20-01-2020, 01:20 PM
तब इरम “आअहह... सन्नी प्लीज़... मेरी जान मेरे सीने से लग जाओ उफफ्फ़... जानू मैं झड़ने वाली हँन् ऊऊहह सन्नी कुत्ते क्यों जलील कर रहा है मुझे बहनचोद गान्डू...” की तेज आवाज के साथ ही इरम का पूरा जिम एक बार अकड़ा और फिर हल्का-हल्का काँपने लगा जिसके बाद उसकी फुद्दी में पानी का तेज सैलाब सा आ गया।
इरम के फारिघ् होते ही मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया, क्योंकी मैं अभी फारिघु नहीं होना चाहता था। इम थोड़ी देर तक लंबी सांसें लेती रही। उसके बाद इरम ने अपनी आँखें खोलकर मेरी तरफ और फिर मेरे फनफनाते हुये लण्ड की तरफ देखा और हल्का सा मुश्कुराकर बोली- “सन्नी तुम सच्ची में बहुत बड़े हरामी हो। पता है आज तक मुझे कोई मेरी मर्जी के बिना फारिघ् नहीं करवा सका है, लेकिन तुमने कर डाला। मेरा सारा मान तोड़ दिया है आज तुमने। बहुत जालिम हो...”
इरम की बात सुनकर मैं हँस दिया और बोला- “अभी तुमने जुल्म देखा ही कहाँ है? अभी तो तुम देखोगी कि आज होना क्या कुछ है तुम्हारे साथ?” और साइड से कपड़े उठाकर एक बार फिर से इरम की फुद्दी को साफ करने लगा।
तब इरम ने खुद ही कपड़ा पकड़ लिया और अपनी फुद्दी साफ करते हुये बोली- “कुछ तो गीली रहने दो, वरना आज के बाद एक हफ्ते तक हम दोनों ही किसी काम के नहीं रहेंगे...”
अबकी बार मैंने इरम की बात मान ली, क्योंकी मुझे भी अब लण्ड पे जलन का एहसास हो रहा था, जो कि इरम की खुश्क फुद्दी में घुसने की वजह से ही हो रही थी। खैर, फुद्दी को अच्छे से साफ करके इरम ने मुझे अपनी जगह पे लिटा दिया और खुद अपने पापा की तरफ मुँह करके जो कि मेरे पैरों की तरफ थे, मेरे लण्ड को अपनी फुद्दी पे सेट करते हुये धीरे से मेरे लण्ड को अपनी फुद्दी में लेती हुई नीचे बैठ गई। मैंने भी पीछे से। इरम की गाण्ड पकड़ ली और उसे सहलाते हुये ऊपर नीचे होने में मदद देने लगा।
पूरा लण्ड अपनी फुद्दी में घुसाकर इरम ने मुड़कर मेरी तरफ देखा और बोली- “क्या खयाल है जरा प्यार से मजा ना करें?”
मैंने हाँ में सिर हिला दिया, तो इरम ने खुद को धीरे से मेरे ऊपर गिरा लिया और अपने हाथ मेरे सिर के पिछली तरफ बेड से लगाकर अपनी गाण्ड को मेरे लण्ड पे रगड़ते हुये चुदाई का मजा लेने लगी। लेकिन इस तरह इरम की चुदाई मेरे लिए भी बड़ी मुसीबत बन रही थी, क्योंकी शायद ये इरम के गरम जिस्म का कमाल था, जो मुझसे अब बर्दाश्त खतम होती जा रही थी।
इस स्टाइल में मुझसे दो मिनट भी कंट्रोल नहीं हो पाया, और मैंने इरम को अपने ऊपर से धकेल दिया और खुद उठकर इरम को अपने नीचे लिटा लिया और फिर से उसकी टांगें उठाकर अपने कंधों पे रख लीं और अपना लण्ड घुसाकर इरम की फुद्दी मारने लगा। लेकिन क्योंकी इस बार इरम की फुद्दी ज्यादा खुश्क नहीं थी और लण्ड भी आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था।
