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Adultery मेहमान बेईमान
"थोड़ा हाथ उपर कीजिए" उसने इंची टॅप को मेरी बगल के पास रखते हुए कहा. जिस कारण उसका हाथ हल्के हल्के मेरे उरोजो से टच हो रहा था या वो जान बुझ कर रहा था पर मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था.

मैने हाथ उठा लिए. उसने इंच टेप मेरे उभारो के उपर से ले जा कर थोड़ा कस दिया. वो जिस तरह से इंची टॅप को मेरे उभरो पर कस रहा था मेरी साँसे हल्की हल्की भारी होने लगी थी. वो इंची टॅप को सही करने के बहाने से बार बार अपने हाथ को मेरे उरोजो पर टच कर रहा था और उसके इंची टॅप का दवाब धीरे धीरे मेरे उभारो पर बढ़ता जा रहा था जो मेरे अंदर एक अजीब सी बेचैनी पैदा कर रही थी मैं उसकी पकड़ को ढीला करना चाहती थी पर पता नही क्यू मेरे मुँह से उस वक़्त एक भी शब्द नही निकल रहा था.

पता नही मुझे क्या हो रहा था कुछ भी समझ मे नही आ रहा था. उसके इंची टेप का दवाब मेरे स्तनो पर धीरे धीरे करके बढ़ता ही जा रहा था..

“अरे क्या कर रहे है आप इतना टाइट ब्लाउस नही सिलवाना है मुझे” मैने अपने दोनो हाथो को वापस नीचे करते हुए उस से कहा.

“माफ़ कीजिएगा वो मेरा ध्यान..” कहते कहते वो बुढहा एक दम रुक गया.. और घूर कर मेरे उरोजो की तरफ देखने लग गया.

उसका इस तरह से उरोजो की तरफ देखना मुझे बोहोत अजीब लगा और मेरे मन मे यही ख़याल आया कि क्या सभी मरद एक जैसे होते है. हर आदमी औरत को सिर्फ़ सेक्स की ही नज़र से देखता है.. खेर.. वो वापस से अपने इंची टेप को हाथ मे लेकर मेरे साइड मे आ गया.

मेरा आधा ध्यान अपना नाप देने और आधा ध्यान अनिता की फिकर मे था पता नही कहा रह गयी अभी तक आई क्यू नही है.

मैं अभी अनिता के बारे मे सोच ही रही थी कि मैं बुरी तरह से मचल उठी. बूढ़े का हाथ मेरी कमर पर चल रहा था. वो इंची टेप को इस तरह से मेरी कमर मे घुमा रहा था जिस से उसके हाथ का ज़्यादा से ज़्यादा स्पर्श मुझे मेरे पेट और कमर होता हुआ महसूस हो रहा था.

“सही से नाप लीजिए.. आप का हाथ बार बार मुझे लग रहा है” मैने बुढहे को टोकते हुए कहा

“अब नाप लेगे तो हाथ तो लगेगा ही.. और वैसे भी आप को सिर्फ़ हाथ ही लगा सकते है और कुछ तो लगा नही सकते.. हहे” कहते हुए वो अपनी बत्तीसी निकाल कर हंस दिया.

वो क्या लगाने की बोल रहा था मुझे सॉफ मालूम हो रहा था और इसी लिए मैने उस से इस मामले मे आगे बात करना ज़रूरी नही समझा.

नाप लेने के लिए वो टेलर मेरे पीछे आ गया और इंची टेप को मेरे नितंबो पर कस दिया. मेरे मन फिर से अनिता को ले कर परेशान हो रहा था. तभी बूढ़े का हाथ मुझे मेरे नितंब पर दब्ता हुआ महसूस हुआ.

“ये क्या बदतमीज़ी है” कहते हुए मैं उस बूढ़े से अलग हो कर थोड़ा दूर हो गयी. “आप को शरम नही आती. शादी शुदा हो कर आप इस तरह की हरकत कर रहे है."

"तुम्हारे जैसी हसीना आज तक मेरी दुकान पर नही आई. तुम्हारे जैसी हसीना को अब तक टीवी पर ही देखा है. तुम्हारे तरबूजो को हाथ मे लेकर दबाने को मिल जाए तो जन्नत मिल जाए मुझे." बूढ़ा अपनी असलियत पर उतर आया. और अब बिल्कुल सॉफ सॉफ बोल रहा था.

“ये क्या बदतमीज़ी है ? इसी तरह से आप अपने कस्टमर के साथ बिहेव करते हो ?” मैने लगभग बुरी तरह से उस पर बिगड़ते हुए कहा. पर वो टेलर तो जैसे मेरी बात को सुन ही नही रहा था. और अपनी मस्ती मे मस्त हो कर सिर्फ़ मुस्कुराए जा रहा था. एक का एक मेरे दिमाग़ मे उसकी बीवी ने जो थोड़ी देर पहले उसके बारे मे बात कही थी वो मेरे दिमाग़ मे घूमने लग गयी. सच मे ये बूढ़ा तो पूरी तरह से थर्कि है.

पता नही उसकी बीवी की बात को याद करते ही मुझे ना जाने क्या हुआ और मैं जो बोहोत गुस्से मे थी एका एक मेरा गुस्सा अपने आप ही गायब हो गया. लेकिन वो दोबारा इस तरह की हरकत ना करे इस लिए मैने उस पर वैसे ही झूठा गुस्सा करते हुए कहा

“तुम ने जो हरकत अभी की है मैं इसके बारे मे अभी तुम्हारी बीवी से शिकायत करूगी”

"माफ़ करना मोहतार्मा मैं आपको देख कर बहक गया था." अपनी बीवी का नाम सुनते ही वो घबराते हुए बोला.

मैं मन ही मन मुस्कुरा उठी. मैने बूढ़े की हालत पतली कर दी थी. अब वो माफी माँग कर चुपचाप नाप लेने में लग गया.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 21-01-2020, 10:29 AM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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