20-01-2020, 12:51 PM
मैंने भी रूम का दरवाजा लाक कर दिया और अम्मी के करीब ही बेड पे जा बैठा, जिससे अब कुछ रूम का मंजर इस तरह था कि मैं बेड पे बैठा हुआ था और अम्मी नीचे मेरे पैरों में बैठी हुई थी। कुछ देर तक मैं अम्मी की तरफ देखता रहा और अम्मी अपना सिर झुकाए मेरे पैरों में बैठी रही।
मैंने धीरे आवाज में अम्मी से कहा- “अम्मी मुझे आप से ये उम्मीद नहीं थी कि आप हमारी इज्जत इस तरह गैरों के आगे नीलाम करती फिरोगी, आपको जरा भी शर्म नहीं आई कि आपकी दो बेटियां भी हैं, और बेटा भी है। अगर कोई गड़बड़ हुई तो हम किसी को मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे। और जब ये सब मैं फरी बाजी और निदा को बताऊँगा तो उनपे आप का ये रूप खुलने के बाद क्या हालत होगी कभी सोचा आपने?”
मेरी बात खतम होते ही अम्मी ने अपने दोनों हाथों से मेरे पांव पकड़ लिए और उनकी आँखों से आँसू बहने लगे और अम्मी रोती सी आवाज में बोली- “प्लीज़... सन्नी बेटा इस बात को अपने तक ही छुपा लो बेटा। अगर तुम्हारी बहनों को पता चला तो मैं उनकी नजरों से गिर जाऊँगी बेटा, और कभी उनके सामने अपनी आँख भी । नहीं उठा सकेंगी। प्लीज़.. सन्नी मैं माँ हूँ तुम्हारी। मुझे एक बार माफ कर दो। मैं आज के बाद ऐसा कभी नहीं करूंगी।
मैं ऐसे ही बैठा अम्मी की तरफ देखता रहा और अपने पांव अम्मी से छुड़ाने की कोई कोशिश भी नहीं की, और कुछ देर के बाद बोला- “नहीं अम्मी, मुझे फरी बाजी और निदा को सब बताना ही होगा। क्योंकी आप और सफदर अंकल कब से ये सब कर रहे हो, और अब भी अगर मुझे पता ना चलता और मैं देख ना लेता तो भी पता नहीं कब तक आप लोग हमारी आँखों में धूल झोंकते रहते और इस बात की आगे क्या गारंटी होगी कि आप सच में दोबारा ये सब नहीं करोगे?”
अम्मी ने अब भी ना तो मेरे पांव छोई और ना ही सिर उठाया और ऐसे ही बोली- “बेटा मैं माँ हूँ तुम्हारी। मैं तुम्हारी और तुम्हारी बहनों के सिर की कसम खाती हूँ कि आज के बाद ऐसा कभी नहीं करूंगी."
मैंने अम्मी को टोक दिया और बोला- “ठीक है अम्मी, मैं सोचूँगा कि आप पे भरोसा करते हुये आपको मोका दिया जाए या फिर निदा और फरी बाजी को बता दिया जाए? लेकिन आप ये बताओ कि आपका और सफदर अंकल में ये सब कब से चल रहा है?”
अम्मी ने अपना सिर उठाकर मेरी तरफ देखा और फिर से सिर झुका लिया और बोली- “सफदर के साथ 15 साल हो गये हैं."
मैं अम्मी की बात सुनकर हैरान रह गया और बोला- “तो क्या आप और सफदर अंकल अब्बू की मौत से पहले से ही ये सब कर रहे हो, और अब्बू को पता भी नहीं चला?”
मैंने धीरे आवाज में अम्मी से कहा- “अम्मी मुझे आप से ये उम्मीद नहीं थी कि आप हमारी इज्जत इस तरह गैरों के आगे नीलाम करती फिरोगी, आपको जरा भी शर्म नहीं आई कि आपकी दो बेटियां भी हैं, और बेटा भी है। अगर कोई गड़बड़ हुई तो हम किसी को मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे। और जब ये सब मैं फरी बाजी और निदा को बताऊँगा तो उनपे आप का ये रूप खुलने के बाद क्या हालत होगी कभी सोचा आपने?”
मेरी बात खतम होते ही अम्मी ने अपने दोनों हाथों से मेरे पांव पकड़ लिए और उनकी आँखों से आँसू बहने लगे और अम्मी रोती सी आवाज में बोली- “प्लीज़... सन्नी बेटा इस बात को अपने तक ही छुपा लो बेटा। अगर तुम्हारी बहनों को पता चला तो मैं उनकी नजरों से गिर जाऊँगी बेटा, और कभी उनके सामने अपनी आँख भी । नहीं उठा सकेंगी। प्लीज़.. सन्नी मैं माँ हूँ तुम्हारी। मुझे एक बार माफ कर दो। मैं आज के बाद ऐसा कभी नहीं करूंगी।
मैं ऐसे ही बैठा अम्मी की तरफ देखता रहा और अपने पांव अम्मी से छुड़ाने की कोई कोशिश भी नहीं की, और कुछ देर के बाद बोला- “नहीं अम्मी, मुझे फरी बाजी और निदा को सब बताना ही होगा। क्योंकी आप और सफदर अंकल कब से ये सब कर रहे हो, और अब भी अगर मुझे पता ना चलता और मैं देख ना लेता तो भी पता नहीं कब तक आप लोग हमारी आँखों में धूल झोंकते रहते और इस बात की आगे क्या गारंटी होगी कि आप सच में दोबारा ये सब नहीं करोगे?”
अम्मी ने अब भी ना तो मेरे पांव छोई और ना ही सिर उठाया और ऐसे ही बोली- “बेटा मैं माँ हूँ तुम्हारी। मैं तुम्हारी और तुम्हारी बहनों के सिर की कसम खाती हूँ कि आज के बाद ऐसा कभी नहीं करूंगी."
मैंने अम्मी को टोक दिया और बोला- “ठीक है अम्मी, मैं सोचूँगा कि आप पे भरोसा करते हुये आपको मोका दिया जाए या फिर निदा और फरी बाजी को बता दिया जाए? लेकिन आप ये बताओ कि आपका और सफदर अंकल में ये सब कब से चल रहा है?”
अम्मी ने अपना सिर उठाकर मेरी तरफ देखा और फिर से सिर झुका लिया और बोली- “सफदर के साथ 15 साल हो गये हैं."
मैं अम्मी की बात सुनकर हैरान रह गया और बोला- “तो क्या आप और सफदर अंकल अब्बू की मौत से पहले से ही ये सब कर रहे हो, और अब्बू को पता भी नहीं चला?”