तो इरम भी अपनी गाण्ड नीचे से मेरे लण्ड की तरफ उछलते हुये बोली- “क्या हुआ मेरे हरामी राजा, गाण्ड फट रही है क्या? और तेजी से चोद ना बहनचोद। ये तेरी माँ की बूढ़ी फुदी नहीं है जो एक दो बार में थक जाएगी। साले ये मेरा जवान जिश्म है, 10 बार भी माँ चुदवाएगा ना तो ताजा दम मिलेगी उफफ्फ़ सन्नी और तेज चोद बहन के लौड़े उउन्नम्म्मह आअहह.. पापा इसकी गाण्ड में उंगली करो, इसे बोलो तेज चोदे उउफफ्फ़..." की आवाज में चिल्ला-चिल्ला के मेरा जोश बढ़ा रही थी। जिसने इतना काम किया कि मैं दो मिनट में ही इरम की फुद्दी में झड़ गया और उसके ऊपर ही लेटकर हाँफने लगा
इरम ने इसी तरह मुझे अपने साथ जकड़ लिया बाहों में और थोड़ा जोर लगाकर मुझे अपने ऊपर से घुमाकर साइड में कर लिया और मेरा लण्ड ऐसे ही अपनी फुद्दी में लिए मुझे किस करने लगी। इम की तरफ से ये पहली किस थी जो उसने मुझे की थी और वो भी काफी जोश के साथ।
कुछ देर मैं इरम के साथ ऐसे लिपटा लेटा रहा और किस करता रहा। फिर मैं पीछे हटा जिससे मेरा मुरझाया हुआ लण्ड इरम की फुद्दी में से निकल आया तो मैं अंकल की तरफ देखकर मुश्कुराया और बोला- “क्यों अंकल मजा आया या नहीं?”
अंकल ने कहा- “तुम्हें तो आ ही गया है लेकिन मेरा अभी बाकी है..” और इतना बोलते हुये इरम को अपनी तरफ खींचकर उसे अपने ऊपर आने को कहा।
तब मैं वहाँ से उठा और नंगा ही बाथरूम में जा घुसा और अपने आपको साफ सफाई करके जब 5 मिनट बाद बाहर निकला तो देखा कि सफदर अंकल भी इरम की फुद्दी में झड़ चुके थे, और अब दोनों बाप बेटी साथ-साथ लेटे हाँफ रहे थे।
थोड़ी देर तक आराम करने के बाद इरम उठी और मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुराते हुये बोली- “लगता है। तुम्हें काफी तजुर्बा है सेक्स का, जो कि अभी तक मेरे पापा को भी नहीं है। कसम से अभी तक जलन हो रही है। मुझे। वैसे सच्ची बात बताऊँ तुम्हें सन्नी... मजा बहुत आया है मुझे...”
मैं हँसते हुये उठा और बोला- “लेकिन यार इरम, मुझे कुछ खास मजा नहीं आया। पता नहीं क्यों तुमने दिल से मेरे साथ एंजाय नहीं किया है.”
इरम हँस दी और बोली- “शुरू-शुरू में सचमुच ऐसा ही था। लेकिन बाद में जब तुमने अपना कमाल दिखाया तब तो मैंने दिल से ही करवाया था ना?”
अब मैं उठा और अपने कपड़े लेकर लण्ड को अच्छे से साफ करता हुआ कपड़े पहनने लगा।
सफदर अंकल ने कहा- “क्या बात है सन्नी, कहाँ जा रहे हो?”
मैंने कहा- “बस अंकल, आप लोग अपनी मस्ती जारी रखो। मुझे कुछ काम है, बाद में आऊँगा आप लोगों की तरफ..." और वहाँ से निकलकर अपने घर आ गया, जहाँ निदा बाहर हाल में ही बैठी टीवी देख रही थी।
मुझे देखते ही निदा एक स्माइल देते हुये धीरे से बोली- “लगता है आज हमारे भाई को कोई खजाना मिल गया है, जो इतना खुश दिखाई दे रहा है..."
मैं हँसता हुआ निदा के पास ही जा बैठा और बोला- “क्यों किसी खजाने के मिलने से ही मेरे चेहरा पे चमक आ सकती है क्या? कुछ और भी तो मिल सकता है ना?”
निदा- अच्छा जी, तो बताओ फिर ये कुछ और कहाँ से मिला और किसने दिया तुम जैसे चांदिस को?
