20-01-2020, 12:50 PM
फरी मेरी बात खतम होते ही बोली- “भाई बात ये है कि आप अम्मी को हमारे बारे में अभी कुछ नहीं बताओगे। क्योंकी अगर अम्मी को अभी हमारा पता चला तो अम्मी हमारी बात नहीं मानेंगी और सारा खेल खराब हो जाएगा। तुम ऐसा करो कि आज रात जब अम्मी से बात करोगे तो अम्मी तुमसे डर जाएंगी और उसके बाद तुम रात को अम्मी के साथ रूम में ही सोने के लिए लेट जाना और रात को अम्मी पे ट्राई करना। अगर अम्मी ने तुम्हें कुछ नहीं कहा तो काम आसान हो जाएगा फिर अम्मी हमें भी नहीं रोक पायेंगी...”
फरी की बात खतम होते ही मैंने कहा- “लेकिन अगर अम्मी के साथ मस्ती करने से अम्मी नाराज हो गई तो सोचो के फिर क्या होगा?”
फरी ने कहा- “कुछ नहीं होगा। बस तुम अपना डर खतम करो। अम्मी पहले ही तुमसे डरी हुई होंगी और वो । कभी किसी को ये नहीं बता सकेंगी कि तुमने यानी उसके बेटे ने अपनी ही सगी माँ को किसी गैर मर्द से । चुदवाता देखने के बाद खुद भी अपनी माँ को चोदना चाहा है। समझे मेरे भोले भाई, या और कुछ समझना है?”
मैंने फरी की बात पे गौर किया तो मुझे उसका प्लान बेहतर लगा कि अगर अम्मी खामोश रही और मैं आराम से अपनी माँ को चोदने में कामयाब हो गया तो फिर अम्मी किसी भी मामले में कभी भी नहीं बोलेंगी और अगर अम्मी ने मेरा काम ना होने दिया तो ज्यादा से ज्यादा मुझे रूम से निकल देंगी लेकिन किसी के सामने कुछ बोलेगी नहीं कभी भी। जैसे-जैसे मैं फरी के प्लान पे सोचता रहा मुझे फरी की बात का कायल होना पड़ा और साथ ही एक औरत के तौर पे अपनी बहन के बारे में सोचा कि आखिर वो इस काम में कितना आगे निकल गई है कि अब वो लण्ड के लिए अपनी ही सगी माँ को भी उसके बेटे और अपने सगे छोटे भाई से भी चुदवाने के लिए तैयार है।
तभी फरी ने मुझसे पूछा- “सन्नी भाई, क्या सोच रहे हो आप?”
मैंने ठंडी 'आह' भरी और बोला- “बस तुम्हारे बारे में ही सोच रहा था कि तुम क्या थी और क्या बनती जा रही हो?
फरी हँस दी, बोली- “तो तुम्हें किसने कहा था कि अपनी ही बहन को चुदवाने में अपने दोस्त की मदद करो..."
फरी की ये बात मेरे लिए किसी झटके से कम नहीं थी, क्योंकी फरी को अभी तक ये नहीं पता था कि काशी ने मेरी मदद से फरी को चोदा था। क्योंकी उस वक़्त तो मुझे खुद को ही पता नहीं था कि काशी जिस लड़की को चोदने वाला है वो मेरी बड़ी बहन फरी ही है।
मेरे चेहरे पे सोच और हैरानी की लहरों को देखते हुये फरी ने कहा- “भाई जी बात ये है कि काशी और नीलू मुझे सब बता चुके हैं कि किस तरह ये सब हुआ? और वो जो उनके घर पे पर्दे के पीछे हुआ, नेट पे हुआ, सब पता चल चुका है मुझे..." और हँसने लगी।
मैं एक ठंडी 'आह' भरकर रह गया और बोला- “हाँ बाजी, आप ने सच कहा के ये सब मेरा ही किया धारा है...” उसके बाद मैंने फरी बाजी के साथ रात के लिए सारी प्लानिंग कर ली। जिसके बाद बाजी ने निदा से अम्मी के सामने ही कह दिया कि आज रात को निदा उसके रूम में सो जाए, क्योंकी उसे कोई जरूरत भी पड़ सकती है, तो निदा उसकी मदद कर देगी।
निदा ने पहले तो हमारी तरफ हैरानी से देखा लेकिन कुछ बोली नहीं, बस हाँ में सिर हिला दिया और फिर मैं रात का इंतजार करने लगा।
टाइम था कि गुजरे नहीं गुजर रहा था और लण्ड था कि बिठाने से नहीं बैठ रहा था, और अम्मी थी कि जब भी मेरी नजर उनसे मिलती, मुझे उनमें एक बिनती सी नजर आती। जैसे कि वो आँखों ही आँखों में मुझसे माफी माँग रही हों, और किसी को कुछ भी ना बताने के दरख्वास्त कर रही हों। लेकिन मैं उनसे अंजान बना टाइम पास करता रहा।
फिर निदा और अम्मी ने मिलकर खाना बनाया रात का जिसके बाद बाजी को भी निदा सहारा देकर बाहर ही ले आई, जहाँ हम सबने मिलकर खाना खाया और खाना खाते हुये मैंने निदा और फरी बाजी की तरफ देखकर कहायार आज मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूँ..”
अभी मैंने इतना ही कहा था कि अम्मी झट से बोल पड़ी- “आराम से खाना खाओ जो भी बोलना या बताना है। सुबह बता देना, अभी सब थक चुके हैं...”
