23-01-2020, 07:58 AM
आप मेरी बेगम को बताना मत. वो मेरी बहुत इज़्ज़त करती है. पहली बार मेरे साथ ऐसा हुवा है. मुझे माफ़ कर दीजिए"
"ठीक ठीक है... पर आपको ऐसी बाते सोभा नही देती. जब की आप की तो बीवी भी है”
“मुझे पता है मेरी बीवी है.. पर उसका होना ना होना एक बराबर ही है.. आज पूरे 5 साल हो गये है और 5 साल से मैं उसके जितना नज़दीक जाने की कोसिस करता हू वो मुझसे उतना ही दूर भागती है. जब से किसी बाबा ने कहा है कि तुम्हारे पति की लंबी उमर के लिए तुम्हे अपने पति से दूर रहना होगा. तब से वो मेरे साथ हो कर भी मेरे साथ नही है और जब आज तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत को देखा तो मैं बहक गया समझ मे ही नही आया कि क्या सही है और क्या ग़लत..”
उसकी बात सुन कर मैं हैरान रह गयी क्यूकी अभी थोड़ी देर पहले उसकी बीवी ने कुछ कहा और अब वो कुछ और ही कह रहा है.. पर मुझे ना जाने क्यू उसकी बातो मे सच्चाई सी महसूस होने लगी..”चलिए छ्चोड़िए इन सब बातो को.. मैं आप की बेटी की उमर की हू आप ने ये तो सोचा होता”
“इतना जॅलील ना करो कि मैं शर्म से मर जाउ.. इंसान हू और इंसान से ग़लती हो जाती है.”
बूढ़ा सही कह रहा है इंसान से ही ग़लती होती है.. इस बात के जहाँ मे आते ही मुझे अमित और अपने बीच वाली घटना याद आ गयी.
“वैसे एक बात कहु बुरा तो नही मानोगी ?” बूढ़े ने बोला और खामोश हो गया.. मैं सोच ही रही थी कि अब पता नही ये क्या कहने वाला है “आप की तारीफ मे ही कहुगा”
“हां बोलो” मैने भी अपनी तारीफ सुनने के लालच मे उस से कह दिया. बोलने को.
वो मेरे पास मे ही था और अब भी उसका इंची टेप मेरे नितंबो पर ही टिका हुआ था. “उपर वाले ने बोहोत खूबसूरत बनाया है तुम्हारे शरीर को.. कोई भी बहक सकता है तुम्हारी इस कमसिन जवानी को देख कर.. आज तक मैने तुम जैसी गदराई भरी जवानी वाली औरत को पास से नही देखा था.. पूरे शरीर का एक एक हिस्सा उपर वाले ने बोहोत महनत से बनाए है.. कहाँ पर कितना कटान होना चाहिए सब कुछ एक दम नपा तुला है.. वैसे इस गाँव की तो तुम हो नही शहर की लगती हो” उसने अपने इंचिटपे को मेरे नितंबो पर थोड़ा सा और ज़्यादा टाइट करते हुए कहा.
“हां मैं शहर से ही हू पर तुम फिर से शुरू हो गये.. अभी माफी माँगी थी तुमने..” मैने उस टेलर पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.
“आप तो बुरा मान गयी मेरी बात का मैं तो केवल आप की तारीफ कर रहा था.”
“तारीफ करने से कोई फ़ायडा नही है.. जो तुम सोच रहे हो वो सब ग़लत है.” मैने भी थोड़ा मज़े लेने वाले अंदाज मे उसकी बात का जवाब देते हुए कहा.
“मुझे पता है कि कोई फ़ायडा नही है पर जो सच है वो कह दिया.” उसने भी फिर से मक्खन लगाने वाले अंदाज मे कहा. उसका इंचिटपे अब भी मेरे नितंबो पर टिका हुआ था.
“अब अगर तुम्हारा नाप लेना हो गया हो तो इस इंचिटपे को हटा लो..” मैने थोड़ा सा मुस्कुराते हुए कहा.
“नाप तो हो गया पर…..” वो बोलते बोलते रह गया.
“पर… क्या अब क्या बचा है ?” मैने थोड़ा हैरान होते हुए कहा.