मैं- क्यों जेलस हो रही हो? तुम क्या जानो कि क्या चीज थी? आअह्ह... कसम से मजा आ गया जब से देखा है। और मिला हूँ बस उसी का खयाल ही हर वक़्त मेरी आँखों के सामने नाचता रहता है।
निदा जो कि अभी तक शोखी दिखा रही थी एकदम से मुँह बनाते हुये उठी और अपने रूम में चली गई, और जाते हुये बोली- “भाई वैसे आपने बाजी के साथ ज्यादती नहीं की है?"
मैं- “यार ये बात फरी से ही क्यों नहीं पूछ लेती तुम? वो तुम्हें अच्छे से समझा देगी सब कुछ...
निदा जो कि अभी तक शोखी दिखा रही थी एकदम से मुँह बनाते हुये उठी और अपने रूम में चली गई, और जाते हुये बोली- “भाई वैसे आपने बाजी के साथ ज्यादती नहीं की है?"
मैं- “यार ये बात फरी से ही क्यों नहीं पूछ लेती तुम? वो तुम्हें अच्छे से समझा देगी सब कुछ...”
निदा के जाने के बाद मैं भी उठा और अपने रूम में आ गया, जहाँ अब निदा फरी बाजी का सिर खा रही थी कि मैं पता नहीं कहाँ से मुंह काला करवा के आ रहा हूँ? और फरी बाजी को मुझसे सख्ती से पूछना चाहिए। लेकिन फरी बाजी थी कि बेड पे बैठी हल्का सा मुश्कुरा रही थी। जिससे निदा को गुस्सा आ गया और उसने कुछ बोलने के लिए अपना मुँह खोला ही था कि मुझ पे नजर पड़ते ही बोली- “लो आ गये आपके नाबाब साहब, पूछो अब । इससे कहाँ गया था ये?”
फरी बाजी ने अब सीरियस होते हुये निदा से कहा- “यार क्यों बच्चों की तरह रिएक्ट कर रही हो तुम? जैसे सन्नी मेरी हर ख्वाहिश का ख्याल करता है और मुझे हर तरह की आजादी दी हुई है इसने, तो क्या इसे इस बात का हक नहीं है कि अपनी लाइफ के कुछ पल अगर किसी और के साथ भी गुजरना चाहे तो गुजर सके?”
फरी की बात सुनकर निदा का गुस्सा थम सा गया। लेकिन मुझे उसके चेहरा पे अब भी एक नागवारी सी दिखाई दे रही थी, जिसका मतलब था कि निदा को मेरा किसी और के साथ करना अच्छा नहीं लगा था। जिसका एक ही मतलब निकलता था कि निदा भी जेहनी तौर पे मेरी तरफ झुक रही थी, जो कि मेरे लिए सप्टइज ही था। क्योंकी निदा बहूत हाट लड़की थी और मैं खुद भी उसके लिए पागल हुआ फिर रहा था। जिस बात का एहसास निदा को भी अच्छी तरह था कि मैं उसके लिए क्या सोचता हूँ?
अभी निदा कुछ बोलने ही लगी थी कि अम्मी की आवाज सुनाई दी जो निदा को बुला रही थी कि वो उनके रूम की अच्छी तरह झाड़-पोंछ कर दे। तो निदा मुँह ही मुँह में बुदबुदाती हुई रूम में से निकल गई।
बाजी ने कहा- “हाँ तो मजा आया मेरे भाई को इरम के साथ?”
मैंने बुरा सा मुँह बनाते हुये कहा- “अरे बाजी, एकदम गश्ती है साली। लेकिन आज मैंने भी उसकी वो ठुकाई की है कि पीछे-पीछे भागेगी मेरे...”
फरी बाजी हँसते हुये बोली- “अच्छा जी, ऐसा क्या कर दिया मेरे शेर भाई ने?”
तब मैंने बाजी को सारा वाकिया सुना दिया, जो वहाँ हुआ था।
फरी बाजी ने हैरानगी से कहा- “क्या मतलब? भाई तुम ये कहना चाहते कि अगर वो अपनी और अपने बाप की मर्जी से करवा रही है तो वो काल-गर्ल है?"
मैंने हाँ में सिर हिला दिया।
बाजी ने कहा- “अच्छा? तो फिर जरा एक नजर अपनी तरफ और दूसरी नजर मेरी तरफ देखकर बताओ कि हम क्या हैं फिर? क्योंकी करते तो हम भी मजे के लिए ही हैं ना?”
