21-01-2020, 10:23 AM
मैं उसके साथ अंदर तो आ गयी पर मेरा मन अनिता को लेकर बोहोत परेशान हो रहा था पता नही वो कहाँ ढूँढेगी उस रिक्शे वाले को ? कही वो किसी मुसीबत मे ना फँस जाए मेरे दिमाग़ मे ज़रा सी देर मे कयि सारे उल्टे सीधे ख़याल आने लग गये.
“अरे बेटी क्या हुआ ? क्या सोच रही हो ?” उस औरत ने मुझे बाहर दरवाजे की तरफ सोच मे डूबे हुए देख कर कहा.
“कुछ नही बस अनिता को देख रही हू” उसकी आवाज़ सुन कर मैने अपनी सोच से बाहर आकर जवाब देते हुए कहा.
“अरे बेटी तुम अनिता की फिकर मत करो वो गाँव की हर गली से अच्छी तरह वाकिफ़ है.” उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया. वो जिस तरह से मुस्कुराइ उसकी मुस्कुराहट देख कर मुझे बड़ा अजीब लगा. एक अजीब ही तरह की मुस्कुराहट थी उसके चेहरे पर जिसे समझना मेरे लिए थोड़ा मुस्किल था. मैं उसकी बात सुन कर चुप-चाप बैठ गयी.
“और बिटिया बच्चे का कुछ सोचा है ?” उस ने इस बार अपने चेहरे के भाव बदलते हुए पूछा.
“नही अभी नही. वैसे भी अभी मनीष का जॉब ऐसा है कि उन्हे बाहर रहना पड़ता है और अभी हमारी शादी को ज़्यादा टाइम भी नही हुआ है इस लिए अभी बच्चे के लिए कुछ सोचा नही है”
“अरे ये क्या बात हुई ? बच्चा तो शादी के जितनी जल्दी हो जाए उतना ही अच्छा रहता है. घर मे अकेलापन महसूस नही होता है”
“आप की बात तो सही है पर अभी इस बारे मे कुछ सोचा नही है”
“तो कब सोचेगे ? वैसे मनीष खुस तो रखता है ना तुम्हे ?” उसने फिर से इस बार एक अजीब तरह की मुस्कुराहट अपने चहरे पर लाते हुए कहा. मैं उसकी बात का मतल्ब नही समझ पा रही थी कि वो किस तरह के खुश रहने की बात कर रही है.
“हां मनीष तो मेरा बोहोत ख़याल रखते है. हम दोनो अपनी शादी शुदा जिंदगी से बोहोत खुस है”
“तो कितनी बार हो जाता है तुम दोनो के बीच” उसने एक दम से ही ये सवाल मेरे उपर छ्चोड़ दिया मुझे उस से इस तरह के सवाल की ज़रा भी उम्मीद नही थी.
“जी..! मैं कुछ समझी नही” मैने हैरान हो कर उसकी तरफ देखते हुए कहा.
“अरे मेरे कहने का मतलब ये है कि तेरा पति रात को तेरा ध्यान रखता है कि नही.. क्यूकी मनीष को जानती हू वो बोहोत शर्मीले स्वाभाव का है. अपने शर्मीले पन के कारण तेरा ध्यान ही नही रखता हो” वो फिर से मेरी तरफ देख कर हंसते हुए बोली.
“हां पूरा ख़याल रखते है” मैने भी इस बार शरमाते हुए मुस्कुराते हुए कहा.
“तो रोज होता है या कभी कभी ?” उसने फिर से ऐसा सवाल कर दिया जिसका जवाब देते हुए मुझे बड़ी शर्म सी महसूस हो रही थी. समझ मे नही आ रहा था की क्या जवाब दू.. “अरे बताओ ना रोज होता है तुम दोनो के बीच या कभी कभी ?”
“अरे बेटी क्या हुआ ? क्या सोच रही हो ?” उस औरत ने मुझे बाहर दरवाजे की तरफ सोच मे डूबे हुए देख कर कहा.
“कुछ नही बस अनिता को देख रही हू” उसकी आवाज़ सुन कर मैने अपनी सोच से बाहर आकर जवाब देते हुए कहा.
“अरे बेटी तुम अनिता की फिकर मत करो वो गाँव की हर गली से अच्छी तरह वाकिफ़ है.” उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया. वो जिस तरह से मुस्कुराइ उसकी मुस्कुराहट देख कर मुझे बड़ा अजीब लगा. एक अजीब ही तरह की मुस्कुराहट थी उसके चेहरे पर जिसे समझना मेरे लिए थोड़ा मुस्किल था. मैं उसकी बात सुन कर चुप-चाप बैठ गयी.
“और बिटिया बच्चे का कुछ सोचा है ?” उस ने इस बार अपने चेहरे के भाव बदलते हुए पूछा.
“नही अभी नही. वैसे भी अभी मनीष का जॉब ऐसा है कि उन्हे बाहर रहना पड़ता है और अभी हमारी शादी को ज़्यादा टाइम भी नही हुआ है इस लिए अभी बच्चे के लिए कुछ सोचा नही है”
“अरे ये क्या बात हुई ? बच्चा तो शादी के जितनी जल्दी हो जाए उतना ही अच्छा रहता है. घर मे अकेलापन महसूस नही होता है”
“आप की बात तो सही है पर अभी इस बारे मे कुछ सोचा नही है”
“तो कब सोचेगे ? वैसे मनीष खुस तो रखता है ना तुम्हे ?” उसने फिर से इस बार एक अजीब तरह की मुस्कुराहट अपने चहरे पर लाते हुए कहा. मैं उसकी बात का मतल्ब नही समझ पा रही थी कि वो किस तरह के खुश रहने की बात कर रही है.
“हां मनीष तो मेरा बोहोत ख़याल रखते है. हम दोनो अपनी शादी शुदा जिंदगी से बोहोत खुस है”
“तो कितनी बार हो जाता है तुम दोनो के बीच” उसने एक दम से ही ये सवाल मेरे उपर छ्चोड़ दिया मुझे उस से इस तरह के सवाल की ज़रा भी उम्मीद नही थी.
“जी..! मैं कुछ समझी नही” मैने हैरान हो कर उसकी तरफ देखते हुए कहा.
“अरे मेरे कहने का मतलब ये है कि तेरा पति रात को तेरा ध्यान रखता है कि नही.. क्यूकी मनीष को जानती हू वो बोहोत शर्मीले स्वाभाव का है. अपने शर्मीले पन के कारण तेरा ध्यान ही नही रखता हो” वो फिर से मेरी तरफ देख कर हंसते हुए बोली.
“हां पूरा ख़याल रखते है” मैने भी इस बार शरमाते हुए मुस्कुराते हुए कहा.
“तो रोज होता है या कभी कभी ?” उसने फिर से ऐसा सवाल कर दिया जिसका जवाब देते हुए मुझे बड़ी शर्म सी महसूस हो रही थी. समझ मे नही आ रहा था की क्या जवाब दू.. “अरे बताओ ना रोज होता है तुम दोनो के बीच या कभी कभी ?”