“अगर तुम बुरा ना मानो तो क्या मैं तुम्हारे तरबूजो को छू कर देख सकता हू.. बड़ा मन कर रहा है.. बस एक बार… मैं तुम्हारा ये एहसान जिंदगी भर नही भूलुगा”
मैं कुछ कहते या समझती उसने अपने दोनो हाथो को मेरे नितंबो पर कस कर जमा दिया और जिस तरह से कल अमित ने इन्हे मसला था ठीक वैसे ही उसने मसलना शुरू कर दिया. उसके हाथो की कठोरता अपने नितंबो पर महसूस करते ही मेरे पूरे शरीर मे एक अजीब सी सनसनी की लहर दौड़ गयी. मैं उसे मना करने ही वाली थी कि उसने अपने बदन को मेरे बदन से बिल्कुल चिपका दिया.
उसका इस तरह से खुद के शरीर को मेरे शरीर के साथ चिपकने से उसका तना हुआ लिंग मुझे मेरे नितंबो की दरार मे महसूस होने लग गया. बूढ़े के लिंग का एहसास होते ही मैने अपने आप को उस से अलग करने की कोसिस की पर उसने अपने दोनो हाथो की पकड़ मेरे नितंब पर बोहोत मजबूत बना रखी थी जिस वजह से मैं चाह कर भी खुद को उस से अलग नही कर पाई.
पता नही मुझे अचानक क्या हुआ.. खुद को उस से दूर करने की जगह मैं अपने दिमाग़ मे उसके लिंग को महसूस करके इस बात का अंदाज लगाने लगी कि उसका लिंग कितना मोटा है…
वो पूरी मस्ती के साथ अपने दोनो हाथो से मेरे नितंबो को मसले जा रहा था और मैं अपनी आँखे बंद किए हुए उसके हाथो का और उसके मोटे लिंग का एहसास महसूस कर रही थी. उसके हाथो की छुवन और उसके मोटे लिंग का एहसास मुझे एक अजीब सी खुमारी मे डूबा जा रहा था. उसके हाथो की मजबूत पकड़ से मेरे मुँह से अपने आप कामुक सिसकारिया निकलने लग गयी. अभी मुश्किल से दो मिनट भी नही हुए थे कि मुझे अचानक से ख्याल आया कि मैं ये जो कुछ भी कर रही हू वो सब ग़लत है. मैं एक शादी शुदा औरत हू मुझे इस तरह का कोई भी काम शोभा नही देता. अपने शादी शुदा होने की बात का ख़याल आते ही मनीष का चेहरा मेरी आँखो के आगे घूमने लागा
"ठीक ठीक है... पर आपको ऐसी बाते सोभा नही देती. जब की आप की तो बीवी भी है”
“मुझे पता है मेरी बीवी है.. पर उसका होना ना होना एक बराबर ही है.. आज पूरे 5 साल हो गये है और 5 साल से मैं उसके जितना नज़दीक जाने की कोसिस करता हू वो मुझसे उतना ही दूर भागती है. जब से किसी बाबा ने कहा है कि तुम्हारे पति की लंबी उमर के लिए तुम्हे अपने पति से दूर रहना होगा. तब से वो मेरे साथ हो कर भी मेरे साथ नही है और जब आज तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत को देखा तो मैं बहक गया समझ मे ही नही आया कि क्या सही है और क्या ग़लत..”
उसकी बात सुन कर मैं हैरान रह गयी क्यूकी अभी थोड़ी देर पहले उसकी बीवी ने कुछ कहा और अब वो कुछ और ही कह रहा है.. पर मुझे ना जाने क्यू उसकी बातो मे सच्चाई सी महसूस होने लगी..”चलिए छ्चोड़िए इन सब बातो को.. मैं आप की बेटी की उमर की हू आप ने ये तो सोचा होता”
“इतना जॅलील ना करो कि मैं शर्म से मर जाउ.. इंसान हू और इंसान से ग़लती हो जाती है.”
बूढ़ा सही कह रहा है इंसान से ही ग़लती होती है.. इस बात के जहाँ मे आते ही मुझे अमित और अपने बीच वाली घटना याद आ गयी.
“वैसे एक बात कहु बुरा तो नही मानोगी ?” बूढ़े ने बोला और खामोश हो गया.. मैं सोच ही रही थी कि अब पता नही ये क्या कहने वाला है “आप की तारीफ मे ही कहुगा”
“हां बोलो” मैने भी अपनी तारीफ सुनने के लालच मे उस से कह दिया. बोलने को.