फरी बाजी की बात सुनकर मुझे बड़ी शर्म आई खुद पे कि अगर हम करें तो सब अच्छा और दूसरों को करता देखते हैं तो बुरा भला कहते हैं उन्हें।
तभी बाजी ने कहा- “अच्छा, और बुरा महसूस नहीं करो कुछ भी और जाओ जरा अम्मी के रूम में से निदा को बुलाओ, कुछ काम है उससे...”
मैं बाथरूम के रास्ते अम्मी के रूम में गया लेकिन वहाँ जो नजारा देखा तो वहीं दिल थामकर खड़ा हो गया।
निदा अम्मी के रूम की सफाई कर चुकी थी और अब अम्मी के बेड पे झुकी हुई उसकी चादर ठीक कर रही थी।
लेकिन निदा के इस तरह झुकने से उसका पाजामा काफी नीचे तक खिसक आया था और नीचे से पहनी हुई उसकी ब्लैक पैंटी की स्ट्रिप साफ दिखाई दे रही थी और पूरी गाण्ड अपनी शेप में नजर आ रही थी। निदा की चिकनी गाण्ड का ये रूप देखते ही मेरा लण्ड सलामी देने खड़ा होने लगा।
तभी निदा भी चादर ठीक करते हुये उठ खड़ी हुई और जैसे ही मुड़ी और बाथरूम के दरवाजा में मुझे खड़ा देखा तो बोली- “क्या बात है भाई तुम कब आए?” और तभी उसकी नजर मेरे खड़े होते लण्ड पे गई तो निदा गुस्सा दिखाते हुये बोली- “भाई कुछ शर्म है कि नहीं तुममें? अभी-अभी अपना मुँह काला करवा के आए हो और घर
आते ही तुम फिर से मुझपे लाइन मारने लगे हो?"
मैं- “अरे नहीं ये... ये तो बस ऐसे ही... वो मैं तो तुम्हें बुलाने आया हूँ कि बाजी को कुछ काम है तुमसे...”
निदा मुझे खा जाने वाली नजरों से देखते हुये मेरे पास से गुजरने लगी तो मैं जो कि पूरा रास्ता बंद किए खड़ा हुआ था साइड के बल हुआ तो जैसे ही निदा गुजरने लगी, तभी पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैंने खुद को थोड़ा सा निदा को तरफ दबाया तो मेरा खड़ा लण्ड निदा के हाथ से टच हो गया, तो निदा को जैसे कोई झटका लगा हो और वो वहीं खड़ी होकर कुछ देर मेरे लण्ड को अपने हाथ से लगा हुआ देखती रही लेकिन फिर कुछ बोले । बिना ही निकल गई।
इरम के फारिघ् होते ही मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया, क्योंकी मैं अभी फारिघु नहीं होना चाहता था। इम थोड़ी देर तक लंबी सांसें लेती रही। उसके बाद इरम ने अपनी आँखें खोलकर मेरी तरफ और फिर मेरे फनफनाते हुये लण्ड की तरफ देखा और हल्का सा मुश्कुराकर बोली- “सन्नी तुम सच्ची में बहुत बड़े हरामी हो। पता है आज तक मुझे कोई मेरी मर्जी के बिना फारिघ् नहीं करवा सका है, लेकिन तुमने कर डाला। मेरा सारा मान तोड़ दिया है आज तुमने। बहुत जालिम हो...”
इरम की बात सुनकर मैं हँस दिया और बोला- “अभी तुमने जुल्म देखा ही कहाँ है? अभी तो तुम देखोगी कि आज होना क्या कुछ है तुम्हारे साथ?” और साइड से कपड़े उठाकर एक बार फिर से इरम की फुद्दी को साफ करने लगा।
तब इरम ने खुद ही कपड़ा पकड़ लिया और अपनी फुद्दी साफ करते हुये बोली- “कुछ तो गीली रहने दो, वरना आज के बाद एक हफ्ते तक हम दोनों ही किसी काम के नहीं रहेंगे...”
