,गीले ,
और अब एक बार मैं फिर मुड़ी , मेरे होंठ सीधे उनके मुंह पे ,
और मेरे मुंह का रस पूरा उनके मुंह में और साथ में मेरी जीभ भी ,
उनके होंठ मेरे होंठों ने जबरन सील कर रखा था ,
और उंगलिया अभी भी हलके हलके थोड़े सोये जगे ,थके 'खूंटे' को सहला रही थीं।
एंड ही हैड टू गल्प एवेरी पीस आफ कम सोक्ड मैंगोज।
उसके बाद भी मैं अपने होंठ उनके होंठों पे रगड़ती रही। होंठों पे लगा हुआ सब लिंग रस
" क्यों कैसा लगा मैंगो शेक,मजा आया खूब। "
आँख नचा के मैंने चिढ़ाया।
आखिरी कम सोक्ड टुकड़े अभी भी उनके मुंह में थे।
लेकिन ये तो अभी शुरुआत थी।