21-01-2020, 10:23 AM
थोड़ी ही देर मे हम टेलर की दुकान पर आ गये.. मैने रिक्शे से उतार कर दुकान की तरफ देखा तो वो शॉप पर कोई भी अटेंड करने को नही था. देखने से कोई अच्छे टेलर की शॉप नही लगती थी वो. शॉप की हालत बिल्कुल ख़स्ता थी. रिसेप्षन टेबल बाबा आदम के जमाने का लगता था. टेबल के पीछे एक टूटी फूटी कुर्सी रखी थी. कॉस्टुमेर के बैठने के लिए एक टूटी फूटी सी बेंच भी रखी थी. शॉप के पीछे भी शायद कुछ कमरे थे क्योंकि एक पुराना सा परदा टंगा हुवा था पिछली तरफ दरवाजे पर. उस दुकान को देख कर अपने ब्लाउस और पेटिकोट सिलवाने के सारे अरमान चकना चूर हो गये. पर गाँव के हिसाब से दुकान थी और गाँव के लोगो को जैसे कपड़े पसंद होते है वो टेलर भी शायद वैसा ही होगा.
“ये कैसी बेकार बदहाल सी दुकान है अनिता” मैने दुकान को पूरी तरह से देखते हुए कहा. और फिर वहाँ पर टाँगे एक दो कपड़ो को देख कर बोला कि “लगता नही यहा पर कोई अपने कपड़े सिलवाने भी आता होगा”
“अरे नही भाभी ये गाँव के सबसे फेमस टेलर की शॉप है. औरत और आदमी दोनो के कपड़े यहाँ पर सिले जाते है.” अनिता ने मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा.
“इस शॉप की हालत तो देखो हालत देख ही सॉफ पता चल रहा है” मैं आपने लाए कपड़ो की तरफ देखा और उन्हे वैसे ही पॉलयथीन बॅग मे कस कर पकड़ लिया..
“अरे भाभी जी आप बेकार मे घबरा रहे हो. मैने आप कल जो कपड़े पहनने को दिए थे वो मैने यही से सिलवाए थे.” अनिता ने मुझसे कहा और उस शॉप का डोर खाट-खता दिया. जिसकी आवाज़ सुन कर अंदर से एक औरत निकल कर आई.
“अरे अनिता बेटी तुम आओ आओ अंदर आओ धूप मे क्यू खड़ी हो” कह कर उस औरत ने मुझे और अनिता को शॉप के अंदर बुला लिया. वो औरत कोई 45 साल के आस पास की एज की रही होगी जिसके बारे मे मुझे अनिता ने बाद मे बताया पर उनको देख कर लग ही नही रहा था कि 35 साल से ज़्यादा की है.
मैं जैसे ही शॉप के अंदर आई तो गर्मी का एक भबका सा निकला रहा था उस शॉप के अंदर से उपर से उस शॉप मे कोई फन भी नही था. वो अंदर गयी और हाथ से घूमने वाला पंखा और दो गिलास पानी ले कर आ गयी. गर्मी के कारण प्यास तो बोहोत ज़ोर से लग रही थी. पानी पीने के बाद अनिता ने उस से कहा कि “वो परसो जो कपड़े सिलवाने के लिए दे कर गयी थी वो सिल गये क्या ?”
“बिटिया ये तो वही बता पाएगे कि कपड़े सील गये या नही.. वो बाजार गये है कुछ सामान लाने के लिए अभी आते ही होगे. और आप बताओ विकास भैया की शादी की तैयार कैसी चल रही है” उस औरत ने भी एक हाथ से अपने उपर पंखे से हवा करते हुए कहा.
यानी अब हमे यहा पर इस सदी गर्मी मे और बैठना पड़ेगा.. मैं सोच ही रही थी कि वो औरत फिर से बोली
“अनिता बेटी ये कॉन है तुम्हारे साथ” उस औरत ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.
“ये..! ये हमारी भाभी है. कल ही आई है मनीष भैया के साथ” अनिता ने मेरा इंट्रो देते हुए कहा.