अबकी बार मैंने इरम की बात मान ली, क्योंकी मुझे भी अब लण्ड पे जलन का एहसास हो रहा था, जो कि इरम की खुश्क फुद्दी में घुसने की वजह से ही हो रही थी। खैर, फुद्दी को अच्छे से साफ करके इरम ने मुझे अपनी जगह पे लिटा दिया और खुद अपने पापा की तरफ मुँह करके जो कि मेरे पैरों की तरफ थे, मेरे लण्ड को अपनी फुद्दी पे सेट करते हुये धीरे से मेरे लण्ड को अपनी फुद्दी में लेती हुई नीचे बैठ गई। मैंने भी पीछे से। इरम की गाण्ड पकड़ ली और उसे सहलाते हुये ऊपर नीचे होने में मदद देने लगा।
पूरा लण्ड अपनी फुद्दी में घुसाकर इरम ने मुड़कर मेरी तरफ देखा और बोली- “क्या खयाल है जरा प्यार से मजा ना करें?”
मैंने हाँ में सिर हिला दिया, तो इरम ने खुद को धीरे से मेरे ऊपर गिरा लिया और अपने हाथ मेरे सिर के पिछली तरफ बेड से लगाकर अपनी गाण्ड को मेरे लण्ड पे रगड़ते हुये चुदाई का मजा लेने लगी। लेकिन इस तरह इरम की चुदाई मेरे लिए भी बड़ी मुसीबत बन रही थी, क्योंकी शायद ये इरम के गरम जिस्म का कमाल था, जो मुझसे अब बर्दाश्त खतम होती जा रही थी।
इस स्टाइल में मुझसे दो मिनट भी कंट्रोल नहीं हो पाया, और मैंने इरम को अपने ऊपर से धकेल दिया और खुद उठकर इरम को अपने नीचे लिटा लिया और फिर से उसकी टांगें उठाकर अपने कंधों पे रख लीं और अपना लण्ड घुसाकर इरम की फुद्दी मारने लगा। लेकिन क्योंकी इस बार इरम की फुद्दी ज्यादा खुश्क नहीं थी और लण्ड भी आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था।
तो इरम भी अपनी गाण्ड नीचे से मेरे लण्ड की तरफ उछलते हुये बोली- “क्या हुआ मेरे हरामी राजा, गाण्ड फट रही है क्या? और तेजी से चोद ना बहनचोद। ये तेरी माँ की बूढ़ी फुदी नहीं है जो एक दो बार में थक जाएगी। साले ये मेरा जवान जिश्म है, 10 बार भी माँ चुदवाएगा ना तो ताजा दम मिलेगी उफफ्फ़ सन्नी और तेज चोद बहन के लौड़े उउन्नम्म्मह आअहह.. पापा इसकी गाण्ड में उंगली करो, इसे बोलो तेज चोदे उउफफ्फ़..." की आवाज में चिल्ला-चिल्ला के मेरा जोश बढ़ा रही थी। जिसने इतना काम किया कि मैं दो मिनट में ही इरम की फुद्दी में झड़ गया और उसके ऊपर ही लेटकर हाँफने लगा
इरम ने इसी तरह मुझे अपने साथ जकड़ लिया बाहों में और थोड़ा जोर लगाकर मुझे अपने ऊपर से घुमाकर साइड में कर लिया और मेरा लण्ड ऐसे ही अपनी फुद्दी में लिए मुझे किस करने लगी। इम की तरफ से ये पहली किस थी जो उसने मुझे की थी और वो भी काफी जोश के साथ।
कुछ देर मैं इरम के साथ ऐसे लिपटा लेटा रहा और किस करता रहा। फिर मैं पीछे हटा जिससे मेरा मुरझाया हुआ लण्ड इरम की फुद्दी में से निकल आया तो मैं अंकल की तरफ देखकर मुश्कुराया और बोला- “क्यों अंकल मजा आया या नहीं?”