अम्मी के इस तरह मेरी बात काटने से निदा काफी हैरान हुई लेकिन फरी बाजी अपना सिर झुकाकर बैठी धीमी मुश्कान से खाना खाती रही।
लेकिन निदा से बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो झट से बोल पड़ी- “अम्मी आज तो हम कहीं गये भी नहीं जो थक जाते। भाई आप बताओ ना क्या बताने वाले थे
फरी की बात खतम होते ही मैंने कहा- “लेकिन अगर अम्मी के साथ मस्ती करने से अम्मी नाराज हो गई तो सोचो के फिर क्या होगा?”
फरी ने कहा- “कुछ नहीं होगा। बस तुम अपना डर खतम करो। अम्मी पहले ही तुमसे डरी हुई होंगी और वो । कभी किसी को ये नहीं बता सकेंगी कि तुमने यानी उसके बेटे ने अपनी ही सगी माँ को किसी गैर मर्द से । चुदवाता देखने के बाद खुद भी अपनी माँ को चोदना चाहा है। समझे मेरे भोले भाई, या और कुछ समझना है?”
मैंने फरी की बात पे गौर किया तो मुझे उसका प्लान बेहतर लगा कि अगर अम्मी खामोश रही और मैं आराम से अपनी माँ को चोदने में कामयाब हो गया तो फिर अम्मी किसी भी मामले में कभी भी नहीं बोलेंगी और अगर अम्मी ने मेरा काम ना होने दिया तो ज्यादा से ज्यादा मुझे रूम से निकल देंगी लेकिन किसी के सामने कुछ बोलेगी नहीं कभी भी। जैसे-जैसे मैं फरी के प्लान पे सोचता रहा मुझे फरी की बात का कायल होना पड़ा और साथ ही एक औरत के तौर पे अपनी बहन के बारे में सोचा कि आखिर वो इस काम में कितना आगे निकल गई है कि अब वो लण्ड के लिए अपनी ही सगी माँ को भी उसके बेटे और अपने सगे छोटे भाई से भी चुदवाने के लिए तैयार है।
तभी फरी ने मुझसे पूछा- “सन्नी भाई, क्या सोच रहे हो आप?”
मैंने ठंडी 'आह' भरी और बोला- “बस तुम्हारे बारे में ही सोच रहा था कि तुम क्या थी और क्या बनती जा रही हो?
फरी हँस दी, बोली- “तो तुम्हें किसने कहा था कि अपनी ही बहन को चुदवाने में अपने दोस्त की मदद करो..."
फरी की ये बात मेरे लिए किसी झटके से कम नहीं थी, क्योंकी फरी को अभी तक ये नहीं पता था कि काशी ने मेरी मदद से फरी को चोदा था। क्योंकी उस वक़्त तो मुझे खुद को ही पता नहीं था कि काशी जिस लड़की को चोदने वाला है वो मेरी बड़ी बहन फरी ही है।
मेरे चेहरे पे सोच और हैरानी की लहरों को देखते हुये फरी ने कहा- “भाई जी बात ये है कि काशी और नीलू मुझे सब बता चुके हैं कि किस तरह ये सब हुआ? और वो जो उनके घर पे पर्दे के पीछे हुआ, नेट पे हुआ, सब पता चल चुका है मुझे..." और हँसने लगी।
मैं एक ठंडी 'आह' भरकर रह गया और बोला- “हाँ बाजी, आप ने सच कहा के ये सब मेरा ही किया धारा है...” उसके बाद मैंने फरी बाजी के साथ रात के लिए सारी प्लानिंग कर ली। जिसके बाद बाजी ने निदा से अम्मी के सामने ही कह दिया कि आज रात को निदा उसके रूम में सो जाए, क्योंकी उसे कोई जरूरत भी पड़ सकती है, तो निदा उसकी मदद कर देगी।
निदा ने पहले तो हमारी तरफ हैरानी से देखा लेकिन कुछ बोली नहीं, बस हाँ में सिर हिला दिया और फिर मैं रात का इंतजार करने लगा।
टाइम था कि गुजरे नहीं गुजर रहा था और लण्ड था कि बिठाने से नहीं बैठ रहा था, और अम्मी थी कि जब भी मेरी नजर उनसे मिलती, मुझे उनमें एक बिनती सी नजर आती। जैसे कि वो आँखों ही आँखों में मुझसे माफी माँग रही हों, और किसी को कुछ भी ना बताने के दरख्वास्त कर रही हों। लेकिन मैं उनसे अंजान बना टाइम पास करता रहा।
फिर निदा और अम्मी ने मिलकर खाना बनाया रात का जिसके बाद बाजी को भी निदा सहारा देकर बाहर ही ले आई, जहाँ हम सबने मिलकर खाना खाया और खाना खाते हुये मैंने निदा और फरी बाजी की तरफ देखकर कहायार आज मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूँ..”
अभी मैंने इतना ही कहा था कि अम्मी झट से बोल पड़ी- “आराम से खाना खाओ जो भी बोलना या बताना है। सुबह बता देना, अभी सब थक चुके हैं...”
अम्मी के इस तरह मेरी बात काटने से निदा काफी हैरान हुई लेकिन फरी बाजी अपना सिर झुकाकर बैठी धीमी मुश्कान से खाना खाती रही।
लेकिन निदा से बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो झट से बोल पड़ी- “अम्मी आज तो हम कहीं गये भी नहीं जो थक जाते। भाई आप बताओ ना क्या बताने वाले थे