20-01-2020, 12:48 PM
निदा अपना कान मेरे हाथ से छुड़ाते हुये बोली- “भाई आप बाजी के कान ही पकड़ा करो, मेरे नहीं..." और हेहेहेहे। करते हुये बेड से उतरी और रूम से निकल गई।
तब फरी और मैं एक ठंडी ‘आअहह' भरकर रह गये।
निदा के जाने के बाद में बेड पे सीधा होकर बैठ गया और फरी को धीरे-धीरे सब बता दिया। अम्मी और सफदर अंकल के बारे में जो कि मैं आज देख चुका था। जिसे सुनकर फरी कुछ देर तक हैरान और चुपचाप लेटी मेरी तरफ देखती रही, और फिर अचानक एक झटके से मेरी तरफ झुकी और मेरे साथ लिपट गई और बोली- “भाई अगर ये सच है तो कसम से मजा ही आ जाएगा। हम जिस तरह चाहें, मौज मस्ती कर सकते हैं। अम्मी का भी कोई डर नहीं रहेगा...”
मैंने फरी को सीधा किया और खुद से अलग किया और फरी की तरफ देखा तो उसका चेहरा खुशी से लाल नजर आया और उसकी आँखों में मुझे एक अजीब से खुशी और भूख नजर आई। मैंने कहा- “हाँ फरी, तुम ठीक कहती हो। लेकिन मसला ये है कि आखिर अम्मी से अब बात किस तरह की जाए कि वो हमारे मसले पे जान जाने के बाद हमारी तरफ से अपनी आँखें बंद कर लें..."
फरी मेरी बात सुनकर कुछ देर खामोश रही और कुछ सोचती रही और फिर मेरी तरफ देखते हुये शैतानी स्माइल से मुश्कुराते हुये बोली- “भाई ऐसा करो आज की रात आप निदा को यहाँ मेरे पास रूम में भेज देना और खुद । अम्मी के रूम में चले जाना बात करने के लिए, और अम्मी से सारी बात खुलकर बोल देना कि तुम क्या कुछ देख चुके हो समझे?”
फरी की बात को समझते हुये मैं बोला- “वो तो ठीक है। लेकिन हम अपना मसला अम्मी को किस तरह बतायें, जिससे अम्मी हमारे इस रिश्ते को कबूल कर लें और जो हो रहा है खामोशी से होने दें?”
तब फरी और मैं एक ठंडी ‘आअहह' भरकर रह गये।
निदा के जाने के बाद में बेड पे सीधा होकर बैठ गया और फरी को धीरे-धीरे सब बता दिया। अम्मी और सफदर अंकल के बारे में जो कि मैं आज देख चुका था। जिसे सुनकर फरी कुछ देर तक हैरान और चुपचाप लेटी मेरी तरफ देखती रही, और फिर अचानक एक झटके से मेरी तरफ झुकी और मेरे साथ लिपट गई और बोली- “भाई अगर ये सच है तो कसम से मजा ही आ जाएगा। हम जिस तरह चाहें, मौज मस्ती कर सकते हैं। अम्मी का भी कोई डर नहीं रहेगा...”
मैंने फरी को सीधा किया और खुद से अलग किया और फरी की तरफ देखा तो उसका चेहरा खुशी से लाल नजर आया और उसकी आँखों में मुझे एक अजीब से खुशी और भूख नजर आई। मैंने कहा- “हाँ फरी, तुम ठीक कहती हो। लेकिन मसला ये है कि आखिर अम्मी से अब बात किस तरह की जाए कि वो हमारे मसले पे जान जाने के बाद हमारी तरफ से अपनी आँखें बंद कर लें..."
फरी मेरी बात सुनकर कुछ देर खामोश रही और कुछ सोचती रही और फिर मेरी तरफ देखते हुये शैतानी स्माइल से मुश्कुराते हुये बोली- “भाई ऐसा करो आज की रात आप निदा को यहाँ मेरे पास रूम में भेज देना और खुद । अम्मी के रूम में चले जाना बात करने के लिए, और अम्मी से सारी बात खुलकर बोल देना कि तुम क्या कुछ देख चुके हो समझे?”
फरी की बात को समझते हुये मैं बोला- “वो तो ठीक है। लेकिन हम अपना मसला अम्मी को किस तरह बतायें, जिससे अम्मी हमारे इस रिश्ते को कबूल कर लें और जो हो रहा है खामोशी से होने दें?”