21-01-2020, 10:27 AM
“तो मोहतार्मा आप को क्या सिलवाना है” उसने मेरे हाथ मे लगी पॉलयथीन को देखते हुए कहा..
“जी कुछ नही” मैने अपने कपड़ो की इज़्ज़त बचाने के लिए कहा.
“मोहतार्मा आप दुकान और हमारी हालत पर ना जाए हम बोहोत ही कम दाम मे बढ़िया कपड़े सील कर देते है. वैसे आप को क्या सिलवाना है ?”
पता नही मुझे क्या हुआ कि मैं ना चाहते हुए भी बोल गयी कि “पेटिकोट और ब्लाउस सिलवाने है”
आप चिंता ना करे.. आप को बिल्कुल सही तरह से कपड़े सिले हुए मिलेगे. जिसे पहन कर आप की सुंदरता और भी बढ़ जाएगी. वैसे कितने कपड़े सिलवाने है आप को ?”
“तीन पेटिकोट और ब्लाउस है.. चार्ज कितना करते हो ?”
“मोहतार्मा आप दाम की चिंता ना करे आप काम देखे अगर आप को पसंद आया तभी आप पैसे दीजिएगा”
“ठीक है पर मैं पहले एक ही ब्लाउस और पेटिकोट सिल्वा कर देखुगी की सही सिलाई हुई है या नही बाकी उसके बाद ही सिल्वाउन्गि”
“बिल्कुल मोहतार्मा आप जैसा ठीक समझे वैसे आप यकीन नही करेगी कि आज तक मास्टर जावेद ख़ान के काम मे आज तक किसी ने भी नुखस नही निकाला है. सब तारीफ ही करते है. अगर आप को काम पसंद नही आया तो आप मेरा नाम मास्टर जावेद ख़ान नही” उसने अपनी बात पूरी करी और मेरी तरफ हाथ बढ़ा कर मुझसे कपड़े दिखाने के लिए इशारा करने लग गया.
मैने उसे पॉलयथीन मे से एक जोड़ी ब्लाउस और पेटिकोट का पीस निकाल कर दे दिया. उसने कपड़े को ध्यान से देखा और फिर अपने इंची टॅप से नाप कर बोला..
“आइए मोहतार्मा आप का नाप ले लेता हू”
मेरे दिल मे ना जाने क्यू बार बार यही ख़याल आ रहा था कि कही ये मेरे कपड़े को खराब ना कर दे उल्टा सीधा सिल कर..
“आइए मोहतार्मा आप का नाप ले लू कपड़े सीलने के लिए.. कहाँ खो गयी आप” उसने दोबारा से मुझे आवाज़ देते हुए कहा.
वो वहाँ थोड़ी दूरी पर खड़ा था और मुझे गेट के सामने से साइड मे आने को बोल रहा था मैं भी उसके पीछे पीछे हो गयी. कमरे में मध्यम सी रोशनी थी. दीवार पर हर तरफ बड़े बड़े पोस्टर थे. सभी पोस्टर में मॉडेल्स सूट सलवार पहने थी. पोस्टर काई साल पुराने लग रहे थे. मैं उस छ्होटी सी शॉप को देख रही थी एक तो गर्मी बोहोत थी जिस कारण मुझे पसीना बोहोत आ रहा था दूसरा उसकी शॉप मे कोई ढंग की व्यवस्था भी नही थी कस्टमर के लिए.
“ठंडा चाइ वगेरह कुछ लेंगी आप ?” उसने मेरी तरफ एक अजीब तरह की नज़रो से देख कर मुस्कुराते हुए कहा.
“जी नही इस की कोई ज़रूरत नही है आप जल्दी से नाप ले लीजिए मुझे वापस जाना है” मैने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा.
“अरे कैसी बात कर रही है मोहतार्मा आप पहली बार हमारी दुकान पर आई है और हम आप को ऐसे ही जाने दे.. एक मिनट अभी रूको.” कह कर वो वहाँ से थोड़ी दूरी पर जो अंदर की तरफ गेट था उसके पास जा कर “अरे बेगम सुनती हो ? अरे इन मेम्साब को कुछ ठंडा वगेरह पिलवाओ.” उसकी बात सुन कर उसकी बीवी बाहर आ गयी. दोनो ने एक दूसरे से बोहोत ही आहिस्ता-आहिस्ता बात करी जो मेरी समझ मे नही आई पर उसकी बीवी वापस अंदर चली गयी.
