23-01-2020, 08:02 AM
झोपड़ी के अंदर ज़मीन पर अनिता एक दम नंगी लेटी हुई थी और उसके पास ही वो लड़का दीपक बैठा हुआ था. जहाँ अनिता लेटी थी उसकी दोनो टाँगो के नीचे और उसकी योनि पर लाल लाल खून के दाग लगे हुए थे जिस से सॉफ पता चल रहा था कि उसने अपनी वर्जिनिटी खो दी है. अनिता से हट कर जब मेरी नज़र उस लड़के पर पड़ी तो मेरी आँखे एक दम हैरत मे खो गयी. उस लड़के का लिंग भी अमित के जैसा ही भीमकाय था. पर अमित और उसमे काफ़ी फ़र्क था.. जहा अमित एक दम देहाती अनपढ़ गँवार लगता था वही वो पढ़ा लिखा स्मार्ट था. उसका लिंग पूरी तरह से तना हुआ था और उसके लिंग पर भी खून के लाल लाल धब्बे लगे हुए थे. उसका लिंग पूरी तरह तन कर उपर नीचे की तरफ झटके ले रहा था.
वो वही अनिता के पास ही बैठा हुआ था उसका चेहरा अनिता के चेहरे के उपर झुका हुआ था. और उसका एक हाथ अनिता के उरोज को पकड़ कर मसल रहा था और दूसरा हाथ अनिता के नितंबो पर था जो उसे सख्ती के साथ मसल रहे थे. बाहर से खड़े हो कर देखने और उपर की तरफ उचकने की वजह से मेरे पैरो मे काफ़ी दर्द सा महसूस होने लग गया. पर उस समय तो जैसे मुझे वो दोनो आगे क्या करते है ये देखना ज़्यादा इंपॉर्टेंट लग रहा था.
वो लड़का अनिता के उपर और ज़्यादा झुका और उसके होंठो को अपने होंठ से जकड़ने ही वाला था कि अनिता ने उसकी आँखो मे आँखे डाल कर फर्याद करते हुए लहजे मे कहा.
“प्लीज़ दीपक मान जाओ ना.. बोहोत लेट हो गयी हू.. अगर भाभी घर चली गयी बिना मुझे लिए तो मेरे लिए दिक्कत हो जाएगी..”
“बस एक बार करूगा फिर तुम आराम से चली जाना” कह कर उसने अपने होंठो को अनिता के होंठो पर टिका दिया.
उन दोनो को यूँ किस्सिंग करते हुए देख कर मेरी खुद की योनि मे जैसा आग सी लगी जा रही थी जिसकी वजह से वो और भी ज़्यादा पानी बहाने लग गयी. पता नही ये सब अचानक से मेरे साथ क्या होने लग गया था. मैं कभी भी इस तरह की नही थी जैसी की आज हो गयी हू.. ये सब उस अमित की वजह से हुआ है ना वो हमारे घर आता ना हम दोनो के बीच मे वो सब होता और ना ही मैं इस तरह से ये सब… ऐसा ख़याल आते ही एक पल के लिए मुझे अपने आप पर शरम सी आई और मैं वहाँ से हटने ही वाली थी की अंदर से आती हुई अनिता की सिसकारी ने मेरे पूरे तन बदन मे एक सनसनी सी दौड़ा दी…
ष्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…
… आआआआआईयईईईईईइइम्म्म्ममाआआअ….
और मैं वापस खिड़की जा लगी.. अंदर देखा तो उस लड़के ने अनिता के होंठो को छ्चोड़ कर अपना मुँह उसके उरोज पर लगा दिया है और बारी बारी से उसके दोनो उरोजो को ज़ोर ज़ोर से चूसे जारहा था. और अनिता मस्त हो कर उसके साथ मज़े लेते हुए सिसकारिया निकाल रही थी. उरोज चूस्ते हुए ही उस लड़के ने अपने एक हाथ को अनिता की योनि पर रख दिया और उसकी योनि पर बोहोत आराम से उपर नीचे फिराने लग गया. वो अपने हाथ को थोड़ी देर तक तो गोल गोल घुमाता रहा लेकिन थोड़ी ही देर मे उसने अपने हाथ को घुमाने की जगह पर अपनी उंगलियो को अनिता की योनि पर उपर नीचे करना शुरू कर दिया जिस से अनिता और भी बुरी तरह से मचलने लग गयी और उसकी सिसकारियो की आवाज़े और भी तेज हो गई.