अंकल ने कहा- “तुम्हें तो आ ही गया है लेकिन मेरा अभी बाकी है..” और इतना बोलते हुये इरम को अपनी तरफ खींचकर उसे अपने ऊपर आने को कहा।
तब मैं वहाँ से उठा और नंगा ही बाथरूम में जा घुसा और अपने आपको साफ सफाई करके जब 5 मिनट बाद बाहर निकला तो देखा कि सफदर अंकल भी इरम की फुद्दी में झड़ चुके थे, और अब दोनों बाप बेटी साथ-साथ लेटे हाँफ रहे थे।
थोड़ी देर तक आराम करने के बाद इरम उठी और मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुराते हुये बोली- “लगता है। तुम्हें काफी तजुर्बा है सेक्स का, जो कि अभी तक मेरे पापा को भी नहीं है। कसम से अभी तक जलन हो रही है। मुझे। वैसे सच्ची बात बताऊँ तुम्हें सन्नी... मजा बहुत आया है मुझे...”
मैं हँसते हुये उठा और बोला- “लेकिन यार इरम, मुझे कुछ खास मजा नहीं आया। पता नहीं क्यों तुमने दिल से मेरे साथ एंजाय नहीं किया है.”
इरम हँस दी और बोली- “शुरू-शुरू में सचमुच ऐसा ही था। लेकिन बाद में जब तुमने अपना कमाल दिखाया तब तो मैंने दिल से ही करवाया था ना?”
अब मैं उठा और अपने कपड़े लेकर लण्ड को अच्छे से साफ करता हुआ कपड़े पहनने लगा।
सफदर अंकल ने कहा- “क्या बात है सन्नी, कहाँ जा रहे हो?”
मैंने कहा- “बस अंकल, आप लोग अपनी मस्ती जारी रखो। मुझे कुछ काम है, बाद में आऊँगा आप लोगों की तरफ..." और वहाँ से निकलकर अपने घर आ गया, जहाँ निदा बाहर हाल में ही बैठी टीवी देख रही थी।
मुझे देखते ही निदा एक स्माइल देते हुये धीरे से बोली- “लगता है आज हमारे भाई को कोई खजाना मिल गया है, जो इतना खुश दिखाई दे रहा है..."
मैं हँसता हुआ निदा के पास ही जा बैठा और बोला- “क्यों किसी खजाने के मिलने से ही मेरे चेहरा पे चमक आ सकती है क्या? कुछ और भी तो मिल सकता है ना?”
निदा- अच्छा जी, तो बताओ फिर ये कुछ और कहाँ से मिला और किसने दिया तुम जैसे चांदिस को?
मैं- क्यों जेलस हो रही हो? तुम क्या जानो कि क्या चीज थी? आअह्ह... कसम से मजा आ गया जब से देखा है। और मिला हूँ बस उसी का खयाल ही हर वक़्त मेरी आँखों के सामने नाचता रहता है।
निदा जो कि अभी तक शोखी दिखा रही थी एकदम से मुँह बनाते हुये उठी और अपने रूम में चली गई, और जाते हुये बोली- “भाई वैसे आपने बाजी के साथ ज्यादती नहीं की है?"
मैं- “यार ये बात फरी से ही क्यों नहीं पूछ लेती तुम? वो तुम्हें अच्छे से समझा देगी सब कुछ...
निदा जो कि अभी तक शोखी दिखा रही थी एकदम से मुँह बनाते हुये उठी और अपने रूम में चली गई, और जाते हुये बोली- “भाई वैसे आपने बाजी के साथ ज्यादती नहीं की है?"
मैं- “यार ये बात फरी से ही क्यों नहीं पूछ लेती तुम? वो तुम्हें अच्छे से समझा देगी सब कुछ...”
निदा के जाने के बाद मैं भी उठा और अपने रूम में आ गया, जहाँ अब निदा फरी बाजी का सिर खा रही थी कि मैं पता नहीं कहाँ से मुंह काला करवा के आ रहा हूँ? और फरी बाजी को मुझसे सख्ती से पूछना चाहिए। लेकिन फरी बाजी थी कि बेड पे बैठी हल्का सा मुश्कुरा रही थी। जिससे निदा को गुस्सा आ गया और उसने कुछ बोलने के लिए अपना मुँह खोला ही था कि मुझ पे नजर पड़ते ही बोली- “लो आ गये आपके नाबाब साहब, पूछो अब । इससे कहाँ गया था ये?”
फरी बाजी ने अब सीरियस होते हुये निदा से कहा- “यार क्यों बच्चों की तरह रिएक्ट कर रही हो तुम? जैसे सन्नी मेरी हर ख्वाहिश का ख्याल करता है और मुझे हर तरह की आजादी दी हुई है इसने, तो क्या इसे इस बात का हक नहीं है कि अपनी लाइफ के कुछ पल अगर किसी और के साथ भी गुजरना चाहे तो गुजर सके?”