“अरे बोहोत सुंदर दुल्हनिया है..” कह कर उसने अपने दोनो हाथो को मेरे कान तक लाई और फिर वापस उनको अपने कान के पास तक ले गयी. इस तरह से शायद उसने मेरी नज़र उतारी थी. “तो तुम्हे भी शादी के लिए कपड़े सिलवाने है ?” उस औरत ने मेरे हाथ मे लगा पॉलयथीन का बॅग देख कर कहा.
“मर गयी भाभी..! वो रिक्षेवाला..!” कह कर अनिता बुरी तरह से हड़बड़ाते हुए टेबल से उठ गयी.
उसको इस तरह से घबराया हुआ देख कर मैं भी घबरा गयी और वो औरत भी..
“क्या हुआ ?” मैने अनिता से उसको इस तरह से घबराता हुआ देख कर कहा.
“क्या हुआ अनिता बिटिया क्यू इतना परेशान हो रही हो ?” उस औरत ने भी अनिता को यूँ घबराया हुआ देख कर कहा.
“वो भाभी हमारी पायल…! हमारी पायल उस रिकशे मे गिर गयी है” कह कर वो दुकान से बाहर की तरफ आई और चारो तरफ देखने लगी..
मैने भी अपनी नज़र चारो तरफ घुमा कर देखा पर वो रिक्शे वाला दूर दूर तक कही दिखयी नही दे रहा था.
“वो रिक्शे वाला तो कही नही दिखाई दे रहा है” मैने अनिता की तरफ देख कर कहा.
“भाभी वो पायल गायब हो गयी है अगर मा या पिता जी को पता चला तो मेरी आफ़त आ जाएगी.. भाभी जी आप यही रुकिये मैं उस रिक्शे वाले को अभी ढूँढ कर आती हू..
“अरे ऐसी धूप मे कहा ढूँधोगी उसको पता नही वो कहाँ गया होगा” मैने अनिता को समझाते हुए कहा.
“नही भाभी जी…! मुझे उस रिक्शे वाले को ढूँढना ही होगा. यहाँ पास मे ही रिक्शे वाले खड़े होते है मैं उसे वहाँ पर देखती हू. आप यही पर रूको मैं उसे देखती हू.” कह कर वो वहाँ से हड़बड़ाहट मे सड़क की तरफ चल दी. मैं भी उसके साथ जाना चाहती थी पर वो इतने हड़बड़ाहट मे कह कर भाग गयी की मुझे आगे कुछ कहने का मौका ही नही मिला.
वो औरत मुझे वापस से अपने साथ उस शॉप मे अंदर की तरफ ले आई.
“ये कैसी बेकार बदहाल सी दुकान है अनिता” मैने दुकान को पूरी तरह से देखते हुए कहा. और फिर वहाँ पर टाँगे एक दो कपड़ो को देख कर बोला कि “लगता नही यहा पर कोई अपने कपड़े सिलवाने भी आता होगा”
“अरे नही भाभी ये गाँव के सबसे फेमस टेलर की शॉप है. औरत और आदमी दोनो के कपड़े यहाँ पर सिले जाते है.” अनिता ने मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा.
“इस शॉप की हालत तो देखो हालत देख ही सॉफ पता चल रहा है” मैं आपने लाए कपड़ो की तरफ देखा और उन्हे वैसे ही पॉलयथीन बॅग मे कस कर पकड़ लिया..
“अरे भाभी जी आप बेकार मे घबरा रहे हो. मैने आप कल जो कपड़े पहनने को दिए थे वो मैने यही से सिलवाए थे.” अनिता ने मुझसे कहा और उस शॉप का डोर खाट-खता दिया. जिसकी आवाज़ सुन कर अंदर से एक औरत निकल कर आई.
“अरे अनिता बेटी तुम आओ आओ अंदर आओ धूप मे क्यू खड़ी हो” कह कर उस औरत ने मुझे और अनिता को शॉप के अंदर बुला लिया. वो औरत कोई 45 साल के आस पास की एज की रही होगी जिसके बारे मे मुझे अनिता ने बाद मे बताया पर उनको देख कर लग ही नही रहा था कि 35 साल से ज़्यादा की है.