अनिता के मुँह से निकलती हुई आवाज़े मुझ पर एक अजीब ही तरह का नशा कर रही थी जिस से मेरे पूरे शरीर मे एक अजीब ही किस्म की सनसनी सी होने लग गयी थी सोचने-समझने की तो जैसे मुझमे ज़रा भी ताक़त ही नही थी. उस लड़के का हाथ धीरे धीरे उसकी योनि पर तेज़ी के साथ चलने लग गया, जिस से अनिता और भी बुरी तरह से मचलने लग गयी उसके मचलने की हालत इस बात से ही पता चल रही थी कि वो अपने दोनो नितंबो को हवा मे उठा कर उस लड़के के हाथ पर रगड़ रही थी. अनिता ने अपनी दोनो आँखे बंद कर ली थी. और वो आँखे बंद किए हुए ही अपने नितंब को उठा कर उस लड़के के साथ मज़े ले रही थी. अनिता के नितंबो को उठाने से उसका पूरा शरीर इस तरह से हिल रहा था कि उसके दोनो उरोज एक दम से उपर हवा मे उठ जाते और फिर एक ही पल मे नीचे की तरफ हो जाते.
वो वही अनिता के पास ही बैठा हुआ था उसका चेहरा अनिता के चेहरे के उपर झुका हुआ था. और उसका एक हाथ अनिता के उरोज को पकड़ कर मसल रहा था और दूसरा हाथ अनिता के नितंबो पर था जो उसे सख्ती के साथ मसल रहे थे. बाहर से खड़े हो कर देखने और उपर की तरफ उचकने की वजह से मेरे पैरो मे काफ़ी दर्द सा महसूस होने लग गया. पर उस समय तो जैसे मुझे वो दोनो आगे क्या करते है ये देखना ज़्यादा इंपॉर्टेंट लग रहा था.
वो लड़का अनिता के उपर और ज़्यादा झुका और उसके होंठो को अपने होंठ से जकड़ने ही वाला था कि अनिता ने उसकी आँखो मे आँखे डाल कर फर्याद करते हुए लहजे मे कहा.
“प्लीज़ दीपक मान जाओ ना.. बोहोत लेट हो गयी हू.. अगर भाभी घर चली गयी बिना मुझे लिए तो मेरे लिए दिक्कत हो जाएगी..”
“बस एक बार करूगा फिर तुम आराम से चली जाना” कह कर उसने अपने होंठो को अनिता के होंठो पर टिका दिया.
उन दोनो को यूँ किस्सिंग करते हुए देख कर मेरी खुद की योनि मे जैसा आग सी लगी जा रही थी जिसकी वजह से वो और भी ज़्यादा पानी बहाने लग गयी. पता नही ये सब अचानक से मेरे साथ क्या होने लग गया था. मैं कभी भी इस तरह की नही थी जैसी की आज हो गयी हू.. ये सब उस अमित की वजह से हुआ है ना वो हमारे घर आता ना हम दोनो के बीच मे वो सब होता और ना ही मैं इस तरह से ये सब… ऐसा ख़याल आते ही एक पल के लिए मुझे अपने आप पर शरम सी आई और मैं वहाँ से हटने ही वाली थी की अंदर से आती हुई अनिता की सिसकारी ने मेरे पूरे तन बदन मे एक सनसनी सी दौड़ा दी…
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और मैं वापस खिड़की जा लगी.. अंदर देखा तो उस लड़के ने अनिता के होंठो को छ्चोड़ कर अपना मुँह उसके उरोज पर लगा दिया है और बारी बारी से उसके दोनो उरोजो को ज़ोर ज़ोर से चूसे जारहा था. और अनिता मस्त हो कर उसके साथ मज़े लेते हुए सिसकारिया निकाल रही थी. उरोज चूस्ते हुए ही उस लड़के ने अपने एक हाथ को अनिता की योनि पर रख दिया और उसकी योनि पर बोहोत आराम से उपर नीचे फिराने लग गया. वो अपने हाथ को थोड़ी देर तक तो गोल गोल घुमाता रहा लेकिन थोड़ी ही देर मे उसने अपने हाथ को घुमाने की जगह पर अपनी उंगलियो को अनिता की योनि पर उपर नीचे करना शुरू कर दिया जिस से अनिता और भी बुरी तरह से मचलने लग गयी और उसकी सिसकारियो की आवाज़े और भी तेज हो गई.
अनिता के मुँह से निकलती हुई आवाज़े मुझ पर एक अजीब ही तरह का नशा कर रही थी जिस से मेरे पूरे शरीर मे एक अजीब ही किस्म की सनसनी सी होने लग गयी थी सोचने-समझने की तो जैसे मुझमे ज़रा भी ताक़त ही नही थी. उस लड़के का हाथ धीरे धीरे उसकी योनि पर तेज़ी के साथ चलने लग गया, जिस से अनिता और भी बुरी तरह से मचलने लग गयी उसके मचलने की हालत इस बात से ही पता चल रही थी कि वो अपने दोनो नितंबो को हवा मे उठा कर उस लड़के के हाथ पर रगड़ रही थी. अनिता ने अपनी दोनो आँखे बंद कर ली थी. और वो आँखे बंद किए हुए ही अपने नितंब को उठा कर उस लड़के के साथ मज़े ले रही थी. अनिता के नितंबो को उठाने से उसका पूरा शरीर इस तरह से हिल रहा था कि उसके दोनो उरोज एक दम से उपर हवा मे उठ जाते और फिर एक ही पल मे नीचे की तरफ हो जाते.