वो मेरे पास मे ही था और अब भी उसका इंची टेप मेरे नितंबो पर ही टिका हुआ था. “उपर वाले ने बोहोत खूबसूरत बनाया है तुम्हारे शरीर को.. कोई भी बहक सकता है तुम्हारी इस कमसिन जवानी को देख कर.. आज तक मैने तुम जैसी गदराई भरी जवानी वाली औरत को पास से नही देखा था.. पूरे शरीर का एक एक हिस्सा उपर वाले ने बोहोत महनत से बनाए है.. कहाँ पर कितना कटान होना चाहिए सब कुछ एक दम नपा तुला है.. वैसे इस गाँव की तो तुम हो नही शहर की लगती हो” उसने अपने इंचिटपे को मेरे नितंबो पर थोड़ा सा और ज़्यादा टाइट करते हुए कहा.
“हां मैं शहर से ही हू पर तुम फिर से शुरू हो गये.. अभी माफी माँगी थी तुमने..” मैने उस टेलर पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.
“आप तो बुरा मान गयी मेरी बात का मैं तो केवल आप की तारीफ कर रहा था.”
“तारीफ करने से कोई फ़ायडा नही है.. जो तुम सोच रहे हो वो सब ग़लत है.” मैने भी थोड़ा मज़े लेने वाले अंदाज मे उसकी बात का जवाब देते हुए कहा.
“मुझे पता है कि कोई फ़ायडा नही है पर जो सच है वो कह दिया.” उसने भी फिर से मक्खन लगाने वाले अंदाज मे कहा. उसका इंचिटपे अब भी मेरे नितंबो पर टिका हुआ था.
“अब अगर तुम्हारा नाप लेना हो गया हो तो इस इंचिटपे को हटा लो..” मैने थोड़ा सा मुस्कुराते हुए कहा.
“नाप तो हो गया पर…..” वो बोलते बोलते रह गया.
“पर… क्या अब क्या बचा है ?” मैने थोड़ा हैरान होते हुए कहा.
“अगर तुम बुरा ना मानो तो क्या मैं तुम्हारे तरबूजो को छू कर देख सकता हू.. बड़ा मन कर रहा है.. बस एक बार… मैं तुम्हारा ये एहसान जिंदगी भर नही भूलुगा”
मैं कुछ कहते या समझती उसने अपने दोनो हाथो को मेरे नितंबो पर कस कर जमा दिया और जिस तरह से कल अमित ने इन्हे मसला था ठीक वैसे ही उसने मसलना शुरू कर दिया. उसके हाथो की कठोरता अपने नितंबो पर महसूस करते ही मेरे पूरे शरीर मे एक अजीब सी सनसनी की लहर दौड़ गयी. मैं उसे मना करने ही वाली थी कि उसने अपने बदन को मेरे बदन से बिल्कुल चिपका दिया.
उसका इस तरह से खुद के शरीर को मेरे शरीर के साथ चिपकने से उसका तना हुआ लिंग मुझे मेरे नितंबो की दरार मे महसूस होने लग गया. बूढ़े के लिंग का एहसास होते ही मैने अपने आप को उस से अलग करने की कोसिस की पर उसने अपने दोनो हाथो की पकड़ मेरे नितंब पर बोहोत मजबूत बना रखी थी जिस वजह से मैं चाह कर भी खुद को उस से अलग नही कर पाई.
पता नही मुझे अचानक क्या हुआ.. खुद को उस से दूर करने की जगह मैं अपने दिमाग़ मे उसके लिंग को महसूस करके इस बात का अंदाज लगाने लगी कि उसका लिंग कितना मोटा है…
वो पूरी मस्ती के साथ अपने दोनो हाथो से मेरे नितंबो को मसले जा रहा था और मैं अपनी आँखे बंद किए हुए उसके हाथो का और उसके मोटे लिंग का एहसास महसूस कर रही थी. उसके हाथो की छुवन और उसके मोटे लिंग का एहसास मुझे एक अजीब सी खुमारी मे डूबा जा रहा था. उसके हाथो की मजबूत पकड़ से मेरे मुँह से अपने आप कामुक सिसकारिया निकलने लग गयी. अभी मुश्किल से दो मिनट भी नही हुए थे कि मुझे अचानक से ख्याल आया कि मैं ये जो कुछ भी कर रही हू वो सब ग़लत है. मैं एक शादी शुदा औरत हू मुझे इस तरह का कोई भी काम शोभा नही देता. अपने शादी शुदा होने की बात का ख़याल आते ही मनीष का चेहरा मेरी आँखो के आगे घूमने लागा