“देखिए आप जल्दी से नाप ले लीजिए ठंडा वगेरह बाद मे पी लेंगे अभी मुझे थोड़ी जल्दी है” मैने उसे अपनी परेशानी बताते हुए कहा.
“हां… हां वो भी हो जाएगा आप उसकी चिंता ना करे आप थोड़ा आराम से बैठिए”
थोड़ी ही देर मे उसकी बीवी अंदर से दो गिलास नींबू पानी बना कर ले आई एक ग्लास उसने मुझे और दूसरा अपने पति को दे दिया. प्यास तो मुझे बोहोत ज़ोर की लगी हुई थी इस गर्मी की वजह से मैने ग्लास खाली करके वापस उस औरत को दे दिया जिसे ले कर वो वापस अंदर की तरफ चली गयी.
"मोहतार्मा आपको थोड़ा खड़ा होना पड़ेगा." उसने मुझे स्टूल से उठने का इशारा करते हुए कहा.
"ओह हां...थोड़ा जल्दी कीजिए मुझे कुछ और भी काम है." मैने खड़े होते हुए कहा. गर्मी से पसीना निकलने के कारण मेरा पूरा ब्लाउस गीला हो गया था. वाइट कलर का ब्लाउस होने के कारण मेरी छाती का ज़्यादातर हिस्सा सॉफ नज़र आ रहा था. ये बात मैने स्टूल से खड़े होने के बाद नॉटिक की जब उस टेलर मास्टर की नज़रो को वापस अपनी छाती पर तीर की तरह चुभते हुए महसूस किया.
"चिंता मत कीजिए मोहतार्मा बस थोड़ा ही वक़्त लगेगा आपका." कह कर उसने जेब से इंची टेप निकालते हुए कहा.
सबसे पहले उसने मेरे कंधो का नाप लिया. फिर बाजू का नाप लेते वक्त बोला, "बाजू छ्होटी चलेगी या बड़ी रखनी है?."
"नही ज़्यादा नही..जितनी होती है...नॉर्मल उतनी ही." मैने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा.
“जी कुछ नही” मैने अपने कपड़ो की इज़्ज़त बचाने के लिए कहा.
“मोहतार्मा आप दुकान और हमारी हालत पर ना जाए हम बोहोत ही कम दाम मे बढ़िया कपड़े सील कर देते है. वैसे आप को क्या सिलवाना है ?”
पता नही मुझे क्या हुआ कि मैं ना चाहते हुए भी बोल गयी कि “पेटिकोट और ब्लाउस सिलवाने है”
आप चिंता ना करे.. आप को बिल्कुल सही तरह से कपड़े सिले हुए मिलेगे. जिसे पहन कर आप की सुंदरता और भी बढ़ जाएगी. वैसे कितने कपड़े सिलवाने है आप को ?”
“तीन पेटिकोट और ब्लाउस है.. चार्ज कितना करते हो ?”
“मोहतार्मा आप दाम की चिंता ना करे आप काम देखे अगर आप को पसंद आया तभी आप पैसे दीजिएगा”
“ठीक है पर मैं पहले एक ही ब्लाउस और पेटिकोट सिल्वा कर देखुगी की सही सिलाई हुई है या नही बाकी उसके बाद ही सिल्वाउन्गि”
“बिल्कुल मोहतार्मा आप जैसा ठीक समझे वैसे आप यकीन नही करेगी कि आज तक मास्टर जावेद ख़ान के काम मे आज तक किसी ने भी नुखस नही निकाला है. सब तारीफ ही करते है. अगर आप को काम पसंद नही आया तो आप मेरा नाम मास्टर जावेद ख़ान नही” उसने अपनी बात पूरी करी और मेरी तरफ हाथ बढ़ा कर मुझसे कपड़े दिखाने के लिए इशारा करने लग गया.
मैने उसे पॉलयथीन मे से एक जोड़ी ब्लाउस और पेटिकोट का पीस निकाल कर दे दिया. उसने कपड़े को ध्यान से देखा और फिर अपने इंची टॅप से नाप कर बोला..