फरी की बात सुनकर निदा का गुस्सा थम सा गया। लेकिन मुझे उसके चेहरा पे अब भी एक नागवारी सी दिखाई दे रही थी, जिसका मतलब था कि निदा को मेरा किसी और के साथ करना अच्छा नहीं लगा था। जिसका एक ही मतलब निकलता था कि निदा भी जेहनी तौर पे मेरी तरफ झुक रही थी, जो कि मेरे लिए सप्टइज ही था। क्योंकी निदा बहूत हाट लड़की थी और मैं खुद भी उसके लिए पागल हुआ फिर रहा था। जिस बात का एहसास निदा को भी अच्छी तरह था कि मैं उसके लिए क्या सोचता हूँ?
अभी निदा कुछ बोलने ही लगी थी कि अम्मी की आवाज सुनाई दी जो निदा को बुला रही थी कि वो उनके रूम की अच्छी तरह झाड़-पोंछ कर दे। तो निदा मुँह ही मुँह में बुदबुदाती हुई रूम में से निकल गई।
बाजी ने कहा- “हाँ तो मजा आया मेरे भाई को इरम के साथ?”
मैंने बुरा सा मुँह बनाते हुये कहा- “अरे बाजी, एकदम गश्ती है साली। लेकिन आज मैंने भी उसकी वो ठुकाई की है कि पीछे-पीछे भागेगी मेरे...”
फरी बाजी हँसते हुये बोली- “अच्छा जी, ऐसा क्या कर दिया मेरे शेर भाई ने?”
तब मैंने बाजी को सारा वाकिया सुना दिया, जो वहाँ हुआ था।
फरी बाजी ने हैरानगी से कहा- “क्या मतलब? भाई तुम ये कहना चाहते कि अगर वो अपनी और अपने बाप की मर्जी से करवा रही है तो वो काल-गर्ल है?"
मैंने हाँ में सिर हिला दिया।
बाजी ने कहा- “अच्छा? तो फिर जरा एक नजर अपनी तरफ और दूसरी नजर मेरी तरफ देखकर बताओ कि हम क्या हैं फिर? क्योंकी करते तो हम भी मजे के लिए ही हैं ना?”
फरी बाजी की बात सुनकर मुझे बड़ी शर्म आई खुद पे कि अगर हम करें तो सब अच्छा और दूसरों को करता देखते हैं तो बुरा भला कहते हैं उन्हें।
तभी बाजी ने कहा- “अच्छा, और बुरा महसूस नहीं करो कुछ भी और जाओ जरा अम्मी के रूम में से निदा को बुलाओ, कुछ काम है उससे...”
मैं बाथरूम के रास्ते अम्मी के रूम में गया लेकिन वहाँ जो नजारा देखा तो वहीं दिल थामकर खड़ा हो गया।
निदा अम्मी के रूम की सफाई कर चुकी थी और अब अम्मी के बेड पे झुकी हुई उसकी चादर ठीक कर रही थी।
लेकिन निदा के इस तरह झुकने से उसका पाजामा काफी नीचे तक खिसक आया था और नीचे से पहनी हुई उसकी ब्लैक पैंटी की स्ट्रिप साफ दिखाई दे रही थी और पूरी गाण्ड अपनी शेप में नजर आ रही थी। निदा की चिकनी गाण्ड का ये रूप देखते ही मेरा लण्ड सलामी देने खड़ा होने लगा।
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निदा मुझे खा जाने वाली नजरों से देखते हुये मेरे पास से गुजरने लगी तो मैं जो कि पूरा रास्ता बंद किए खड़ा हुआ था साइड के बल हुआ तो जैसे ही निदा गुजरने लगी, तभी पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैंने खुद को थोड़ा सा निदा को तरफ दबाया तो मेरा खड़ा लण्ड निदा के हाथ से टच हो गया, तो निदा को जैसे कोई झटका लगा हो और वो वहीं खड़ी होकर कुछ देर मेरे लण्ड को अपने हाथ से लगा हुआ देखती रही लेकिन फिर कुछ बोले । बिना ही निकल गई।