मैं जैसे ही शॉप के अंदर आई तो गर्मी का एक भबका सा निकला रहा था उस शॉप के अंदर से उपर से उस शॉप मे कोई फन भी नही था. वो अंदर गयी और हाथ से घूमने वाला पंखा और दो गिलास पानी ले कर आ गयी. गर्मी के कारण प्यास तो बोहोत ज़ोर से लग रही थी. पानी पीने के बाद अनिता ने उस से कहा कि “वो परसो जो कपड़े सिलवाने के लिए दे कर गयी थी वो सिल गये क्या ?”
“बिटिया ये तो वही बता पाएगे कि कपड़े सील गये या नही.. वो बाजार गये है कुछ सामान लाने के लिए अभी आते ही होगे. और आप बताओ विकास भैया की शादी की तैयार कैसी चल रही है” उस औरत ने भी एक हाथ से अपने उपर पंखे से हवा करते हुए कहा.
यानी अब हमे यहा पर इस सदी गर्मी मे और बैठना पड़ेगा.. मैं सोच ही रही थी कि वो औरत फिर से बोली
“अनिता बेटी ये कॉन है तुम्हारे साथ” उस औरत ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.
“ये..! ये हमारी भाभी है. कल ही आई है मनीष भैया के साथ” अनिता ने मेरा इंट्रो देते हुए कहा.
“अरे बोहोत सुंदर दुल्हनिया है..” कह कर उसने अपने दोनो हाथो को मेरे कान तक लाई और फिर वापस उनको अपने कान के पास तक ले गयी. इस तरह से शायद उसने मेरी नज़र उतारी थी. “तो तुम्हे भी शादी के लिए कपड़े सिलवाने है ?” उस औरत ने मेरे हाथ मे लगा पॉलयथीन का बॅग देख कर कहा.
“मर गयी भाभी..! वो रिक्षेवाला..!” कह कर अनिता बुरी तरह से हड़बड़ाते हुए टेबल से उठ गयी.
उसको इस तरह से घबराया हुआ देख कर मैं भी घबरा गयी और वो औरत भी..
“क्या हुआ ?” मैने अनिता से उसको इस तरह से घबराता हुआ देख कर कहा.
“क्या हुआ अनिता बिटिया क्यू इतना परेशान हो रही हो ?” उस औरत ने भी अनिता को यूँ घबराया हुआ देख कर कहा.
“वो भाभी हमारी पायल…! हमारी पायल उस रिकशे मे गिर गयी है” कह कर वो दुकान से बाहर की तरफ आई और चारो तरफ देखने लगी..
मैने भी अपनी नज़र चारो तरफ घुमा कर देखा पर वो रिक्शे वाला दूर दूर तक कही दिखयी नही दे रहा था.
“वो रिक्शे वाला तो कही नही दिखाई दे रहा है” मैने अनिता की तरफ देख कर कहा.
“भाभी वो पायल गायब हो गयी है अगर मा या पिता जी को पता चला तो मेरी आफ़त आ जाएगी.. भाभी जी आप यही रुकिये मैं उस रिक्शे वाले को अभी ढूँढ कर आती हू..
“अरे ऐसी धूप मे कहा ढूँधोगी उसको पता नही वो कहाँ गया होगा” मैने अनिता को समझाते हुए कहा.
“नही भाभी जी…! मुझे उस रिक्शे वाले को ढूँढना ही होगा. यहाँ पास मे ही रिक्शे वाले खड़े होते है मैं उसे वहाँ पर देखती हू. आप यही पर रूको मैं उसे देखती हू.” कह कर वो वहाँ से हड़बड़ाहट मे सड़क की तरफ चल दी. मैं भी उसके साथ जाना चाहती थी पर वो इतने हड़बड़ाहट मे कह कर भाग गयी की मुझे आगे कुछ कहने का मौका ही नही मिला.
वो औरत मुझे वापस से अपने साथ उस शॉप मे अंदर की तरफ ले आई.