“आइए मोहतार्मा आप का नाप ले लेता हू”
मेरे दिल मे ना जाने क्यू बार बार यही ख़याल आ रहा था कि कही ये मेरे कपड़े को खराब ना कर दे उल्टा सीधा सिल कर..
“आइए मोहतार्मा आप का नाप ले लू कपड़े सीलने के लिए.. कहाँ खो गयी आप” उसने दोबारा से मुझे आवाज़ देते हुए कहा.
वो वहाँ थोड़ी दूरी पर खड़ा था और मुझे गेट के सामने से साइड मे आने को बोल रहा था मैं भी उसके पीछे पीछे हो गयी. कमरे में मध्यम सी रोशनी थी. दीवार पर हर तरफ बड़े बड़े पोस्टर थे. सभी पोस्टर में मॉडेल्स सूट सलवार पहने थी. पोस्टर काई साल पुराने लग रहे थे. मैं उस छ्होटी सी शॉप को देख रही थी एक तो गर्मी बोहोत थी जिस कारण मुझे पसीना बोहोत आ रहा था दूसरा उसकी शॉप मे कोई ढंग की व्यवस्था भी नही थी कस्टमर के लिए.
“ठंडा चाइ वगेरह कुछ लेंगी आप ?” उसने मेरी तरफ एक अजीब तरह की नज़रो से देख कर मुस्कुराते हुए कहा.
“जी नही इस की कोई ज़रूरत नही है आप जल्दी से नाप ले लीजिए मुझे वापस जाना है” मैने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा.
“अरे कैसी बात कर रही है मोहतार्मा आप पहली बार हमारी दुकान पर आई है और हम आप को ऐसे ही जाने दे.. एक मिनट अभी रूको.” कह कर वो वहाँ से थोड़ी दूरी पर जो अंदर की तरफ गेट था उसके पास जा कर “अरे बेगम सुनती हो ? अरे इन मेम्साब को कुछ ठंडा वगेरह पिलवाओ.” उसकी बात सुन कर उसकी बीवी बाहर आ गयी. दोनो ने एक दूसरे से बोहोत ही आहिस्ता-आहिस्ता बात करी जो मेरी समझ मे नही आई पर उसकी बीवी वापस अंदर चली गयी.
“देखिए आप जल्दी से नाप ले लीजिए ठंडा वगेरह बाद मे पी लेंगे अभी मुझे थोड़ी जल्दी है” मैने उसे अपनी परेशानी बताते हुए कहा.
“हां… हां वो भी हो जाएगा आप उसकी चिंता ना करे आप थोड़ा आराम से बैठिए”
थोड़ी ही देर मे उसकी बीवी अंदर से दो गिलास नींबू पानी बना कर ले आई एक ग्लास उसने मुझे और दूसरा अपने पति को दे दिया. प्यास तो मुझे बोहोत ज़ोर की लगी हुई थी इस गर्मी की वजह से मैने ग्लास खाली करके वापस उस औरत को दे दिया जिसे ले कर वो वापस अंदर की तरफ चली गयी.
"मोहतार्मा आपको थोड़ा खड़ा होना पड़ेगा." उसने मुझे स्टूल से उठने का इशारा करते हुए कहा.
"ओह हां...थोड़ा जल्दी कीजिए मुझे कुछ और भी काम है." मैने खड़े होते हुए कहा. गर्मी से पसीना निकलने के कारण मेरा पूरा ब्लाउस गीला हो गया था. वाइट कलर का ब्लाउस होने के कारण मेरी छाती का ज़्यादातर हिस्सा सॉफ नज़र आ रहा था. ये बात मैने स्टूल से खड़े होने के बाद नॉटिक की जब उस टेलर मास्टर की नज़रो को वापस अपनी छाती पर तीर की तरह चुभते हुए महसूस किया.
"चिंता मत कीजिए मोहतार्मा बस थोड़ा ही वक़्त लगेगा आपका." कह कर उसने जेब से इंची टेप निकालते हुए कहा.
सबसे पहले उसने मेरे कंधो का नाप लिया. फिर बाजू का नाप लेते वक्त बोला, "बाजू छ्होटी चलेगी या बड़ी रखनी है?."
"नही ज़्यादा नही..जितनी होती है...नॉर्मल उतनी ही." मैने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा.